Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/356

North Eastern Railway - Complainant(s)

Versus

Akram Anjana - Opp.Party(s)

M H Khan

02 Mar 2010

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/356
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. North Eastern Railway
a
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

(राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)

                                    सुरक्षित

अपील संख्‍या 356/2010

 

(जिला मंच द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0 433/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 28/01/2010 के विरूद्ध)

                                                     

महाप्रबंधक, पूर्वोत्‍तर रेलवे, शहर गोरखपुर, उ0प्र0।

                                                      …अपीलार्थी/विपक्षी

 

बनाम

 

श्री अकरम अंजाना पुत्र श्री बाजिद अली निवासी म0 न0 3/22 संजय गांधी नगर, प्रयाग नारायण रोड, बालू अड्डा , शहर लखनऊ एवं 15 अन्‍य।

.........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:

       1. मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठा0 न्‍यायिक सदस्‍य।

  2. मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित     : विद्वान अधिवक्‍ता श्री एम0एच0 खान।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित       : कोई नहीं।

 

दिनांक 31-12-2014

 

मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठा0 न्‍यायिक सदस्‍य द्वारा उदघोषित ।

 

निर्णय

      अपीलार्थी ने प्रस्‍तुत अपील विद्वान जिला मंच द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0 433/2004 अकरम अंजाना व अन्‍य बनाम एन0ई0 रेलवे में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28/01/2010 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है, जिसमें कि विद्वान जिला पीठ ने निम्‍नलिखित निर्णय/आदेश पारित किया है:-

      ‘’ परिवादीगण का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह आज से एक माह के अंदर परिवादीगण से विधिक टिकट होने के बावजूद दिनांक 14/02/99 को वसूले गए 1568/ रूपये मय 09 प्रतिशत ब्‍याज के साथ वापस करे। परिवादीगण विपक्षी से मानसिक क्‍लेश हेतु 10,000/ रूपये वाद व्‍यय हेतु 2,000/ रूपये भी प्राप्‍त करने का अधिकारी होगे।‘’

     संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादीगण अकरम अंजाना एण्‍ड पार्टी के नाम से पंजीकृत है। दिनांक 12/02/99 को प्रोग्राम करने रियायती फार्म पर चारबाग रेलवे स्‍टेशन से 16 कलाकारों के आने जाने का टिकट लेकर गोरखनाथ एक्‍सप्रेस ट्रेन से मऊ गया था। वापसी

2

पर दिनांक 14/02/99 को भटनी स्‍टेशन पर टी0टी0 ने आरक्षित टिकट को फर्जी बताकर उससे 5000/ रूपये की मांग की और उससे गाली गलौच किया और पुलिस बुलाकर उसे व अन्‍य कलाकारों को डंडों से पीटा और महिला कलाकारों के साथ अभद्र व्‍यवहार किया और साज सज्‍जा व साउण्‍ड मिक्‍सर ट्रेन से फेकवा दिया जिससे उसका 50,000/ रूपये का नुकसान हुआ । बाद में जेल भेजने की धमकी देने पर परिवादीगण ने उसे 5000/ रूपये दिए जिसके बावत उसने सिर्फ 1568/ रूपये की रसीद दी। परिवादीगण का प्रोग्राम लखनऊ में दिनांक 14/02/99 को लगा था जिसमें न पहुंचने पर उसके अन्‍य 10 प्रोग्राम भी रद्द हो गए जिसमें उसका प्रति प्रोग्राम 20,000/ रूपये का नुकसान हुआ। परिवादीगण से हुए अत्‍याचार के बावत घटना समाचार पत्र में भी छपी। इस संबंध में परिवादी कई बार विपक्षी के अधिकारियों से मिला तथा क्षतिपूर्ति की मांग की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अत: परिवादीगण ने यह परिवाद योजित किया है।

     विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से जिला पीठ के समक्ष लिखित कथन में मु0 1568/ रूपये वसूला जाना स्‍वीकार किया गया। परिवाद के शेष कथनों से इन्‍कार किया गया। विपक्षी ने कहा कि परिवादी अकरम अंजाना को दिनांक 18/11/99 को नि:शुल्‍क आने जाने का रेलवे का पास भेजकर प्रकरण की जांच के संबंध में उपस्थित होने के संबंध  में सूचित किया गया था लेकिन परिवादीगण जांच में उपस्थित नहीं हुए। प्रस्‍तुत घटना वर्ष 1999 की है लेकिन परिवादीगण ने यह परिवाद वर्ष 2004 में दाखिल किया जो कालबाधित है। परिवादीगण को छूट के साथ टिकट जारी किया गया था इसलिए परिवादीगण उपभोक्‍ता नहीं है। प्रस्‍तुत घटना देवरिया की है इसलिए परिवाद का क्षेत्राधिकार देवरिया में बनता है तथा रेलवे ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट की धारा 13 व 15 एवं 28 के दृष्टिगत फोरम को प्रकरण की सुनवाई का अधिकार प्राप्‍त नहीं है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एम0एच0 खान के तर्कों को सुना गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

     अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादीगण द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद काल बाधित है, क्‍योंकि वाद का कारण दिनांक 14/02/99 को उत्‍पन्‍न हुआ जब कि भटनी स्‍टेशन पर टी0टी0 ने आरक्षित टिकटों को फर्जी बताकर उससे मु0 5000/ रूपये की मांग की जिससे कि उसकी धमकी पर अदा कर दिया किन्‍तु उसे कुल मु0 1568/ रूपये की रसीद दी

 

3

गई जब कि यह परिवाद दिनांक 15/06/2004 को प्रस्‍तुत किया गया जो कि तीन साल से भी अधिक के समयावधि के बाद प्रस्‍तुत किया गया जब कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 24 (ए) के अंतर्गत विद्वान जिला मंच के समक्ष किसी भी परिवाद को प्रस्‍तुत किये जाने की सीमा वाद का कारण उत्‍पन्‍न होने के दिनांक से दो वर्ष दिया गया है। अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि विद्वान जिला पीठ का आदेश रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल की धारा 13 के अंतर्गत रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल के समक्ष प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए था क्‍योंकि उपरोक्‍त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसी अन्‍य न्‍यायालय को इसके श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है। अत: ऐसी परिस्थितियों में परिवाद पोषणीय न होने के कारण निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली में उपलब्‍ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।

     भटनी रेलवे स्‍टेशन पर टी0टी0 ने दिनांक 14/02/99 को आरक्षित टिकटों को फर्जी बताकर मु0 5000/ रूपये की मांग की और उसको दिये जाने के पश्‍चात उसे सिर्फ मु0 1568/ रूपये की रसीद दी जिसे कि वापस किये जाने का आदेश विद्वान जिला मंच द्वारा पारित किया गया। चूंकि मु0 1568/ रूपये वापस किये जाने की मांग परिवादीगण/प्रत्‍यर्थी द्वारा की गई है। अत: ऐसी परिस्थितियों में उसे वाद का कारण तब तक रहेगा जब तक कि उससे वसूल किये मु0 1568/ रूपये वापस न कर दिया जाय। अत: ऐसी परिस्थितियों में परिवादी का परिवाद काल बाधित नहीं है।

      रेलवे क्‍लेम्‍स एक्‍ट 1987 की धारा 13 (1-बी) के अंतर्गत किसी भी फेयर को वापस लिये जाने हेतु क्‍लेम करने का प्राविधान दिया गया है और इस अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसी अन्‍य न्‍यायालय को ऐसे प्रकरण का श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है। अत: ऐसी परिस्थितियों में परिवादी/प्रत्‍यर्थी का परिवाद पोषणीय न होने के कारण खारिज किये जाने योग्‍य है। अत: विद्वान जिला मंच का निर्णय/आदेश निरस्‍त किये जाने योग्‍य है तद्नुसार अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

          अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला मंच द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0 433/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 28/01/2010 निरस्‍त किया जाता है। यदि

 

 

4

परिवादी/प्रत्‍यर्थी रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल के समक्ष अपना परिवाद/प्रतिवेदन प्रस्‍तुत करना चाहता है तो ऐसी दशा में उसका परिवाद काल बाधित नहीं माना जायेगा।

      उभय पक्ष अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध कराई जाय।

 

 

                                 

                                                                    (अशोक कुमार चौधरी)

                                                                     पीठा0 सदस्‍य

 

                                                                    

                                                                                 

                                                                                (बाल कुमारी)

सुभाष चन्‍द्र आशु0                                                                    सदस्‍य

कोर्ट नं0 3

 

 

 

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. Ram Charan Chaudhary]
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