राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-546/2010
(जिला उपभोक्ता आयोग, गाजीपुर द्वारा परिवाद सं0-43/20017 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 17-02-2010 के विरूद्ध)
शिव कुमार सिंह पुत्र श्री उमा पति सिंह निवासी ग्राम खालिसपुर, जिला गाजीपुर।
...........अपीलार्थी/परिवादी।
बनाम
1. ब्रान्च मैनेजर, इलाहाबाद बैंक, मेन ब्रान्च, जिला गाजीपुर।
2. रीजीनल मैनेजर, इलाहाबाद बैंक, डिवीजनल आफिस, नदेसर, जिला वाराणसी।
............ प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण।
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित:श्री टी0एच0 नकवी विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री अवधेश शुक्ला विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 01-05-2024.
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत, जिला उपभोक्ता आयोग, गाजीपुर द्वारा परिवाद सं0-43/20017 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 17-02-2010 के विरूद्ध योजित अपील के सन्दर्भ में हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा पत्रावली का सम्यक् रूप से परिशीलन किया गया।
प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता चूँकि प्रत्यर्थी बैंक की ओर से नामित अधिवक्ता हैं, इसलिए उनको सुना गया।
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परिवाद पत्र के अवलोककन से ज्ञात हुआ कि परिवादी द्वारा ऋण की गारण्टी ली गई थी, इसलिए परिवादी से वसूली की गई। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा-128 के अनुसार उसी सीमा तक गारण्टर से वसूली की जा सकती है जिस सीमा तक मूल ऋण की अदायगी हुई है। बैंक को यह अधिकार प्राप्त है कि वह ऋण की वसूली गारण्टर से करे। यह बैंक की स्वेच्छा पर निर्भर है कि वह ऋण की वसूली मूल ऋणी से करे या गारण्टर से करे। ऐसी स्थिति में विद्वान जिला आयोग द्वारा दिये गये निर्णय में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
यद्यपि विद्वान जिला आयोग ने हर्जाना की राशि अंकन 5,000/- रू0 तथा वाद व्यय की राशि अंकन 3,000/- रू0 पर 18 प्रतिशत ब्याज अदा करने का आदेश दिया है। हमारी राय में उक्त हर्जाना एवं वाद व्यय की राशि पर ब्याज अदा करने का आदेश दिया जाना औचित्यपूर्ण नहीं है, इसलिए यह आदेश अपास्त होने योग्य है।
तदनुसार वर्तमान अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील, आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, गाजीपुर द्वारा परिवाद सं0-43/20017 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 17-02-2010 इस सीमा तक संशोधित किया जाता है कि हर्जाना की राशि अंकन 5,000/- रू0 तथा वाद व्यय की राशि अंकन 3,000/- रू0 पर 18 प्रतिशत ब्याज अदा करने का आदेश अपास्त किया जाता है। शेष निर्णय की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
अपीलार्थी द्वारा यदि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत कोई धनराशि जमा की गई हो तो वह सम्पूर्ण धनराशि मय अर्जित ब्याज के सम्बन्धित जिला आयोग को विधि अनुसार एक माह में प्रेषित कर
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दी जाए ताकि विद्वान जिला आयोग द्वारा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश के सन्दर्भ में उक्त धनराशि का विधि अनुसार निस्तारण किया जा सके।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक : 01-05-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.