राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या:-580/2010
(जिला मंच, एटा द्धारा परिवाद सं0-35/2008 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.10.2008 के विरूद्ध)
Tata Motors Finance Limited, 4th Floor, Kanchenjunga Building, 18, Barakhambha Road, New Delhi-110001, Through its Manager.
........... Appellant/Opp. Party
Versus
1- Akesh Kumar S/o Sh. Ompal Singh, R/o Pipal Adda, Sahavar Road, Etah, U.P.
……..…. Respondent/Complainant
2- R.A. Motors, Kasganj Road, Etah, Through its Branch Manager.
……..…. Respondent/Opp. Party
अपील संख्या:-594/2010
(जिला मंच, एटा द्धारा परिवाद सं0-28/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.11.2007 के विरूद्ध)
Tata Motors Finance Limited, 4th Floor, Kanchenjunga Building, 18, Barakhambha Road, New Delhi-110001, Through its Manager.
........... Appellant/Opp. Party
Versus
1- Akesh Kumar S/o Sh. Ompal Singh, R/o Pipal Adda, Sahavar Road, Etah, U.P.
……..…. Respondent/Complainant
समक्ष :-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री राजेश चडढा
प्रत्यर्थी सं0-1 के अधिवक्ता : श्री सुशील कुमार शर्मा
प्रत्यर्थी सं0-2 के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 05-9-2018
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मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील सं0-580/2010 परिवाद संख्या-35/2008 में जिला मंच, एटा द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांकित 04.10.2008 के विरूद्ध तथा अपील सं0-594/2010 परिवाद संख्या-28/2007 में जिला मंच, एटा द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांकित 27.11.2007 के विरूद्ध योजित की गई हैं।
दोनों मामलें पक्षकारों के मध्य निष्पादित एक ही संविदा से सम्बन्धित होने के कारण इन दोनों अपीलों का निस्तारण साथ-साथ किया जा रहा है। अपील सं0-580/2010 अग्रणी होगी।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-2 के एजेण्ट सियाराम मोटर्स अलीगढ़ आये तथा टाटा स्पीसियों गाड़ी लेने का प्रस्ताव आकर्षक प्रस्तावक के साथ प्रेषित किया। परिवादी को अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-2 के एजेण्ट द्वारा समझाया गया कि 1,00,000.00 रू0 जमा कर दो तो वह पॉच प्रतिशत ब्याज देंगे और अंत में रूपया मय ब्याज जोड़ दिया जायेगा। 4,07,552.00 रू0 के स्थान पर टाटा स्पीसियों गाड़ी 4,00,000.00 रू0 में मिलेगी और पॉच प्रतिशत ब्याज परिवादी को लगेगा और तीन साल में भुगतान प्रति किश्त मय ब्याज के 13,700.00 रू0 के हिसाब से होगा तथा प्रथम किश्त 14,200.00 रू0 की होगी। परिवादी को 4,00,000.00 रू0 पर पॉच प्रतिशत की दर से 60,000.00 रू0 तथा बीमा की धनराशि 20,000.00 रू0 कुल 4,80,000.00 रू0 तीन साल में अदा करने होंगे। परिवादी से 1,00,000.00 रू0 फिक्स डिपाजिट पॉच प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान का कह कर लिए गये और उस दिन प्रथम किश्त 14,200.00 रू0 लेकर टाटा स्पीसियों गाड़ी, ज्ञान प्रकाश को गारण्टर बनाकर बेंची गई।
