Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/805

M/s India Ice Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Ajit Singh - Opp.Party(s)

V P Sharma

03 May 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/805
( Date of Filing : 28 Mar 2003 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/s India Ice Cold Storage
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ajit Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 03 May 2023
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या :805/2003

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, (प्रथम) आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या-561/1999 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 28-02-2002 के विरूद्ध)

  1. M/s India Ice & Cold Storage, Nanlalpur, Hathras Road, P.S. Khandauli, District Agra.
  2. Sushil Kumar, Manager, India Ice & cold storage, Nandlalpur, Hathras Road, P.S. Khandauli District Agra.
  3.                                         Appellants  

Versus

Ajit Singh S/O Sri Indraveer Singh R/O Village& Post Uncha, P.S. Khandauli, District Agra

  1.                                       Respondent    

समक्ष  :-

  1. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य  
  2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य 

     उपस्थिति :

     अपीलार्थी की ओर से उपस्थित-कोई नहीं  

     प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री आर0के0 गुप्‍ता, विद्धान अधिवक्‍ता

     दिनांक : 03-05-2023

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.               जिला उपभोक्‍ता आयोग (प्रथम) आगरा द्वारा परिवाद सं0 561/1999 अजीत सिंह प्रति इंडिया आइस कोल्‍ड स्‍टोरेज में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.02.2002 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।
  2.           संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी 298 बोरी आलू सत्र 1998-1999 में इंडिया आइस एण्‍ड कोल्‍ड स्‍टोरेज ‘’नन्‍द लाल पुर, हाथरस रोड आगरा’’ में लौट नं0 1246/150 में 150 बोरी तथा लौट नं0 1326/148 में 148 बोरी यानि कुल 298 बोरी जमा कराया था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने 298 मे से 150 बोरी आलू अपने छोटे भाई नीरज चौहान के द्वारा निकलवा लिया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी का आलू उक्‍त  दोनों लौटों से निकाला गया था, इसलिए आलू जमा कराने वाली दोनों रसीदें दिनांक 01.09.1999 को 150 बोरी आलू निकालते समय कोल्‍ड स्‍टोर में जमा करा ली गयी थी। रसीदों को वापस नहीं किया गया। उसी समय आलू रखने का सम्‍पूर्ण भाड़ा रूपये 17,880/-रू0 भी जमा करा लिया गया था, जिसकी कोई रसीद नहीं दी गयी थी और कह दिया था कि शेष 148 बोरी आलू निकालते समय ही सब कुछ किया जायेगा क्‍योंकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को शेष 148 बोरी भी जल्‍दी  निकालनी थी इसलिए इस बातों पर कोई ध्‍यान नहीं दिया गया। परिवादी दिनांक 06.09.1999 को अपना शेष 148 बोरी आलू निकालने गया तो विपक्षी सं0 2 ने कहा कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का आलू परिवादी द्वारा भेजे गये कोई व्‍यक्ति निकाल ले गये है, लेकिन नाम व पता नहीं बताया गया और न ही कोई रजिस्‍टर दिखाया गया। विपक्षी सं0 1 व 2 ने मिलकर परिवाद का शेष 148 बोरी आलू  गायब कर दिया, जिस कारण परिवादी ने यह परिवाद योजित किया।
  3.           अपीलार्थीगण/विपक्षी सं0 1 व 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें कथन किया गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का आलू दोनों लॉटो से निकाला गया था तथा आलू जमा कराने वाली रसीद दिनांक 01.09.1999 को ही कोल्‍ड स्‍टोर मे जमा करा ली थी तथा रसीदों को वापस नहीं किया गया। आलू निकालने का सम्‍पूर्ण भाड़ा भी जमा करा लिया गया था, परंतु भाड़ा जमा होने के उपरान्‍त रसीद दी गयी थी बल्कि बकायदा भाड़ा लेने की रसीद दी थी। शेष 148 बोरी आलू के संबंध में प्रत्‍यर्थी/परिवादी कभी भी विपक्षीगण के पास नहीं आया और न ही किसी प्रकार की कोई जानकारी की गयी।
