राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-2448/2002
(जिला फोरम, प्रथम, बरेली द्वारा परिवाद संख्या-59/1998 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07-08-2002 के विरूद्ध)
हरस्वरूप पुत्र स्व0 श्री रामचरन लाल ग्राम परधौली पोस्ट सी0बी0 गंज, बरेली।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
- इलाहाबाद बैंक शाखा खलीलपुर सी0बी0 गंज, बरेली द्वारा शाखा प्रबन्धक।
- इलाहाबाद बैंक क्षेत्रीय कार्यालय नैनीताल उ0प्र0 द्वारा क्षेत्रीय प्रबन्धक।
प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
1- मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित – श्री अरूण टण्डन।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
दिनांक : 02-11-2015
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय :
अपीलार्थी ने प्रस्तुत अपील विद्धान जिला फोरम, प्रथम, बरेली द्वारा परिवाद संख्या-59/1998 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07-08-2002 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है। जिसमें जिला मंच ने परिवादी का परिवाद आज्ञप्त किया है और विपक्षीगण को आदेशित किया है कि वह आदेश के एक माह के अंदर परिवादी को 2000/-रू0 की धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करें तथा 1000/-रू0 वाद व्यय के रूप में भी परिवादी को अदा करें।'' इसी आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी ने प्रस्तुत अपील योजित की है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी की माता रामकली ने इलाहाबाद बैंक शाखा खलीलपुर में एफ0डी0आर0 दिनांक07-07-1992 को 50,000/-रू0 की बनवायी जो दिनांक 11-01-1998 को परिपक्व हुई और परिपक्वता मूल्य 1,01,050/-रू0 हुआ। उक्त एफ0डी0आर0 का परिवादी की मॉं की मांग पर 8000/-रू0 विपक्षी संख्या-1 द्वारा ऋण स्वीकृत किया गया। परिवादी की मॉ का देहान्त 30-08-1997 को हो गया। परिवादी ने एफ0डी0आर0 का मूल्य निकालने के लिए सक्षम न्यायालय से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र व अन्य कागजात विपक्षी संख्या-1 के यहॉं जमा किये परन्तु भुगतान नहीं किया गया। परिवादी ने 8000/-रू0 ऋण की धनराशि काटकर बकाया भुगतान करने हेतु आग्रह किया दिनांक 02 जुलाई, 1998 को विपक्षी ने 1,01,050/-रू0 में से बकाया भुगतान काटकर किया जो कि अवैध है। दिनांक 05-06-1993 को उक्त एफ0डी0आर0 पर लिया गया ऋण दिनांक 20-02-8 तक 8000/-रू 17,435/-रू0 नहीं हो सकता है बैंक ने परिवादी को बिना सूचना दिये दिनांक 20-02-1998 को 83,615/-रू0 की सावधि जमा रसीद 90 दिन के 6 प्रतिशत ब्याज की दर से बना दी जो दिनांक 11-04-1998 को परिपक्तव हो गयी।परिवादी के अनुसार विपक्षीगण द्वारा उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र दाखिल करने के बाद भी कई प्रमाण पत्र मांगे गये तथा 1,01,050/-रू0 पर ब्याज 20-02-1998 तक दिया जाना चाहिए लेकिन विपक्षी द्वारा उक्त ब्याज नहीं दिया गया। और 17,435/-रू0 काटकर 83,615/-रू0 की एफ0डी0आर0 06 प्रतिशत से दिनांक 11-01-1998 को बना दी जो कि गैर कानूनी है। रू0 1,01,050/- का ब्याज एक माह 9 दिन का नहीं दिया गया। दिनांक 02-07-1998 को लगभग 86,000/-रू0 का भुगतान किया गया जिस पर बैंक ने ब्याज कम लगाया और इस प्रकार सेवा में त्रुटि की।
विपक्षीगण ने परिवाद का खण्डन किया और कहा कि रामकली द्वारा 8000/-रू0 ऋण लिये जाने का प्रीमोट का मामला अलग था और एफ0डी0आर0 से उसका कोई संबंध नहीं है। और बैंक उत्तराधिकार प्रमाण पत्र का तस्दीक अपने अधिवक्ता से कराता है और 85,979/-रू0 दिनांक02-07-1998 को परिवादी के खाते में डाला गया इस प्रकार विलम्ब नहीं हुआ। रीजनल मैनेजर से वह अधिवक्ता से परामर्श लेने से समय लगा जो आवश्यक था। उनकी ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी थी
पीठ के समक्ष अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री अरूण टंण्डन उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं।
हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क सुने तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य एवं जिला मंच द्वारा पारित निर्णय का अवलोकन किया।
केस के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हम यह पाते है कि जिला मंच द्वारा समस्त अभिलेखों और साक्ष्यों के आधार पर विधि सम्मत निर्णय पारित किया गया है और जिसमें जिला मंच के द्वारा परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया है कि वह परिवादी को 2000/-रू0 क्षतिपूर्ति व 1000/-रू0 वाद व्यय अदा करेंगे।
इस केस में परिवादी ने प्रस्तुत अपील क्षतिपूर्ति बढ़ाये जाने हेतु प्रस्तत किया है।
केस के तथ्यों और परिस्थितियों में हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते है कि जिला मंच द्वारा जो निर्णय पारित किया गया है वह विधिसम्मत है और उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तद्नुसार अपील खण्डित किये जाने योग्य है।
आदेश
अपीलकर्ता की अपील खण्डित की जाती है। जिला फोरम, प्रथम, बरेली द्वारा परिवाद संख्या-59/1998 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07-08-2002 की पुष्टि की जाती है। उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करेंगे।
( राम चरन चौधरी ) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-5 प्रदीप मिश्रा