राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-660/2010
(जिला उपभोक्ता फोरम, महामायानगर द्वारा परिवाद संख्या 204/2003 में पारित निर्णय दिनांक 09.12.2009 के विरूद्ध)
विद्या भूषण गर्ग पुत्र श्री देव प्रकाश गर्ग निवासी मोहल्ला अग्रवाल
कस्बा सासनी पोस्ट सासनी जनपद महामायानगर। .......अपीलार्थी/परिवादी
बनाम्
1.अलीगढ़ ग्रामीण ब्रांच सासनी जिला महामायानगर द्वारा ब्रांच
मैनेजर।
2.अलीगढ़ ग्रामीण बैंक, सामद रोड अलीगढ़ द्वारा चेयरमैन।
......प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस0के0 श्रीवास्तव, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :श्री एस0बी0 श्रीवास्तव, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 03.05.2019
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महामायानगर द्वारा परिवाद संख्या 204/2003 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 09.12.2009 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि अपीलकर्ता/परिवादी के कथनानुसार उसने प्रत्यर्थी बैंक से रू. 30000/- ऋण लिया था। ऋण की अदायगी 36 किश्त में की जानी थी। अपीलकर्ता/परिवादी द्वारा रू. 35192/- अदा किए गए। भुगतान होने में 3 माह का विलम्ब हुआ। प्रत्यर्थी ने अपनी नोटिस दि. 17.06.2003 को रू. 8817/- बकाया बताया। परिवादी ने अपने पत्र दिनांकित 11.09.02 से खाते का विवरण मांगा तो बैंक में बुलाया गया। विवरण समझाने के बजाय बैंक के लिपिक ने रू. 200/- मांगा, न देने पर
-2-
उसने नोटिस जारी करा दिया। परिवादी ने विपक्षी को नोटिस दिया, जिसका जवाब प्रत्यर्थी द्वारा दिया गया, किंतु अपीलकर्ता द्वारा देय धनराशि का विवरण उसे उपलब्ध नहीं कराया गया, अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष इस अनुतोष के साथ योजित किया गया कि प्रत्यर्थी को निर्देशित किया जाए कि प्रत्यर्थी खाते का विवरण उपलबध कराए तथा गलत रूप से लगाए गए ब्याज को समाप्त किया जाए।
प्रत्यर्थी बैंक द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया। प्रत्यर्थी बैंक के कथनानुसार परिवादी द्वारा किश्तें नियमित रूप से अदा नहीं की गई। बकाए का भुगतान न किए जाने पर नोटिस भेजी गई। प्रत्यर्थी का यह भी कथन है कि परिवादी ने ऋण की वसूली टालने हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया। परिवादी ने पासबुक में संपूर्ण विवरण लिखकर परिवादी को उपलब्ध कराया गया।
जिला मंच द्वारा यह मत व्यक्त किया गया कि परिवादी ने प्रश्नगत ऋण के संबंध में पासबुक दिए जाने से इंकार नहीं किया है। जिला मंच की ओर से यह विचार भी व्यक्त किय गया कि मंच मात्र सेवा में कमी के प्रकरण पर विचार करने के लिए सक्षम है। पक्षकारों के मध्य हुए ऋण के अनुबंध की शर्तों की समीक्षा जिला मंच द्वारा नहीं की जानी है। इस प्रकार का विवाद व्यवहार न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आएगा, अत: सेवा में कमी का प्रकरण न बनने का आधार मानते हुए परिवाद निरस्त किया गया है। इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गई।
हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री एस0के0 श्रीवास्तव एवं प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री एस0बी0 श्रीवास्तव के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया गया।
-3-
अपीलकर्ता/परिवादी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत ऋण के संदर्भ में देय धनराशि का कोई विवरण प्रत्यर्थी बैंक द्वारा अपीलकर्ता को प्राप्त नहीं कराया गया। अपीलकर्ता द्वारा प्रश्नगत ऋण की अदायगी रू. 1000/- प्रति किश्त की दर से 36 किश्तों में की जानी थी। अपीलकर्ता द्वारा रू. 35192/- अदा किए जा चुके तो भुगतान होने में 3 माह का विलम्ब हुआ। प्रत्यर्थी बैंक ने अपने नोटिस दिनांकित 17.06.2003 से रू. 8817/- बकाया बताया। परिवादी ने प्रत्यर्थी बैंक से ऋण खाते का विवरण मांगा, किंतु विवरण प्राप्त नहीं कराया गया।
निर्विवाद रूप से उपभोक्ता मंच द्वारा यह निर्णीत नहीं किया जाना है कि पक्षकारों के मध्य निष्पादित ऋण संविदा न्यायसंगत है अथवा नहीं, किंतु जिला मंच द्वारा यह अवश्य निर्णीत किया जाना है कि पक्षकारों के मध्य निष्पादित ऋण संविदा की शर्तों के अनुपालन में प्रत्यर्थी बैंक द्वारा उचित बकाए का भुगतान मांगा जा रहा है अथवा नहीं यह स्पष्ट करने हेतु प्रत्यर्थी बैंक से अपेक्षित है कि वह अपीलकर्ता के ऋण खाते से संबंधित संपूर्ण विवरण जिला मंच में प्रस्तुत करता। अपने ऋण खाते से संबंधित संपूर्ण विवरण देना प्रत्यर्थी बैंक से अपीलकर्ता उपभोक्ता का अधिकार है। उभय पक्षों के अधिवक्तागण द्वारा प्रस्तुत प्रकरण को उभय पक्ष के साक्ष्य का अवसर प्रदान करते हुए गुणदोष के आधार पर जिला मंच को प्रतिप्रेषित किए जाने का अनुरोध किया गया।
हमारे विचार से जिला मंच का यह निष्कर्ष कि प्रस्तुत प्रकरण में कोई सेवा में कमी अथवा उपभोक्ता विवाद निहित नहीं है, त्रुटिपूर्ण है। मामले के तथ्य एवं परिस्थितियों के आलोक में पक्षकारों को साक्ष्य का अवसर प्रदान करते हुए गुणदोष के आधार पर परिवाद जिला मंच को प्रतिप्रेषित किया
-4-
जाना न्यायसंगत होगा। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय अपास्त किया जाता है। जिला मंच को निर्देशित किया जाता है कि उभय पक्षों को साक्ष्य प्रस्तुत करने का पर्याप्त अवसर देते हुए परिवाद का निस्तारण गुणदोष के आधार पर यथाशीघ्र प्राथमिकता के आधार पर यथासंभव 3 माह के अंदर निर्णीत किया जाना सुनिश्चित करें। उभय पक्षों को निर्देशित किया जाता है कि जिला मंच के समक्ष दि. 03.07.2019 को उपस्थित हों।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्धन यादव) पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2