Rajasthan

Ajmer

CC/426/2012

JITENDRA SINGH - Complainant(s)

Versus

AJMER TYRE - Opp.Party(s)

ADV S.P GANDHI

20 Apr 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/426/2012
 
1. JITENDRA SINGH
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. AJMER TYRE
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

जितेन्द्र सिंह चैहान पुत्र श्री विजय सिंह चैहान, निवासी- रेल्वे लाईन के पास, सुभाषनगर, ब्यावर रोड, अजमेर । 
                                                -         प्रार्थी


                           बनाम

1. अजमेर टायर्स, 12 खाईलैण्ड मार्केट, पृथ्वीराज मार्ग, अजमेर ।
2. ब्रिजस्टोन इण्डिया प्रा. लि., ठैप्क्  प्लाॅट नं. 5/4, पांचवा माला, मीरचन्दानी बिजनेस पार्क, षालीमार व्छल्ग् आॅफ अंधेरी कुर्ला रोड, साकी  नाका, अंधेरी (ई)मुम्बई-400012 
                                               -        अप्रार्थीगण 
                 परिवाद संख्या 426/2012  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, व श्री नवनीत तिवारी
                    अधिवक्तागण, प्रार्थी
                  2.श्री ओम प्रकाष टांक, अप्रार्थी सं.1 स्वयं 
                  3.श्री पंकज मिश्रा,अधिवक्ता, अप्रार्थी सं. 2 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 06.05.2016
 
