Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/999

Jaskaran Lal - Complainant(s)

Versus

Allahabad Bank - Opp.Party(s)

Adeel Ahmad

03 Jul 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/999
( Date of Filing : 16 May 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Jaskaran Lal
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Allahabad Bank
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 03 Jul 2024
Final Order / Judgement

                                                 (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-999/2012

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, लखीमपुर-खीरी द्वारा परिवाद संख्‍या-40/2009 में पारित निणय/आदेश दिनांक 7.4.2012 के विरूद्ध)

 

जसकरन लाल पुत्र नत्‍था लाल, हैदराबाद, जिला खीरी।

अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

इलाहाबाद बैंक, ब्रांच गोला, जिला खीरी, द्वारा मैनेजर।

                                     प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-                            

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित         : श्री अदील अहमद।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित               : कोई नहीं।

दिनांक:   03.07.2024  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-40/2009, जसकरन लाल बनाम प्रबंधक इलाहाबाद बैंक में विद्वान जिला आयोग, लखीमपुर-खीरी द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 7.4.2012 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

2.         विद्वान जिला आयोग ने परिवाद को संधारणीय न मानते हुए खारिज किया गया है।

3.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने विपक्षी बैंक से अंकन 1,00,000/-रू0 का फसली ऋण दिनांक 1.4.1997 से दिनांक 31.3.2007 के मध्‍य लिया था, जो दिनांक 31.12.2007 को अतिदेय हो गया था और दिनांक 29.2.2008 तक बकाया था। सरकार की ओर से कृषि ऋण माफी एवं ऋण राहत योजना 2008 के अनुसार परिवादी अन्‍य किसान की श्रेणी में आता है। परिवादी द्वारा अंकन 85,000/-रू0 जमा कर दिए गए हैं और उस पर कोई बकाया नहीं है, परन्‍तु बैंक द्वारा अंकन 9,800/-रू0 बकाया बताए जा रहे हैं, बाद में बैंक कर्मि‍यों ने कहा कि अंकन 9000/-रू0 सुविधा शुल्‍क के रूप में अदा नहीं किए गए हैं, इसलिए अंकन 9,800/-रू0 वसूले जाएगें। दिनांक 3.2.2009 को यह राशि ट्रांसफर कर दी गई। यह राशि जबरदस्‍ती वसूली गई है, जिसके लिए परिवादी अंकन 10,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है तथा अंकन 10,832/-रू0 अधिक वसूले गए हैं। खर्च फीस आदि जोड़कर कुल 25,632/-रू0 की मांग की गई है।

4.         बैंक का कथन है कि परिवादी को 25 प्रतिशत की छूट प्रदान की गई थी। छूट के अनुसार उसके द्वारा धन जमा किया गया है। परिवादी पर अंकन 84,268/-रू0 बकाया थे, परन्‍तु परिवादी द्वारा अंकन 85,000/-रू0 ऋण खाते में जमा कर दिया गया। परिवादी को सम्‍पूर्ण छूट प्रदान की गई थी।

5.         विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि बैंक के स्‍तर से अंकन 9,800/-रू0 अधिक राशि वसूलने का जो कथन किया गया है, वह असत्‍य है। यह राशि ब्‍याज आदि की बकाया थी, जिसे बैंक द्वारा वसूल किया गया है। तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया।

6.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि विद्वान जिला आयोग ने अवैध आदेश पारित किया है। परिवादी ने समस्‍त ऋण जमा कर दिया था, इसलिए अंकन 9,800/-रू0 बकाया होने का कोई प्रश्‍न नहीं था। इस राशि को अवैध रूप से वसूला गया है।

7.         चूंकि बैंक ने लिखित कथन में स्‍वीकार किया है कि परिवादी द्वारा ऋण की समस्‍त राशि जमा कर दी गई थी, इसलिए अंकन 9,800/-रू0 वसूल करने का कोई औचित्‍य नहीं था। परिवादी से यह राशि अवैध रूप से वसूली गई है। विद्वान जिला आयोग ने लिखित कथन में वर्णित इस तथ्‍य पर कोई विचार नहीं किया कि परिवादी द्वारा ऋण की समस्‍त धनराशि जमा कर दी गई थी। ऋण की समस्‍त धनराशि जमा हो जाने के पश्‍चात किसी मद में ब्‍याज राशि जोड़ने या अन्‍य खर्च जोड़ने का अवसर बैंक के पास नहीं था। बैंक द्वारा अवैध रूप से अंकन 9,800/-रू0 परिवादी से वसूले गए हैं। अत: परिवादी इस राशि को 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्‍याज के साथ प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। इसी प्रकार अंकन 5,000/-रू0 परिवाद व्‍यय के रूप में भी प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

8.         प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.04.2012 अपास्‍त किया जाता है तथा परिवाद इस प्रकार स्‍वीकार किया जाता है कि बैंक द्वारा परिवादी को अंकन 9,800/-रू0 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्‍याज की दर से इस निणर्य/आदेश की तिथि से 45 दिन के अन्‍दर वापस लौटायी जाए तथा अंकन 5,000/-रू0 परिवाद व्‍यय के रूप में भी अदा किए जाए।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

दिनांक  03.07.2024

  लक्ष्‍मन, आशु0,

      कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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