Uttar Pradesh

StateCommission

A/1120/2019

G-Con Infrastructure Pvt Ltd - Complainant(s)

Versus

Akhlaque Ahmad Ansari - Opp.Party(s)

Utkarsh Srivastava

18 Mar 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1120/2019
( Date of Filing : 16 Sep 2019 )
(Arisen out of Order Dated 23/07/2019 in Case No. C/105/2018 of District Varanasi)
 
1. G-Con Infrastructure Pvt Ltd
Through Director having Corporate Office at C-3/74 Vibhuti Khand Gomtinagar Lucknow 226010 and Registered Address at 119/232 Flat No. 302 Khandari Bazar Lane Lal Bagh Lucknow 226001
...........Appellant(s)
Versus
1. Akhlaque Ahmad Ansari
S/O Sri Noor Mohammad R/O Village Samaridih Post Ghosi Distt. Mau 275304 Current Address jamiya Farooqui REvdi Talab Varanasi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 18 Mar 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-1120/2019

जी-कान इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर प्राइवेट लिमिटेड व एक अन्‍य

बनाम

एखलाक अहमद अंसारी पुत्र नूर मुहम्‍मद

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक कुमार  श्रीवास्‍तव  के                                    

                          सहयोगी श्री विजय कुमार तिवारी, 

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 18.03.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता              आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्‍या-105/2018 एखलाक अहमद अंसारी बनाम जी.कान इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर प्राइवेट लिमिटेड व एक अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 23.07.2019 के विरूद्ध योजित की गयी है।

प्रस्‍तुत अपील विगत 05 वर्षों से लम्बित है। पूर्व में लगभग हर तिथि पर अपीलार्थीगण के अधिवक्‍ता श्री उत्‍कर्ष श्रीवास्‍तव अनुपस्थित थे, अतएव अपील स्‍थगित की जाती रही। आज वे पुन: अनुपस्थित हैं। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक कुमार श्रीवास्‍तव के सहयोगी श्री विजय कुमार तिवारी उपस्थित हैं। प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता को सुना।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण के यहाँ एक प्लाट 1250 वर्गफीट का बुक कराया गया। उपरोक्त प्लाट का मूल्य मु0-1,000/-रू0 प्रति वर्गमीटर की दर से कुल मूल्य मु0-12,50,000/-रू0 तय था, जिसके विरूद्ध परिवादी द्वारा विपक्षीगण को किश्तों  में  मु0-8,00,000/-रू0  अदा  किया

 

 

-2-

गया। परिवादी द्वारा दिनांक 30-04-2016 को मु0-2,00,000/-रू0 रिसिप्ट सं0-151600317 से तथा रिसिप्ट सं0-151600317 से मु0-1,00,000/-रू0 इस प्रकार परिवादी द्वारा दिनांक 30-04-2016 को कुल मु0-3,00,000/-रू0 दिया गया। उपरोक्त धन जमा करने के बाद परिवादी को प्लाट नं0-157/1 ब्लाक यच क्षेत्रफल 1250 वर्गफीट जी. कान कासिका टोयेटा शोरूम के पास बुक किया गया। बाकी मु0-9,50,000/-रू0 किश्‍तों में अदा करने के बाद प्लाट का बैनामा परिवादी के नाम विपक्षीगण द्वारा किया जाना था, लेकिन बैनामा नहीं किया गया। परिवादी द्वारा दिनांक 08-06-2016 को मु0-1,00,000/-रू0 रिसिप्ट सं0-151600139 से जमा किया तथा उसी क्रम में दिनांक 11-06-2016 को मु0-1,00,000/-रू0 रिसिप्ट सं0-151600345 से जमा किया व दिनांक 16-06-2016 को रिसिप्ट सं0-151600348 से मु0-2,00,000/-रुपये व अन्तिम किश्‍त दिनांक 03-10-2016 को रिसिप्ट सं0-151600254 से                   मु0-1,00,000/-रू0 जमा किया गया। इस प्रकार परिवादी द्वारा दिनांक 03-10-2016 तक मु0-8,00,000/-रू0 जमा किये गये।                परिवादी द्वारा शेष मु0-4,50,000/-रू0 देने के बाद विपक्षीगण द्वारा परिवादी को प्लाट का बैनामा किया जाना था।

परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण द्वारा बताया गया कि जल्द ही बैनामा कर दिया जायेगा, परन्‍तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी। परिवादी द्वारा विपक्षीगण के शाखा कार्यालय से सम्पर्क किया जाता रहा, परन्‍तु जब शाखा कार्यालय द्वारा बताया गया कि विपक्षीगण द्वारा किसानों से जो जमीन ली है, वह सरकारी अड़चनों के कारण से नहीं ली गयी है, इसलिए विपक्षीगण परिवादी का    जमा रूपया वापस कर देंगे। परिवादी से असल रसीदें दिनांक              07-12-2017 को विपक्षी सं0-2 ने अपने शाखा में जमा करा लिया। परिवादी को केवल फोटोप्रति  पर  कार्यालय  की  मुहर  व  

 

 

-3-

हस्ताक्षर करके दिया गया। परिवादी द्वारा दिनांक 18-06-2018 को एक प्रार्थनापत्र पंजीकृत डाक से विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में रूपये वापस करने में देरी के लिए भेजा गया, परन्‍तु विपक्षी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया तथा न ही रूपया वापस किया गया। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा विपक्षी संख्‍या-1 के विरूद्ध दिनांक 18.06.2019 को एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख दिनांक 06.09.2018 को विपक्षी संख्‍या-2 उपस्थित हुए, परन्‍तु विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा जवाबदावा दिनांक 16.04.2019 को प्रस्‍तुत किया गया, जो समय सीमा से बाधित था, इस कारण विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा इसे निर्णय का आधार नहीं बनाया गया।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवादी के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त परिवाद एकपक्षीय रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

''प्रस्तुत परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण से संयुक्‍त रूप से तथा पृथक-पृथक यह आदेश दिया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से अन्दर 30 (तीस दिन) परिवादी को मु0-8,00,000/- (आठ लाख रूपये) तथा इसपर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 9% (नौ प्रतिशत) वार्षिक दर से ब्याज अदा करें। इसके अतिरिक्‍त परिवादी विपक्षीगण से उक्‍त निर्धारित अवधि में मु0-15,000/- (पन्द्रह हजार रूपये) मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति तथा मु0-2,000/-(दो हजार रूपये) वाद व्यय भी पाने का अधिकारी होगा।''

 

 

-4-

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनने तथा समस्‍त            तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता             आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण  करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता                    आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित    किया गया, जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु पर्याप्‍त आधार नहीं हैं।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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