(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :27/2020
(जिला उपभोक्ता आयोग, सीतापुर द्वारा परिवाद संख्या-94/2019 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04-12-2019 के विरूद्ध)
राम नरेश वर्मा पुत्र शिवराम वर्मा, निवासी मकान नम्बर-544, रामकोट, सीतापुर।
अपीलार्थी/परिवादी
- इलाहाबाद बैंक, शाखा रामकोट, सीतापुर द्वारा शाखा प्रबन्धक।
- यूनिवर्सल शैम्पों जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड-401, चौथा तल, शालीमार लाजिक्स-4, राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ द्वारा प्रबन्धक।
-
समक्ष :-
- मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री सुधीर कुमार श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित- श्री साकेत श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित- श्री दिनेश कुमार।
दिनांक : 15-11-2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-94/2019 राम नरेश वर्मा बनाम इलाहाबाद बैंक व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, सीतापुर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 04-12-2019 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
-2-
‘’आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा जिला आयोग ने परिवाद निरस्त कर दिया है।‘’
जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के परिवादी की ओर से यह अपील प्रस्तुत की है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री सुधीर कुमार श्रीवास्तव उपस्थित। प्रत्यर्थी संख्या-1 की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री साकेत श्रीवास्तव एवं प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार उपस्थित।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने इलाहाबाद बैंक की रामकोट शाखा से ऋण लेकर डेरी के अन्तर्गत जानवर खरीदे थे जिसमें से एक भैंस जिसका बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी से बैंक द्वारा कराया गया था तथा उस भैंस का टोकन नम्बर-108789 था, वह भैंस दिनांक 15/16-01-2019 की रात में मर गयी। उक्त भैंस की बीमित धनराशि रू0 60,000/-थी। उक्त भैंस के कान में टैग दिनांक 02-09-2016 को लगाया गया था जो मृत्यु के समय भी उसके कान में लगा था। भैंस मरने की सूचना परिवादी ने दिनांक 16-01-2019 को इलाहाबाद बैंक को दी, जिस पर बैंक ने पत्र प्राप्त करके पोस्टमार्टम हेतु निर्देशित किया। बीमा कम्पनी ने एक पत्र के द्वारा परिवादी का दावा यह कहते हुए खारिज कर दिया कि भैंस के कान में जो टैग लगा है वह नया प्रतीत होता है, जब कि टैग तीन साल पहले लगाया गया था तथा टैग नये होने से यह भी प्रतीत होता है कि भैंस के मरने के बाद उसके कान में टैग लगाया गया है। बीमा कम्पनी का उपरोक्त पत्र दिनांक 12-03-2019 को परिवादी को प्राप्त हुआ था। बीमा कम्पनी द्वारा जिस आधार पर परिवादी के दावे को खारिज किया गया है वह कतई विधि विरूद्ध है। जब दिनांक 02-09-2016 को पशु चिकित्साधिकारी
-3-
रामकोट ने भैंस का हेल्थ सट्रीफिकेट बनाया था तो उसके द्वारा टैग नम्बर-108789 का जिक्र प्रमाण पत्र में किया गया था तथा वही टैग मृत्यु के समय भी मृत भैंस के कान में था। इस कारण बीमा कम्पनी का यह आरोप सर्वथा विधि विरूद्ध है तथा बिना किसी आधार के है। बीमा कम्पनी ने बिना किसी आधार के गलत तथ्यों पर परिवादी का दावा खारिज किया है जो कि विपक्षी की सेवा में कमी है अत: विवश होकर परिवादी ने जिला आयोग के समक्ष परिवाद योजित करते हुए यह याचना की है कि उसे भैंस की कीमत रू0 60,000/-, पत्राचार आदि में व्यय राशि रू0 10,000/-, वाद व्यय राशि रू0 10,000/-, तथा उपरोक्त धनराशि पर 18 प्रतिशत ब्याज एवं अन्य न्यायोचति अनुतोष विपक्षीगण से दिलाया जावे।
विपक्षीगण द्वारा समय सीमा 45 दिन के अंदर लिखित उत्तर/आपत्ति दाखिल न किये जाने पर दिनांक 30-07-2019 को पारित आदेशानुसार विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी है।
विद्धान जिला आयोग ने पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का अवलोकन करने के पश्चात विपक्षी बीमा कम्पनी की सेवा में कमी न मानते हुए परिवादी का परिवाद निरस्त कर दिया है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा सभी साक्ष्यों/अभिलेखों पर गहनता से विचार न करते हुए विधि विरूद्ध निर्णय पारित किया है अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय निरस्त किया जावे।
-4-
प्रत्यर्थीगण के विद्धान अधिवक्तागण का तर्क है कि जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय साक्ष्य एवं विधि के अनुसार है उनकी ओर से किसी प्रकार की सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।
मेरे द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन एवं परीक्षण किया गया। विद्धान जिला आयोग द्वारा परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद को स्वीकार न करने का मुख्य कारण यह उल्लिखित किया गया है कि संबंधित भैंस के कान में जो टैग लगा पाया गया वह नया प्रतीत होता है। जहॉं तक उपरोक्त टैग का नम्बर एवं भैंस की मृत्यु एवं पोस्टमास्टम का प्रश्न है वह निर्विवादित रूप से पक्षकारों द्वारा स्वीकार किया गया है कि मात्र टैंग का नया उल्लिखित किया जाना परिवाद के निरस्तीकरण का उचित कारण प्रतीत नहीं होता है।
समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए मेरे विचार से जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधि अनुसार पारित नहीं किया गया है अत: अपास्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है विपक्षी संख्या-2 बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को भैंस की बीमित राशि के मद में रू0 40,000/- अदा करें। इसके अतिरिक्त विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को पत्राचार आदि में व्यय धनराशि एवं वाद व्यय के मद में रू0 5,000/- का भुगतान करें।
-5-
उपरोक्त आदेश का अनुसार इस निर्णय से 30 दिन की अवधि में किया जावे।
यदि विपक्षी संख्या-2 आदेश का अनुपालन दी गयी समयावधि में नहीं करते हैं तो उपरोक्त समस्त धनराशि पर 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज अदा करना होगा।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1