Uttar Pradesh

StateCommission

C/2012/62

Anand Goel - Complainant(s)

Versus

Allahabad Bank - Opp.Party(s)

Tahseen Naz

13 Aug 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2012/62
 
1. Anand Goel
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Allahabad Bank
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

परिवाद संख्‍या-62/2012

आनन्‍द गोयल, पुत्र स्‍व0 श्री बासुदेव प्रसाद गोयल प्रोपेराइटर, मेसर्स

गोयल दाल मिल्‍स रेसिया जिला बहराइच।                       .......परिवादी

बनाम्

1. इलाहाबाद बैंक द्वारा इट्स जोनल मैनेजर जोनल आफिस सिचुएटेड

एट 114 रायपुर राजा जेल रोड, बहराइच।

2. युनाइटेड इंडिया इंश्‍योरेंस कं0लि0 द्वारा ब्रांच मैनेजर आफिस सिचुएटेड

एट चित्रशाला रोड नियर सेलटैक्‍स आफिस, बहराइच।                 .....विपक्षी

समक्ष:-

1. मा0 श्री चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव,  पीठासीन सदस्‍य।

2. मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित  : कोई नहीं।

विपक्षी की ओर से उपस्थित   :श्री निखिल श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 21.11.2015

मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

     प्रस्‍तुत परिवाद विपक्षी संख्‍या 1 व 2 के विरूद्ध योजित किया गया है, जिसमें विपक्षी संख्‍या 2 प्रोफार्मा पार्टी है।

      संक्षेप में परिवाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी मेसर्स गोयल दाल मिल का मालिक है। उसके द्वारा विपक्षी संख्‍या 2 इंश्‍योरेंस कंपनी से एक ' फायर एण्‍ड स्‍पेशल पेरिल ' बीमा पालिसी ली गई। बीमा पालिसी की कुल धनराशि रू. 9500000/- थी, जिसमें रू. 8000000/- स्‍टाक सम्मिलित था। बाद में परिवादी के अनुरोध पर इंश्‍योरेंस पालिसी में स्‍टाक रू. 8000000/- से बढ़ाकर 16500000/- कर दिया गया। परिवादी के दाल मिल में दि. 25/26.10.2009 की रात्रि में आग लग गई, जिसमें उसके स्‍टाक प्‍लांट एवं मशीनरी को भारी नुकसान हआ। परिवादी ने बीमा कंपनी को इस संबंध में अवगत कराया। बीमा कंपनी ने सर्वेयर को नियुक्‍त किया। परिवादी ने बीमा कंपनी से 16215899/- क्‍लेम प्रस्‍तुत किया। परिवादी ने विपक्षी संख्‍या 2 बैंक को यह अवगत कराया कि परिसर में अग्निकांड के कारण वे उसके कैश क्रेडिट एकाउन्‍ट में कोई ब्‍याज न चार्ज करें। इंश्‍योरेंस कंपनी ने पहले मेसर्स वी.पी. सिंघल एण्‍ड कंपनी को सर्वेयर नियुक्‍त किया था। बाद में एक अन्‍य सर्वेयर मेसर्स आलोक शंकर एण्‍ड कंपनी को सर्वेयर नियुक्‍त किया गया। जिनके द्वारा परिसर का निरीक्षण किया गया है। परिवादी ने बैंक

