Uttar Pradesh

StateCommission

CC/19/2018

Parvej Nagma - Complainant(s)

Versus

Allahabad Bank - Opp.Party(s)

Ritu Sood

12 Dec 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/19/2018
( Date of Filing : 10 Jan 2018 )
 
1. Parvej Nagma
R/O 2/24 South Gate Tajganj Agra U.P. 282001
...........Complainant(s)
Versus
1. Allahabad Bank
Through its Branch Manager New Agra C-2/48 Grieves Complex Kamla Nagar Agra Branch Code 01959
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 12 Dec 2019
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

परिवाद संख्‍या : 19/2018

  1. Parvej Nagma W/o Tahir Uddin Date of Birth 24/02/1958 Aadhaar 402961873270.
  2. Rehan Uddin S/o Tahir Uddin, Date of Birth 11/11/1983 Aadhaar 991754455164.
  3. Rizwan Uddin S/o Tahir Uddin Date of Birth 14/11/1978 Aadhaar 245190565332 .

Complainants are the Resident of 2/24 South Gate Tajganj Agra Uttar Pradesh-282001.           .....परिवादीगण

बनाम्

The Allahabad Bank Through its Branch Manager New Agra C-2/48 Grieves Complex Kamla Nagar Agra Branch Code-01959.

  •                                                 

समक्ष  :-

1- मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान,  अध्‍यक्ष ।

उपस्थिति :

परिवादी की ओर से उपस्थित-   श्रीमती रितू सूद।

विपक्षी की ओर से उपस्थित- श्री शरद कुमार शुक्‍ला।

 

दिनांक :  27-01-2020

2

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय

        परिवादीगण Parvej Nagma (2) Rehan Uddin और Rizwan Uddin ने यह परिवाद विपक्षी The Allahabad Bank Through its Branch Manager New Agra के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और निम्‍न अनुतोष चाहा है :-

  •  

To Direct Respondent to adjust Interest rates of Home loan by granting Complainant Special Concession/Discount/Rebate of women as per its bank policy @ 0.05% which was never given to her from the retrospective date. The same is given to other women home loan applicants. Along with paying the interest of interest taking in advance by charging excess EMI

Amount will be known by Bank Calculation and adjustment

  •  

To adjust Interest Rates on MCLR Basis from retrospective date from the period when it was introduced 01/04/2016. Along with paying the interest of interest taking in advance by charging excess EMI.

Amount will be known by Bank Calculation and adjustement

  •  

The complainants were charged Base Rate +2 from June 2010-20 January 2014 where else Circular 13229 dated states that Before 11/03/2013 BR rates were BR+0.10 which were further reduced to 0-05% which means there is also a circular where BR+2 was changed and Complainants were dept on charging BR+2 which was further reduced from 2 to 0-10 and 0-05 but no benefits were given to the complainants therefore it is prayed to adjust BR+2 charged interest to BR+0.10

Amount will be known by Bank Calculation and adjustment

  •  

Cost of Mental agony from 2010 till 2017 1,00,000/- per year per complainant.

Rs. 21,00,000/-

  •  

Cost of this Appeal

  1.  

 

Rs. 31,70,000/-

 

             परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि उन्‍होंने विपक्षी बैंक से एकाउन्‍ट नम्‍बर-50029069821 के माध्‍यम से 25,00,000/-रू0 का ऋण वर्ष 2010 में प्राप्‍त किया। उनके जिम्‍मा पहले की कोई अवशेष धनराशि नहीं थी।

             परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षी ने उनके उपरोक्‍त ऋण पर अपने विभागीय सर्कुलर/गाइड लाईन्‍स और रिजर्व बैंक आफ इण्डिया के निर्देश के विरूद्ध उच्‍च दर पर ब्‍याज चार्ज किया है। उन्‍हें बैंक के विभागीय सर्कुलर की प्रति उपलब्‍ध नहीं करायी और अपनाई गई गणना की प्रक्रिया नहीं बतायी, जब भी उसने यह जानना चाहा कि ई0एम0आई0 की गणना कैसे की गयी है तो विपक्षी बैंक ने स्‍पष्‍ट नहीं किया।

             परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनीगण का कथन है कि परिवादिनी संख्‍या-1  Parvej Nagma W/o Tahir Uddin एक अशिक्षित महिला है और उन्‍हें 0.5 प्रतिशत का डिस्‍काउन्‍ट विपक्षी ने नहीं दिया है जो महिलाओं को होम लोन पर देय है।

             परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि उन्‍होंने Mal Practice, non transparency, discrimination, unfair trade practice, deficiency in services के संबंध में अपनी शिकायत विपक्षी से की है, परन्‍तु विपक्षी ने कोई सुनवाई नहीं की।

             परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षी ने उनसे उच्‍च दर पर ब्‍याज के रूप में लाखों रूपयॉं अधिक लिया है और उन्‍हें

 

4

कभी भी ब्‍याज दर में परिवर्तन के संबंध में कोई सूचना नहीं दी है। दिनांक 01-04-2016 को ब्‍याज दर में कमी किये जाने पर भी विपक्षी ने उनसे उच्‍च दर पर ब्‍याज दिनांक 26-07-2017 तक लिया है।

        परिवाद पत्र में परिवादीगण ने दिनांक 10-04-2010 को अपने लोन एकाउन्‍ट स्‍टेटमेंट का निम्‍न विवरण अंकित किया है :-

S.No.

