राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-2133/2005
(जिला फोरम, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्या-350/2003 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 08-11-2005 के विरूद्ध)
थानेश्वर प्रसाद पुत्र स्व0 छिद्दालाल निवासी ग्राम पहाड़ीपुर डाकखाना कारस, ब्लाक व तहसील इगलास, जनपद-अलीगढ, उ0प्र0.
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम्
- शाखा प्रबन्धक अलीगढ़ ग्रामीण बैंक, शाखा इगलास, जनपद-अलीगढ़, उ0प्र0
- निदेशक, कृषि सांख्यिकी एवं फसल बीमा उ0प्र0, मदन मोहन मालवीय मार्ग, कृषि भवन, लखनऊ, उ0प्र0
प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
1- मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित - श्री एस0 के0 शुक्ला।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
दिनांक : 03-11-2015
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
अपीलार्थी ने प्रस्तुत अपील विद्धान जिला फोरम, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्या-350/2003 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 08-11-2005 के विरूद्ध प्रस्तुत की है जिसमें जिला मंच द्वारा निम्न लिखित आदेश पारित किया गया है-
'' प्रार्थना पत्र खारिज किया जाता है। पक्षकार खर्चा अपना-अपना वहन करेंगे।''
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने वर्ष 2002-03 में आलू बोने के लिए एक लाख रूपये का फसली ऋण लिया था। जिसकी खाता संख्या-के0सी0 095/02 है। परिवादी ने 2002-03 में आलू की फसल बोयी थी किन्तु झुलसा रोग, जडगलन, फफूँदी रोग, पाला एवं ओलाबृष्टि के कारण 90 प्रतिशत की क्षति हो गयी। परिवादी ने इस संबंध में तहसील दिवस पर दिनांक 07-12-2002 एवं 07-01-2003 को प्रार्थना पत्र दिया था। जिसकी जॉंच श्री बलबन्त सिंह द्वारा की गयी। जॉंचकर्ता की रिपोर्ट दिनांक 13-01-2003 के अनुसार परिवादी की आलू की फसल 40 से 50 प्रतिश्ता तक क्षतिग्रस्त हो गयी। यह नुकसान खुदाई के वक्त 90 प्रतिशत से अधिक हुआ। क्षतिग्रस्त आलू को जयपुर व कासगंज शीतगृहों पर रखने पर क्षति 120 प्रतिशत हो गयी जिसे विपक्षीगण देने के लिए बाध्य है। परिवादी द्वारा नोटिस दिये जाने के बावजूद भी विपक्षी-1 ने क्षतिपूर्ति देने से मना कर दिया तथा आर0 सी0 से वसूली की धमकी दी। इसलिए यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या-1 बैंक ने प्रतिवाद पत्र दाखिल किया। जिसमें कहा गया कि परिवादी ने किसान सुविधा कार्ड योजना के अन्तर्गत 1,00,000/-रू0 ऋण आलू की फसल के लिए लिया था और उसकी फसल राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के अन्तर्गत 85,000/-रू0 के लिए बीमित थी और इस फसल बीमा योजना के अनुसार क्षति का आधार ब्लाक माना गया है। और किसी प्रकार की प्राकृतिक क्षति में क्षतिपूर्ति की धनराशि नियमानुसार संबंधित बैंकों को विपक्षी संख्या-2 द्वारा उपलब्ध करा दी जाती है। व्यक्तिगत क्षतिपूर्ति को इस बीमा योजना में सम्मिलित नहीं किया गया है। परिवादी क्षतिपूर्ति का पात्र न होने के कारण विपक्षी बैंक को इस मद में कोई धनराशि समायोजन हेतु नहीं प्राप्त हुई है। दिनांक 01-10-2002 से दिनांक 31-03-2003 तक बीमा प्रभावी रहा और ब्लाक इगलास में आलू की फसल को कोई क्षति नहीं हुई इसलिए परिवादी उक्त योजना से वंचित रहा। परिवादी को कोई अधिकार ऋण अदायगी रोकने का नहीं है।
