(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1612/2009
इलाहाबाद बैंक, हेमपुर ब्रांच, भिंगा, जिला श्रावस्ती द्वारा ब्रांच मैनेजर
बनाम
अजीज खान पुत्र छेदा खान तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अवधेश शुक्ला।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री विष्णु कुमार मिश्रा।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा के कनिष्ठ
सहायक श्री सतीश चन्द्र श्रीवास्तव।
दिनांक : 12.03.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-28/2007, अजीज खान बनाम शाखा प्रबंधक, इलाहाबाद बैंक में विद्वान जिला आयोग, श्रावस्ती द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.2.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अवधेश शुक्ला एवं प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री विष्णु कुमार मिश्रा तथा प्रत्यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा के कनिष्ठ सहायक श्री सतीश चन्द्र श्रीवास्तव को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवादी द्वारा जमा बैंक ड्राफ्ट की राशि अंकन 21,420/-रू0 18 प्रतिशत ब्याज के साथ एवं अंकन 10,000/-रू0 मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति के साथ लौटाने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने अपीलार्थी बैंक में स्थित अपने खाता संख्या 3683 में दिनांक 20.9.2006 को एक बैंक ड्राफ्ट अंकन 21,420/-रू0 का जमा किया था, जिसकी रसीद
-2-
विपक्षी बैंक द्वारा दी गयी थी, परन्तु इस ड्राफ्ट की राशि को परिवादी के बैंक खाते में जमा नहीं किया गया, जिस कारण परिवादी मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक रूप से परेशान होता रहा, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षी को पंजीकृत डाक के माध्यम से नोटिस प्रेषित की गयी, परन्तु उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं है, इसलिए एकतरफा सुनवाई की गयी। एकतरफा सुनवाई के दौरान प्रस्तुत की गयी साक्ष्य के आधार पर उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
5. अपीलार्थी बैंक का यह कथन है कि ड्राफ्ट की राशि यूनियन बैंक आफ इण्डिया को प्रेषित कर दिया था, जिनके द्वारा ड्राफ्ट तैयार किया गया था और उन्हें क्लीयरेंस प्राप्त नहीं हुआ, जिसका तात्पर्य यह है कि ड्राफ्ट में जो राशि वर्णित है, वह राशि अभी भी उस बैंक के पास मौजूद है, जिस बैंक द्वारा ड्राफ्ट बनाया गया है, इसलिए ड्राफ्ट की राशि को अदा करने का आदेश देने का कोई वैधानिक औचित्य नहीं था, क्योंकि यह राशि कभी भी ड्राफ्ट प्राप्त करने वाले बैंक से निकल कर अपीलार्थी, इलाहाबाद बैंक को प्राप्त नहीं हुई है, इसलिए इस राशि के भुगतान का दायित्व अपीलार्थी बैंक पर नहीं है। यद्यपि इस ड्राफ्ट/चेक जैसा कि अपीलार्थी की ओर से कहा गया है, के क्लीयर न होने पर परिवादी को सूचना देने का कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। अत: अपीलार्थी बैंक द्वारा केवल इस सीमा तक लापरवाही की गयी है, जिसके लिए अपीलार्थी बैंक पर केवल 5,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति देने का आदेश देना उचित था न कि अंकन 10,000/-रू0। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.2.2008 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अपीलार्थी, इलाहाबाद बैंक पर अंकन 21,420/-रू0 परिवादी को अदा करने का कोई उत्तरदायित्व नहीं है, परन्तु चूंकि अपीलार्थी बैंक द्वारा ड्राफ्ट/चेक क्लीयर न होने पर परिवादी को सूचना प्रेषित नहीं की गयी है। अत: इस लापरवाही के कारण अंकन 5,000/-रू0 (पांच हजार रूपये) की क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए अपीलार्थी बैंक को आदेशित किया जाता है, इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज भी देय होगा।
-3-
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3