1.           प्रार्थी ( जो  इस परिवाद में आगे चलकर उपभोक्ता कहलाएगा) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 की धारा - 12 के अन्तर्गत अप्रार्थी संख्या 1 लगायत 2 के विरूद्व संक्षेप में इस आषय का पेष किया है कि उसने अप्रार्थी संख्या 2 द्वारा निर्मित  2 टायर 145.80 त्12 अप्रार्थी संख्या 1 से जरिए बिल संख्या 12980 दिनांक 19.7.2012 को रू. 5600/- में क्रए किए । टायर क्रए किए जाते समय अप्रार्थी संख्या 1 ने  टायरों के संबंध में  पांच वर्ष की गारण्टी दी थी । दिनंाक 26.08.2012 को जब वह भीलवाडा जा रहा था, तो रास्ते में उसने वाहन के टायर चैक किए तो पता चला कि क्रए किए गए टायरों में से एक टायर साईड से फूला हुआ था । उसने तत्काल फूला हुआ टायर निकाल कर दूसरा टायर लगाया । भीलवाड़ा से आने के बाद उसने दिनांक 28.8.2012 को अप्रार्थी संख्या 1 को इस संबंध में षिकायत की,  जिस पर अप्रार्थी संख्या 1 ने प्रष्नगत टायर  क्लेम हेतु जयपुर भेजने के लिए अपने पास रख लिया । अप्रार्थी संख्या 1 ने  दिनांक 28.8.2012 को ही टायर ’’चैके के निषान पर फूल रहा है’’ की षिकायत के साथ  जांच करने हेतु अप्रार्थी संख्या 2 के पास  भिजवाया । तत्पष्चात् अप्रार्थी संख्या 1 ने दिनांक 13.10.2012 को उसका क्लेम  टायर में निर्माण संबंधी दोष नहीं मानते हुए खारिज करना बताया  जबकि टायर का फूलना निर्माणीय दोष है  और प्रष्नगत टायर  क्लेम खारिजी पत्र के साथ लौटा दिया । उपभोक्ता ने इसे अप्रार्थीगण की सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में उपभोक्ता ने स्वयं का षपथपत्र पेेष किया । 
2.    अप्रार्थी संख्या 1 ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत करते हुए  उपभोक्ता द्वारा  प्रष्नगत टायर क्रय किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि  उत्तरदाता ने उपभोक्ता को टायर के संबंध में  परिवाद में वर्णितानुसार कोई गारण्टी नही ंदी थी । उपभोक्ता दिनंाक 28.8.2012 को टायर फूलने की षिकायत लेकर आया था  और विवादित टायर कम्पनी को क्लेम हेतु भिजवा दिया था ।  कम्पनी द्वारा  क्लेम खारिज कर दिए जाने पर उपभोक्ता को इसकी सूचना दे दी गई थी । उत्तरदाता का यह भी कथन है कि वह ब्रिजस्टोन टायर का अजमेर में अधिकृत डीलर है । उसका  कार्य टायर की बिक्री करना है । टायर में किसी प्रकार की खराबी होने या निर्माणीय दोष उत्पन्न होने पर टायर बदलने  की जिम्मेदारी  अप्रार्थी संख्या 2 ब्रिजस्टोन कम्पनी की है । उसका इस संबंध में कोई लेना देना नहीं है ।  अन्त में परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में श्री ओम प्रकाष टांक का षपथपत्र पेष हुआ है ।  
3.    अप्रार्थी संख्या 2 ने अपने जवाब में परिवाद के समस्त तथ्यों  का खण्डन करते हुए उसे  आधारहीन एवं अप्रार्थी को अनावष्यक रूप से परेषान करने तथा रूपए ऐंठने  की हैसियत से परिवाद दायर करना बताया । अधिनियम की धारा 13(1)(सी) के अन्तर्गत न्याय हित में प्रष्नगत उत्पाद की जांच प्रयोगषाला से करवाए जाने की गुहार की है । प्रष्नगत उत्पाद को ब्रिज स्टोन कम्पनी की पाॅलिसी के अन्तर्गत बताया व  निर्माणीय त्रुटि होने के तहत ही वारण्टी में आना बताया ।  प्रष्नगत उत्पाद में आई खराबी को  निर्माणीय त्रुटि  की श्रेणी में नहीं आना बताया । अपने विस्तृत जवाब में कुल मिलाकर  प्रष्नगत टायर में किसी भी  प्रकार की कोई निर्माणीय त्रुटि  होने से इन्कार करते हुए परिवाद को सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में श्री योगेन्द्र षर्मा का षपथपत्र भी प्रस्तुत हुआ ।
4.     दिनंाक 03.1.2013 को अप्रार्थी संख्या 2 के प्रार्थना पत्र पर प्रष्नगत टायर को अधिनियम की धारा 13(1)(सी) के तहत जांच हेतु प्रयोगषाला भिजवाया गया । जहां से रिपोर्ट प्राप्त हुई है । 
5.    उपभोक्ता के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया है कि प्रष्नगत टायर खरीदने के एक माह बाद टायर फूलने के कारण इसकी अप्रार्थी संख्या 1 के यहां षिकायत की गई थी व कालान्तर  में कम्पनी ने टायर में निर्माण दोष नहीं मानते हुए जो क्लेम खारिज किया है,  वह अनुचित है । टायर का फूलना निर्माण दोष है  एवं टायर  से संबंधित  क्लेम को निरस्त किया जाना अप्रार्थीगण की सेवा में कमी का परिचायक है ।  उपभोक्ता नया टायर अथवा उसकी  कीमत  के साथ साथ क्षतिपूर्ति व परिवाद व्यय  प्राप्त करने का अधिकारी है । 
6.    अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से बहस की गई है कि  वह अजमेर में ब्रिज स्टोन  टायर का अधिकृत डीलर है ।  उसका काम टायर का विक्रय करना है और यदि टायर में कोई निर्माणीय दोष होता है तो उसे बदलने का कार्य कम्पनी करती है । कम्पनी को क्लेम हेतु टायर का निरीक्षण कर उसकी रिपोर्ट कम्पनी ने भेजी है  तथा इस रिपोर्ट के संबंध में उसके द्वारा उपभोक्ता को अवगत करा दिया गया था ।  उसके द्वारा किसी प्रकार की कोई सेवा में कमी नहीं की गई है । 
