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BRIJESH SINGH filed a consumer case on 13 Jan 2022 against ALLAHABAD BANK in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/28/2010 and the judgment uploaded on 19 Jan 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 28 सन् 2010
प्रस्तुति दिनांक 03.02.2010
निर्णय दिनांक 13.01.2022
....................................................................................परिवादीगण।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादीगण ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसके पिता कैलाशपति सिंह ने विपक्षी संख्या 01 से के.एस.वाई. स्कीम के तहत रुपया 3,40,000/- लोन दिनांक 11.09.2004 को लिया था। उसके पिता की उक्त तिथि 11.09.2004 के एक माह बाद मृत्यु हो गयी जिसकी उसने सूचना व डेथ सर्टिफिकेट विपक्षी संख्या 01 को दिया। परिवादीगण की खतौनी में सम्पूर्ण रकबा उक्त स्वo कैलाशपति सिंह की जगह पर चार हिस्सों में आ गयी थी, जिससे परिवादीगण का नाम छोटे कृषक की श्रेणी चढ़ गया। उक्त सूचना व कागजात प्राप्त करने के बावजूद विपक्षीगण ने परिवादीगण से कोई भी अनुबन्ध नहीं कराया। छोटे कृषक के रूप में आ जाने के बावजूद ऋण माफी योजना लागू हुई तो विपक्षीगण के अपनी उक्त जिम्मेदारी निर्वहन न करने के कारण उक्त ऋण माफी योजना से वादीगण को जानबूझकर वंचित रखा गया। शाखा प्रबन्धक महोदय को एक प्रार्थना पत्र भी परिवादीगण ने दिनांक 04.07.2008 को दिया, जिसका निस्तारण शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा बिना तर्कसंगत के पक्षपात पूर्ण ढंग से बिला कागजात पर ध्यान दिए सरसरी तौर पर कर दिया गया। परिवादीगण ऋण माफी योजना के हकदार हैं। अतः परिवादीगण छोटे कृषक श्रेणी में सन् 2004 से ही हैं। लेहाजा जो स्वo कैलाशपति सिंह का के.एस.वाई. के तहत लोन था वह बकाया कानूनन समाप्त माना जाए व उसको वादीगण से किसी तौर से विपक्षीगण वसूल करने के अधिकारी नहीं हैं।
परिवादीगण द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादीगण ने कागज संख्या 6/1 नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 6/2 इलाहाबाद बैंक द्वारा याचीगण का प्रार्थना पत्र खारिज करने की सूचना की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 8क विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि विपक्षी इलाहाबाद बैंक की स्थापना दि बैंकिंग कम्पनी ऐक्ट- 1970 के अधीन हुई है, जिसका प्रधान कार्यालय 02 नेताजी सुभाष रोड, कोलकाता 700001 में स्थित है तथा अन्य के साथ ही साथ एक शाखा कोठवा जलालपुर जिला आजमगढ़ में भी स्थित है। परिवादी श्री बृजेश सिंह आदि के पिता एवं श्रीमती उर्मिला सिंह के पति श्री कैलाशपति सिंह एक बड़े किसान थे जिनके पास कई ग्रामों में मिलाकर 02.165 हेक्टेयर यानी 05.347 एकड़ खेती की जमीन थी। कैलाशपति सिंह ने अपनी उपरोक्त कृषि भूमि के विरुद्ध पहले विपक्षीगण की शाखा से दिनांक 26.05.1999 को रु. 