जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-154/2011
रूपचन्द्र पुत्र ननहकू निवासी ग्राम शेख अलाउद्दीनपुर मौजा साल्हेपुर निमैचा थाना रौनाही परगना मंगलसी तहसील सोहावल जिला फैजाबाद .................परिवादी
बनाम
1- शाखा प्रबन्धक इलाहाबाद बैंक बी0के0एच0एम0 देवकाली थाना को0नगर परगना हवेली अवध तहसील सदर जिला फैजाबाद।
2- तत्कालीन शाखा प्रबन्धक बी0एन0 त्रिपाठी इलाहाबाद बैंक बी0के0एच0एम0 देवकाली थाना को0 नगर परगना हवेली अवध तहसील सदर जिला फैजाबाद................विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 02.12.2015
निर्णय
उद्घोषित द्वारा: श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध ऋण ट्रैक्टर व के0सी0सी0 ऋण उपरोक्त व ब्याज की सम्पूर्ण धनराशि की रिकवरी कर समायोजित करने तथा क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु योजित किया है।
संक्षेप में परिवादी का केस इस प्रकार है कि विपक्षी सं-2 ने बैंक के ऋण सम्बन्धी लेन देन हेतु प्रतिनिधि के रूप में जगदम्बा प्रसाद को नियुक्त कर रखा था
( 2 )
जिसके माध्यम से वह खेतिहर किसानों से सम्पर्क कर बैंक से ऋण तथा के0सी0सी0 हेतु ऋण लेने के लिए प्रोत्साहित करता था। इसी क्रम में दि0 10.12.07 को जगदम्बा प्रसाद परिवादी के घर अपने साथ प्रोपराइटर विवेक जायसवाल पुत्र रामलाल अंगद आटो सेल्स म0नं0-103 हनुमानगढ़ी नाका मकबरा के साथ आया। जगदम्बा प्रसाद स्वयं को विपक्षी सं0-2 का अधिकृत प्रतिनिधि बताते हुए विपक्षी सं0-2 के माध्यम से ट्रैक्टर ऋण तथा के0सी0सी0 योजना का लाभ दिलाने का आश्वासन दिया और विपक्षी सं0-2 से ले जाकर मिलवाया। उन्होंने कहा कि कुछ औपचारिकताएं ऋण के पूर्व पूरी करनी ह,ै जिसके लिए तुम्हंे कुछ छपे फार्मो पर हस्ताक्षर करना होगा जिसके पश्चात् ऋण एवं के0सी0सी0 योजना का लाभ प्रदान किया जायेगा। परिवादी को कोई ऋण अथवा के0सी0सी0 योजना के कोई पैसे का भुगतान अथवा ट्रैक्टर भी नहीं प्रदान किया गया किन्तु परिवादी को विपक्षी सं0-1 द्वारा भेजी गयी पंजीकृत नोटिस दि0 25.04.09 को प्राप्त हुई जिसे पढ़ाने के पश्चात् ज्ञान हुआ कि परिवादी के नाम से ट्रैक्टर ऋण मु0 3,25,000=00 तथा के0सी0सी0 के अन्तर्गत मु0 1,45,000=00 की धनराशि भुगतान कर दी गयी और उसका ऋण परिवादी के नाम अंकित कर दिया गया जबकि उसे न तो ट्रैक्टर मिला न ही के0सी0सी0 का कोई नकद भुगतान ही मिला और न ही कोई ऋण ही प्राप्त हुई। दि0 08.02.2011 को अपमानित करते हुए बैंक परिसर से भगा दिया तथा परिवादी के नाम से मु0 6,54,397=00 का वसूली प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया। इस प्रकार विवश होकर परिवादी ने यह परिवाद योजित किया।
विपक्षीगण ने अपने जवाब में कहा कि उक्त ऋण के परिप्रेक्ष्य में परिवादी ने स्वयं सभी ऋण के दस्तावेजों (दृष्टिवन्धनकार, बन्धक पत्र, शपथ-पत्र, डिमांड प्रामिजरी नोट, एम नम्बर-6, प्राप्ति रसीद, सम्पत्ति व हैसियत सम्बन्धी रिपोर्ट व परिवार का विवरण) को निष्पादित करके अपना हस्ताक्षर बना कर समझ बूझ कर बैंक के सुपुर्द कर दिया था और ऋण की अदायगी की ब्याज सहित जिम्मेदारी लिया था। परिवादी ने अपने उक्त ट्रैक्टर ऋण खाते में मु0 15,000=00 दि0 02.05.2008 को नकद जमा किया है जिससे ट्रैक्टर प्राप्त करने की बात स्वयं सिद्ध हो जाती है। इसके पश्चात् परिवादी ने एक भी किश्त की अदायगी बैंक में नहीं किया है और न ही के.सी.सी. ऋण खाते में धनराशि जमा किया है। परिवादी द्वारा बैंक के लोक धन का दुरूपयोग किया गया है।
मैं पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुना। इस परिवाद में परिवादी ने विपक्षी पर आरोप लगाया है कि
( 3 )