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परिवादी से केनरा बैंक सिविल लाइन एटा के खाता सं0-30343 के प्रतिमाह किश्त के 13,700.00 रू0 के कई हस्ताक्षरित ब्लैंक चेक लिए गये। परिवादी के उपरोक्त खाते से 20 किश्त मु0 13,700.00 रू0 की तथा प्रथम किश्त दिनांक 14.01.2005 को 14,200.00 रू0 की अपीलार्थी ने ली तथा एक किश्त अपीलाथी के वसूली एजेण्ट ने दिनांक 27.6.2001 को 13,700.00 रू0 की ली। इस तरह अपीलार्थी को परिवादी द्वारा कुल 3,01,900.00 रू0 किश्तों के रूप में अदा किया गया। परिवादी से बीमा की धनराशि 2006 तथा 2007 की किश्तों में इस शर्त के साथ ली गई कि नियत तिथि से पूर्व बीमा कराकर परिवादी को देगें। बीमा की अवधि क्रमश: 14.01.2006 व 14.01.2007 को समाप्त होने को थी तथा परिवादी को अपीलार्थी द्वारा बीमा की प्रति न दिए जाने के कारण एवं अपीलार्थी को फोन से सूचित किए जाने के बावजूद कोई सुनवाई न होने पर परिवादी ने स्वयं अपने खर्च पर 2006 एवं 2007 का बीमा 27,400.00 रू0 खर्चकर कराया। प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने अपीलार्थी को उपरोक्त ऋण के सम्बन्ध में 3,01,900.00 रू0 और 27,400.00 रू0 बीमा की धनराशि एवं 1,16,370.00 रू0 मय ब्याज फिक्स डिपाजिट में कुल 4,45,670.00 रू0 का भुगतान किया है। अपीलार्थीगण ने परिवादी पर फर्जी बकाया बताते हुए 1,06,000.00 रू0 बकाया दर्शित किया तथा परिवादी के वाहन को दिनांक 16.02.2008 को छीन लिया तदोपरांत परिवादी से दबाव के तहत 50,000.00 रू0 लिया था। 56,000.00 रू0 का परिवादी से हस्ताक्षरित चेक केनरा बैंक खाता सं0-30343 का दिनांक 26.10.2008 को लिया तथा वाहन छोड़ने के लिए अवैध रूप से 10,000.00 रू0 अपीलार्थीगण ने दिनांक 27.02.2008 को लिया, जिसकी बावत कोई रसीद नहीं दी। इस प्रकार अपीलार्थीगण द्वारा कुल 5,61,670.00 रू0 वसूल लिए गये, जबकि परिवादी पर अपीलार्थीगण का कुल 4,80,000.00 रू0 बकाया था। इस प्रकार अपीलार्थीगण ने परिवादी से 81,670.00 रू0 अधिक वसूल लिए है।
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प्रश्नगत वाहन के बीमा के संदर्भ में अधिक वसूली गई धनराशि की मय ब्याज वापसी तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद सं0-28/2007 योजित किया गया। यह परिवाद निर्णय दिनांकित 27.11.2007 द्वारा स्वीकार किया गया तथा अपीलार्थीगण को निर्देशित किया गया कि वह आदेश के दिनांक से एक माह के अन्दर परिवादी को मु0 2600.00 रू0 अदा करें तथा आदेश के दिनांक से एक माह के अन्दर अपीलार्थीगण परिवादी को मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति के मु0 5,000.00 रू0 तथा वाद व्यय के मु0 1,000.00 रू0 अदा करें। इसके अतिरिक्त शेष अधिक वसूली गई धनराशि की वसूली हेतु परिवाद सं0-35/2008 योजित किया गया। यह परिवाद जिला मंच द्वारा पारित आदेश दिनांक 04.10.2008 द्वारा निर्णीत किया गया तथा परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थीगण को आदेशित किया गया कि वे परिवादी को 81,670.00 रू0 अधिक वसूल किए गये तथा 14,300.00 रू0 व्यापारिक क्षति के एक माह में 06 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करें तथा अपीलार्थीगण परिवादी को नो डयूज प्रमाण पत्र भी जारी करें।
इन निर्णयों से क्षुब्ध होकर क्रमश: अपील सं0-594/2010 एवं अपील सं0-580/2010 योजित की गई हैं।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चडढा तथा प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत निर्णय अपीलार्थीगण को सुनवाई का अवसर दिये बिना पारित किए गये हैं। अपीलार्थीगण पर नोटिस की कोई तामील नहीं करायी गई। अपीलार्थीगण की ओर से यह भी तर्कप्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत परिवादों में अपीलार्थी का मुम्बई का गलत पता अंकित किया गया है, जबकि अपीलार्थी के मुम्बई कार्यालय का सही पता Ground Floor, Shop No.7, Block No. G-13-8-8 Anand Vrindavan,
