राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या-119/2014
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या 162/2012 में पारित आदेश दिनांक 22.09.2014 के विरूद्ध)
Raju Aggarwal
Director, Fair Deal Cars Private Limited ...............पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी संख्या-1
बनाम
Alok Kumar Kuchhal ................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री वीरेन्द्र सिंह, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, सदस्य(न्यायिक)।
3. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री दीपेश शुक्ला, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 05.12.2014
माननीय न्यायमूर्ति श्री वीरेन्द्र सिंह, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र पुनरीक्षणकर्ता ने जिला उपभोक्ता फोरम, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या 162/2012 में पारित आदेश दिनांक 22.09.2014 के विरूद्ध प्रस्तुत किया है।
श्री दीपेश शुक्ला विद्वान अधिवक्ता पुनरीक्षणकर्ता को सुना गया और अभिलेख का अवलोकन किया गया।
प्रश्नगत आदेश से विद्वान जिला मंच ने पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध दिनांक 10.09.2012 को परिवाद को एकपक्षीय रूप से सुने जाने के आदेश के परिप्रेक्ष्य में विपक्षी संख्या-1/पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता उज्जवल कुमार की उपस्थिति के उपरान्त भी पूर्व आदेश दिनांक 10.09.2012 को एकपक्षीय रूप से सुने जाने के आदेश के परिप्रेक्ष्य में ही यह अंकित किया है कि ''परिवादी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित है और उज्जवल कुमार अधिवक्ता विपक्षी संख्या-1 के लिए उपस्थित हैं, परन्तु विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध पूर्व ही दिनांक 10.09.2012 के आदेश से एकपक्षीय सुनवाई आदेशित है।''
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पुनरीक्षणकर्ता की ओर से तर्क किया गया है कि विपक्षी संख्या-1 चूँकि उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करना चाहता है, इसलिए उसके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किए जाने के बजाय उसको पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाए।
हमने इस पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र को अंगीकार किए जाने के बिन्दु पर ही सुनवाई करते हुए इस पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र को स्वीकार किए जाने योग्य पाया है क्योंकि किसी भी व्यक्ति को, भले ही उसके विरूद्ध एकपक्षीय सुनवाई किए जाने का आदेश पारित कर दिया गया हो, तब तक सुने जाने से मना नहीं किया जा सकता है, जब तक कि अन्तिम रूप से परिवाद की सुनवाई न हो जाए, इसलिए इस पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र को हम तदनुसार स्वीकार करते हुए जिला मंच को यह निर्देशित किया जाना न्यायोचित पाते हैं कि वह दिनांक 09.12.2014 को जो कि परिवाद में पूर्व से नियत है, विपक्षी संख्या-1 को उसका पक्ष प्रस्तुत किए जाने का अवसर प्रदान करें और उसके विरूद्ध दिनांक 10.09.2012 को पारित किए गए एकपक्षीय सुनवाई के आदेश का संज्ञान न लें। अत: हम इस पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र को स्वीकार किया जाना उपयुक्त पाते हैं।
आदेश
पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र उपरोक्त स्वीकार किया जाता है। जिला मंच को निर्देश दिया जाता है कि वह विपक्षी संख्या-1/पुनरीक्षणकर्ता को सुनवाई का पूर्ण अवसर प्रदान करें। विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध दिनांक 10.09.2012 को एकपक्षीय सुनवाई का आदेश निरस्त समझा जाए। पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी संख्या-1 नियत तिथि पर जिला मंच के समक्ष उपस्थित होकर तदनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करें।
(न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह) (जितेन्द्र नाथ सिन्हा) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य(न्यायिक) सदस्य
जितेन्द्र आशु. ग्रेड-2
कोर्ट नं-1