  4.           जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष को सुनने के उपरान्‍त प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया है।
  5.           अपीलार्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री आर0के0 गुप्‍ता उपस्थित हैं। पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेख का अवलोकन किया गया।
  6.               प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार परिवादी ने अपनी 298 आलू सत्र 1998-1999 में अपीलार्थी इंडिया आइस कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा था। परिवादी के अनुसार उसने 298 बोरियों में से 150 बोरी आलू अपने छोटे भाई नीरज चौहान के द्वारा निकलवा लिया। आलू 02 लॉट से निकाला गया था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार दिनांक 01.09.1999 को 150 बोरी आलू निकालते समय कोल्‍ड स्‍टोर में जमा करा ली गयी थी, उन रसीदों को वापस नहीं किया गया था तथा उसी समय आलू रखने का सम्‍पूर्ण भाड़ा 17,880/-रू0 भी जमा करना था, जिसकी कोई रसीद नहीं दी गयी थी और कह दिया गया था कि शेष 148 बोरी आलू निकालते समय ही सब कुछ  किया जायेगा।
  7.           विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने इस आधार पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद आज्ञप्‍त किया कि अपीलार्थी कोल्‍ड  स्‍टोरेज की ओर से रजिस्‍टर प्रस्‍तुत नहीं किये गये हैं, जिनमें आलू का प्राप्‍त होना और दिया जाना अंकित हो। विपक्षीगण द्वारा खुद दी गयी नोटिस के जवाब में यह कहा है कि रसीद उनके पास है, लेकिन रसीदें उन्‍होंने जिला उपभोक्‍ता फोरम के समक्ष नहीं रखी है इसलिए इस आधार पर परिवाद आज्ञप्‍त किया गया है।
  8.           कोल्‍ड स्‍टोरेज की प्रक्रिया के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी आलू जमा करते समय गेट पास/रसीदें प्राप्‍त करता है एवं आलू की निकासी के समय उक्‍त गेट पास वापस कोल्‍ड स्‍टोरेज को सुपुर्द कर दिये जाते हैं। इस प्रकार यदि आलू नहीं निकाले गये हैं तो उक्‍त रसीदें प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पास होना आवश्‍यक है, जिन्‍हें प्रस्‍तुत करके वह यह तथ्‍य सिद्ध कर सकता है कि उसके द्वारा आलू नहीं निकाले गये हैं। प्रस्‍तुत मामले में 150 बोरी के संबंध में यह कहा गया है कि सभी रसीदें 298 में से शेष आलू निकालते समय सभी रसीदें कोल्‍ड  स्‍टोरेज ने ले ली थी। यह तथ्‍य मानने योग्‍य नहीं है क्‍योंकि अन्‍य  किसी प्रकार से उक्‍त प्रश्‍नगत आलू का कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा जाना साबित नहीं होता है, जिनके आधार पर यह निष्‍कर्ष दिया जा सके कि यह 150 बोरी आलू प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा वापस प्राप्‍त नहीं किये गये हैं। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने इस आधार पर परिवाद आज्ञप्‍त किया है कि विपक्षी की ओर से उक्‍त रसीद प्रस्‍तुत नहीं की गयी है जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा रसीदें प्रस्‍तुत करके अपनी बकाया आलू की मात्रा को साबित किया जा सकता है कि ये रसीदें आलू वापस प्राप्‍त न करने के कारण अभी भी उसके पास हैं। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद साक्ष्‍य से साबित न होने के कारण स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने गलत तथ्‍य पर वाद आज्ञप्‍त किया है। अत: प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश निरस्‍त किये जाने योग्‍य है एवं अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।
  9.  

अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किया जाता है।

             उभय पक्ष अपीलीय वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

             आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)(विकास सक्‍सेना)

  •  

 

     संदीप आशु0कोर्ट नं0 3

 

 

 

      

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.