राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-१७८८/२०१२
(जिला फोरम, जालौन द्वारा परिवाद सं0-६५/२०१२ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक २८-०७-२०१२ के विरूद्ध)
मुदित गुप्ता पुत्र श्री शिव कुमार गुप्ता निवासी मोहल्ला कुम्हारानपुरा, कस्बा कदौरा, जिला जालौन।
..................... अपीलार्थी/परिवादी।
बनाम्
इलाहाबाद बैंक, ब्रान्च-कदौरा, कस्बा कदौरा, जिला जालौन द्वारा ब्रान्च मैनेजर।
...................... प्रत्यर्थी/विपक्षी।
समक्ष:-
१- मा0 आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री विक्रमादित्य गुप्ता विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री शरद कुमार शुक्ला विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : ०५-०६-२०१५
मा0 श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला फोरम, जालौन द्वारा परिवाद सं0-६५/२०१२ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक २८-०७-२०१२ के विरूद्ध योजित की गयी है। इस आदेश में अधीनस्थ फोरम द्वारा परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षी बैंक को निर्देशित किया गया कि वह आदेश की प्रति प्राप्त होने एवं वादी द्वारा पूर्व सत्र के पास होने का प्रमाण पत्र दाखिल करने के ७ दिन (सात दिन) के अन्दर वादी को देय शिक्षा ऋण की तीसरी किस्त रूपया १,०५,०००/- प्रदान कर दे। यह भी स्पष्ट किया गया कि भारत सरकार से ऋण की छूट न प्राप्त होने की दशा में परिवादी से ब्याज बसूला जा सकेगा। वादी विपक्षी से १०००/- रू० वाद व्यय भी पाने का अधिकारी है। इसी आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत अपील अधीनस्थ फोरम द्वारा दिये गये उपशम में अभिवृद्धि हेतु
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योजित की गयी है।
पीठ के समक्ष अपीलार्थी/परिवादी श्री मुदित गुप्ता स्वयं व्यक्तिगत रूप से एवं उनके विद्वान अधिवक्ता श्री विक्रमादित्य गुप्ता उपस्थित हैं जिनके द्वारा अपीलाथी/परिवादी श्री मुदित गुप्ता की पहँचान को प्रमाणित किया गया। प्रत्यर्थी इलाहाबाद बैंक के विद्वान अधिवक्ता श्री शरद कुमार शुक्ला उपस्थित हैं। उभय पक्ष को सुना गया एवं पत्रावली का परिशीलन किया गया।
अपीलार्थी/परिवादी का कहना है कि पक्षकारान् के बीच अब कोई विवाद नहीं रह गया है एवं उसने अपनी अपील को वापस लेने की याचना की है। इसी आशय का उनके द्वारा एक प्रार्थना पत्र दिनांकित ०४-०६-२०१५ प्रस्तुत किया गया है एवं अपने कथन के समर्थन में उसने अपना शपथ पत्र दिनांकित ०४-०६-२०१५ भी प्रस्तुत किया है जो पत्रावली पर उपलब्ध हैं। इस सम्बन्ध में प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कोई आपत्ति नहीं उठायी गयी। वर्णित परिस्थिति में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा दायर की गयी प्रस्तुत अपील सं0-१७८८/२०१२ को वापस लेने की उसे अनुमति दी जाती है एवं उसके द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त प्रार्थना पत्र दिनांकित ०४-०६-२०१५ वास्ते वापस लेने अपील इस आदेश का भाग होगा। तद्नुसार यह अपील निस्तारित की जाती है। पक्षकार अपीलीय व्यय-भार अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे। उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(आलोक कुमार बोस)
पीठासीन सदस्य
(संजय कुमार)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-१.