राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
पुनरीक्षण संख्या:-49/2024
शिवशक्ति बायो प्लान्टेक लि0 द्वारा प्रबन्धक, पता-1235, द्वितीय तल पियरिया पोखरी, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के पीछे, चौका घाट, वाराणसी, क्षेत्रीय कार्यालय-3/543 विवेक खण्ड, नियर-ट्रिंका होटल गोमती नगर, लखनऊ उ0प्र0।
........... पुनरीक्षणकर्ता
बनाम
आलोक कुमार पुत्र श्री राम लोचन सिंह निवासी एस-6/171-9 श्रीनगर कालोनी, फेज-3, अकथा, सारनाथ जिला वाराणसी-221007
…….. विपक्षी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री योगेन्द्र कुमार तिवारी
प्रत्यर्थीगण के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 25.7.2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका इस आयोग के सम्मुख धारा-47 (1) (बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद सं0-381/2013 में पारित आदेश दिनांक 13.3.2024 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, वाराणसी द्वारा पुनरीक्षणकर्ता की ओर से प्रस्तुत संशोधन प्रार्थना पत्र दिनांक 15.4.2022 पर विचार करते हुए दिनांक 13.3.2024 को निम्न आदेश पारित किया गया है:-
"आज पेश हुआ। उभय पक्ष के अधिवक्ता उपस्थित आये। परिवादी के संशोधन प्रार्थना पत्र दिनांक 15.4.2022 के विरूद्ध विपक्षी द्वारा आपत्ति प्रस्तुत की गई है।
-2-
सुना गया। पत्रावली का अवलोकन किया गया। वाद के उचित न्याय निर्णय हेतु संशोधन प्रार्थना पत्र हर्जे पर स्वीकार करना उचित प्रतीत होता है।
अत: संशोधन प्रार्थना पत्र मु0 रू0 300.00 हर्जे पर स्वीकार किया जाता है तद्नुसार 10 दिन के अन्दर हर्जे का भुगतान कर संशोधन हो। वास्ते अति0 जवाबदेही दिनांक 08.4.2024 नियत हो।"
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित उपरोक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गई है।
मेरे द्वारा पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन व परीक्षण किया गया।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पुनरीक्षणकर्ता द्वारा प्रस्तुत संशोधन प्रार्थना पत्र का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरांत विधिक रूप से आदेश पारित किया गया है, जो मेरे विचार से विधि सम्मत है एवं विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित आदेश में किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता इस स्तर पर उचित प्रतीत नहीं हो रही है, अत्एव प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका मेरे विचार से पोषणीय नहीं है तद्नुसार अंगीकरण के बिन्दु पर ही प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका अंतिम रूप से निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1