-2-

और इंश्‍योरेंस कंपनी से दोनों से अनुरोध किया गया कि उनके क्‍लेम को शीघ्र निस्‍तारित किया जाए। क्‍लेम को जल्‍दी सेटल करने के कारण उनके द्वारा एक कानूनी नोटिस दी गई। द्वितीय सर्वेयर इस क्‍लेम को रू. 4000000/- में सेटल करना चाहते थे, जिसे परिवादी ने स्‍वीकार नहीं किया। उनके द्वारा बीमा कंपनी के आई.आर.डी.ए. में भी इसकी शिकायत की गई। परिवादी के अनुसार सर्वेयर मेसर्स आलोक शंकर एण्‍ड कंपनी द्वारा उन्‍हें अवगत कराया गया कि उनके द्वारा रू. 6439520/- की हानि आंकलित की गई, जिसके संबंध में वे अपनी सहमति दें। विपक्षी संख्‍या 2 इंश्‍योरेंस कंपनी ने उनसे पुनरीक्षित दावा दाखिल करने के लिए कहा गया। पुनरीक्षित दावों बिल पर भी इंश्‍योरेंस कंपनी द्वारा 10 प्रतिशत की कटौती करते हुए रू. 5750881/- सीधे बैंक को भुगतान कर दिया। परिवादी ने अपनी मिल को पुनर्जीवित करने के लिए विपक्षी संख्‍या 1 से संपर्क स्‍थापित किया और ' रिहैबिलीटेशन पैकेज ' के लिए अनुरोध किया गया। विपक्षी संख्‍या 1 ने रिहैबिलीटेशन पैकेज दि. 03.04.2010 को स्‍वीकृत किया, परन्‍तु बैंक ने           ' रिहैबिलीटेशन पैकेज ' को जो कि स्‍वीकृत था, उसे निर्गत नहीं किया।  विपक्षी संख्‍या 1 ने बैंक के नियमों के विरूद्ध कार्य करते हुए उन पर लगातार ब्‍याज चार्ज करते रहे, जो कि नए समझौते के विरूद्ध था। बैक ने अभी तक समझौते की कापी उपलब्‍ध नहीं करायी है। विपक्षी द्वारा उनके ऊपर अवैध और मनमाने तरीके से परिवादी पर दायित्‍यों का निर्धारण कर दिया है, जबकि परिवादी ने बैंक को यह सूचित कर दिया था कि चूंकि आर्बीटेशन प्रोसीडिंग मा0 उच्‍च न्‍यायालय लखनऊ बेंच में लंबित है, इसलिए वह ब्‍याज की धनराशि नहीं अदा कर सकता है। विपक्षी संख्‍या 1 बैंक द्वारा रू. 2286040/- ब्‍याज के रूप में उन पर लगाया है।

      परिवादी द्वारा निम्‍न अनुतोष चाहा है।

1. विपक्षी संख्‍या 1 बैंक ने रू. 2286040/- जो उसके रिहैबिलीटेशन एकाउन्‍ट से लिया गया है, उसे वापस किया जाए।

2. विपक्षी संख्‍या 1 ने अनुचित व्‍यापार पद्धति अपनायी है, जिसके लिए दस लाख रूपये क्षतिपूर्ति दिलायी जाए तथा डेढ़ लाख रूपए परिवादी को विधिक व्‍यय के रूप में दिलायी जाए।

     

 

-3-

 

      परिवादी द्वारा मौका देने के उपरांत भी लिखित साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। दि. 13.08.2015 को भी परिवादी उपस्थित नहीं था। पत्रावली से यह भी स्‍पष्‍ट है कि परिवादी विगत कई तिथियों से अनुपस्थित रहा है। विपक्षी संख्‍या 1 ने भी अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया है। बहस के दौरान विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह अवगत कराया गया कि परिवादी ने सरफेसी एक्‍ट के अंतर्गत डी.आर.टी. लखनऊ में कार्यवाही की है और वहां पर प्रकरण लंबित है। इस संबंध में परिवादी द्वारा डी.आर.टी. लखनऊ में दिया गया अंतर्गत धारा 17(1) में दिए गए प्रार्थना पत्र की फोटोप्रतिलिपि एवं डी.आर.टी. लखनऊ द्वारा जारी नोटिस की प्रति प्रस्‍तुत की। परिवादी ने अपने परिवाद में जो तथ्‍य लिखे हैं व जो अनुतोष मांगा गया है वह उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत समरी कार्यवाही में निस्‍तारित नहीं किया जा सकता है। इसमें विस्‍तृत साक्ष्‍य की आवश्‍यकता होगी।

        मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग नई दिल्‍ली ने Vishamber Sunderdas Badlani And Vs. Indian Bank and Ors.I (2008)CPJ 76 NC में निम्‍नांकित मत अभिव्‍यक्‍त किया:-

            "Seeing various judgment of the Supreme Court and this Commission, It is evident that whenever not only the complicated questions of law but disputed questions of facts, relating to unauthorized representations made about paying higher rate of interest and requirement of recording voluminous evidence etc. and relating to forgery and conspiracy involving eight persons and other points mentioned earlier are involved. It would be desirable that the matter should not be dealt with by this Commission and could be relegated to the Civil Court. We feel that in the present state of law and the observations of the Supreme Court itself and the aforesaid circumstances, we cannot take any other view."   

      सरफेसी एक्‍ट 2002 की धारा 34 के अंतर्गत भी यह प्रकरण परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की परिधि के बाहर है।

      उपरोक्‍त विवेचना के दृष्टिगत हम यह पाते हैं कि प्रस्‍तत परिवाद निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

 

 

 

 

 

-4-

आदेश

     परिवादी का परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

      पक्षकार अपना परिवाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

 

      (चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव)                          (राज कमल गुप्‍ता)

        पीठासीन सदस्‍य                                   सदस्‍य

राकेश, आशुलिपिक

    कोर्ट-2 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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