विपक्षी संख्या-2 ने निम्नलिखित कथन के साथ प्रतिवाद पत्र दाखिल किया जिसमें कहा गया कि परिवादी ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उसने अपनी फसल का बीमा कराया था अथवा नहीं। और उसके द्वारा लिये गये ऋण की धनराशि पर प्रीमियम की राशि उसके द्वारा अदा की गयी थी अथवा नहीं। विपक्षी उत्तरदाता किसी व्यक्ति विशेष को क्षतिपूर्ति अदा करने हेतु उत्तरदायी नहीं है। विपक्षी उत्तरदाता द्वारा संचालित योजना क्षेत्रीय आधार पर लागू की जाती है। तथा इसकी इकाई ब्लाक है तथा प्राविधानित ढंग से क्षतिपूर्ति तय की जाती है। इस योजना के अन्तर्गत कहीं पर किसी प्रकार का प्रार्थना पत्र देने की आवश्यकता नहीं है। प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में यदि उत्पादकता में कमी पायी जाती है तो क्षतिपूर्ति का आंकलन नियमानुसार करते हुए क्षतिपूर्ति की धनराशि संबंधित नोडल बैंकों के माध्यम से योजनान्तर्गत लाभान्वित होने वाले कृषकों के ऋण खातों में जमा करा दी जाती है। परन्तु परिवादी के संबंधित ब्लाक इगलास में आलू की फसल की कोई सामूहित क्षतिपूर्ति अधिसूचित नहीं की गयी है। इस कारण परिवादी को विपक्षी उत्तरदाता से कोई राशि देय नहीं है। चूंकि क्षतिपूर्ति की धनराशि 15,00,000/-रू0 से ऊपर है अत: फोरम को परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है।
विद्धान जिला मंच के समक्ष उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण उपस्थित आए। विद्धान जिला मंच द्वारा उभयपक्ष को सुनकर तथा पत्रावली का गंभीरतापूर्वक परिशीलन करके निम्न निष्कर्ष दिया गया कि ''अभिलेख पर उपलब्ध साक्ष्य से यह तथ्य निर्विवाद रूप से प्रमाणित है कि विपक्षी संख्या-2 कृषि सांख्यिकीय एवं फसल बीमा, जो बीमा परिवादी की फसल का किया गया था वह केवल सामूहिक बीमा था, व्यक्तिगत बीमा नहीं था। परिवादी द्वारा स्वयं भी यह तथ्य स्वीकार किया गया है। अत: विपक्षीगण केवल उसी क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए जिम्मेदार थे जो प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में पूरे क्षेत्र पर लागू की जाती है। किन्तु प्रस्तुत केस में विवादित योजना की मियाद के दौरान ब्लाक इगलास में आलू की फसल को कोई सामूहिक क्षति प्राकृतिक आपदा के कारण नहीं हुई। इसलिए विपक्षीगण से इस योजना के अन्तर्गत कोई क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है।
पीठ के समक्ष अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं।
हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क सुने तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का गंभीरतापूर्वक परिशीलन किया।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला मंच द्वारा जो निर्णय दिया गया है वह विधि विरूद्ध है और उसे निरस्त कर अपील स्वीकार की जाए।
पत्रावली का परिशीलन यह दर्शाता है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा जो फसल का बीमा कराया गया था वह सामूहिक बीमा था न कि व्यक्तिगत। अत: इस संबंध में विद्धान जिला मंच ने सभी तथ्यों और परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए विधि अनुसार निर्णय पारित किया है और इसमें किसी प्रकार की त्रुटि होना नहीं पाया जाता है। तद्नुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील खण्डित की जाती है। विद्धान जिला फोरम, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्या-350/2003 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 08-11-2005 की पुष्टि की जाती है। उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्ययभार स्वयं वहन करेंगे।
( राम चरन चौधरी ) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-5 प्रदीप मिश्रा