Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/613/2019

POOJA SAXENA - Complainant(s)

Versus

ALLAHABAD BANK - Opp.Party(s)

SARVESH KUMAR SHARMA

05 Mar 2022

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/613/2019
( Date of Filing : 27 May 2019 )
 
1. POOJA SAXENA
.
...........Complainant(s)
Versus
1. ALLAHABAD BANK
.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
 HON'BLE MS. sonia Singh MEMBER
  Ashok Kumar Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Mar 2022
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या:-   613/2019                                                 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

                    श्री अशोक कुमार सिंहसदस्‍य।

         श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।         

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-27.05.2019

परिवाद के निर्णय की तारीख:-05.03.2022

 

1.      Pooja Saxena aged about 43 years, wife of Late Ajai Saxena, resident of 437/172, P-114 Krishnapuri Colony Karim Ganj, Lucknow-226003.

2.      Ankit Saxena, aged about 22 years, son of Late Ajai Saxena, resident of  437/172, P-114 Krishnapuri Colony Karim Ganj, Lucknow-226003.

3.      Prerna Saxena, aged about 19 years, daughter of Late Ajai Saxena, resident of 437/172, P-114 Krishnapuri Colony Karim Ganj, Lucknow-226003.                                                                       ...........COMPLAINANTS.

                                                 VERSUS

 

1.      Allahabad Bank, Lucknow KGMU,K.G. Medical University Campus, Lucknow, Branch Code 1028, Lucknow, through its Chief Manager.

 

2.      Universal Sompo Genral Insurance Company Limited, registered and corporate office situated at Unit No. 401, 4th Floor  Sangam Complex, 127 Andheri Kurla Road Andheri (E) Mumbai 49959, through its General Manager.

                                                                                      .........Opposite Parties.

                                                                                                                

आदेश द्वारा-

श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्‍य।

श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।

                                  निर्णय

 

  1.    परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद 2,00,000.00 रूपये मय 18 प्रतिशत    ब्‍याज की दर से विपक्षी से प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना के तहत प्राप्‍त करने हेतु प्रस्‍तुत किया है।
  2.    संक्षेप में परिवादी का कथानक है कि स्‍व0 अजय सक्‍सेना प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के सदस्‍य थे। 2,00,000.00 रूपये प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत प्राप्ति हेतु बीमा कम्‍पनी ने मनमानें तरीके से मना कर दिया कि उक्‍त धनराशि का भुगतान नहीं किया जा सकता और बीमा कम्‍पनी द्वारा सेवा में कमी किये जाने के कारण यह परिवाद संस्थित किया जा रहा है।
  3.    विपक्षी संख्‍या 01 बैकिंग कम्‍पनी है, जो कि धारा-5 सी बैंक रेगुलेशन के तहत रूपये जमा करती है तथा कर्ज भी देती है। विपक्षी संख्‍या 02 आई.आर.डी.ए. के द्वारा गवर्न होती है। परिवादी संख्‍या 01 के पति अजय सक्‍सेना का सेविंग बैंक एकाउन्‍ट संख्‍या-20229881365 विपक्षी संख्‍या 01 के बैंक में है। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना एक सामाजिक सुरक्षा की स्‍कीम खोली गयी थी जिसके तहत 12.00 रूपये प्रति वर्ष बैंक खाता धारक के खाते से काटती थी और बीमा कम्‍पनी को स्‍थानान्‍तरित करती थी। जिस संबंध में परिवादिनी से कुछ मतलब नहीं है। सरकार के निर्देशानुसार विपक्षी संख्‍या 01 ने प्रीमियम की धनराशि परिवादिनी के खाते से काटा तथा विपक्षी संख्‍या 01 ने कभी भी इस संबंध में सूचना परिवादिनी को नहीं दी कि पालिसी बाण्‍ड के तहत धनराशि काटी जा रही है तथा पालिसी के ट्रम्‍स एवं कन्‍डीशन के संबंध में कभी भी परिवादिनी को सूचना नहीं दी गयी।
  4.    परिवादिनी के पति स्‍व0 अजय सक्‍सेना की मृत्‍यु दिनॉंक 14.02.2017 को सड़क दुर्घटना में हुई थी। इस संबंध में बैंक को दिनॉंक 06.03.2017 को सूचना दी गयी। बैंक विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा कोई भी क्‍लेम फार्म प्रदत्‍त नहीं कराया गया। पति की मृत्‍यु हो जाने के कारण परिवादिनी सदमें में थी तथा ऐसा कई महीनों तक चलता रहा तथा उसके एक पुत्र एवं एक पुत्री है। परिवादिनी विपक्षी संख्‍या 01 के बैंक में दिनॉंक 15.07.2018 को गयी तथा परिवादिनी को फार्म प्रदत्‍त कराया गया और दिनॉंक 02.08.2018 को उक्‍त फार्म भरकर परिवादिनी द्वारा बैंक को दिया गया।

