Uttar Pradesh

StateCommission

A/2000/1832

Shri Jhandu - Complainant(s)

Versus

Allahabad Bank - Opp.Party(s)

A K Pandey

17 Oct 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2000/1832
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District Allahabad)
 
1. Shri Jhandu
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Allahabad Bank
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Jitendra Nath Sinha PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 17 Oct 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

मौखिक

अपील संख्‍या-1832/2000

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, हमीरपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-590/1994 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 14.06.2000 के विरूद्ध)

 

श्री झण्‍डू पुत्र श्री चुनुवार, निवासी ग्राम बजेहटा, डा0 बजेहटा, जिला हमीरपुर।

अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्~

1. रीजनल मैनेजर, इलाहाबाद हमीरपुर डाकखाना हमीरपुर, मुहल्‍ला रमेही हमीरपुर, जिला हमीरपुर उ0प्र0।

2. शाखा प्रबन्‍धक इलाहाबाद बैंक छानी, डाकखाना छानी जिला हमीरपुर उ0प्र0।

                                         प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-

1. माननीय श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री ए0के0 पाण्‍डेय, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक 17.10.2016                           

मा0 श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

 

प्रकरण पुकारा गया। वर्तमान अपील, परिवादी/अपीलार्थी की ओर से परिवाद संख्‍या-590/1994, झण्‍डू बनाम रीजनल मैनेजर इलाहाबाद बैंक व एक अन्‍य में जिला फोरम, हमीरपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.06.2000 के विरूद्ध योजित की गयी है, जिसके अन्‍तर्गत जिला फोरम द्वारा प्रश्‍नगत परिवाद निरस्‍त कर दिया गया।

उपरोक्‍त निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवादी/अपीलार्थी की ओर से वर्तमान अपील योजित की गयी है।

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री ए0के0 पाण्‍डेय उपस्थित हैं। प्रत्‍यर्थीगण  की  ओर से कोई उपस्थित नहीं है। यह अपील वर्ष 2000 से विचाराधीन

 

-2-

है, अत: विद्वान अधिवक्‍ता अपीलार्थी को विस्‍तार से सुना गया एवं प्रश्‍गनत निर्णय/आदेश तथा उपलब्‍ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।

परिवाद पत्र का अभिवचन संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक ने विकास खण्‍ड मुस्‍करा में नि:शुल्‍क बोरिंग योजना के लिए ओवदन किया था और बोरिंग हेतु विद्युत कनेक्‍शन व फिटिंग लाइन भी पूर्ण करा ली थी, लेकिन विपक्षीगण आवेदक को मोटर क्रय नहीं करा रहे हैं, जिससे आवेदक को नुकसान हो रहा है। इस प्रकार क्षतिपूर्ति हेतु प्रश्‍नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया।

विपक्षीगण/प्रत्‍यर्थीगण की ओर से जिला फोरम के समक्ष प्रश्‍नगत परिवाद का विरोध किया गया और स्‍पष्‍ट रूप से यह अभिवचित किया गया कि बैंक द्वारा परिवादी को ऋण प्रोविजनली अवश्‍य स्‍वीकृत किया गया था, लेकिन ऋण का वितरण नहीं किया गया था। इस प्रकार परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है। विपक्षीगण की ओर से यह भी अभिवचित किया गया कि ऋण स्‍वीकृत किये जाने के सन्‍दर्भ में परिवादी द्वारा कोई शुल्‍क अदा नहीं किया गया था और बोरिंग सफल होने का बीडीओ द्वारा जारी प्रमाण पत्र भी बैंक में प्रस्‍तुत नहीं किया गया था। परिवादी को ऋण वर्ष 1991 में प्रोविजनली रूप से स्‍वीकृत किया गया था और प्रश्‍नगत परिवाद वर्ष 1994 में योजित किया गया, जो कि स्‍पष्‍टया कालबाधित है।

जिला फोरम द्वारा उभय पक्ष के अभिवचन पर विचार करते हुए इस आशय का निष्‍कर्ष दिया गया कि आवेदक/परिवादी को बैंक द्वारा दिनांक 08.03.1991 को ऋण स्‍वीकृति दी गयी थी और परिवाद दिनांक 18.10.1994 को योजित किया गया, जो कि कालबाधित है। इस आशय का भी निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी को ऋण अदा नहीं किया गया था, अत: वह उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है। तदनुसार जिला फोरम द्वारा परिवाद निरस्‍त कर दिया गया।

अविवादित रूप से परिवादी/अपीलार्थी को ऋण की अदायगी नहीं की गयी थी एवं वर्ष 1991 में अंतिम रूप से ऋण की स्‍वीकृति की बात परिवादी/अपीलार्थी द्वारा कही  जा  रही है। ऐसी स्थिति में प्रश्‍नगत परिवाद वर्ष 1994 में योजित किया गया,

-3-

जिसका कालबाधित होना स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है। अत: इस सन्‍दर्भ में जिला फोरम द्वारा जो निष्‍कर्ष दिया गया है, उसमें किसी प्रकार की कोई विधिक त्रुटि होना नहीं पायी जाती है। तदनुसार वर्तमान अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

वर्तमान अपील निरस्‍त की जाती है।

 

 

            (जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा)                      (संजय कुमार)

               पीठासीन सदस्‍य                               सदस्‍य

लक्ष्‍मन, आशु0,

   कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Jitendra Nath Sinha]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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