60,000/- का किसान क्रेडिट कार्ड प्राप्त किया था। कालान्तर में विपक्षी संख्या 01 बैंक में किसान शक्ति योजना नाम से कृषकों के लिए एक योजना संचालित की गयी जिसमें दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा प्राप्त अभ्यर्थी कृषकों के कृषि की कुल वार्षिक आयज के पांच गुना अथवा उनकी जमीन के मूल्य का आधा में जो कम हो उस रकम में से किसान क्रेडिट कार्ड की रकम घटाने पर जो रकम आए उसे सात वर्ष की अदायगी की मियाद के लिए सावधि ऋण के तौर पर दिए जाने का प्रावधार रहा। कैलाशपति सिंह ने विपक्षी संख्या 01 से सम्पर्क कर उपरोक्त किसान शक्ति योजना के अन्तर्गत रुपए 3,40,000/- का ऋण प्राप्त करने हेतु अनुरोध किया तथा उन्होंने अपने पास 02.165 हेक्टेयर अथवा 05.347 एकड़ कृषि योग्य भूमि होना घोषित किया जिसे बैंक द्वारा सिद्धान्त रूप में स्वीकार कर औपचारिकताओं को पूर्ण कर ऋण वितरित कर दिया गया। जिसकी अदायगी रुपए 72,000/- व ब्याज आदि की वार्षिक किश्तों में कुल सात वर्ष में किया जाना था। जिसकी पहली किश्त दिनांक 01.10.2005 से प्रारम्भ होनी थी। इस ऋण पर देय ब्याज दर 10.50% सालाना मय मासिक अन्तराल के साथ थी। कैलाशपति सिंह ने उपरोक्त ऋण की अदायगी में भी चूक किया एवं एक भी किश्त समय से जमा नहीं किया। जिसकी अदायगी हेतु समय समय पर परिवादीगण से व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क, तलब तकाजा के अलावा परिवादीगण के नाम शाखा स्तरीय सूचनाएं आदि जारी की गयीं। कालान्तर में माo वित्तमंत्री भारत सरकार के बजट 2008-09 के द्वारा ऋण माफी/ऋण राहत योजना लागू की गयी। इस सम्बन्ध में विपक्षी संख्या 01 के बैंक द्वारा परिपत्र संख्या HO/PSC/Debt Relief/1944 दिनांक 04.03.2008 जारी किया गया जिसके अनुसार विभिन्न पात्र खातों में ऋण राहत प्रदान की गयी। भारत सरकार द्वारा कृषकों के लिए जारी ऋण माफी/ऋण राहत योजना निम्नवत है-
वे समस्त कृषि ऋण जो कि दिनांक 31.03.2007 तक अनुसूचित राष्ट्रीयकृत बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों अथवा को-ऑपरेटिव क्रेडिट संस्था द्वारा वितरण किया गया हो एवं 31.12.2007 तक अतिदेय हो उन समस्त मामलों में यह योजना लागू होगी।
सीमान्त कृषक (जिनके पास 01 हेक्टेयर तक भूमि हो) एवं लघु कृषक (जिनके पास 01 से 02 हेक्टेयर के वे समस्त ऋण जो 31.12.2007 तक अतिदेय हो जो कि 29.02.2008 तक भुगतान नहीं किया गया है। ऐसे मामलों में उक्त समस्त कृषकों को कुल अतिदेय पर राहत दी जाएगी, अन्य कृषकों के मामले में अगर उनके ऋण में 31.12.2007 तक अतिदेय हो एवं 29.02.2008 तक भुगतान नहीं किया गया हो तो उन्हें एकमुश्त समझौते के अन्तर्गत लाया जाएगा। जिसके अन्तर्गत किसानों द्वारा 75% की शेष राशि के भुगतान के पेटे 25 प्रतिशत की राहत दी जाएगी।
ऐसे कृषि ऋण जो भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा निर्देशानुसार वर्ष 2004 एवं 2006 में विशेष पैकेज के माध्यम से या सामान्य रूप से बैंक द्वारा पुनर्रचना एवं पुनर्निर्धारण किए गए हैं, वे भी इस योजना के तहत उपरोक्तानुसार लाभान्वित होंगे।
ऋण माफी/ऋण माफी राहत योजनाओं का कार्यान्वयन दिनांक 30.06.2008 तक सम्पूर्ण करा लिया जाए।