5.   परिवादिनी द्वारा विपक्षी बैंक को स्‍पष्‍ट रूप से बताये जाने के उपरान्‍त कि परिवादी की मृत्‍यु हो गयी उनके द्वारा कोई भी फार्म प्रदत्‍त नहीं कराया गया, तथा 12.00 रूपये महीने उनके द्वारा प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना के मद में काटा जा रहा था।

6.  विपक्षीगण द्वारा सेवा में त्रुटि की गयी है। विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना के तहत कोई भी पालिसी के संबंध में परिवादीगण को सूचित नहीं किया गया, तथा कोई भी कवर नोट आदि प्रदत्‍त नहीं कराया गया। दिनॉंक 22.01.2019 को मनमाने तरीके से विपक्षी संख्‍या 02 द्वारा क्‍लेम को निरस्‍त कर दिया गया।

  1.    विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा परिवादिनी के पति स्‍व0 अजय सक्‍सेना की पी0एम0एस0बी0वाई0 पालिसी को क्रिया‍न्वित किया था और इसी कारण विपक्षी संख्‍या 02 के अवैधानिक एवं एकपक्षीय आदेश दिनॉंक दिनॉंक 28.02.2019 का पालिसी निरस्‍तीकरण आदेश का वैधानिक माना।  विपक्षी संख्‍या 01 एवं 02 ने मृतक के पालिसी के संबंध में भुगतान करने से अवैधानिक तरीके से मना किया है, जो सरकार के सामाजिक सुरक्षा स्‍कीम के सिद्धान्‍तों के विपरीत है जो विपक्षीगण के स्‍तर पर सेवा में कमी का एक उदाहरण है। यदि कोई क्‍लेम 20,000.00 रूपये से ऊपर का था तो उसे विपक्षीगण द्वारा एक स्‍वतंत्र सर्वेयर के माध्‍यम से कराया जाना चाहिए था जो कि आई0आर0डी0ए0 के नियमों के अन्‍तर्गत नियत किया गया।
  2.    विपक्षी संख्‍या 03 जो वर्तमान में विपक्षी संख्‍या 02 है ने अपने उत्‍तर पत्र में यह कहा कि यह तथ्‍य स्‍वीकार्य है कि इलाहाबाद बैंक को प्रधानमंत्री बीमा सुरक्षा योजना दिनॉंक 01.06.2016 से 31.05.2017 तक वैध थी, उसके भुगतान का दायित्‍व मेरे ऊपर नहीं है। परिवाद पत्र के पैरा-2 कि परिवादिनी प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना की धारक है वह इस संबंध में बता सकती है।
  3.   परिवाद पत्र की धारा-03 प्रीमियम की कटौती के संबंध में यह भी बैंक ही बतायेगा। जैसा कि परिवादिनी का कथन है कि उसकी स्‍कीम के तहत परिवादिनी को कोई भी जानकारी नहीं थी यह गलत है। चॅूंकि प्रीमियम धनराशि उनके खाते से काटी जाती थी, उसका किसी भी व्‍यक्ति के खाते से प्रीमियम की धनराशि काटी जाती थी तो उसे जानकारी होती है कि वह उस बीमा की धारक है। 549 दिन विलम्‍ब से दाखिल किया गया है इसलिये पालिसी के तहत धनराशि प्राप्‍त करने की अधिकारी नहीं है।
  4.  
  5.     चॅूंकि 549 दिन बाद आयी थी, इसलिए नो क्‍लेम की हकदार है। जो सूचना परिवादिनी को भेजी गयी । बेनीफिशरी का कोई भी सीधा संबंध इ0कं0 से नहीं है। परिवादिनी के पति की सड़क दुर्घटना में मृत्‍यु होना साबित नहीं है। क्‍योंकि कोई भी पी.एम.आर. संलग्‍न नहीं है। जबतक पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट नहीं लगती है तब तक यह नहीं बताया जा सकता कि मृतक की मृत्‍यु सड़क दुर्घटना के फलस्‍वरूप हुई है।

