Rajasthan

Ajmer

CC/134/2014

TARUN AGARWAL - Complainant(s)

Versus

AJMER SAHAKARI UPBHOKTA BHANDAR LTD - Opp.Party(s)

ADV.AJIT KUMAR JAIN

25 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/134/2014
 
1. TARUN AGARWAL
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. AJMER SAHAKARI UPBHOKTA BHANDAR LTD
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  vijendra kumar mehta MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 

 

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर


डा. विक्रम सिंह  डाबी पुत्र श्री ज्ञान प्रकाष जी, निवासी- इन्दिरा काॅम्पलेक्स, जवाहर रंगमंच के पास, अजमेर ।  
                                                      प्रार्थी

                            बनाम

1.     यूनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, विनायकम, लाहोगल रोड, अजमेर जरिए इसके मण्डल प्रबन्धक । 
2.      सेटलेक(इण्डिया) प्रा.लि., ई-81,जीआईडीसी, इलेक्ट्रोनिक एस्टेट, सेक्टर, 26,गांधीनगर-382044 जरिए इसके प्रबन्धक निदेषक । 
                                                     अप्रार्थीगण 
                    परिवाद संख्या 134/2012

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
                   2. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री राजेन्द्र हाडा,अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री ए.एस.ओबराय,अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1
                  3.श्री घनष्याम सिंह चैहान, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.2

