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BANSHRAJ SINGH filed a consumer case on 22 Oct 2020 against ALLAHABAD BANK in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/191/2013 and the judgment uploaded on 28 Oct 2020.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 191 सन् 2013
प्रस्तुति दिनांक 27.11.2013
निर्णय दिनांक 23.10.2020
बंशराज सिंह उम्र तखo 65 साल पुत्र स्वo इन्द्रदेव सिंह साकिन- हरदासपुर उर्फ हरदसई, पोo- भवरपुर, तहसील- लालगंज, जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
बैंक मैनेजर इलाहाबाद बैंक शाखा उमरी तरवा, जिला- आजमगढ़।
...........................................................................................विपक्षी।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह कृषि कार्य के लिए किसान क्रेडिट कार्ड संख्या 0211636 के तहत कृषि ऋण विपक्षी के यहाँ से लिया था। परिवादी मुकदमा बीच में काफी बीमार पड़ गया और उसका दवा इलाज में काफी पैसा खर्च हो गया। परिवादी की स्थिति अत्यन्त खराब होने के कारण परिवादी अपना कृषि कार्य सुचारू रूप से नहीं कर पाया और उसकी फसल सहीं ढंग से पैदा न हो पायी। इसी दरमियान केन्द्र सरकार द्वारा कृषि ऋण माफ करने के मार्फत योजना लागू कर दी गयी और उसका ऋण माफ हो जाना चाहिए था, लेकिन उसका ऋण माफ नहीं हो सका। अंतिम में परिवादी के खाते में बकाया राशि 23656/- रुपये की वसूली के लिए दबाव डालने लगे तथा इसी तरह से किसान शक्ति योजना के तहत भी झूठी रिपोर्ट परिवादी को दिए और गलत ढंग से 18580/- रुपए राशि की वसूली की रिपोर्ट देकर परिवादी के ऊपर वसूली के मार्फत दबाव बना रहे हैं। सूचना अधिकार कानून 2005 के तहत परिवादी ने जो कारण पूछा तो उसका समुचित उत्तर विपक्षी ने नहीं दिया और उसे डाटकर भगा दिया गया। परिवादी ने विपक्षी से निवेदन किया कि सरकारी नियम के तहत हमारा सारा कर्ज माफ हो चुका है फिर आप जबरदस्ती वसूली करने पर क्यों आमादे हैं तो विपक्षी व उनके कर्मचारीगण परिवादी के ऊपर आग बबूला हो गए। अतः परिवादी द्वारा कृषि ऋण क्रेडिट कार्ड संख्या 0211636 की धनराशि व ऋण किसान शक्ति योजना के तहत परिवादी के सम्पूर्ण ऋण को सरकारी आदेश के अनुपालन में माफ करें और बैंक को मना कर दिया जाए कि वह जबरदस्ती वसूली न करें।
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परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
इलाहाबाद बैंक द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर यह कहा गया है कि परिवाद गलत तथ्यों पर प्रस्तुत किया गया है। परिवाद पत्र में किए गए कथनों से बैंक ने इन्कार किया है। विशेष कथन में बैंक द्वारा यह कहा गया है कि परिवादी को परिवाद पत्र प्रस्तुत करने का कोई हक हासिल नहीं था। इलाहाबाद बैंक की स्थापना दि बैंकिंग कम्पनी (एक्वीजीशन एण्ड ट्रान्सफर ऑफ अण्डरटेकिंग्स) ऐक्ट, 1970 के अधीन हुई है। जिसका प्रधान कार्यालय 02 नेताजी सुभाष रोड, कोलकाता 700001 में स्थित है तथा उसकी शाखा उमरी जिला आजमगढ़ में स्थित है। परिवादी 2003 में विपक्षी से सम्पर्क कर अपने खेतों की नकल खतौनी, खसरा आदि प्रस्तुत किया और 15000/- रुपये ऋण लेने का निवेदन किया। इसके उपरान्त परिवादी द्वारा आवश्यक औपचारिकताएं पूरी किए जाने पर परिवादी के नाम दिनांक 11.02.2003 को रूपए 15000/- का कृषि निवेश ऋण वर्तमान ऋण खाता संख्या 22198065037 मय निर्धारित ब्याज दर के साथ स्वीकृत एवं वितरित किया गया जिसकी अदायगी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से परिवादी ने बैंक के पक्ष में विभिन्न कागजात व दस्तावेज आदि तहरीर व तकमील कर प्रस्तुत किया। विपक्षी बैंक ने किसान शक्ति योजना के नाम से भी कृषकों के लिए एक योजना संचालित है जिसमें बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार 7 वर्ष की अदायगी की मियाद के लिए सावधि ऋण प्रदान किए जाने का प्रावधान है। परिवादी ने विपक्षी से सम्पर्क कर किसान शक्ति योजना के अन्तर्गत रू. 50000/- का सावधि ऋण प्राप्त करने हेतु प्रार्थना पत्र दिनांक 10.11.2004 को प्रस्तुत किया, जिसे बैंक द्वारा स्वीकार कर लिया गया। दिनांक 10.11.2004 रु. 50000/- का सावधि ऋण स्वीकार करके वितरित किया गया, जिसकी अदायगी 14 अर्धवार्षिक किस्तों में किया जाना तय हुआ और पहली किस्त माह अप्रैल 2005 से प्रारंभ होनी थी। इस ऋण पर देय ब्याज की दर 10.75 प्रतिशत सालाना थी। परिवादी ने उपरोक्त ऋण किसान शक्ति योजना के तहत लिए गए ऋण की अदायगी में चूक किया एवं उसकी समयानुकूल अदायगी नहीं किया। कालान्तर में माo वित्त मंत्री भारत सरकार के बजट 2008-2009 के द्वारा ऋण माफी/ऋण राहत योजना लागू की गयी। इस सम्बन्ध में विपक्षी के बैंक द्वारा परिपत्र संख्या HO/PSC/Debt Relief/1944 दिनांक 04.03.2008 जारी किया गया, जिसके अनुसार विभिन्न पात्र खातों में ऋण राहत प्रदान की गयी। भारत सरकार द्वारा किसान के लिए जारी ऋण माफी/ऋण राहत योजना निम्नलिखित है।
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ऋण माफी/ऋण राहत योजना, 2008 में यह भी प्रावधान किया किया था कि यदि कोई कृषक ऋण प्रदान करने वाले द्वारा बैंक द्वारा दी गयी ऋण माफी/ऋण राहत से संतुष्ट नहीं है तो वह उक्त योजना के अधीन नियुक्त व्यथा निवारण अधिकारी के समक्ष प्रत्यावेदन प्रस्तुत कर सकता था तथा इस सम्बन्ध में व्यता निवारण अधिकारी का निर्णय अंतिम माना जाएगा। विपक्षी बैंक के तत्कालीन वाराणसी जोन के लिए श्री मोहम्मद रिजवान मुख्य प्रबन्धक इलाहाबाद बैंक को व्यथा निवारण अधिकारी नियुक्त किया गया था। ऋण माफी/ऋण राहत योजना, 2008 के प्रावधानों के अनुसार किसी भी व्याख्या आदि के लिए केन्द्रीय सरकार को अधिकृत किया गया है। इस सम्बन्ध में ऋण माफी/ऋण राहत योजना, 2008 के पैरा 13 में स्पष्ट प्रावधान किया गया है जो निम्नवत है।
Interpretation and power to remove difficulties
If any doubt arises on the interpretation of any paragraph of this Scheme or any instructions issued there under the Central Government shall be final.
If any difficulty arises in giving effect to the provisions of the Scheme or any instructions issued there under, the Central Government may by order do anything which appears to it to be necessary or expedient for the purposes of removing the difficulty. P.T.O
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दिनांक 31.12.2007 तक परिवादी के किसान शक्ति योजना ऋण खाता में 20000/- रुपए की रकम ओवरड्यू थी अतएव विपक्षी बैंक द्वारा दिनांक 26.07.2008 को परिवादी के उपरोक्त किसान शक्ति योजना ऋण खाता में 20000/- रुपए की ऋण प्रदान की गयी। जिसके बाद परिवादी के जिम्मे 19580/- बकाया राशि थी। जिसमें परिवादी ने दिनांक 04.12.2012 को 1000/- रुपये अदा किया। जिसके उपरान्त उक्त ऋण खाता में 22090.02 रुपए व काफी अरसे से ब्याज आदि बकाया हो गया। परिवादी के किसान शक्ति योजना के अदीन प्रदत्त ऋण सीमा एवं वर्तमान निवेश ऋण की सीमा को मिलाकर 50000/- रुपए से ज्यादा होने के कारण तथा ऋण माफी/ऋण राहत योजना, 2008 की धारा-3 दिए गए स्पष्टीकरण 3 के अधीन परिवादी को अन्य किसान मानते हुए उसके निवेश ऋण खाता में दिनांक 29.02.2008 की बकाया धनराशि रुपए 15711/- के सापेक्ष परिवादी द्वारा 75 प्रतिशत की अदायगी करने पर 25 प्रतिशत के बराबर यानी 3928/- मात्र की ऋण राहत प्रदान की जानी थी। नियमानुसार परिवादी द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड की कुल बकाया रकम मय ब्याज आदि की रकम में से 25 प्रतिशत भाग छोड़कर शेष रकम की तीन किस्तों में अदा करने की शर्त पर 25 प्रतिशत ऋण राहत दी जानी थी तथा ऐसी किस्तें क्रमशः 30.09.2008, 31.03.2009 एवं अन्तिम किस्त 30.06.2009 तक देनी थी एवं एकमुश्त समझौता के एग्रीमेन्ट भी हस्ताक्षरित करने थे, जिसके लिए परिवादी सहमत भी था। परिवादी को उसके किसान क्रेडिट कार्ड ऋण खाता में दिनांक 26.07.2008 को 15711/- रुपए अन्तरित की गयी, जिसका 25 प्रतिशत ऋण राहत की रकम थी शेष रकम परिवादी को तीन किस्त में जमा करना था। बार-बार सूचित करने के पश्चात् इसे जमा नहीं किया। वर्तमान समय में परिवादी के किसान शक्ति योजना ऋण खाता में 18580/- रुपया व ब्याज बकाया है। परिवादी ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत सूचना मांगा जिसे बैंक के केन्द्रीय जनसूचनाधिकारी द्वारा दिया गया। बैंक के अधिकारियों द्वारा ऋण वसूली हेतु कार्यवाही किए जाने के उपरान्त यह परिवाद महज वसूली प्रक्रियाओं में बाधा उत्पन्न करने के लिए प्रस्तुत किया गया है। परिवाद समयसीमा से बाधित है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी इलाहाबाद बैंक द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी द्वारा कागज संख्या 19ग किसान क्रेडिट कार्ड हेतु आवेदन पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 19/2 ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन यह वचनपत्र, कागज संख्या 19/4 कृषि उधार हेतु आवेदन पत्र की छायाप्रति,
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कागज संख्या 19/6 सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत मांगी गयी सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 19/7 बकाया धनराशि के सन्दर्भ में विवरण, कागज संख्या 19/8 कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना 2008 की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
परिवादी अनुपस्थित। विपक्षी के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। छूट योजना वर्ष 2008 में आयी थी, परन्तु परिवाद सन् 2013 में प्रस्तुत किया गया है। इस प्रकार यह परिवाद समय-सीमा से बाधित है। यहाँ इस बात का भी उल्लेख कर देना आवश्यक है कि परिवादी को कन्ज्यूमर की परिभाषा में आना अत्यन्त आवश्यक है और परिवादी केन्द्रसरकार का कन्ज्यूमर नहीं है। अतः वह यह परिवाद इस फोरम में दाखिल नहीं कर सकता है। उपरोक्त विवेचन से हमारे विचार से यह परिवाद खारिज किए जाने योग्य है। .
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 23.10.2020
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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