12.    विपक्षी संख्‍या 01 के विरूद्ध दिनॉंक 24.02.2020 को एकपक्षीय  कार्यवाही अग्रसारित की गयी थी।

  1.     परिवादिनी द्वारा अपने कथन के समर्थन में शपथ पत्र एवं दस्‍तावेजी साक्ष्‍य के रूप में स्‍टेटमेंट ऑफ एकाउन्‍ट, इलाहाबाद बैंक के पत्र, परिवादिनी द्वारा बैंक को लिखा गया पत्र, अस्‍पताल द्वारा जारी मृत्‍यु प्रमाण पत्र, नगर निगम लखनऊ का मृत्‍यु प्रमाण पत्र, आदि दाखिल किया है।

14.   विपक्षी संख्‍या 02 ने अपने उत्‍तर पत्र के साथ यूनिवर्सल सोम्‍पो जनरल इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 के प्रपत्र दाखिल किये हैं।

  1.     परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद पत्र 2,00,000.00 रूपये क्षतिपूर्ति एवं 18 प्रतिशत ब्‍याज प्राप्‍त करने हेतु प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना के तहत प्रस्‍तुत किया गया है।  परिवादिनी का कथन है कि उसके पति की दुर्घटना में आयी चोटों के फलस्‍वरूप दिनॉंक 14.02.2017 को मृत्‍यु हुई थी और इलाहाबाद बैंक के खाता संख्‍या-20229881365 से प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना के तहत इनके प्रीमियम की धनराशि 12.00 रूपये प्रतिवर्ष काटी जाती थी और मनमाने तरीके से विपक्षी संख्‍या 02 ने परिवादिनी के प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना के तहत धनराशि का भुगतान नहीं किया।

16.    विपक्षी द्वारा अपने उत्‍तर पत्र में कहा गया कि प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना के तहत कोई भी बेनीफिशरी का लाभ प्राप्‍त करने हेतु दुर्घटना के 30 दिन के अन्‍दर उक्‍त पालिसी के तहत धनराशि प्राप्‍त करने हेतु प्रार्थना पत्र फार्म संबंधित बैंक के माध्‍यम से भेजा जाना चाहिये। परन्‍तु परिवादिनी ने 549 दिन बाद उक्‍त फार्म को प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना के तहत धनराशि प्राप्‍त करने हेतु दिया, जो कि अत्‍यधिक काल बाधित है तथा यह भी आवश्‍यक है कि परिवादिनी यह साबित करे कि उसके पति की मृत्‍यु दुर्घटना के फलस्‍वरूप आयी चोटों के तहत हुई है जो परिवादिनी द्वारा साबित नहीं किया गया है। पोस्‍टमार्टम की रिपोर्ट भी पत्रावली पर दाखिल नहीं है।

  1.    प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना का लाभ प्रात करने हेतु दों तथ्‍यों का साबित किया जाना आवश्‍यक है एक यह कि मृत्‍यु दुर्घटना के फलस्‍वरूप आयी चोटों से हुई है तथा 02- पालिसी की शर्तों के तहत 30 दिन के अन्‍दर भुगतान हेतु संबंधित बैंक से फार्म प्राप्‍त करके इ0कं0लि0 को सम्‍प्रेषण करना।  

प्रधनमंत्री सुरक्षा योजना के तहत भुगतान हेतु निम्‍नलिखित तथ्‍यो को साबित करना आवश्‍यक है:-

