(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :-1406/2006
(जिला उपभोक्ता आयोग, प्रतापगढ़ द्वारा परिवाद सं0-342/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11/05/2006 के विरूद्ध)
- U.P. Avas Evam Vikas Parishad through Avas Ayukt, 104, Mahatma
Gandhi Marg, Lucknow. - Estate Management Officer U.P. Avas Evam Vikas Parishad, 301, Avas Vikas colony, Meera Bhawan, Pratap Garh.
- Appellants
Versus
Allahabad Bank through its Branch Manager, Branch-Pratap Garh, Faizabad Road, Near Government Girls Inter College, Chowk, Pratapgarh.
समक्ष
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री एन0एन0 पाण्डेय
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- कोई नहीं
दिनांक:-21.09.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- जिला उपभोक्ता आयोग, प्रतापगढ़ द्वारा परिवाद सं0-342/2004 उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद बनाम इलाहाबाद बैंक में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11/05/2006 के विरूद्ध परिषद द्वारा अपील इस आधार पर प्रस्तुत की गयी है कि जिला उपभोक्ता मंच ने केवल 1,00,000/- रू0 प्रतिकर का आदेश दिया है जबकि विपक्षी बैंक 261 दिन तक 42,39,439/- रूपये अपने पास रखा और परिषद को वापस नहीं लौटाया।
- केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया।
- दस्तावेज सं0 21 स्वयं वरिष्ठ प्रबंधक द्वारा सहायक आवास आयुक्त को लिखे गये पत्र की प्रतिलिपि है इस पत्र में उल्लेख हे कि ‘’ विगत माह में कार्य की अधिकता तथा आपके किसी भी कर्मचारी द्वारा स्मरण न कराने के कारण खाते में जमा राशि लखनऊ अंतरित नहीं की जा सकी।‘’
- इस प्रकार इस तथ्य को स्वयं बैंक द्वारा स्वीकार किया गया है कि परिषदके आवंटियो द्वारा जो राशि उनके बैंक में जमा करायी गयी है वह परिषद के कार्यालय में अंतरित नहीं की जा सकी इसलिए निश्चित रूप से परिषद उस समस्त धनराशि पर ब्याज प्राप्त करने के लिए अधिकृत है जो अनावश्यक इलाहाबाद बैंक द्वारा अपने पास रोककर रखी गयी।
- अपीलार्थीगण/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थीगण /परिवादी को 3,95,589/- रूपये 90 पैसा के ब्याज की हानि हुई है। इस राशि पर 18 प्रतिशत ब्याज की भी मांग की गयी है। जिला उपभोक्ता मंच ने अंकन 1,00,000/-रू0 प्रतिकर अदा करने का आदेश देते समय यह निष्कर्ष नहीं दिया कि यथार्थ में बैंक को किस दर से ब्याज अदा करना चाहिए चूंकि बैंक में रखी गयी राशि पर सामान्यत: 06 प्रतिशत की दर से ब्याज देय है इसलिए 261 दिन की अवधि का इसी दर से ब्याज की गणना करके ब्याज दिये जाने का आदेश दिया जाना चाहिए।
-
अपील स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता मंच का आदेश अपास्त करते हुए पारित निर्णय एवं आदेश निम्न प्रकार से परिवर्तित किया जाता है:-
(ए) प्रत्यर्थी/विपक्षी बैंक द्वारा अंकन 42,39,439/- रू0 पर 261 दिन की अवधि का ब्याज 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से गणना करके अपीलार्थीगण/परिवादी को वापस लौटाये।
(बी) इस गणना के अनुसार जो ब्याज निकलता है उस ब्याज राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज अदा किया जाये।
(सी) वाद व्यय के रूप में अपीलार्थीगण को अंकन 20,000/- रूपये अदा किया जाये। इस राशि पर कोई ब्याज देय नहीं होगा।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप, आशु0 कोर्ट नं0-3