Uttar Pradesh

Faizabad

CC/02/2006

Rishikesh Tiwari - Complainant(s)

Versus

Aman Automoile - Opp.Party(s)

12 Feb 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/02/2006
 
1. Rishikesh Tiwari
Bikapur Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Aman Automoile
SULTANPUR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद । 
            
                
    

़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़                     ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल अध्यक्ष

                            (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
                            (3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य


               परिवाद सं0-02/2006

ऋषिकेष तिवारी पुत्र श्री शत्रुध्न तिवारी निवासी ग्राम व पोस्ट मलेथूकनक परगना पश्चिम राठ तहसील व थाना बीकापुर जिला फैजाबाद        .................... परिवादी

                    बनाम

1-        अमन आटो मोबाइल्स कादीपुर रोड गोसाईगंज जनपद सुलतानपुर पिन नं0-228119 द्वारा प्रोपराइटर।
2-    मैहर आटो मोबाइल्स प्राइवेट लिमिटेड इलाहाबाद रोड दरियापुर सुलतानपुर द्वारा प्रोपराइटर                               ................. विपक्षीगण
    
निर्णय दि0 12.02.2016
                                                             
    
                        निर्णय

उद्घोषित द्वाराः-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष

    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध परिवादी को दिया गया वाहन वापस लेकर उसके स्थान पर दूसरा वाहन दिलाये जाने हेतु योजित किया है।

    संक्षेप में परिवादी का परिवाद इस प्रकार है कि उसने विपक्षी सं0-1 के यहाॅं से एक सी.टी. 100 मोटर साइकिल जिसका इंजन नं0 डी0यू0एम0बी0एम0ए0 78809  चेचिस नं0-डी0यू0एम0बी0एम0ए0 6935  दि0 13.05.2005  को नकद रू0 

 

 

     (  2  )

32,990=00 देकर क्रय किया था। वाहन क्रय करने के पश्चात् विपक्षी सं0-1 के कहने पर परिवादी ने वाहन का अस्थाई पंजीयन हेतु मु0 500=00 विपक्षी सं0-1 को पंजीयन के लिए दिया। संभागीय परिवहन कार्यालय द्वारा पंजीयन सं0-यू0पी042 जेड04225 दिया गया। परिवादी ने जब से वाहन उपरोक्त को क्रय किया। वाहन में अनेक तकनीकी कमियाॅं थी। जब भी परिवादी सर्विसिंग हेतु दुकान पर जाता था तो अपनी शिकायत दर्ज करवाता रहा। परिवादी जब भी विपक्षी सं0-1 के यहाॅं वाहन की सर्विसिंग हेतु गया तो परिवादी से विपक्षी सं0-1 द्वारा सर्विस का शुल्क लिया जाता रहा एवं बाद में सर्विस बुक पर फ्री सर्विस लिख दिया जाता रहा। ज्यादा खराबी हो जाने के कारण परिवादी दि0 20.6.2005 को विपक्षी सं0-1 के एजेन्सी पर गया और वाहन में तकनीकी कमी को बताया जिस पर विपक्षी सं0-1 द्वारा यह आश्वासन दिया गया कि कम्पनी के मैकेनिक आये हैं और वाहन ठीक कर दिया जायेगा। परिवादी ने पुनः विपक्षी सं0-1 के एजेन्सी पर जाकर दि0 09.11.2005 को शिकायत किया, परन्तु विपक्षी सं0-1 ने स्पष्ट तौर पर कहा कि अब वह परिवादी का वाहन न तो ठीक करेगा और न ही सर्विसिंग करेगा। इस प्रकार विवश होकर परिवादी को यह परिवाद प्रस्तुत करना पड़ा। 
    
    विपक्षी सं0-1 ने अपने जवाब में कहा कि परिवादी का यह कथन बिल्कुल गलत है कि विपक्षी सं0-1 द्वारा मु0 500=00 की माॅंग की गयी जिसकी विपक्षी सं0-1 विक्रीत मोटर साईकिल को वारन्टी पीरियड में रिपेयरिंग करने को तैयार था और आज भी तैयार है। वारन्टी पीरियड के समाप्त हो जाने पर परिवादी कोई भी सर्विस विपक्षी सं0-1 से लेने का हकदार नहीं होगा। यह सही है कि विपक्षी ने मु0 127=00 की रसीद परिवादी को दिया, जो नियमानुसार थी। गलत काज आफ ऐक्शन के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है। अतः संधारणीय नहीं है अतः इन्कार है।

    मैं परिवाद में दाखिल साक्ष्य का अवलोकन किया। इस परिवाद में दो विवाद है। प्रथम विसा यह है कि क्या परिवादी की मोटर साईकिल जिसका नं0-यू0पी0 42जेड04225 में तकनीकी कमियाॅं थी। यदि मोटर साईकिल में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है तो परिवादी को किसी आॅथराइज्ड गैरेज से मोटर साइकिल की  मैन्युफैक्चरिंग  डिफेक्ट  के  सम्बन्ध  में  रिपोर्ट  दाखिल  करना चाहिए। यदि 

 

 

                        (  3  )

मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट पाया जाता है तो इस मोटर साईकिल के स्थान पर नई मोटर साईकिल परिवादी पाने का अधिकारी होगा। यदि मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट नहीं पाया जाता है तो वारन्टी पीरियड में जो कमियाॅं है उसे सर्विस द्वारा सही कराया जा सकता है। विपक्षी ने अपने जवाब में कहा है कि सर्विस पीरियड में वह सर्विस करता रहा। परिवादी की मोटर साइकिल में कोई कमी नहीं थी। इस प्रकार परिवादी ने कोई मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट के सम्बन्ध में कोई रिपोर्ट पत्रावली में दाखिल नहीं किया है। परिवादी इस बिन्दु को साबित करने में असफल रहा है। 

    दूसरा विवाद यह है कि परिवादी को जनपद फैजाबाद में परिवाद योजित करने के लिए वाद कारण उत्पन्न हुआ है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-11 (2) के तहत परिवादी परिवाद वहाॅं योजित करेगा जहाॅं पर विपक्षीगण निवास करते हैं या विपक्षीगण में से एक विपक्षी जनपद फैजाबाद में निवास करता हो या वाद कारण जनपद फैजाबाद में उत्पन्न हुआ हो। यदि परिवादी मोटर साइकिल के क्रय के विषय में पैसा जनपद फैजाबाद में दिया होता तथा जनपद फैजाबाद में मोटर साईकिल प्राप्त की होती तो वाद कारण जनपद फैजाबाद में माना जाता। विपक्षीगण का पता जनपद सुल्तानुपर का दिया हुआ है। इस प्रकार परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-11 (2) की उप धारा-क,ख,ग के श्रेणी में नहीं आता है। वाद कारण जनपद फैजाबाद में उत्पन्न नहीं है। इस प्रकार जनपद फैजाबाद में वाद कारण उत्पन्न न होने के कारण जनपद फैजाबाद के उपभोक्ता न्यायालय को इस परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है और परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 

                      आदेश

        
        परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।     

   (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)              
            सदस्य                  सदस्या                     अध्यक्ष     
         
    

 

 

    (  4  )

निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 12.02.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया  गया।
    

        (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)           
      सदस्य                   सदस्या                     अध्यक्ष    

    

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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