परिवादी को कोई ऋण अथवा के0सी0सी0 योजना के कोई पैसे का भुगतान अथवा ट्रैक्टर भी प्रदान नहीं किया गया। परिवादी को विपक्षी सं0-1 द्वारा भेजी गयी नोटिस दि0 25.04.2009 को प्राप्त हुई, तब पता चला कि परिवादी के नाम से ट्रैक्टर ऋण मु0 3,25,000=00 तथा के0सी0सी0 के अन्तर्गत मु0 1,45,000=00 की धनराशि भुगतान कर दी गयी। विपक्षीगण ने के0सी0सी0 लोन के सम्बन्ध में सूची कागज सं0-5/12 से दस्तावेज की छायाप्रति तथा 5/13 लगायत 5/56 प्रेषित किये। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने अपने तर्क में कहा कि के0सी0सी0 लोन के लिए परिवादी ने आवेदन किया था, स्वीकृत किया गया और स्वीकृत होने के पश्चात् परिवादी ने अंगद आटो सेल्स नाका हनुमानगढ़ी फैजाबाद से ट्रैक्टर क्रय किया तथा परिवादी ने समस्त दस्तावेज देकर के अनुपालन किया।
परिवादी ने लोन के सम्बन्ध में शपथ-पत्र कागज सं0-5/50 लगायत 5/51 दिया है, जिसके पैरा-7 के अनुसार शपथकर्ता ऋण की अदायगी के प्रति पूर्ण रूप से एवं पृथक-पृथक रूप से जिम्मेदार होगा। पैरा-8 के अनुसार शपथकर्ता ट्रैक्टर प्राप्त हो जाने के पश्चात् उसके पंजीयन प्रमाण-पत्र की छायाप्रति बैंक में प्रस्तुत करेगा। जब कोई बैंक किसी को ऋण स्वीकृत करता है तो सर्वप्रथम यदि वह कृषक है तो उसके भूमि को बंधक करता है और बंधक के कागजात भरवाता है। यदि किसी ट्रैक्टर या वाहन के लिए ऋण स्वीकृत किया जाता है तो ट्रैक्टर या वाहन को भी बंधक किया जाता है। बैंक उसके लिए फार्म देता है। क्रय करने के उपरान्त् उस ट्रैक्टर या वाहन को पंजीकरण हेतु आर.टी.ओ. के यहाॅं ले जाया जाता है। आर.टी.ओ. उसको पंजीयन करेगा और उस ट्रैक्टर या वाहन को भी बंधक के रूप में अपने यहाॅं दर्ज करता है। एक फार्म भर करके सम्बन्धित बैंक को वापस कर देता है। ऋणी जब ऋण बैंक को चुकताई कर देता है तो बैंक से नो ड्यूज सर्टीफिकेट लेकर ए.आर.टी.ओ. के यहाॅं देता है तब उसका वाहन या ट्रैक्टर बंधनमुक्त होता है। बैंक की ओर से जो कागजात प्रेषित किये गये उसमें ट्रैक्टर का कोई नम्बर नहीं दिया हुआ है और ट्रैक्टर के बंधक के सम्बन्ध में भी अपने जवाबदावा के साथ प्रेषित शपथ-पत्र में कुछ नहीं कहा है तथा ट्रैक्टर के पंजीयन प्रमाण-पत्र व बन्धक पत्र की छायाप्रति भी प्रेषित नहीं की गयी है। ट्रैक्टर क्रय के सम्बन्ध में के0सी0सी0 लोन है। परिवादी को ऋण देते समय यदि ऋण को चुकताई नहीं हो पाता है तो उसके गारन्टर भी बनाये जाते हैं जिन्हंे नहीं बनाया गया है। विपक्षीगण द्वारा जो जवाबदावा प्रेषित किया गया है उसमें ट्रैक्टर का पंजीयन नम्बर नहीं दिया गया है और जो गवाह विपक्षी ने बनाये हैं वह बैंक के कर्मचारी हैं। गारंटर के नाम नहीं लिखे हैं। परिवादी ने 15,000/- रुपया जमा नहीं किया है इसके नाम से बैंक में पैसा जमा किया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि परिवादी के
( 4 )
नाम से लोन को विपक्षीगण ने निर्गत किया लेकिन परिवादी ने कोई लोन नहीं लिया है। परिवादी ने कोई ट्रैक्टर ट्राली आदि अंगद आटो सेल्स 103, नाका हनुमानगढ़ी फैजाबाद से क्रय नहीं किया। अंगद आटो सेल्स के यहाॅं की जो रसीदें प्रेषित की गयी हैं उसमें परिवादी के हस्ताक्षर बनाये गये हैं। इस प्रकार परिवादी के विरुद्ध बैंक ने सारी कार्यवाही फर्जी किया है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध साबित होता है। विपक्षीगण परिवादी से कोई भी ऋण वसूल कर पाने के अधिकारी नहीं है। परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादी से कोई भी ट्रैक्टर ऋण से सम्बन्धित वसूली न करें तथा विपक्षीगण परिवादी को वाद व्यय के रूप में मु0 5,000=00 तथा मु0 10,000=00 मानसिक क्षतिपूर्ति अदा करे। उक्त धनराशि निर्णय एवं आदेश की तिथि से एक माह के अन्दर अदा कर दें। यदि उक्त दिये गये समय में विपक्षीगण भुगतान नहीं करते हैं तो 9 प्रतिशत ब्याज देय होगा।
( विष्णु उपाध्याय ) ( माया देवी शाक्य ) ( चन्द्र पाल )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 02.12.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) ( चन्द्र पाल )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष