सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या- 829/2016
(जिला उपभोक्ता फोरम कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्या- 50/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25-02-2016 के विरूद्ध)
Branch Manager, Allahabad Bank, Branch Rania, Kanpur Dehat.
अपीलार्थी
बनाम
- Chairman District Consumer Disputes Redressal Forum, Kanpur Dehat.
- Baleshwar Prasad Mishra, adult son of Late Kali Din Mishra R/o Village Chirana Tehsil Akbarpur, Distt. Kanpur Dehat.
- Santosh Kumar Mishra, adult son of Baleshwar Prasad Mishra, R/o Village Chirana Tehsil Akbarpur, Distt. Kanpur Dehat.
प्रत्यर्थीगण
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री शरद कुमार शुक्ला।
प्रत्यर्थीगण सं० 2 व 3 की ओर से : विद्वान अधिवक्ता श्री अनिल कुमार मिश्रा
प्रत्यर्थी सं०1 की ओर से उपस्थित : कोई उपस्थित नहीं।
अपील संख्या- 1712/2018
- Baleshwar Prasad Mishra, adult son of Late Kali Din Mishra R/o Village Chirana Tehsil Akbarpur, Distt. Kanpur Dehat
- Santosh Kumar Mishra, Baleshwar Prasad Mishra, R/o Village Chirana Tehsil Akbarpur, Distt. Kanpur Dehat. . अपीलार्थीगण
बनाम
- Allahabad Bank, through Branch Manager Branch Office Raniya Akabarpur, District Ramabayi Ngar , Kanpur Dehat U.P.
- Gourav Tractors Puttan Market Akabarpur, Kanpur Dehat, through partner Awadhesh Kumar and Smt. Pushap Late Tiwari-384 K-Black, Kedawayi Nagar Kanpur Nagar.
प्रत्यर्थीगण
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समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित:विद्वान अधिवक्ता श्री अनिल कुमार मिश्रा।
प्रत्यर्थी सं०1 की ओर से उपस्थित : विद्धान अधिवक्ता श्री शरद कुमार शुक्ला।
प्रत्यर्थी सं०2 की ओर से उपस्थित : कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक- 09-12-2019
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या– 50 सन् 2011 बालेश्वर प्रसाद मिश्रा व एक अन्य बनाम गौरव ट्रैक्टर्स पुत्तन मार्केट अकबरपुर, कानपुर देहात व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर देहात द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक- 25-02-2016 के विरूद्ध यह अपील धारा- 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
" परिवादी बालेश्वर मिश्रा का यह परिवाद विपक्षीगणों के विरूद्ध संयुक्ता या पृथकता रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगणों को यह आदेश दिया जाता है कि यदि परिवादी के ट्रैक्टर सोनालिका डी0आई0 35 का रजिस्ट्रेशन अभी तक नहीं हुआ है तो उसका रजिस्ट्रेशन निर्णय के दिनांक से दो माह के अंदर करवाके परिवादी को प्रदान करे तथा दिनांक 09-11-2009 से निर्णय के दिनांक तक 5000/-रू0 प्रतिमाह की दर से धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में तथा परिवाद व्यय के रूप में 25,000/-रू0 भी निर्णय के दिनांक से दो माह के अंदर परिवादी श्री बालेश्वर मिश्रा को विपक्षीगण अदा करे। न अदा करने पर परिवादी फोरम के माध्यम से वसूल पाने का अधिकारी होगा। "
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जिला फोरम के निणर्य से उभय-पक्ष संतुष्ट नहीं है। विपक्षी बैंक की ओर से उपरोक्त अपील संख्या- 829/2016 Branch Manager, Allahabad Bank, Branch Rania, Kanpur Dehat बनाम Chairman District Consumer Disputes Redressal Forum, Kanpur Dehat व दो अन्य और परिवादीगण की ओर से उपरोक्त अपील संख्या-1712/2018 Baleshwar Prasad Mishra, व एक अन्य बनाम Allahabad Bank व एक अन्य धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
उपरोक्त अपील संख्या-1712/2018 परिवादीगण की ओर से विलम्ब माफी प्रार्थना-पत्र के साथ प्रस्तुत की गयी है जो उपरोक्त अपील संख्या-829/2016 की क्रास अपील है और क्रास अपील सुनवाई हेतु अंगीकृत की जा चुकी है। अत: अपील संख्या-1712/2018 का विलम्ब् क्षमा कर गुणदोष के आधार पर सुनवाई की गयी है।
विपक्षी इलाहाबाद बैंक की ओर से प्रस्तुत अपील संख्या- 829/2016 में जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश को चुनौती देते हुए उसे अपास्त किये जाने का निवेदन किया गया है जबकि उपरोक्त अपील संख्या- 1712/2018 में परिवादीगण ने परिवाद-पत्र में याचित क्षतिपूर्ति और वाद व्यय ब्याज के साथ दिलाए जाने की मांग की है।
अपील की सुनवाई के समय दोनों अपील में परिवादीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अनिल कुमार मिश्रा और विपक्षी बैंक की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री शरद कुमार शुक्ला उपस्थित आए हैं।
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मैंने उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
मैंने उभय-पक्ष की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादीगण ने उपरोक्त परिवाद अपीलार्थी बैंक, व विपक्षी संख्या-1 गौरव ट्रैक्टर्स पुत्तन मार्केट अकबरपुर कानपुर देहात के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उन्होंने ट्रैक्टर क्रय करने के लिए अपीलार्थी बैंक की शाखा से 4,95,000/-रू० का ऋण दिनांक 10-11-2008 को लिया था। ट्रैक्टर की कीमत विपक्षी संख्या-1 गौरव ट्रैक्टर्स ने 4,00,000/-रू० बतायी थी और ट्रैक्टर का कोटेशन अपीलार्थी बैंक के पास भेजा था । अपीलार्थी बैंक ने ड्राफ्ट के माध्यम से उपरोक्त धनराशि विपक्षी संख्या-1 को दिया था और ड्राफ्ट प्राप्त होने के बाद उपरोक्त विपक्षी संख्या-1 ने परिवादीगण को सोनालिका डी०आई० 35 ट्रैक्टर उपलब्ध कराया था और ट्रैक्टर उपलब्ध कराते हुए यह बताया था कि ट्रैक्टर की कीमत चार लाख रूपये है जबकि बैंक से 4,95,000/-रू० का ड्राफ्ट प्राप्त हुआ है। अत: ट्रैक्टर का बीमा व रजिस्ट्रेशन कराने के उपरान्त जो भी धनराशि शेष बचेगी उन्हें वापस कर दी जाएगी।
परिवाद-पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि उपरोक्त विपक्षी संख्या-1 द्वारा ट्रैक्टर का बीमा कराकर बीमा प्रमाण-पत्र परिवादीगण को दिया गया। परन्तु ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन कराकर नहीं दिया गया और न ही उनकी शेष धनराशि वापस किया। परिवादीगण के बार-बार अनुरोध करने के बाद भी उसने न तो रजिस्ट्रेशन कराया और न ही उनकी धनराशि वापस किया।
परिवाद-पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि बिना रजिस्ट्रेशन के ट्रैक्टर का प्रयोग वह नहीं कर सके हैं जिससे 25,000/-रू० प्रतिमाह की दर से
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उन्हें नुकसान हुआ है। अत: जिला फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर परिवादीगण ने निम्न अनुतोष चाहा है:-
- यह कि परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकृति करके परिवादीगण को विपक्षीगण से दिनांक 11-11-2008 से 30 जून 2011 तक मु0 8,00,000/- रूपया क्षतिपूर्ति दिलायी जावे।
2- यह कि परिवादीगण को विपक्षीगण से उसके द्वारा अदा किये गये 4,95,000/-रू० में गाड़ी की वास्तविक कीमत व बीमा धनराशि काटकर शेष बचे रूपये भी दिलाये जावें।
- यह कि वाद व्यय वादीगण को विपक्षी से दिलाया जावे।
- यह कि अन्य कोई उपशम जो न्यायालय उचित समझे परिवादीगण को विपक्षीगण से दिलवाया जाए।
जिला फोरम के समक्ष परिवाद के उपरोक्त विपक्षी संख्या-1 गौरव ट्रैक्टर्स ने अपना लिखित कथन प्रस्तुत किया है और कहा है कि यह कहना गलत है कि उसने ट्रैक्टर की कीमत 4,00,000/-रू० बतायी थी। लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 ने कहा है कि परिवादीगण को दिनांक 10-11-2008 को 4,95,000/-रू० का ऋण स्वीकृत हुआ था। लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 ने कहा है कि ट्रैक्टर का बीमा बैंक द्वारा करा दिया गया था परन्तु ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया था इसका कारण यह है कि परिवादीगण केवल अपने नाम से ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन करवाना चाहते थे जबकि ट्रैक्टर हेतु ऋण सुविधा में उनके तीन अन्य रिश्तेदारों के नाम भी शामिल थे जिसके लिए बैंक तैयार नहीं था। काफी प्रयास के बाद भी परिवादीगण ने अपने तीनों रिश्तेदारों की फोटो व हस्ताक्षर पंजीकरण करवाने हेतु प्राप्त नहीं कराया। अत:
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रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जा सका। लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 ने कहा है कि परिवादीगण ने ऋण धनराशि की अदायगी से बचने हेतु गलत कथन के साथ परिवाद प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम के निर्णय से स्पष्ट है कि अपीलार्थी बैंक जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है और उसने लिखित कथन जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया है। अत: उसके विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है।
जिला फोरम ने परिवाद-पत्र एवं परिवादीगण व विपक्षी संख्या-1 के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त यह माना है कि ट्रैक्टर का पंजीकरण न कराए जाने के कारण ट्रैक्टर खड़ा है जिससे परिवादीगण को आर्थिक क्षति हुयी है और वह अपीलार्थी बैंक को ऋण की धनराशि का भुगतान नहीं कर सका है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए आक्षेपित आदेश उपरोक्त प्रकार से पारित किया है।
परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने जो अनुतोष प्रदान किया है वह पर्याप्त नहीं है। परिवादीगण द्वारा परिवाद-पत्र में याचित सम्पूर्ण अनुतोष प्रदान किया जाए।
परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि अपीलार्थी बैंक व परिवाद के विपक्षी संख्या-1 गौरव ट्रैक्टर्स दोनों की सेवा में कमी रही है। जिला फोरम ने जो दोनों विपक्षीगण की सेवा में कमी माना है वह उचित है। जिला फोरम के निर्णय में किसी हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।
परिवाद के विपक्षी संख्या- 2 इलाहाबाद बैंक के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय व आदेश अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से पारित किया है जो तथ्य एवं विधि के
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विरूद्ध है। धारा-11- यू०पी० एग्रीकल्चरल एविडिट एक्ट 1973 से जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत परिवाद कालबाधित है।
मैंने उभय-पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
जिला फोरम के निर्णय व आदेश से स्पष्ट है कि अपीलार्थी बैंक जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है और न लिखित कथन प्रस्तुत किया है। जिला फोरम ने अपीलार्थी बैंक के विरूद्ध निर्णय एकपक्षीय रूप से पारित किया है। अत: अपीलार्थी बैंक को लिखित कथन व साक्ष्य जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाना उचित है। अत: अपीलार्थी बैंक के विरूद्ध जिला फोरम का आक्षेपित निर्णय व आदेश अपास्त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित किया जाना उचित है कि जिला फोरम अपीलार्थी बैंक को लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर दें और उसके बाद अपीलार्थी बैंक व प्रत्यर्थी/परिवादीगण दोनों को साक्ष्य व सुनवाई का अवसर देकर अपीलार्थी बैंक के दायित्व के सम्बन्ध में पुन: विधि के अनुसार निर्णय व आदेश पारित करें।
प्रत्यर्थी/परिवादीगण को अपीलार्थी बैंक से 10,000/-रू० हर्जा दिलाया जाना उचित है। ट्रैक्टर विक्रेता परिवाद के विपक्षी संख्या-1 गौरव ट्रैक्टर्स ने आक्षेपित निर्णय व आदेश के विरूद्ध अपील प्रस्तुत नहीं किया है। अत: जिला फोरम द्वारा परिवाद के विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध पारित निर्णय व आदेश में कोई हस्तक्षेप उचित नहीं है।
जिला फोरम ने जो क्षतिपूर्ति दिनांक 09-11-2009 से निर्णय की तिथि तक दिलाया है उस पर जिला फोरम के निर्णय की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिया जाना उचित है।
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तदनुसार परिवादीगण की अपील प्रत्यर्थी संख्या-2 के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत अपील संख्या- 1712/2018 बालेश्वर प्रसाद मिश्रा व एक अन्य बनाम इलाहाबाद बैंक व एक अन्य आंशिक रूप से प्रत्यर्थी संख्या-2 के विरूद्ध स्वीकार की जाती है और उसे आदेशित किया जाता है कि वह अपीलार्थी/परिवादीगण को जिला फोरम के निर्णय की तिथि से अदायगी की तिथि तक जिला फोरम द्वारा आदेशित क्षतिपूर्ति की धनराशि पर 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी देगा।
अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रस्तुत अपील संख्या- 829/2016 ब्रांच मैनेजर इलाहाबाद बैंक बनाम चेयरमैन, डिस्ट्रिक कन्ज्यूमर डिस्प्युट रेड्रेसल फोरम, कानपुर देहातव 2 अन्य स्वीकार की जाती है और अपीलार्थी बैंक के विरूद्ध जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादीगण को 10,000/-रू० हर्जा देने पर अपास्त किया जाता है तथा जिला फोरम को पत्रावली इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम अपीलार्थी बैंक को इस निर्णय में हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन का समय लिखित कथन हेतु देगा और उसके बाद लिखित कथन हेतु आगे समय दिये बिना अपीलार्थी बैंक व प्रत्यर्थी/परिवादीगण को साक्ष्य एवं सुनवाई का अवसर देकर अपीलार्थी बैंक के दायित्व के सम्बन्ध में विधि के अनुसार पुन: निर्णय व आदेश पारित करेगा।
अपीलार्थी बैंक व प्रत्यर्थी/परिवादीगण जिला फोरम के समक्ष दिनांक 27-01-2020 को उपस्थित हों।
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उभय-पक्ष दोनों अपीलों में अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रस्तुत अपील संख्या- 829/2016 में धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत जमा धनराशि व उस पर अर्जित ब्याज से 10,000/-रू० हर्जा की उपरोक्त धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादीगण को दी जाएगी। शेष धनराशि अपीलार्थी बैंक को वापस की जाएगी।.
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01