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Sanjay Place, Agra है। अपीलार्थीगण की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि अपीलार्थीगण का कोई शाखा कार्यालय जनपद एटा में नहीं है। मैनेजर टाटा टेल्को कासगंज रोड एटा के नाम से गलत पक्षकार बनाते हुए परिवाद योजित किया गया। अपीलार्थीगण की ओर से यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि जिला एटा में कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ। अपीलार्थीगण का कोई कर्मचारी जनपद एटा प्रश्नगत प्रकरण के सम्बन्ध में नहीं गया और न ही प्रश्नगत प्रकरण के सम्बन्ध में कोई कार्यवाही जनपद एटा में सम्पन्न हुई। अत: जिला मंच, एटा को प्रश्नगत परिवादों की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं था। अपीलार्थीगण की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किा गया कि अपीलार्थीगण को सर्वप्रथम माह फरवरी, 2010 के तीसरे सप्ताह में प्रश्नगत प्रकरण की जानकारी तब हुई जब तहसीलदार कार्यालय से कर्मचारी अपीलार्थीगण के आगरा कार्यालय में धन वसूली हेतु आये। तदोपरांत अपीलार्थीगण ने प्रश्नगत निर्णय की प्रमाणित प्रति दिनांक 03.3.2010 को प्राप्त की। जिला मंच द्वारा अपीलार्थीगण के प्रश्नगत निर्णयों की कोई प्रति उपलब्ध नहीं करायी गई, जबकि जिला मंच द्वारा उपभोक्ता संरक्षण नियमावली के नियम 4 (10) के अन्तर्गत निर्णय की प्रति अपीलार्थीगण को भेजना आवश्यक था। अपीलार्थीगण की ओर से यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी का यह कथन असत्य है कि प्रश्नगत प्रकरण में प्रत्यर्थी/परिवादी पर बकाया ऋण से अधिक धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अदा की जा चुकी है। बल्कि दिनांक 17.3.2010 को परिवादी पर रू0 6,76,657.79 पैसा बकाया थे। अपीलार्थीगण का यह भी कथन है कि प्रश्नगत वाहन का बीमा अपीलार्थीगण द्वारा कराया गया तथा बीमे के नवीनीकरण दूसरे वर्ष एवं तीसरे वर्ष के लिए भी अपीलार्थीगण द्वारा कराया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रश्नगत ऋण के सम्बन्ध में की गई अदायगी से सम्बन्धित खाते का विवरण अपीलार्थीगण द्वारा दाखिल किया गया है।
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प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला मंच के समक्ष प्रश्नगत निर्णय से सम्बन्धित कोई ऐसा अभिलेख दाखिल नहीं किया है, जिससे यह विदित हो कि प्रश्नगत ऋण के सम्बन्ध में कोई कार्यवाही जनपद एटा में सम्पन्न हुई, न ही अपीलीय स्तर पर ऐसा कोई अभिलेख प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से दाखिल किया गया। अपीलार्थीगण का यह स्पष्ट अभिकथन है कि जनपद एटा में उनका कोई शाखा कार्यालय नहीं है। ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थीगण का यह तर्क स्वीकार किए जाने योग्य है कि प्रश्नगत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच, एटा को प्राप्त नहीं था। ऐसी परिस्थिति में प्रश्नगत निर्णय क्षेत्राधिकार के अभाव में पारित किए जाने के कारण निरस्त किए जाने तथा अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी/परिवादी सक्षम मंच के समक्ष परिवाद योजित करने के लिए स्वतंत्र होगें।
आदेश
दोनों अपीले स्वीकार की जाती हैं। परिवाद संख्या-35/2008 में जिला मंच, एटा द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांकित 04.10.2008 तथा परिवाद संख्या-28/2007 में जिला मंच, एटा द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांकित 27.11.2007 को अपास्त किया जाता है। परिवाद निरस्त किये जाते हैं।
इस निर्णय की मूल प्रति अग्रणी अपील सं0-580/2010 में रखी जाए तथा एक प्रमाणित प्रतिलिपि अपील सं0-594/2010 में भी रखी जाए।
उभय पक्ष अपील में अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(उदय शंकर अवस्थी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-2