  1. 12.00 रूपये प्रतिवर्ष प्रीमियम अदा करता हो।
  2. दुर्घटना के कारण मृत्‍यु हुई हो।
  3. बीमा प्राप्‍त करने हेतु प्रतिवेदन पत्र 30 दिन के अन्‍दर दिया गया हो।
  4.    यह तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि अजय सक्‍सेना द्वारा 12.00 रूपये प्रीमियम की खाते में डिक्रीत की गयी है तथा विपक्षी द्वारा स्‍वीकृत भी है। जो तथ्‍य स्‍वीकृत हैं उसे साबित करने की आवश्‍यकता नहीं है। स्‍टेटमेंट ऑफ एकाउन्‍ट से विदित है कि 12.00 रूपये की धनराशि काटी गयी है तथा यह आवश्‍यक तथ्‍य परिवादिनी साबित करने में असमर्थ रही है।
  5.     मृतक की मृत्‍यु सड़क दुर्घटना में हुई हो। इस परिप्रेक्ष्‍य में परिवादिनी का यह कथन है कि अजय सक्‍सेना की दिनॉंक 14.02.2017 को सड़क दुर्घटना में आयी चोटों के कारण मृत्‍यु हुई थी। परिवादिनी के द्वारा दाखिल कागजात चिकित्‍सा रिपोर्ट से परिलक्षित है कि इनका इलाज आर0टी0ए0 रोड ट्रैफिक एक्‍सीडेन्‍ट के कारण हुआ था। विपक्षी का मुख्‍य तर्क यह है कि कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं करायी गयी।
  6.   परिवादिनी के अधिवक्‍ता द्वारा तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि घटना के सापेक्ष में घटना संबंधित सूचना थाने में दी गयी थी, जिसका तस्‍करा जी0डी0 में अंकित किया गया था। जी0डी0 की प्रतिलिपि दाखिल की गयी है । जी0डी0 के परिशीलन से विदित है कि दिनॉंक 13.02.2017 को इलाहाबाद से वाया बाराणसी के रास्‍ते लखनऊ वापस आते समय लगभग प्रात:काल 3.00 बजे से 4.00 के मध्‍य 33/11 के0वी0 सब स्‍टेशन हैदरगढ़ पावर हाउस जिला बाराबंकी के गेट के निकट अकस्‍मात एक साइकिल सवार को बचाने में कार अनियंत्रित होकर पुलिया से टकरा गयी जिसमें उपस्थित ड्राईवर श्री अखिलेश यादव व उनके पिता श्री जंगबहादुर को मामूली चोटें आयी। चॅूंकि श्री अजय सक्‍सेना गंभी रूप से घायल थे जिनको त्‍वरित उपचार हेतु 108 एम्‍बूलेंस द्वारा प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र हैदरगढ़ जिला बाराबंकी लाया गया। यह घटना इत्‍तेफाकन घटित हुई है। प्रार्थिनी के पति गंभीर रूप से घायल थे जिनको प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र हैदरगढ़ जला बाराबंकी द्वारा प्राथमिक उपचार देने के उपरान्‍त उन्‍हें उच्‍चतर अस्‍पताल हेतु रेफर कर दिया गया जिनकी पंजीकरण संख्‍या9550 दिनॉंक 13.02.2017 है। प्रार्थिनी के पति श्री अजय सक्‍सेना को 108 एम्‍बुलेंस द्वारा लखनऊ स्थित न्‍यू इमरजेंसी लाया गया, जहॉं पर सी0टी0 स्‍कैन कराया गया। चोट की गंभीरता को देखते हुए श्री अजय सक्‍सेना को आईकान हास्पिटल जानकीपुरम लखनऊ में भर्ती कराया गया जहॉं पर उनके सिर का आपरेशन डॉ0 डी0के0 वत्‍सल न्‍यूरो सर्जन व उनकी टीम द्वारा दिनॉंक 13.02.2017 को किया गया। दिनॉंक 14.02.2017 को प्रात:काल 3.45 बजे उनका देहान्‍त हो गया।