वस्तुतः कैलाशपति सिंह अन्य कृषक की श्रेणी में आते थे एवं उनके किसान शक्ति योजना ऋण खाता की तीन किश्तें व ब्याज की रकम अतिदेय थी एवं बैंक के परिपत्रों एवं उपरोक्त ऋण माफी/ऋण राहत योजना के अनुसार कैलाशपति सिंह या उनकी मृक्यु की दशा में उनके उत्तराधिकारियों को किसान शक्ति योजना के अन्तर्गत ओवरड्यू रकम मय ब्याज आदि की रकम में से 25% भाग छोड़कर शेष रकम को तीन किश्तों में अदा करने की शर्त पर 25% ऋण राहत दी जानी थी तथा ऐसी किश्तें क्रमशः 30.09.2008, 31.03.2009 एवं अन्तिम किश्त 30.06.2009 तक देनी थी तथा एकमुश्त समझौता के एग्रीमेन्ट भी हस्ताक्षरित करने थे जिसके लिए कैलाशपति सिंह के उत्तराधिकारीगण सहमत भी रहे परन्तु कालान्तर में परिवादीगण ने ऐसा करने में चूक किया जिसके कारण उन्हें ऋण राहत नहीं प्रदान की जा सकी है। बाद में समय समय पर सरकार एवं रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार बड़े कृषकों को तीन चौथाई भाग जमा करने एवं एक चौथाई भाग ऋण राहत प्राप्त करने हेतु दिनांक 30.06.2010 तक का समय बढ़ाया गया, जिसमें बैंक द्वारा एक चौथाई अतिरिक्त ऋण राहत देने की घोषणा की गयी तथा इसकी सूचना पाने पर कैलाशपति सिंह के वारिसों ने कैलाशपति सिंह के नाम के किसान क्रेडिट कार्ड ऋण खाता या किसान शक्ति योजना के अन्तर्गत बकाया रकम की अदायगी करने से मुनकिर रहे। बाद में विपक्षी बैंक के द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार अन्य कृषकों के मामले में सरकार द्वारा देय 25% ऋण राहत के अलावा विपक्षी बैंक द्वारा भी 25% की ऋण राहत प्रदान की जा रही थी तदनुसार यदि परिवादीगण दिनांक 30.06.2010 तक अपने ऋण के दिनांक 31.12.2007 तक की ओवरड्यू एवं दिनांक 29.02.2008 तक भुगतान न की गयी रकम को जमा करते तो उपरोक्त ओवरड्यू रकम पर उन्हें 50% की ऋण राहत प्रदान की जाती, जिसकी भी परिवादीगण को सूचना दी गयी और यह योजना दिनांक 30.06.2010 को समाप्त हो गयी है। कैलाशपति सिंह के नाम के किसान क्रेडिट कार्ड ऋण खाता में रुपए 7283.00 एवं किसान शक्ति योजना ऋण खाता में रुपए 7,25,855.00 व काफी समय से ब्याज बकाया है जिसकी वसूली हेतु परिवादीगण के नाम दिनांक 07.09.2010 को वसूली प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। ऋण माफी/ऋण राहत योजना, 2008 में प्रावधान किया गया है कि यदि कोई कृषक ऋण प्रदान करने वाले द्वारा बैंक दी गयी ऋण माफी/ऋण राहत से सन्तुष्ट नहीं है तो वह उक्त योजना के अधीन नियुक्त व्यथा निवारण अधिकारी के समक्ष प्रत्यावेदन प्रस्तुत कर सकता था तथा इस सम्बन्ध में व्यथा निवारण अधिकारी का आदेश अन्तिम माना जाएगा। विपक्षी बैंक के तत्कालीन वाराणसी जोन के लिए श्री मोहम्मद रिजवान मुख्य प्रबन्धक इलाहाबाद बैंक को व्यथा निवारण अधिकारी नियुक्त किया गया था। परिवादीगण ने विपक्षी बैंक द्वारा ऋण राहत न प्रदान करने की शिकायत करते हुए व्यथा निवारण अधिकारी के समक्ष प्रत्यावेदन दिनांक 09.07.2008 प्रस्तुत किया था तथा बाद सुनवाई दिनांक 14.07.2008 को आदेश पारित किया गया कि- ‘बैंक अभिलेख के अनुसार ऋण स्वीकृति के समय मृतक कृषक ऋणी की जोत 2.165 हेक्टेयर थी कृषक अन्य कृषक की श्रेणी में आता है। शाखा द्वारा किया गया वर्गीकरण उचित है।’ इस प्रकार परिवादी की कथित व्यथा का सक्षम अधिकृत अधिकारी द्वारा निस्तारण कर दिया गया। ऋण माफी/ऋण राहत योजना, 2008 के प्रावधानों के अनुसार किसी भी व्याख्या आदि के लिए केन्द्रीय सरकार को अधिकृत किया गया है। इस सम्बन्ध में ऋण माफी/ऋण राहत योजना, 2008 के पैरा 13 में स्पष्ट प्रावधान किया गया है जो निम्नवत है-
Interpretation and power to remove difficulties.
If any doubt arise on the interpretation of any paragraph of this Scheme or any instructions issued thereunder, the Central Government shall resolve the doubt and the decision of the Central Government shall be final.
If any difficulty arises in giving effect to the provisions of the Scheme or any instructions issued thereunder, the Central Government may by order do anything which appears to it to be necessary or expedient for the purposes of removing the difficulty.
व्यथा निवारण अधिकारी द्वारा दिनांक 14.07.2008 को परिवादी का प्रत्यावेदन निस्तारित किए जाने के बाद यदि परिवादी इससे किसी भी प्रकार से यदि असन्तुष्ट था तो उसे केन्द्र सरकार के समक्ष याचिका प्रस्तुत करना चाहिए था, परन्तु परिवादी ने ऐसा नहीं किया। इसलिए यह परिवाद पोषणीय नहीं है। कैलाशपति सिंह की मृत्यु के कारण उनके प्रत्येक उत्तराधिकारी के हिस्से की जमीन के आधार पर ऋण माफी दी जानी थी। चूंकि कैलाशपति सिंह के पास ऋण मंजूर करते समय 02 हेक्टेयर से ज्यादा जमान थी अतएव वे अन्य कृषक की परिधि में आते हैं। अतः परिवाद पोषणीय नहीं है। निरस्त किया जाए।
विपक्षीगण द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षीगण द्वारा कागज संख्या 13/1ता13/3 किसान शक्ति योजना प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 13/4ता13/9 एग्रीमेन्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 13/10ता13/13 अन्तिम कानूनी नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 13/14 सर्टिफिकेट ऑफ रिकवरी की छायाप्रति, कागज संख्या 13/15ता13/17 एकाउन्ट स्टेटमेन्ट प्रस्तुत किया गया है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। कागज संख्या 6/2 इलाहाबाद बैंक द्वारा जो कि बृजेश सिंह को पत्र दिया गया, जिसमें यह लिखा हुआ है कि “बैंक अभिलेख के अनुसार ऋण स्वीकृति के समय मृतक कृषक ऋणी की जोतभूमि 2.165 हेक्टेयर थी। कृषक ‘अन्य कृषक’ की श्रेणी में आता है। शाखा द्वारा किया गया वर्गीकरण उचित है।”चूंकि कृषक ‘अन्य कृषक’ की श्रेणी में आता है और उसके मरने के बाद उसके वारिसान को उस जमीन में उसे जो हिस्सा मिला उससे वे सीमान्त कृषक नहीं माने जाएंगे। अतः उन्हें मागा गया अनुतोष देना उचित नहीं होगा। उपरोक्त विवेचन से हमारे विचार से परिवाद खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 13.01.2022
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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