7.    हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेख का  भी ध्यानपूर्वक अवलोकन  कर लिया हैं ।   
8.    स्वीकृत रूप से उपभोक्ता द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 से दिनंाक 19.7.2012 के बिल के जरिए  प्रष्नगत टायर खरीदा गया है व दिनंाक 28.8.2012 को उसके द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 के समक्ष टायर फूलने  की  षिकायत की गई है ।  इस षिकायत पर अप्रार्थी संख्या - 2 को उक्त टायर जांच हेतु  अप्रार्थी संख्या - 1 द्वारा भेजा गया है । 
9.    अब प्रष्न यह उत्पन्न होता है कि क्या टायर में किसी प्रकार की आई कोई खराबी वारण्टी के अन्तर्गत कवर होती थी ?
10.    इस  मंच द्वारा  प्रष्नगत टायर को जांच हेतु  भारतीय रबड गवेषण संस्थान, केरल को भिजवाया गया हैं। उक्त संस्थान द्वारा प्रेषित रिपोर्ट के अनुसार  प्रष्नगत टायर में एक साईड से  14 से.मी लम्बाई व 2.4 से.मी. चैडाई  में फूला  (ठनसहइ)  होना पाया गया । यह टायर के ठीक एक साईड में था व  टायर के हर ओर इस प्रकार की स्थिति नहीं थी । इस रिपोर्ट में प्रमुख रूप से  टायर फूलने का कारण निम्नानुसार बताया गया है:-
’’      ज्ीम इनसहपदह बंद  वबबनत कनम जव ंपत मदजतंचउमदजए मदजतंचउमदज व ि वितमपहद उंजमतपंस वित चववत ंकीमेपवद ंदक ेनबी तमसंजमक उंजजमते ए प्ज बंद ंसेव ींचचमद ूीमद जीम जलतम पे तनददपदह कनतपदह नदकमत पदसिंजमक बवदकपजपवदे इल पउचंबज तिवउ ींतक इसनदज वइरमबजे ूपजी तनचजनतम व िचसल बीवतकण्
            प् िइनसहपदह पे कनम जव ंिबजवते तमसंजमक जव चतवबमेेपदह सपाम मदजतंचउमदज व िवितमपहद उंजमतपंसए जीमद जीमतम ूवनसक दवज इम ंइतंेपवद सपाम उंतोण् प् िपज पे कनम जव जीम तनददपदह बवदकपजपवदे व िजीम जलतम जीमद ंसवदह ूपजी इनसहपदह जीमतम ूवनसक इम तनचजनतम व िजीम बीवतके कमचमदकपदह नचवद जीम ेमअमतपजलण् ैपदबम पद जीम इनसहमक चवतजपवद जीम बीवतक मदके बवनसक दवज इम ेममद पज पे पदमिततमक जींज जीम बीवत5क हवज मगजमदकमक ंदक बंनेमक जीम इनसहपदहण् थ्नतजीमत जीम ंइतंेपवद सपाम उंतो पद जीम पदजमतपवत ंसेव तमअमंस जींज जलतम तंद कनतपदह नदकमत दृपदसिंजमक बवदकपजपवदे ेव जींज बमतजंपद चंतज व िजीम जलतम बंउम नदकमत ीपही ेजतंपद समंकपदह जव मगजमदेपवद व िजीम ंिइतपबण्     ’’
इस प्रकार इस रिपोर्ट के अनुसार टायर का फूलना इसके निर्माण के समय इसमें हवा के बुलबुले की उपस्थिति व  कमजोर तरीके से रबड़ को चिपकाना या किसी बाहरी मैटिरियल  से  चिपकाने की वजह से भी  ऐसा होना बताया गया है।  जिस समय उक्त टायर अप्रार्थी संख्या- 1  को षिकायत के साथ सौंपा  गया है , उस टायर के बाहरी तरफ किसी प्रकार के  बाहरी व्इरमबज  से  चोट के कोई निषान भी नहीं पाए गए हंै । अतः  जब यदि बाहरी व्इरमबज अर्थात नुकीले पत्थर, लोहे की कील अथवा धारदार  वस्तु से उक्त टायर का  टकराना  होना होता तो  उस स्थिति में इस प्रकार के निषानात  आ सकते थे, जो की नहीं पाए गए हैं। फलतः  इस रिपोर्ट में आई स्थिति को देखते हुए टायर के निर्माण के समय  हवा के बुलबुले  से आई स्थिति  की सम्भावना  व रबर को कमजोर तरीके से  लेयर के रूप में चिपकाने  से आई कमी,   इस प्रष्नगत टायर को निर्माण संबंधी  त्रुटि की सीमा/ परिधि में लाता है व मंच की राय में यह  निर्माणीय त्रुटि की श्रेणी में  भी कहा जा सकता है ।  क्योंकि  प्रष्नगत टायर खरीदने के लगभग 2 माह के अन्दर   फूलने जैसी प्रक्रिया से गुजरा है ।  अतः इस त्रुटि को निर्माणीय त्रुटि मानते हुए  अप्रार्थी संख्या 2 को सेवा में कमी व दोषी ठहराया जाना  मंच की राय में न्यायोचित है । चूंकि अप्रार्थी संख्या 1 मात्र विक्रेता है व उसकी इसमें कोई सेवा में कमी अथवा  दोष की स्थिति नहीं है ।  अतः वह जिम्मेदार नहीं है । इन्हीं विवेचन को ध्यान में रखते हुए  उपभोक्ता का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है । अतः आदेष है कि 
                    :ः- आदेष:ः-
            (1) उपभोक्ता अप्रार्थी संख्या 2 से जरिए बिल संख्या 12980 दिनांक 19.7.2012 के  द्वारा क्रए किए गए दो टायरों में से   प्रष्नगत एक टायर की कीमत  रू. 2800/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
       (2)   उपभोक्ता अप्रार्थी संख्या 2 से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू. 2500 /- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 2500/- भी प्राप्त करने का  भी अधिकारी होगा । 
         (3)     क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी संख्या 2     उपभोक्ता को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से उपभोक्ता के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 06.05.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                     अध्यक्ष
            

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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