राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-547/2016
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, आजमगढ़ द्वारा परिवाद संख्या 100/2015 में पारित आदेश दिनांक 24.02.2016 के विरूद्ध)
देवमणि तिवारी पुत्र स्व0 रामदरश तिवारी ग्राम-करनपुर, पोस्ट युधिष्ठिर पट्टी परगना-कौडिया, थाना-अहरौला तहसील बूढ़नपुर जिला आजमगढ़ (उ0प्र0) हालमुकाम, ग्राम-गजेन्धर पट्टी, पोस्ट-गजेन्धर पट्टी भदेवरा थाना-अतरौलिया, तह-बूढ़नपुर जिला आजमगढ़ .................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. इलाहाबाद बैंक आर ए एल सी (विभव खण्ड) लखनऊ द्वारा शाखा प्रबन्धक
2. भारतीय स्टेट बैंक शाखा अतरौलिया कोड नं0 (14405) जिला आजमगढ़ द्वारा शाखा प्रबन्धक
3. मनोज यादव पुत्र राधेश्याम यादव ग्राम-करनपुर, पोस्ट-युधिष्ठिर पट्टी, जिला-आजमगढ़ (उ0प्र0)
.................प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री पारस नाथ तिवारी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस0पी0 त्रिपाठी,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 26.03.2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-100/2015 देवमणि तिवारी बनाम इलाहाबाद बैंक आर ए एल सी (विभव खण्ड) लखनऊ व दो अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, आजमगढ़ द्वारा पारित निर्णय
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और आदेश दिनांक 24.02.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद निरस्त कर दिया है, जिससे क्षुब्ध होकर परिवाद के परिवादी ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री पारस नाथ तिवारी और प्रत्यर्थी संख्या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस0पी0 त्रिपाठी उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-3 मनोज यादव ने उसकी देयता के भुगतान हेतु दिनांक 17.04.2015 को प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 इलाहाबाद बैंक के यहॉं से 5,00,000/-रू0 का ड्राफ्ट संख्या-061259 अपीलार्थी/परिवादी के नाम से उसके खाता संख्या-32633870503 में भुगतान हेतु उसे प्राप्त कराया और उसने इस ड्राफ्ट को दिनांक 24.04.2015 को प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 भारतीय स्टेट बैंक शाखा अतरौलिया के यहॉं अपने
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खाता संख्या-32633870503 में जमा करा दिया, परन्तु यह ड्राफ्ट 01 मई 2015 को प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 भारतीय स्टेट बैंक शाखा अतरौलिया द्वारा रिटर्न मेमो रिपोर्ट के साथ उसे प्राप्त कराया गया। रिपोर्ट में ‘Payment Stopped by drawer’ ड्राफ्ट वापसी का कारण बताया गया।
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि ड्राफ्ट बनाते समय सम्बन्धित बैंक द्वारा पूरी रकम तथा उचित कमीशन प्राप्त कर लेने के पश्चात् ही ड्राफ्ट जारी किया जाता है। ऐसी स्थिति में ड्राफ्ट को वापस किया जाना तथा वापसी का बताया गया कारण अचंभित करने जैसा है तथा बैंक के नियम के विरूद्ध है।
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्यर्थी/विपक्षीगण संख्या-1 और 2 बैंकिंग नियम के तहत उसके ड्राफ्ट संख्या-061259 की रकम उसके खाते में ट्रांसफर करने हेतु उत्तरदायी हैं। उनके द्वारा रकम को ट्रांसफर न किए जाने के सम्बन्ध में जो कारण बताया जा रहा है, वह उचित नहीं है।
जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी/विपक्षीगण संख्या-1 और 2 ने लिखित कथन प्रस्तुत किया है।
प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या–1 ने अपने लिखित कथन में कहा है कि दिनांक 17.04.2015 को लालता प्रसाद यादव ने चेक संख्या-016420 अपने एकाउण्ट का 5,01,700/-रू0 का अपीलार्थी/परिवादी के एकाउण्ट नं0 32633870503 के लिए
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5,00,000/-रू0 का डिमाण्ड ड्राफ्ट बनवाने हेतु जारी किया और तदनुसार डिमाण्ड ड्राफ्ट अपीलार्थी/परिवादी के नाम तैयार कर उसे उक्त लालता प्रसाद यादव को दिया गया, परन्तु बाद में दिनांक 22.04.2015 को लालता प्रसाद यादव ने प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 की ब्रांच में उपस्थित होकर ड्राफ्ट का भुगतान रोकने हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किया, जिस पर प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 ने डिमाण्ड ड्राफ्ट का भुगतान रोकने की प्रविष्टि अंकित की है।
लिखित कथन में प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 ने यह भी कहा है कि ड्राफ्ट की धनराशि किसी को अब तक अवमुक्त नहीं की गयी है।
