(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1934/2011
पोस्ट मास्टर, हेड पोस्ट आफिस, सिविल लाइन्स, उन्नाव
बनाम
अकील अहमद पुत्र स्व0 फारूक मोहम्मद, एडवोकेट, 582 तालिब सराय, शहर व जिला उन्नाव
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री श्रीकृष्ण पाठक।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 18.01.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-18/2010, अकील अहमद बनाम हेड पोस्ट मास्टर में विद्वान जिला आयोग, उन्नाव द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.8.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री श्रीकृष्ण पाठक को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थी पर नोटिस की तामीला हेतु पंजीकृत डाक के माध्यम से नोटिस प्रेषित की गयी थी, जो वापस प्राप्त नहीं हुई है। अत: प्रत्यर्थी पर नोटिस की तामीली की उपधारणा की जाती है।
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2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए परिवादी को अंकन 2,000/-रू0 की राशि बतौर क्षतिपूर्ति अदा करने हेतु विपक्षी को आदेशित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा दिनांक 16.9.2009 को अंकन 2,000/-रू0 का मनी ऑर्डर मुनव्वर खां को भेजा गया था, जिस पर अंकन 100/-रू0 का शुल्क विपक्षी को भुगतान किया गया था, परन्तु मनी ऑर्डर पर कोड नम्बर अंकित नहीं किया गया, इसलिए वह पोस्ट आफिस के कर्मचारी की गलती से जिला पोढ़ी गढ़वाल पहुँच गया।
4. विपक्षी का कथन है कि पिन कोड स्वंय परिवादी ने अंकित नहीं किया, इसलिए परिवादी की गलती है। यह भी कथन किया कि दिनांक 20.4.2010 को धनादेश वापस किया जा चुका है।
5. विद्वान जिला अयोग ने यह निष्कर्ष दिया है कि परिवादी की गलती के बावजूद डाक विभाग द्वारा इसे दुरूस्त किया जा सकता था, परन्तु यह निष्कर्ष तार्किक प्रतीत नहीं होता, क्योंकि जब स्वंय परिवादी ने मनी ऑर्डर पर पिन कोड अंकित नहीं किया तब किसी संस्थान की आश्यपूर्वक लापरवाही नहीं मानी जा सकती। यह भी उल्लेखनीय है कि डाक तार अधिनियम की धारा 6 में यह स्पष्ट उल्िलखित है कि जब तक आश्यपूर्वक त्रुटि/दोष को साबित न माना जाए तब तक डाक विभाग के विरूद्ध क्षतिपूर्ति का आदेश पारित नहीं किया जा सकता, जो धनराशि दी गयी, उसे परिवादी को वापस लौटा दी गयी, इस तथ्य का कोई खण्डन परिवादी ने नहीं किया है। अत: विद्वान विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश
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विधिसम्मत नहीं है, अत: अपास्त होने और प्रस्तुत स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.8.2011 अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3