जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
श्रीमति अंजना गुप्ता पत्नी श्री आलोक गुप्ता, निवासी द्वारा विमल सिंह बाफना, एडवोकेट जैन स्थानक वाली गली, षिवाजी नगर, मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर ।
प्रार्थीया
बनाम
1. अंलकित एसाईनमेन्ट लिमिटेड जरिए मालिक तापडिया भवन, बस स्टेण्ड के पास, मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर ।
2. एस.एम.सी ग्लोबल सिक्योरिट्जि लिमिटेड जरिए प्रबन्धक, 401, ष्याम अनुकम्पा मेन्षन, सी-स्कीम, जयपुर ।
3. कोल इण्डिया लिमिटेड जरिए डायरेक्टर, कोल भवन, 10 नेताजी सुभाष रोड, कोलकाता-70000(पष्चिम बंगाल)
4.आईसीआईसीआईसी बैंक जरिए प्रबन्धक, षाखा कृषि उपज मण्डी, किषगनढ, जिला-अजमेर ।
अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 48/2012
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1. श्री प्रतीक मेहता,अधिवक्ता, प्रार्थीया
2. श्री अजीत सिंह, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1
3. श्री एस.सी.गुप्ता ,अधिवक्ता, अप्रार्थी सं.2
4. श्री चन्द्रभान सिंह, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.3
5. श्री अवतार सिंह उप्पल, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.4
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 14.11.2014
1. परिवाद प्रस्तुत कर प्रार्थीया ने दर्षाया है कि उसका अप्रार्थी संख्या 2 के यहां डीमेट अकाउण्ट संख्या 30392124 है । उसने दिनंाक 21.10.2010 को रू. 98,000/- का चैक जो अप्रार्थी संख्या 3 के नाम देय है, मय एप्लीकेषन के कोल इण्डिया लिमिटेड के 400 ष्षेयर क्रय करने के लिए अप्रार्थी संख्या एक को दिया । अप्रार्थी संख्या 1 ने एप्लीकेषन मय चैक के अप्रार्थी संख्या 2 के यहां जमा करा दिया जिस पर अप्रार्थी संख्या 2 ने बीट संख्या 201010210493430 दिया । उक्त राषि का अप्रार्थी संख्या 3 को दिनांक
28.10.2010 को भुगतान हो गया इसके बाद भी जब अप्रार्थी संख्या 3 ने उसे षेयर आवंटित नहीं किए तो अप्रार्थी संख्या 3 से जानकारी करने पर उसे बतलाया गया कि उसके द्वारा दिया गया चैक डिस्ओनर हो गया है । अप्रार्थी संख्या 4 बैंक से इस संबंध में सम्पर्क करने पर उन्होने दिनंाक 28.02.2010 को अप्रार्थी संख्या 3 की खातेदारी बैंक आईडीबीआई के पक्ष में भुगतान होना बतलाया । तत्पष्चात् उसने दिनांक 14.2.2011 को नोटिस दिया जिसके प्रतिउत्तर में अप्रार्थी संख्या 4 ने अप्रार्थी संख्या 3 को भुगतान होना बतलाया वहीं अप्रार्थी संख्या 3 ने चैक डिस्ओनर होने से भुगतान नहीं होने बाबत् अवगत कराया । अप्रार्थीगण के उक्त कृत्य के कारण उसे ष्षेयर का आवंटन नहीं होने से आर्थिक हानि के साथ साथ मानसिक परेषानी भी हुई । प्रार्थीया परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की मांग की है ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से जवाब पेष हुआ जिसमें विभिन्न प्रकार की प्रारम्भिक आपत्तियां ली गई एवं पैरावाईज जवाब भी पेष हुआ जिसमें दर्षाया है कि इस अप्रार्थी का प्रार्थी से कोई संबंध नहीं है । प्रार्थी ने 400 षेयर्स के लिए आवेदन व राषि इस अप्रार्थी को नहीं भेजी है बल्कि अप्रार्थी संख्या 2 केे जरिए आवेदन किया है । चैक अप्रार्थी संख्या 4 की ओर से जारी हुआ जो अप्रार्थी संख्या 3 को प्राप्त हो चुका था एवं षेयर्स भी अप्रार्थी संख्या 3 की ओर से जारी होने थे । अतः स्वयं के विरूद्व परिवाद खारिज होने योग्य बतलाया ।
3. अप्रार्थी संख्या 2 ने जवाब प्रस्तुत कर प्रारम्भिक आपत्तियां ली है और जवाब में दर्षाया है कि प्रार्थी को अप्रार्थी ने कोल इण्डिया लिमिटेड के षेयरों के लिए बिडिंग एप्लीकेषन दाखिल करने के संबंध में अपनी सेवाए दी है जिसके लिए न तो प्रार्थी से कोई फीस ली है और ना ही किसी अन्य प्रकार का लाभ लिया है इसलिए प्रार्थी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(डी) के अन्तर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है । उत्तरदाता अप्रार्थी नेषनल स्टाॅक एक्सचेंज तथा बम्बई स्टाॅक ऐक्सचेंज का सदस्य है और वह अपने षाखा कार्यालयों के माध्यम से ब्रोकिंग सेवाएं देता है साथ ही एसोसियेषन आफ म्यूचुअल फण्डस आफ इण्डिया का भी सदस्य है और षेयर जारीकर्ता कम्पनियों के सिंडीकेट अथवा सब -सिडीकेट की हैसियत से उनके आईपीओ में कार्य करता है और वर्तमान षिकायत आईपीओ से संबंधित है ।
अप्रार्थी का कथन है कि प्रार्थी का बिडिंग कम एप्लीकेषन उनके जयपुर कार्यालय को दिनंाक 21.10.2010 को कोल इण्डिया लिमिटेड के 400 षेयरों के आवंटन हेतु प्राप्त हुआ जिसे उसी दिन ही नेषनल एक्सचेंज पर जयपुर कार्यालय में बिड कर दिया गया और इस कार्यवाही के बाद उत्तरदाता बिडर को ट्राजेक्षन नम्बर 201010210493430 आवंटित किया गया इससे स्पष्ट है कि प्रार्थी की आईपीओ बिडिंग अप्रार्थी उत्तरदाता द्वारा सफलतापूर्व कर दी गई । सफल बिडिंग के आद प्रार्थी की आईपीओ बिडिंग एप्लीकेषन कोल इण्डिया द्वारा नियुक्त किए गए कलेक्षन केन्द्र आईडीबीआई बैंक में जमा करवा दिया गया । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई कमी नहीं रहीं अन्त में परिवाद खारिज होने योग्य बतलाया ।
4. अप्रार्थी संख्या 3 ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत किया जिसमें दर्षाया है कि प्रार्थीया द्वारा षेयर्स फार्म संख्या 37331120 राषि रू. 98000/- चैक संख्या 8509995 उत्तरदाता को प्राप्त नहीं हुआ । आईडीबीआई का चैक डिस्ओनर मीमो दिनांक 28.10.2010 के उक्त चैक ।दल वजीमत ेचमबपपिब तमंेवद बसंपउ के आधार पर लौटा दिया गया । प्रार्थीया ने ष्षेयर्स के आवंटन हेतु प्रार्थना पत्र भेजना बताया है इसलिए उत्तरदाता व प्रार्थीया के मध्य कोई माल क्रय करन या किसी सेवा बाबत् संविदा नहीं हुई ऐसी स्थिति में मंच को परिवाद सुनने का कोई श्रवणाधिकार नही ंहै । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।
5. परिवाद के उत्तर में अप्रार्थी संख्या 4 ने दर्षाया है कि दिनांक
27.10.2010 को उनकी सर्विस ब्रान्च, जयपुर में विवादित चैक तादादी राषि रू. 98,000/- का क्यिरेंस हेतु प्राप्त हुआ जिसका भुगतान दिनंाक 28.10.2010 का कोल इण्डिया की कलेक्टिंग बैंक आईडीबीआई को कर दिया और प्रार्थीया के निवेदन पर इस संबंध में प्रमाण पत्र दिनांक 4.2.2011 को जारी कर दिया गया साथ ही प्रार्थीया द्वारा रजिस्टर्ड पत्र दिनांक 14.2.2011 के प्रतिउत्तर में भी प्रार्थीया को अवगत करा दिया गया था कि विवादित चैक का भुगतान अप्रार्थी संख्या 3 के खातेदारी बैंक को दिनांक 28.20.2010 को ही कर दिया गया । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।
6. हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।
7. प्रकरण में दिनांक 30.10.2014 को प्रार्थीया द्वारा दर्षाया गया कि उसे रू. 98,000/- की राषि का भुगतान दिनांक 15.4.2013 को हो चुका है अतः अब उसे चूंकि यह राषि अप्रार्थी संख्या 3 को षेयर्स आवंटन हेतु भेजी गई थी लेकिन अप्रार्थी संख्या 3 ने न तो षेयर्स आवंटित किए और ना ही यह राषि समय पर लौटाई। अतः उसे षेयर्स आवंटन नहीं करने से जो नुकसान हुआ तथा भुगतान में जो देरी की इसके लिए ब्याज की राषि का एतराज है । अतः हमें यही देखना है कि प्रार्थीया अप्रार्थीगण में से किस किस से, कितनी कितनी राषि बतौर हर्जाने के व ब्याज के प्राप्त करने की अधिकारणी है ?
