Uttar Pradesh

StateCommission

A/2004/183

Rajiv Rai - Complainant(s)

Versus

Allahabad Bank - Opp.Party(s)

Alok Ranjan

04 Feb 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2004/183
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Rajiv Rai
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Allahabad Bank
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Jugul Kishor MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

(राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)

                                    सुरक्षित

अपील संख्‍या 183/2004

 

(जिला मंच उन्‍नाव द्वारा परिवाद सं0 257/1998 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 22/12/2003 के विरूद्ध)

 

 राजीव राय पुत्र जगत नारायण राय, निवासी- मकान नं0 711/4, ए0बी0 नगर, उन्‍नाव।

 

                                                                                        …अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

 

इलाहाबाद बैंक, उन्‍नाव ब्रांच, उन्‍नाव, द्वारा ब्रांच मैनेजर।

.........प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

 समक्ष:

       1. मा0 श्री चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, पीठा0 सदस्‍य।

  2. मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य ।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित             : विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक रंजन।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित               : कोई नहीं।

 

दिनांक :-  15-05-2015

मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित ।

 

निर्णय

     यह अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम, उन्‍नाव द्वारा परिवाद सं0 2571998 राजीव राय बनाम इलाहाबाद बैंक, उन्‍नाव में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 22/12/2003 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है, जिसके माध्‍यम से जिला फोरम ने परिवाद मय खर्चा खारिज करते हुए यह आदेशित किया कि परिवादी विपक्षी बैंक को परिवाद व्‍यय के रूप में मु0 1000/ रूपये अदा करेगा।

       संक्षेप में इस प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार है कि विपक्षी बैंक के यहां परिवादी के बचत खाता सं0 6159 में दिनांक 11/04/98 को मु0 21,125/ रूपये जमा थे जिसमें से उसने दिनांक 11/04/98 को ही मु0 2000/ रूपये निकाले जिसके फलस्‍वरूप उसके बचत खाते में अंकन रूपये 19,125/ रूपये शेष रहे। रूपया निकालने के समय परिवादी ने विपक्षी बैंक की पासबुक बैंक में प्रस्‍तुत की थी परन्‍तु वह पासबुक परिवादी को वापस नहीं की गई जिसकी शिकायत भी परिवादी ने तत्‍काल शाखा प्रबंधक से की। दिनांक 21/04/98 को विपक्षी बैंक द्वारा डुप्‍लीकेट पासबुक प्रदान की गई जिसे देखने पर पता चला कि दिनांक 15/04/98 को परिवादी के खाते से अंकन 18,000/ रूपये निकाले गये है  परिवादी ने दिनांक 15/04/98 को

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कोई धनराशि नहीं निकाली। परिवादी द्वारा इसकी सूचना थाना कोतवाली उन्‍नाव में भी दर्ज कराई गई। विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी के खाते में फर्जी तरीके से निकाली गई धनराशि जमा न किये जाने से व्‍यथित होकर यह परिवाद योजित किया गया है।

     विपक्षी ने जिला मंच के समक्ष अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत किया एवं यह स्‍वीकार किया कि परिवादी का बचत खाता सं0 6159 है। परिवादी ने दिनांक 11/04/98 को उक्‍त खाते से अंकन रूपया 2000/ तथा दिनांक 15/04/98 को अंकन 18,000/ रूपये नकद अपने हस्‍ताक्षर से निकाले थे। विपक्षी बैंक ने यह असत्‍य बताया कि दिनांक 11/04/98 को परिवादी को कथित धनराशि निकालने के बाद संबंधित पासबुक वापस नहीं की गई थी। वास्‍तव में परिवादी दिनांक 11/04/98 को रूपया निकालने के बाद पास बुक वापस ले गया था और दिनांक 15/04/98 को उसने पुन: पासबुक और धन निकासी फार्म भरकर प्रस्‍तुत किया। मु0 18000/ रूपये की धनराशि उक्‍त खाते से निकालकर प्राप्‍त की व पासबुक भी इन्‍द्राज होने के बाद वापस की। वास्‍तविकता यह है कि दिनांक 20/04/98 को परिवादी ने बताया कि उसकी पासबुक खो गई है डुप्‍लीकेट पासबुक बनवाने हेतु आवेदन किया जिस पर उसे डुप्‍लीकेट पासबुक बना दी गई और उस पर सभी इन्‍द्राज करके परिवादी को दे दी गई।

     अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक रंजन की बहस को विस्‍तार से सुना गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने तर्क दिया है कि जिला फोरम का निर्णय सही एवं उचित नहीं है क्‍योंकि दोनों ही पक्षकार द्वारा विशेषज्ञों की रिपोर्ट जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत की गई थी। दोनों विशेषज्ञों द्वारा दिया गया रिपोर्ट पर विचार करने के बाद किस विशेषज्ञ का रिपोर्ट सही एवं उचित है यह निष्‍कर्ष नहीं दिया गया है। जिला फोरम ने बिना सम्‍यक विचार किये निर्णय दिया है जो उचित नहीं है, खण्डित किये जाने योग्‍य है।

     आधार अपील एवं संपूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया जिससे यह प्रतीत होता है कि परिवादी राजीव राय ने इलाहाबाद बैंक में एक खाता खोला था। दिनांक 21/04/98 को विपक्षी बैंक द्वारा डुप्‍लीकेट पासबुक प्रदान की थी जिसमें दिनांक 15/04/98 को परिवादी द्वारा खाता से 18,000/ रूपये निकालने का प्रविष्टि किया गया था। परिवादी ने यह आरोप लगाया कि दिनांक 15/04/98 को मैने उक्‍त मु0 18,000/ रूपये नहीं निकाले थे। बैंक ने गलत रूप से धनराशि निकालने का प्रविष्टि किया है। यह कहते हुए जिला फोरम ने परिवाद प्रस्‍तुत किया

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तथा साथ में हस्‍तलेख विशेषज्ञ के रिपोर्ट भी प्रस्‍तुत किये। इलाहाबाद बैंक ने भी विशेषज्ञ के रिपोर्ट प्रस्‍तुत किये दोनों विशेषज्ञों के रिपोर्ट एवं आहरण फार्म पर किये गये हस्‍ताक्षर का गंभीरता से अवलोकन करते हुए जिला फोरम ने निर्णय/आदेश दिया । अपीलार्थी का तर्क है कि जिला फोरम ने परिवादी/अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍य एवं विशेषज्ञ के रिपोर्ट पर बिना विचार किये निर्णय दिया गया है। हमने दोनों हस्‍तलेख विशेषज्ञ के रिपोर्ट , आधार अपील, वाद पत्र एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों को गंभीरता से परिशीलन किया जिससे यह प्रतीत होता है कि आहरण फार्म (विड्राल फार्म) पर राजीव राय का किया गया हस्‍ताक्षर अपील मेमो में अपीलार्थी राजीव राय के हस्‍ताक्षर से पूर्व रूप से मिलता है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के हस्‍तलेख विशेषज्ञ काजी एम0 जुनैद के रिपोर्ट में यह तथ्‍य स्‍पष्‍ट रूप से वर्णित है कि वास्‍तविक हस्‍ताक्षर एवं प्रश्‍नगत हस्‍ताक्षर के नमूने प्रश्‍नगत 01 से 06 तक दोनों एक ही व्‍यक्ति द्वारा किया गया है। दोनों विशेषज्ञों के रिपोर्ट देखने के बाद हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के विशेषज्ञ काजी एम0 जुनैद ने जो रिपोर्ट दिनांक 11/03/2002 दिया है वह सही एवं विश्‍वसनीय है। जिला फोरम ने सभी तथ्‍य एवं परिस्थितियों पर विचार करने के बाद जो निर्णय दिया है वह सही एवं उचित है। इसमें हस्‍तक्षेप करने का कोई औचित्‍य नहीं है। अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

      अपील निरस्‍त की जाती है। उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय-भार स्‍वयं वहन करेंगे।

                                 

    

       (चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव)                     (संजय कुमार)

       पीठासीन सदस्‍य                           सदस्‍य 

सुभाष चन्‍द्र आशु0 कोर्ट नं0 2

  

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Jugul Kishor]
MEMBER

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