    1. प्रथम सूचना रिपोर्ट आवश्‍यक नहीं है क्‍योंकि जी0डी0 के अन्‍त में उल्‍लेख किया गया है कि अज्ञात में होने के कारण इसकी विवेचना नहीं की जा सकी। चॅूंकि जी0डी0 में दुर्घटना के संबंध में उल्लिखित किया गया है कि एफ0आई0आर0 न होने से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।  विपक्षी द्वारा यह भी कहा गया कि पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट दाखिल नहीं है। यह तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट दाखिल नहीं है। डिस्‍चार्ज सर्टिफिकेट के अवलोकन से विदित है कि रोड दुर्घटना में सिर में आयी गंभीर चोट के कारण मृत्‍यु हुई थी। अत: पोस्‍टमार्टम न होने से मेरे विचार में कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है। विपक्षी के कथन में कोई बल नहीं है। परिवादिनी यह साबित करने में सफल रही है कि उसके पति की मृत्‍यु दुर्घटना में दिनॉंक 14.02.2017 को हो गयी उसका विपक्षी द्वारा कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया जिससे साबित हो सके कि दुर्घटना के अलावा किसी अन्‍य चीज से मृत्‍यु हुई है।
  7.   यह तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि विपक्षी इ0कं0 द्वारा भुगतान किये जाने की धनराशि को रेपुडिएट कर दिया है तथा यह उल्‍लेख किया है कि 30 दिन के बजाए यह दावा उनके समक्ष 549 दिन के बाद प्रस्‍तुत किया गया है। परिवादिनी का इस परिप्रेक्ष्‍य में कथन है कि परिवादिनी के दो छोटे-छोटे बच्‍चे थे, तथा 47 वर्ष के पति की आकस्मिक मृत्‍यु हो जाने के कारण मानसिक सदमे से ग्रसित थी तथा उसे इस बात की जब जानकारी हुई कि उसके पति ने प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत पालिसी ली थी तब उसने कार्यवाही की क्‍योंकि विपक्षी द्वारा पालिसी के संबंध में कोई सूचना नहीं दी गयी थी।
  8.   विपक्षी के अधिवक्‍ता ने तर्क प्रस्‍तुत किया कि परिवादिनी की     मानसिक स्थिति सही थी और उसने एटीएम के बीमा के भुगतान के लिये मृत्‍यु के 16 दिन बाद प्रपत्र मेल किया है। इस परिप्रेक्ष्‍य में कागजात विपक्षी द्वारा दाखिल किया गया है। उसके अवलोकन से विदित है कि परिवादिनी की तरफ से  निश्चित ही ए0टी0एम0 की पालिसी भुगतान के लिये मेल किया था। इससे यह नहीं कहा जायेगा कि परिवादिनी ने सूचना दी है। जैसा कि परिवादिनी का कथन है कि उसके पति की मृत्‍यु हो गयी थी और मेल परिवादिनी द्वारा नहीं किया गया है। जब किसी पत्‍नी के पति की मृत्‍यु हो जाती है और उसके दो बच्‍चे हो निश्चित ही उसकी मानसिक स्थिति अत्‍यन्‍त खराब रही होगी और उसे अपने को संभालने में काफी समय लगेगा।
  9. .  चूकि उसके द्वारा मेल नहीं किया गया है तो यह नहीं समझा जा सकता कि उसकी मानसिक स्थिति ठीक थी और मेरे विचार से उसकी मानसिक स्थिति कुछ समय के लिये निश्चित ही कोई भी सामान्‍य कार्य करने की नहीं हो सकती।
  10.   विपक्षी के अधिवक्‍ता ने 02 अगस्‍त, 2018 का जो कि परिवादिनी का पत्र है की ओर ध्‍यान आकर्षित कराया जो कि शाखा प्रबन्‍धक, इलाहाबाद बैंक, लखनऊ को संबोधित था जिसमें यह कहा गया कि-प्रार्थिनी के पति स्‍व0 अजय सक्‍सेना पुत्र स्‍व0 स्‍वामी दयाल सक्‍सेना निवासी 437/172 पी-114 कृष्‍णापुरी कालोनी करीमगंज लखनऊ लारी कार्डियोलॉजी विभाग के0जी0एम0यू0 लखनऊ में इलेक्‍ट्रीशियन के पद पर कार्यरत थे जिनका उक्‍त बचत खाता संख्‍या 20229881365 आपकी शाखा में संचालित है जिसमें प्रार्थिनी भी नामिनी है।