प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 ने भी अपने लिखित कथन में कहा है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा 5,00,000/-रू0 का डिमाण्ड ड्राफ्ट कलेक्शन हेतु भेजा गया तो प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 इलाहाबाद बैंक द्वारा वांछित धनराशि उपलब्ध नहीं करायी गयी और रिटर्न मेमो रिपोर्ट 01 मई 2015 इस आशय की प्राप्त करायी गयी कि “Payment Stopped by drawer”। जिसकी वजह से उक्त धनराशि का भुगतान नहीं किया जा सका है।
प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-3 मनोज यादव जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है और न कोई लिखित कथन प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त यह निष्कर्ष अंकित किया है कि प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 की तरफ से डिमाण्ड ड्राफ्ट का भुगतान
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रोक कर सेवा में कमी नहीं की गयी है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह मत व्यक्त किया है कि प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 का पुनीत दायित्व है कि यदि कोई भुगतान विवादित मालूम हो तो उसे अवश्य रोक दे और यही नियमत: सही और उचित भी है। अत: इसी आधार पर जिला फोरम ने यह निष्कर्ष अंकित किया है कि परिवाद प्रत्यर्थी/विपक्षीगण संख्या-1 और 2 के विरूद्ध खारिज होने योग्य है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी उल्लेख किया है कि जहॉं तक डिमाण्ड ड्राफ्ट के भुगतान का प्रश्न है अपीलार्थी/परिवादी उसकी धनराशि के सम्बन्ध में सक्षम न्यायालय से अपने हक की घोषणा करा लेता है तो निश्चित रूप से उस डी0डी0 के भुगतान की बाध्यता प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 पर होगी। उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर ही जिला फोरम ने परिवाद निरस्त किया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश विधि विरूद्ध है। डिमाण्ड ड्राफ्ट जारी करने के बाद बैंक को भुगतान रोकने का अधिकार नहीं है। प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 ने डिमाण्ड ड्राफ्ट का भुगतान रोक कर सेवा में त्रुटि की है। अत: अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है। जिला फोरम का निर्णय त्रुटिपूर्ण है और निरस्त किए जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी संख्या-1 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय उचित है।
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मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों से यह तथ्य निर्विवाद है कि अपीलार्थी/परिवादी के नाम प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 इलाहाबाद बैंक ने 5,00,000/-रू0 का डिमाण्ड ड्राफ्ट एक व्यक्ति लालता प्रसाद यादव के एकाउण्ट के चेक के आधार पर जारी किया था, परन्तु उक्त लालता प्रसाद यादव ने प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 के समक्ष उपस्थित होकर आवेदन पत्र प्रस्तुत कर डिमाण्ड ड्राफ्ट के सम्बन्ध में विवाद उठाया, जिसके आधार पर प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 ने डिमाण्ड ड्राफ्ट का भुगतान रोका है। ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट है कि डिमाण्ड ड्राफ्ट की धनराशि के भुगतान के सम्बन्ध में मुख्य विवाद अपीलार्थी/परिवादी और लालता प्रसाद यादव के बीच है, परन्तु लालता प्रसाद यादव को वर्तमान परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया गया है। लालता प्रसाद यादव द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 इलाहाबाद बैंक के समक्ष डिमाण्ड ड्राफ्ट की धनराशि के भुगतान के सम्बन्ध में आपत्ति उठाए जाने पर विवाद के निस्तारण तक प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 इलाहाबाद बैंक द्वारा भुगतान रोका जाना सेवा में त्रुटि नहीं कहा जा सकता है और न ही ऐसा करना अनुचित व्यापार पद्धति है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम ने अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जो निरस्त किया है वह उचित और युक्तिसंगत है और इसे विधि विरूद्ध अथवा अवैधानिक नहीं कहा जा सकता है। अत: जिला फोरम
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के निर्णय में हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। अत: अपील निरस्त की जाती है।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1