Date

Interest Rates

1

10/04/2010

9-9.75%

2

16/08/2010

9.75-10.25%

3

14/12/2010

10.25-11%

4

06/05/2011

11.5-12%

5

15/07/2011

12-12.250%

6

01/08/2011

12.250-12.75%

7

01/05/2012

12-75-12.5%

8

18/02/2013

12.5-12.2%

9

21/01/2014

12.2-10.2%

10

04/03/2014

10.2-10.25%

11

08/06/2015

10.25-9.95%

12

05/10/2015

9.95-6.7%

13

26/07/2017

9.7-8.5%

       

विपक्षी बैंक की ओर से आपत्ति प्रस्‍तुत की गयी है और कहा गया है कि परिवाद ग्राह्य नहीं है। परिवादीगण ने परिवाद पत्र में 31,70,000/-रू0 बिना किसी आधार के मांगा है। आपत्ति में विपक्षी बैंक की ओर से कहा गया है कि धारा-34 The Securitization and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security interest Act.2002 सपठित धारा- 35 के अनुसार परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत ग्राह्य नहीं है। वर्तमान परिवाद में धारा-18 Recovery of Debts due of Bank and Financial institution Act, 1993  भी बाधक है।

     आपत्ति  में विपक्षी बैंक की ओर से कहा गया है कि परिवादीगण ने प्रश्‍नगत लोन वर्ष 2010 में लिया है और परिवाद वर्ष 2018 में प्रस्‍तुत किया गया है अत: परिवाद कालबाधित है।  

 

 

5

     विपक्षी बैंक ने अपने लिखित कथन में कथन किया है कि परिवादीगण ने गलत और भ्रामक कथन के साथ परिवाद प्रस्‍तुत किया है। परिवादीगण द्वारा कथित गणना काल्‍पनिक और निराधार है अत: परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     विपक्षी बैंक की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता दिनांक 15-0252018 को उपस्थित आए और वकालतनामा व लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का समय चाहा। तब दिनांक 12-03-2018 को लिखित कथन हेतु तिथि नियत की गयी परन्‍तु दिनांक 12-03-2018 को लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया अत: आदेश दिनांक 12-03-2018 के द्वारा विपक्षी के लिखित कथन का अवसर समाप्‍त कर दिया गया।

     परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादीगण Parvej Nagma (2) Rehan Uddin और Rizwan Uddin का संयुक्त शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है। परिवादीगण की विद्धान अधिवक्‍ता ने स्‍वयं तैयार कर ब्‍याज की गणना के संबंध में एक्‍सपर्ट रिपोर्ट दाखिल किया है।

     परिवाद में अंतिम सुनवाई के समय परिवादीगण की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्रीमती रितू सूद और विपक्षी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री शरद कुमार शुक्‍ला उपस्थित आए हैं।

     मैंने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।

     परिवादीगण की तरफ से प्रस्‍तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन मैंने किया है।

     परिवादीगण की शिकायत मुख्‍य रूप से यह है कि विपक्षी बैंक ने विभागीय सर्कुलर गाइड लाइन और रिजर्व बैंक आफ इण्डिया के निर्देश के विरूद्ध ब्‍याज उच्‍च दर से लिया है। इस संदर्भ में परिवादीगण की विद्धान

 

 

6

अधिवक्‍ता ने स्‍वयं तैयार कर एक्‍सपर्ट आख्‍या प्रस्‍तुत किया है जिसमें कथित रूप से उच्‍च दर से ब्‍याज बैंक द्वारा लिया जाना बताया है।

     सम्‍पूर्ण तथ्‍यों, साक्ष्‍यों व परिस्थितियों को देखते हुए यह आवश्‍यक एवं उचित प्रतीत होता है कि परिवादीगण अपना प्रतिवेदन उच्‍च ब्‍याज दर के संबंध में बैंक के समक्ष प्रस्‍तुत करें और बैंक विभागीय सर्कुलर  व गाइड लाइन एवं रिजर्व बैंक के निर्देश के आधार पर ब्‍याज दर के संबंध में परिवादीगण की शिकायत पर विचार कर स्‍पष्‍ट आदेश पारित करे।

     सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त वर्तमान परिवाद में और कोई अनुतोष परिवादीगण को प्रदान करने हेतु उचित आधार नहीं है।

     उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए विपक्षी बैंक को निर्देशित किया जाता है कि बैंक ब्‍याज उच्‍च दर से लेने की परिवादीगण की शिकायत पर विभागीय सर्कुलर व गाइड लाइन और रिजर्व बैंक के निर्देश के अनुसार स्‍पष्‍ट आदेश पारित करे।

     परिवादीगण अपना प्रतिवेदन बैंक के समक्ष दो मास के अंदर प्रस्‍तुत करें। प्रतिवेदन प्रस्‍तुत किये जाने की तिथि से दो मास के अंदर बैंक परिवादीगण के प्रतिवेदन पर उपरोक्‍त प्रकार से आदेश पारित करेगा।

     उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

अध्‍यक्ष

कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा, आशु0

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 

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