     26.   प्रार्थिनी के लिये अत्‍यन्‍त दुखद था कि प्रार्थिनी के पति स्‍व0 अजय सक्‍सेना की सड़क दुर्घटना में दिनॉंक 14.02.2017 को मृत्‍यु हो गयी थी। प्रार्थिनी के संज्ञान में उक्‍त खाते में उक्‍त योजना के अन्‍तर्गत संचालित होने की जानकारी न होने के कारण प्रार्थिनी  अपना दावा समय से प्रस्‍तुत नहीं कर सकी अचानक दुखद घटना घटित हो जाने के कारण प्रार्थिनी का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था।

  1.   प्रार्थिनी के पति के सिर में गंभीर चोट होने तथा आपरेशन के पश्‍चात अधिक रक्‍त स्राव हो जाने व प्रार्थिनी का मानसिक संतुलन सही न होने के कारण प्रार्थिनी द्वारा शव का पोस्‍टमार्टम नहीं कराया जा सका।
  2. .    अत: प्रार्थिनी के प्रस्‍तुत दावों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए उक्‍त योजना के अन्‍तर्गत देय धनराशि का भुगतान करने का अनुरोध किया जिससे वह अपने परिवार का भरण पोषण सुचारू रूप से कर सके।  इस पत्र के परिशीलन से विदित है कि परिवादिनी का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था, और उसे योजना की जानकारी भी नहीं थी, और जब उसे जानकारी हुई तो उसने पत्र प्रस्‍तुत किया।
  3. योजना की जानकारी तब होती जब उसके पति को दिये गये प्रीमियम के अनुसार उसकी पालिसी निर्गत हुई होती। विपक्षीगण द्वारा कोई भी ऐसा प्रमाण दाखिल नहीं किया गया कि जो 12.00 रूपये का प्रीमियम लिया गया है और उसे पालिसी प्रदत्‍त करायी गयी हो। परिवादिनी की ओर से प्रस्‍तुत भारती एक्‍सा जनरल इ0कं0लि0 बनाम भाग चन्‍द IV (2016) सीपीजे 219 (एन सी) माननीय नेशनल कंज्‍यूमर डिस्‍प्‍यूट रिडर्सल कमीशन, नई दिल्‍ली द्वारा पारित आदेश का ससम्‍मान पूर्वक अवलोकन किया जिसमें माननीय न्‍यायालय द्वारा यह अभिमत पारित किया गया है कि पालिसी प्रदत्‍त नहीं कराने पर सेवा में त्रुटि को माना है। चॅूंकि इं0कं0 द्वारा कोई प्रमाण दाखिल नहीं किया गया है, अत: वह सेवा में त्रुटि समझी जायेगी।
  4.   जैसा कि परिवाद पत्र में यह कहा गया है कि परिवादिनी बैंक में बार बार जाती थी, लेकिन परिवादिनी को कोई भी फार्म नहीं दिया जाता था। इस बयान को उसने अपने शपथ पत्र में दिया है। जो भी तथ्‍य शपथ पत्र में दिये गये हैं उस पर जिरह नहीं की जाती है तो वह तथ्‍य स्‍वीकृत माना जाता है। विधि का सुस्‍थापित तथ्‍य है कि विपरीत पक्ष को सत्‍यता लाने के लिये जिरह का अवसर प्रदान किया जाए। परन्‍तु यह तथ्‍य साबित करने का दायित्‍व विपक्षी का था कि वह उससे जिरह करके इस चीज को स्‍पष्‍ट करता कि आप बैंक किस-किस तिथि को फार्म लेने के लिये गयी थी। परन्‍तु विपक्षी द्वारा कोई जिरह नहीं की गयी। इस प्रकार यह स्‍वीकृत माना जाता है कि वह बार-बार बैंक गयी। हो सकता है कि प्रार्थना पत्र देने के दो माह बाद या तीन माह बाद गयी हो। जो भी विलम्‍ब हुआ है वह कम हो सकता है। प्रस्‍तुत प्रकरण प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का है जो कि एक सामाजिक सुरक्षा बीमा है।
  5.   यह तथ्‍य सही है कि विलम्‍ब हुआ है और विलम्‍ब होना स्‍वाभाविक है, क्‍योंकि जब परिवादिनी के संज्ञान में आया तभी उसने पत्र प्रेषित किया है, और पति की मृत्‍यु के कारण उसे समझने में इतना समय लगना स्‍वाभाविक है। सूरजमल राम निवास ऑयल मिल्‍स प्रा0लि0 बनाम यूनाइटेड इण्डिया इं0क0 एवं अन्‍य IV (2010) सी0पी0जे0 38 (एससी) जो दाखिल किया गया उसमें दिये गये तथ्‍यों को इस केस में लागू नहीं होते हैं।
  6. .  अत: पीठ की राय में जो भी विलम्‍ब हुआ है वह मामले के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों के तहत क्षम्‍य है और मामले के तथ्‍यों के तहत रेपुडिएशन गलत किया गया है और वह क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने की अधिकारी है।
    •                      

 

33.  परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को मुबलिग 2,00,000.00 (दो लाख रूपया मात्र) परिवाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 45 दिन के अन्‍दर 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ अदा करें।

34.  मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक कष्‍ट एवं वाद व्‍यय के रूप में मुबलिग 25,000.00 (पच्‍चीस हजार रूपया मात्र) भी अदा करें।

35.  यदि उपरोक्‍त आदेश का अनुपा‍लन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत ब्‍याज भुगतेय होगा।

 

 

      (सोनिया सिंह)    (अशोक कुमार सिंह)         (नीलकंठ सहाय)

         सदस्‍य             सदस्‍य                  अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                                लखनऊ।                   

आज यह आदेश/निर्णय हस्‍ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।

 

                                   

      (सोनिया सिंह)    (अशोक कुमार सिंह)         (नीलकंठ सहाय)

         सदस्‍य             सदस्‍य                  अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                                लखनऊ।       

 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MS. sonia Singh]
MEMBER
 
 
[ Ashok Kumar Singh]
MEMBER
 

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