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः-14.05.2015

1.            परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि  प्रार्थी एक दन्त चिकित्सक है और उसने अप्रार्थी संख्या 2 से दिनंाक 10.2.2005 को  एक इलेक्ट्रोनिक डेन्टल इक्विपमेन्ट डिजीटल इमेजिंग सिस्टम रू, 2,15,000/- में क्रय किया  । उसने उक्त इक्विपमेन्ट व अन्य डेन्टल एक्सरे यूनिट का बीमा  अप्रार्थी संख्या 1 बीमा कम्पनी से  अवधि दिनंाक 12.11.2010 से 11.11.2011 तक करवाया ।  उक्त इक्विपमेन्ट ने दिनंाक 8.10.2011 को अचानक काम करना बन्द कर दिया  अर्थात  मरीजो के दांतों के जो एक्सरे  लिए जाते थे उनका डिस्प्ले होना बन्द हो गया  जिसकी अप्रार्थी संख्या 2 को षिकायत की और उसके निर्देषानुसार उसने उक्त इक्विपमेन्ट को जांच व सुधारने हेतु कम्पनी के वर्कषाप पर भेजा । तत्पष्चात् कम्पनी के इंजीनियर ने उक्त इक्विपमेन्ट की जांच कर परिवाद की चरण संख्या 4 में वर्णितानुसार  रिर्पोट दी  और रिर्पोट मिलने के बाद उसने  अप्रार्थी संख्या 1 बीमा कम्पनी को  दिनंाक 17.10.2011 को उक्त इक्विपमेन्ट के खराब हो जाने व काम नहीं  करने की सूचना दी  जिस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने सर्वेयर श्री विवेर पाठक से दिनंाक 7.11.2011 को सर्वे करवाया और सर्वेयर द्वारा मांगी गई जानकारी भी उपलब्ध करवा दी ।  हसके बाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने दिनंाक 1.11.2011 के पत्र द्वारा प्रार्थी से उक्त इक्विपमेन्ट की कीमत ब्रेक डाउन करते हुए सिस्टम की औसतन बाईफ्रकेटेड कोस्ट  की जानकारी चाही  और इसी आषय का सर्वेयर का भी पत्र दिनंाक 17.1.2011 भी मिला ।  जिस पर उसने  पत्र दिनंाक 4.2.2012 के द्वारा सर्वेयर को सूचित किया कि यह एक तकनीकी मामला है और  इस संबंध में जानकारी अप्रार्थी संख्या 2 के संबंधित इंजीनियर ही दे सकते है और ऐसी  जानकारी इण्टरनेट से भी प्राप्त की जा सकती है  साथ ही उक्त उपकरण के खराब हो जाने के कारण मरीजो के इलाज में हो रही परेषानी के मध्यनजर उसका बीमा क्लेम षीघ्र निस्तारण करने का निवेदन किया ।
    प्रार्थी ने परिवाद में आगे दर्षाया है कि  सर्वेयर द्वारा मांगी गई उक्त उपकरण की नई कोटेषन  के अनुसार राषि जो रू. 1,87,220/- होती है ,के बाबत् भी अवगत करवाया  जिस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनंाक 19.3.2012 के द्वारा फुल एण्ड  फाईनल सेटलमेंट करते हुए  अपग्रेडेषन, डिप्रिसिएषन, साल्वेज वेल्यू, एक्सेस क्लेम, रीस्ट्रेट प्रीमियम आदि   के मदों पर कटौति करते हुए राषि रू. 36,994.75 पै के भुगतान हेतु  वाउचर भेजा  जिस  पर उसने आपत्ति की  इसके बावजूद  अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को बीमा क्लेम की राषि का भुगतान नहीं कर रही है । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत करते हुए  उक्त उपकरण की राषि रू.2,15,000/- एव अन्य अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    अप्रार्थी संख्या 1 बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए  प्राम्भिक आपत्ति में दर्षाया है कि प्रार्थी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(1)(डी)के अन्तर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है क्योंकि प्रार्थी ने क्रय की गई मषीन का व्यावसायिक उपयोग किया है ।  आगे चरणवार जवाब प्रस्तुत करते हुए दर्षाया है कि  उनके सर्वेयर श्री विवेक पाठक  की रिर्पोट दिनंाक 6.3.2012 तथा विषेषज्ञ की राय के आधार पर  प्रार्थी के क्लेम राषि रू. 36,964/-   का फुल एण्ड फाईनल सेटलमेंट करते हुए वाउचर प्रार्थी के  हस्ताक्षर हेतु  पत्र दिनांक 19.3.2012 केे जरिए भेजा गया  जिस  पर प्रार्थी ने पत्र दिनंाक 3.5.2012 के द्वारा उक्त राषि की प्राप्ति हेतु अपनी असहमति जताई । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा साल्वेज वेल्यू की कोई कटौती नहीं की  इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । परिवाद का खारिज होना दर्षाया । 
3.           हमने  पक्षकारान की बहस सुनी एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।
4.    परिवाद के निर्णय हेतु हमारे समक्ष निम्नांकित बिन्दु तय करने के लिए है:-
    (1)      क्या प्रार्थी की यह मषीन व्यावसायिक  कार्य हेतु उपयोग उपभोग में लाई जा रही थी । अतः प्रार्थी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता ?
    (2)     क्या अप्रार्थी बीमा कम्पनी  द्वारा प्रार्थी के क्लेम में से राषि रू. 36,994/- ही देय माने । अतः उनका निर्णय सहीं है ?
5.    अब हम कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं का निर्णय निम्नतरह से करते है:-
