Rajasthan

Churu

138/2014

YOGESH PARIK - Complainant(s)

Versus

AKASH GANGA COURIER - Opp.Party(s)

anand prajapat

22 Jan 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 138/2014
 
1. YOGESH PARIK
WARD NO 25 GANHI NAGAR CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

प्रार्थी की ओर से श्री आनन्द प्रजापत अधिवक्ता उपस्थित। अप्रार्थी की ओर से श्री ललित कुमार गौतम अधिवक्ता उपस्थित। पक्षकारान की बहस सुनी गई। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों केा दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी ने दिनांक 07.10.2013 को अपने रिश्तेदार के जन्मदिवस के अवसर पर उपहार देने के लिए एक घडी़ कीम्मती अप्रार्थी के माध्यम से भिजवायी थी जिस हेतु अप्रार्थी ने प्रार्थी से 20 रूपये नकद शुल्क लेकर 57402753 रसीद जारी कर दी। अप्रार्थी ने प्रार्थी को उक्त कोरियर के समय यह आश्वासन दिया था कि 3 दिवस के अन्दर-अन्दर पार्सल लक्ष्मणगढ़ पहुंचा दिया जावेगा। परन्तु जब पार्सल गंतव्य स्थान पर नहीं पहुंचा तो प्रार्थी ने अप्रार्थी से सम्पर्क किया तो शुरूआत में अप्रार्थी ने शीघ्र ही पार्सल पहुंचाने का आश्वासन दिया फिर भी जब पार्सल प्रार्थी के रिश्तेदार के पास नहीं पहुंचा तो प्रार्थी ने पुनः अप्रार्थी से सम्पर्क किया तो अप्रार्थी ने प्रार्थी को पार्सल गुम होने की सूचना दी परन्तु घड़ी की कीम्मत व रसीद की राशि देने से मना कर दिया। प्रार्थी अधिवक्ता ने आगे तर्क दिया कि अप्रार्थी का यह दायित्व था कि वह प्रार्थी के पार्सल को सुरक्षित गंतव्य स्थान पर पहुंचाये, अप्रार्थी द्वारा राशि लेकर पार्सल नहीं पहुंचाना स्पष्ट रूप से सेवादोष है इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थी अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि पार्सल भिजवाते समय अप्रार्थी को यह नहीं बताया गया था कि पार्सल में कोई उपहार है। अप्रार्थी अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि प्रार्थी को जारी रसीद की शर्तों के अनुसार अप्रार्थी का दायित्व पार्सल गुम होने की स्थिति में अप्रार्थी के यहां 30 दिवस में शिकायत करने पर केवल 50 रूपये तक का है। परन्तु प्रार्थी ने 30 दिवस के अन्दर-अन्दर पार्सल गुम होने के सम्बंध में कोई शिकायत नहीं की इसलिए प्रार्थी अप्रार्थी से कोई राशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।

           प्रार्थी की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, रसीद की प्रति दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार है।

           वर्तमान प्रकरण में अप्रार्थी के माध्यम से दिनांक 07.10.2013 को पार्सल बुक करवाना व पार्सल गुम होना स्वीकृत तथ्य है। विवादक बिन्दु यह है कि पार्सल गुम होने पर प्रार्थी पार्सल में स्थित घड़ी की राशि व हर्जाना प्राप्त करने का अधिकारी है। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में तर्क दिया कि प्रार्थी द्वारा जो पार्सल अप्रार्थी के माध्यम से भेजा गया था उसमें 4500 रूपये की घड़ी थी जबकि अप्रार्थी ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्क का विरोध किया और बताया कि पार्सल बुक के समय अप्रार्थी को यह नहीं बताया गया कि पार्सल में कोई घड़ी है। पार्सल में घड़ी थी इस तथ्य को साबित करने का भार प्रार्थी पर है परन्तु प्रार्थी ने अपने उक्त तर्कों के सम्बंध में केवल एक रसीद प्रस्तुत की है जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त रसीद के अवलोकन से यह जाहिर नहीं होता कि प्रार्थी ने अप्रार्थी को पार्सल में घड़ी होने के तथ्य के बारे में अवगत करवाया हो। इसलिए प्रार्थी यह सिद्ध करने में विफल रहा है कि प्रार्थी द्वारा भेजे गये पार्सल में घड़ी हो। अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में द्वितीय तर्क यह दिया कि प्रार्थी रसीद में अंकित शर्त के अनुसार पार्सल गुम होने की की सूचना 30 दिवस के अन्दर-अन्दर करने पर केवल 50 रूपये ही हर्जाना स्वरूप राशि प्राप्त करने का अधिकारी हैं। परन्तु प्रार्थी ने अप्रार्थी के यहां 30 दिवस के अन्दर-अन्दर पार्सल गुम होने की सूचना नहीं दी इसलिए प्रार्थी उक्त राशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। मंच अप्रार्थी के उक्त तर्कों से सहमत नहीं है क्योंकि कोई भी उपभोक्ता ऐसा नहीं होता जिसके द्वारा कोई भी पार्सल बुक करवाने के बाद निर्धारित स्थान पर नहीं पहुंचने पर जारी करने वाले के यहां शिकायत न करता हो। फिर अप्रार्थी स्वंय के द्वारा जारी रसीद के अनुसार अप्रार्थी का यह दायित्व था कि वह प्रार्थी को हर्जाना स्वरूप 50 रूपये अदा करता। अप्रार्थी ने अपने जवाब के साथ कोई शपथ-पत्र भी साक्ष्य स्वरूप प्रस्तुत नहीं किया इसलिए अप्रार्थी के कथन विश्वसनीय प्रतीत नहीं होते। मंच की राय में अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी के पार्सल को गुम करना व गुम करने के पश्चात हर्जाना राशि अदा नहीं करना अप्रार्थी का सेवादोष है। इसलिए प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।

           अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाकर अप्रार्थी को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी को पार्सल राशि 20 रूपये व 2,000 रूपये परिवाद व्यय के रूप में अदा करेगा। अप्रार्थी उक्त आदेश की पालना आदेश की दिनांक से 2 माह के अन्दर-अन्दर करेगा। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.