8. उपरोक्त कायम किए गए निर्णय बिन्दु पर हमने पक्षकारान को सुना । निर्विवाद रूप से प्रार्थीया को ष्षेयर्स का आवंटन नहीं हुए है अतः षेयर्स का आवंटन नहीं होने की स्थिति में हुए नुकसान का जो ब्यौरा प्रार्थीया की ओर से पेष हुआ है किन्तु प्रार्थीया की ओर से न तो परिवाद में दर्षाया और ना ही अन्य तरह से स्पष्ट किया है कि उसे आवेदित 400 ष्षेयर्स में से 199 षेयर्स प्राप्त होने ही थे । नुकसान संबंधी ब्यौरे में 199 ष्षेयर्स गारण्टेड प्राप्त होने का उल्लेख किया है लेकिन ऐसी गारण्टी अप्रार्थी संख्या 3 द्वारा कब दी गई इस संबंध में कोई साक्ष्य नहीं है और ना ही प्रार्थीया को ष्षेयर्स इष्यू हुए है । अतः प्रार्थीया को ष्षेयर्स जारी नही ंहोने के परिणामस्वरूप जो ब्यौरा तैयार किया और इस ब्यौरे में अंकित राषि प्रार्थीया प्राप्त करने की अधिकारणी नहीं है क्योंकि प्रार्थीया को षेयर्स जारी हो भी सकते थे और नहीं भी हो सकते थे ं अतः इस सम्भावना को देखते हुए प्रार्थीया को षेयर्स जारी नहीं होने की स्थिति में सम्भावित राषि दिलाया जाना हम उचित नहीं समझते है ।
9. प्रकरण में यह तथ्य स्पष्ट है कि प्रार्थीया ने यह राषि दिनांक 21.10.2010 को चैक के जरिए अप्रार्थी संख्या 4 के मार्फत अप्रार्थी संख्या 3 को भेजी गई थी एवं इस राषि का पुनः भुगतान प्रार्थीया को दिनांक 15.4.2013 को हुआ है । प्रार्थीया ने यह राषि ष्षेयर्स आवंटन हेतु भेजी थी। प्रार्थीया को ष्षेयर्स का आवंटन नहीं हुआ और ना ही आवेदन निरस्त किया गया और ना ही राषि वापस लौटाई गई और इसी हेतु प्रार्थीया की ओर से यह परिवाद पेष हुआ है एवं परिवाद की सुनवाई के प्रक्रम पर यह राषि प्रार्थीया को प्राप्त हुई है। अतः हमारे विनम्र मत में राषि रू. 98,000/-पर 21.10.2010 से 15.4.2013 तक की अवधि के लिए 9 प्रतिषत की दर से प्रार्थीया ब्याज प्राप्त करनेे की अधिकारणी होगी । अप्रार्थी संख्या 3 द्वारा प्रार्थीया को ष्षेयर्स आवंटित नहीं किए गए और ना ही प्रार्थीया को किसी भी तरह से सूचित किया और ना ही प्रार्थीया के षेयर्स आवंटन के आवदन पर कोई निर्णय किया और ना ही राषि लौटाई । अतः अप्रार्थी संख्या 3 के विरूद्व सेवा में कमी का बिन्दु सिद्व होता है एवं उपर वर्णित ब्याज की राषि प्रार्थीया अप्रार्थी संख्या 3 से प्राप्त करने की अधिकारणी होगी । अप्रार्थी संख्या 1,2 व 4 के विरूद्व प्रार्थीया सेवा में कमी का बिन्दु सिद्व नहीं कर पाई है । प्रकरण के तथ्यों को देखते हुए प्रार्थीया अप्रार्थी संख्या 3 से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में भी उपयुक्त राषि प्राप्त करने की अधिकारणी होगी । अतः आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
10. (1) प्रार्थीया को ष्षेयर्स आवंटन हेतु जमा कराई गई राषि रू. 98,000/- प्राप्त हो चुकी है । अतः अब प्रार्थीया अप्रार्थी संख्या 3 से इस राषि रू. 98,000/- पर राषि जमा कराने की दिनांक 21.10.2010 से राषि प्राप्त होने की दिनांक 15.4.2013 तक 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारणी होगी ।
(2) प्रार्थीया अप्रार्थी संख्या 3 से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में रू. 5000/- भी प्राप्त करने की अधिकारणी होगी ।
(3) क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी संख्या 3 प्रार्थीया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।
(4) दो माह में आदेषित राषि का भुगतान नहीं करने पर प्रार्थीया अप्रार्थी संख्या 3 से इस राषि पर निर्णय की दिनांक से तादायगी 09 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगी ।
(5) अप्रार्थी संख्या 1,2 व 4 के विरूद्व परिवाद खारिज किया जाता है
(विजेन्द्र कुमार मेहता) (श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
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11. आदेष दिनांक 14.11.2014 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
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