समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-67/2013 उपस्थित- श्री बाबूलाल यादव, अध्यक्ष,
डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य
1.श्रीमती संध्या पुत्री स्व0ईश्वरदास पत्नी श्री अतरूप
2.श्रीमती जानकी पुत्री स्व0ईश्वरदास पत्नी श्री मनोज कुमार निवासी-ग्राम-गौरहारी परगना,तहसील-चरखारी व जिला-महोबा ....परिवादिनीगण
बनाम
शाखा प्रबंधक,इलाहाबाद बैंक, शाखा-ग्राम-गुढा तहसील-चरखारी जिला-महोबा ........विपक्षी
निर्णय
श्री बाबूलाल यादव,अध्यक्ष द्वारा उदधोषित
परिवादिनीगण श्रीमती संध्या व श्रीमती जानकी ने यह परिवाद खिलाफ विपक्षी शाखा प्रबंधक,इलाहाबाद बैंक, शाखा-ग्राम-गुढा तहसील-चरखारी जिला-महोबा बाबत दिलाये जाने बीमित धनराशि 50,000/-रू0 व अन्य अनुतोष प्रस्तुत किया हैा
संक्षेप में परिवादिनीगण का कथन इस प्रकार है कि परिवादिनीगण के पिता ईश्वरदास पुत्र रामाधार निवासी-ग्राम-गौरहारी विपक्षी सं01 बैंक के खातेदार थे और उन्होंने उक्त बैंक में किसान क्रेडिट कार्ड व किसान शक्ति कार्ड बनवाया था । कार्ड बनवाने के पश्चात ईश्वरदास पुत्र रामाधार का विपक्षी बैंक द्वारा नियमानुसार 50,000/-रू0 का बीमा कराया गया था । परिवादीगण के पिता ईश्वरदास व उनकी पत्नी श्रीमती रामदेवी व पुत्र भानुप्रताप की मृत्यु दिनांक:14.04.2008 को उनकी हत्या किये जाने के फलस्वरूप हो गई थी । श्री ईश्वरदास के किसान क्रेडिट कार्ड/किसान शक्ति कार्ड में श्री भानुप्रताप सिंह नोमिनी थे । उक्त हत्या के फलस्वरूप अब उनकी पुत्रियां श्रीमती संध्या व श्रीमती जानकी ही वारिस रह गई थी । परिवादिनीगण के अलावा मृतक ईश्वरदास का कोई वारिस नहीं है । परिवादीगण के पिता ईश्वरदास की म़त्यु के बाद उन्होंनें व्यक्तिगत रूप से बैंक जाकर विपक्षी सं01 शाखा प्रबंधकसे बीमित धनराशि दिलाये जाने की प्रार्थना की तो वह मात्र आश्वासन ही देते रहे और अब तक उनको बीमित धनराशि प्राप्त नहीं कराई गई,जिससे परिवादिनीगण को मानसिक एवं आर्थिक कष्ट हो रहे हैं । परिवादिनीगण ने विपक्षी को जरिये नोटिस दिनांक:23.07.2013 से उनको सूचित किया गया था कि 60 दिवस के अंदर वह नोटिस का जबाब दे लेकिन चार महीने के बाद भी उन्होंने कोई जबाब नहीं दिया । ऐसी परिस्थिति में परिवादीगण ने यह परिवाद मा0 फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है ।
विपक्षी बैंक की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत किया गया है,जिसमें उन्होनें परिवादिनीगण को स्व0ईश्वरदास की पुत्रियां होना तथा स्व0ईश्वरदास को विपक्षी शाखा का खातेदार होना एवं उनके नाम किसान क्रेडिट कार्ड/किसान शक्ति काड जारी किया जाना तथा 50,000/-रू0 का उनका बीमा किया जाना स्वीकार किया गया है तथा शेष तथ्यों से उन्होंने इंकार किया है । अतिरिक्त कथन में उनकी ओर से यह कहा गया है कि विपक्षी बैंक द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड श्री ईश्वरदास पुत्र रामाधार का खाता सं0 270392 जारी किया गया था जिसमें उनका व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा दिनांक:12.03.2008 को 15/-रू0 बीमा प्रीमियम काटकर कराया गया था । मृतक ईश्वरदास का उपरोक्त किसान क्रेडिट कार्ड दिनांक:12.11.2010 तक प्रभावी था । मृतक ईश्वरदास कार्ड जारी होने के पश्चात एवं किसान क्रेडिट कार्ड की रकम निकालने के बाद कभी भी बैंक नहीं आये । मृतक ईश्वरदास की हत्या दिनांक:13/14.04.2008 को की गई थी लेकिन परिवादीगण द्वारा विपक्षी कोई सूचना नहीं दी गई । उनके द्वारा यह परिवाद अत्यंत देरी से किया गया तथा उन्हेांने कभी भी विपक्षी को नोटिस नहीं दिया गया । चॅूकि परिवादिनीगण को यह मालूम है कि विपक्षी बैंक का 3,20,775/-रू0 बकाया है । उसी से बचने के लिये उनके द्वारा यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है । उक्त परिस्थितियों में उन्होंने परिवादिनीगण का परिवाद निरस्त किये जाने की प्रार्थना की गई है ।
परिवादिनीगण ने पुन: जबाबुलजबाब दाखिल किया है जिसमें उन्होंने विपक्षी द्वारा दाखिल जबाबदावा से इंकार किया है और यह कहा है कि उन्होंने इलाहाबाद बैंक की गुढा शाखा जाकर अपने पिता की हत्या की सूचना दी थी और क्लेम आवेदन दिया था लेकिन उन्होंने जान बूझकर कोई कार्यवाही नहीं की गई ।
परिवादिनीगण ने अपने परिवाद के समर्थन में श्रीमती संध्या का शपथ पत्र कागज सं04ग व 26ग प्रस्तुत किया है तथा अभिलेखीय साक्ष्य में किसान क्रेडिट कार्ड की छायाप्रति कागज सं07ग/1,इलाहाबाद बैंक की पासबुक की छायाप्रति कागज सं07ग/2,प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति कागज सं08ग,परिवार रजिस्टर की नकल की छायाप्रति कागज सं09ग,मृत्यु प्रमाण पत्र ईश्वरदास,श्रीमती रामदेवी एवं भानुप्रताप की छायाप्रतियां कागज सं010ग/1 लगायत 10ग/3,वारिस प्रमाण पत्र की छायाप्रति कागज सं011ग,नोटिस अंतर्गत धारा-80 दीवानी कागज सं012ग दाखिल की गई है ।
विपक्षी बैंक की ओर से अपने जबाबदावा के समर्थन में शपथ-पत्र द्वारा श्री पवन कुमार,शाखा प्रबंधक,इलाहाबाद बैंक,शाखा-गुढा दाखिल किया गया है जो कि कागज सं022ग/1 व 22ग/2 है । उनके द्वारा कोई अभिलेखीय साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया है ।
उभय के विद्वान अधिवक्तागण की बहस को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
उभय पक्ष को यह तथ्य स्वीकार है कि परिवादिनीगण के पिता ईश्वरदास की मृत्यु दिनांक:14.04.2008 को हत्या के फलस्वरूप हुई थी । उनके नाम जो किसान क्रेडिट कार्ड था,वह दिनांक:13.11.2007 से 12.11.2010 तक के लिये प्रभावी था । उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम- 1986 के अंतर्गत परिवादिनीगण वाद का कारण उत्पन्न होने के दो वर्ष के अंदर परिवाद मा0फोरम के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है । परिवादिनीगण ने इस संबंध में कोई प्रार्थना-पत्र विपक्षी बैंक को नहीं दिया । जबकि परिवादिनीगण के पिता के नाम जारी किसान क्रेडिट कार्ड की अवधि दिनांक:12.11.2010 तक ही प्रभावी था । 12.11.2010 के पश्चात दिनांक:04.07.2013 को परिवादिनीगण ने यह परिवाद प्रस्तुत किया है,जो पूर्णत: कालबाधित है और कालबाधित होने के कारण परिवादिनीगण को परिवाद के अंतर्गत कोई अनुतोष दिलाया जाना विधि सम्मत नहीं है ।
अत: यह फोरम इस मत का है कि परिवादिनीगण का परिवाद कालबाधित होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है ।
आदेश
परिवादिनीगण का परिवाद निरस्त किया जाता है । पक्षकार अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेगें।
(डा0सिद्धेश्वर अवस्थी) (श्रीमती नीला मिश्रा) (बाबूलाल यादव)
सदस्य, सदस्या, अध्यक्ष,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
27.02.2015 27.02.2015 27.02.2015