    (1)    निर्णय बिन्दु संख्या 1:-  इस निर्णय  बिन्दु के संबंध में पक्षकारान की ओर से हुई बहस पर गौर किया ।  अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा इस संबंध में दृष्टान्त  माननीय राष्ट्रीय आयेाग के रिवीजन पीटिषन संख्या  912/14 मैसर्स विप्रो जीई हैल्थकेयर प्रा.लि. बनाम मैसर्स अजमेर हाॅस्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर  आदेष दिनांक 01.09.2014 प्रस्तुत किया जिसका हमने अवलोकन किया । परिवाद में तथ्योंनुसार प्रार्थी द्वारा अपने प्रतिष्ठान में स्थित एक्सरे मषीन का बीमा अप्रार्थी संख्या 1 बीमा कम्पनी से करवाया था जो बीमा राषि रू. 2,15,000/- के लिए होना दर्षाया है  । परिवाद में मषीन निर्माता कम्पनी को भी पक्षकार अवष्य बनाया है । दृष्टान्त(उपर वर्णित) जो पेष हुआ उसमें परिवाद मषीन निर्माता कम्पनी के ही  विरूद्व मषीन में आए दोषों के संबंध मे लाया गया था ।   अतः माननीय राष्ट्रीय आयेाग का  अभिमत था कि प्रार्थी अस्पताल मषीन का उपयोग व्यावसायिक कार्य हेतु किया जा रहा था जबकि हस्तगत प्रकरण में यह परिवाद मषीन के संबंध में किए गए बीमा  के संबंध में लाया गया है । अतः दृष्टान्त के तथ्य हस्तगत तथ्यों से भिन्न है एवं चूंकि परिवाद बीमा  अनुबन्ध को लेकर लाया गया है अतः प्रार्थी का यह परिवाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी  के विरूद्व चलने योग्य है । 
    (2)   निर्णय बिन्दु संख्या 2:-  इस निर्णय बिन्दु के संबंध में बहस सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्ध सर्वेयर की रिर्पोट  एवं बीमा पाॅलिसी की षर्तो का अध्ययन किया । पाॅलिसी के अनुसार प्रार्थी की इस मषीन का बीमा रू. 2,15,000/- की राषि के लिए किया गया है । यह तथ्य स्वीकृतषुदा है । अधिवक्ता प्रार्थी की बहस है कि मषीन दिनंाक 10.2.2005 में क्रय अवष्य केी गई थी किन्तु इसका बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा जो दिनंाक 12.11.2010 को किया उस वक्त मषीन की आईडीवी  रू. 2,15,000/- मानी गई है एवं यह मषीन बीमा कराने के एक वर्ष पूर्व की अवधि में ही खराब  हो गई । इस प्रकार अधिवक्ता प्रार्थी की बहस रही है कि रू. 2,15,000/- की राषि के स्थान पर मात्र रू, 36,994/- दिया जाना कतई उचित नहीं है ।  
6.    हमने गौर किया । सर्वेयर की रिर्पोट में डिप्रेसिएषन , साल्वेज व एक्सेस क्लाॅज के मद में जो राषि काटी गई है वो  राषियां किस तरह से उचित नहीं है इस संबंध में अधिवकता प्रार्थी की ओर से कुछ भी नहीं बतलाया गया है अर्थात अधिवक्ता प्रार्थी की ओर से आंकलित राषि किस तरह से  उचित नहीं है कुछ भी नहीं दर्षाया गया है । इसके विपरीत सर्वेयर ने सभी तथ्यों के दृष्टिगत एवं डिप्रेसिएषन  के संबंध में उसकी रिर्पोट के पैरा संख्या 6 में वर्णित अनुसार जो राषि काटी गई है, के तथ्यों को देखते हुए हम पाते है कि सर्वेयर द्वारा देय राषि का आंकलन उचित रूप से किया जाना पाया गया है एवं अप्रार्थी बीमा कम्पनी का दायित्व सर्वेयर द्वारा आंकलित राषि  रू. 36,964. 75 पै  का ही बनता है  जिसे राउण्ड फिगर में रू. 36,970/- किया जाना उचित है एवं  प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से यही राषि प्राप्त करने का अधिकारी है । अतः आदेष है कि 
                    :ः- आदेष:ः-
7.    (1)    प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  उसकी मषीन के संबंध में  हुए नुकसान की सर्वेयर द्वारा आंकलित एवं राउण्डेड राषि रू. 36,970/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (2)    प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू. 2000/- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
        (3)    क्रम संख्या 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें  अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।  
         (4)      दो माह  में आदेषित राषि का भुगतान  नहीं करने पर  प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  उक्त राषियों पर  निर्णय की दिनांक से  ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक  दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा  ।
   (5)        अप्रार्थी संख्या 2 के विरूद्व परिवाद खारिज किया जाता है 

                
(श्रीमती ज्योति डोसी)                              (गौतम प्रकाष षर्मा)
           सदस्या                                           अध्यक्ष    
8..        आदेष दिनांक 14.05.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्या                                           अध्यक्ष

            

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ vijendra kumar mehta]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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