राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील सं0- 1568/2014
सन्त लाल पुत्र श्री बिन्द्रा प्रसाद
बनाम
ब्रांच मैनेजर, इलाहाबाद बैंक व एक अन्य
समक्ष:-
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार वर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 1 की ओर से उपस्थित : श्री साकेत श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 2 की ओर से उपस्थित : श्री विष्णु कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 20.09.2024
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 44/2006 सन्त लाल उर्फ सन्तराम बनाम शाखा प्रबंधक इलाहाबाद बैंक व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, लखीमपुर-खीरी द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 09.07.2014 के विरुद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने प्रश्नगत निर्णय व आदेश के माध्यम से परिवाद निरस्त करते हुये निम्नलिखित आदेश पारित किया है:-
‘’परिवादी का परिवाद निरस्त किया जाता है तथा परिवादी को निर्देश दिया जाता है कि विपक्षी सं0- 1 इलाहाबाद बैंक ओयल खीरी को मु0-1000/-रू0 तथा विपक्षी सं0- 2 सहकारी गन्ना विकास समिति को मु0-2000/-रू0 मानसिक क्षति के रूप में एक माह के अन्दर अदा करें।‘’
हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा एवं प्रत्यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्ता श्री साकेत श्रीवास्तव तथा प्रत्यर्थी सं0- 2 के विद्वान अधिवक्ता श्री विष्णु कुमार मिश्रा को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परीक्षण व परिशीलन किया गया।
प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि प्रत्यर्थी सं0- 1/विपक्षी सं0- 1 बैंक द्वारा अपीलार्थी/परिवादी के ऋण के सम्बन्ध में जो कटौती की गई है व उचित है उसमें हस्तक्षेप करने का कोई उचित आधार प्रतीत नहीं होता है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/परिवादी पर हर्जे की जो धनराशि अधिरोपित की गई है वह उचित प्रतीत नहीं होती है। अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने प्रश्नगत निर्णय व आदेश के माध्यम से प्रत्यथी सं0- 1/विपक्षी सं0- 1 इलाहाबाद बैंक को 1,000/-रू0 एवं प्रत्यर्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 2 सहकारी गन्ना विकास समिति को 2,000/-रू0 अपीलार्थी/परिवादी द्वारा अदा किये जाने हेतु आदेशित किया गया है वह न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है। तदनुसार प्रश्नगत निर्णय व आदेश परिवर्तित किये जाने योग्य एवं अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय व आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि प्रत्यथी सं0- 1/विपक्षी सं0- 1 इलाहाबाद बैंक को 1,000/-रू0 एवं प्रत्यर्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 2 सहकारी गन्ना विकास समिति को 2,000/-रू0 जो अपीलार्थी/परिवादी द्वारा अदा करने हेतु आदेशित किया गया है उसे समाप्त किया जाता है। शेष प्रश्नगत निर्णय व आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुधा उपाध्याय)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 3