राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या 692/2024
असुजा एसर्व प्रा0लि0..... .....अपीलार्थी
बनाम
अखिलेश
पुत्र श्री रामकिशुन..... .....प्रत्यर्थी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
दिनांक: 25.09.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, बस्ती द्वारा परिवाद संख्या 233/2020 अखिलेश बनाम असूजा एसर्व प्रा0लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.01.2024 के विरूद्ध योजित की गयी है।
प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में निम्न तथ्य उल्लिखित करते हुए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद योजित किया गया :-
“1. यह कि परिवादी शिक्षित बेरोजगार व्यक्ति है।
2- यह कि परिवादी विपक्षी की कम्पनी जो शासन स्तर पर टेन्डर लेकर आधार कार्ड बनाने व बने हुए आधार कार्ड की अशुद्धियों को सही करने का कार्य कराती है और आज भी कर रही है।
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3- यह कि आवेदक भी अपनी बेरोजगारी दूर करने व आर्थिक स्थिति ठीक करने हेतु विपक्षी के कम्पनी में कार्य करता है।
4- यह कि विपक्षी के कम्पनी में अधिकार पत्र के आधार पर आधार कार्ड बनाने एवं संचालन हेतु आई०डी०संख्या एन.एस.-393597 से पंजाब नेशनल बैंक गांधीनगर में कार्यरत् था।
5- यह कि कम्पनी वेतन एवं कार्य के प्रतिफल पारिश्रमिक रूपया 7500/- तथा प्रति आधार कार्ड 10 रूपया कम्पनी देती थी वे देने का बचन दिया गया।
6- यह कि परिवादी द्वारा किये गये कार्यों के प्रतिफल सैलरी 05 माह की 37500 व कमीशन आधार कार्ड 34,780/- रूपये विपक्षी से प्राप्त होने थे, जो नहीं दिये गये।
7- यह कि परिवादी द्वारा विपक्षी से अपने परिवार की स्थिति व बहन की शादी की बात बताते हुए दूरभाष से संपर्क किया तो उलटे विपक्षी ने हम परिवादी की आईडी को ब्लाक कर दिया, जिससे परिवादी अन्य कहीं कोई कार्य नहीं कर सकता। परिवादी एक वर्ष से बेरोजगार है। भुखमरी के कगार पर है तथा मानसिक अवसाद से कभी-कभी ग्रस्त हो जाता है।
8-यह कि विगत् एक वर्ष से आईडी कम्पनी द्वारा ब्लाक किये जाने की वजह से 7500 x12 माह यानी 90,000/- का प्रत्यक्ष क्षति हुआ है।
9- यह कि परिवादी को विपक्षी की कम्पनी से एक लाख बासठ हजार दो सौ अस्सी रूपये का प्रत्यक्ष क्षति हुआ है। इसके अतिरिक्त
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मानसिक व कार्य ह्रास हुआ है, जिसे विपक्षी से दिलाया जाना आवश्यक है।
10- यह कि परिवादी विपक्षी का बोनाफाईड उपभोक्ता है, जिसकी वजह से परिवादी विपक्षी से हर्जा-खर्चा पाने का अधिकारी है।
11- यह कि अंतिम बार पंजीकृत नोटिस विपक्षी को देने के बाद आज तक कोई आश्वासन न मिलने पर परिवाद प्रस्तुत करना पड़ रहा है। जो श्रीमान जी के सीमा-क्षेत्र में है और हर समय क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
12- यह कि परिवादी के वाद मूल्यांकन में पांच लाख रूपये से कम है। लेहाजा न्यायशुल्क नहीं दिया जा रहा है। ‘’
जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उपरोक्त परिवाद पत्र का संज्ञान लेते हुए निर्णय पारित करते हुए यह आदेश दिया गया कि विपक्षी 60 दिवस में परिवादी को आधार कार्ड के परिप्रेक्ष्य में पारिश्रमिक धनराशि रू0 37,500/- एवं आधार कार्ड को त्रुटि रहित करने में कमीशन की धनराशि रू0 34,780/- कुल धनराशि रू0 72,280/- पर माह अगस्त 2019 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 8 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज के साथ परिवादी को भुगतान करें, साथ ही धनराशि रू0 15,000/- क्षतिपूर्ति एवं धनराशि रू0 5,000/- उक्त अवधि के अन्तर्गत परिवादी को भुगतान करें।
अपीलार्थी कम्पनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्तागण श्री राम तिवारी, श्री हरिकृष्ण मिश्रा एवं श्री जितेन्द्र मिश्रा एवं प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता को सुना गया।
मेरे द्वारा उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने, परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों एवं जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं
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आदेश का परीक्षण एवं परिशीलन करने के उपरान्त यह पाया जाता है कि वास्तव में परिवाद पत्र जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत न करते हुए अन्य अपेक्षित संस्थाओं अर्थात् श्रम न्यायालय अथवा अन्य विधिक प्राधिकरण के सम्मुख अपना पक्ष प्रस्तुत किया जाना था न कि उपभोक्ता आयोग के सम्मुख।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत भी परिवादी कहीं से भी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं पाया जाता है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता आयोग, बस्ती द्वारा परिवाद संख्या 233/2020 अखिलेश बनाम असूजा एसर्व प्रा0लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.01.2024 अपास्त किया जाता है।
यहां यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि परिवादी द्वारा संबंधित न्यायालय/आयोग के सम्मुख प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जाता है तब उपरोक्त प्रार्थना पत्र पर विचार करते हुए परिवादी का पक्ष गुणदोष के आधार पर निर्धारित किया जावेगा।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
आशीष, कोर्ट-1