(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2133/2008
(जिला उपभोक्ता आयोग, (द्वितीय) बरेली द्वारा परिवाद संख्या-31/2007 में पारित निणय/आदेश दिनांक 13.10.2008 के विरूद्ध)
1. सहारा इण्डिया रीजनल आफिस, नियर कमिश्नर आफिस गेट सिविल लाइन्स, जिला बरेली, द्वारा ब्रांच मैनेजर।
2. सहारा इण्डिया परिवार, 1-कपूरथला काम्पलेक्स, लखनऊ द्वारा मैनेजर द्वारा अथराइज्ड सिग्नेचरी।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
श्री अजीम उद्दीन पुत्र श्री नसरूउद्दीन, निवासी पोस्ट कांधरपुर, थाना कैण्ट, पोस्ट उमरसिया, जिला बरेली।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री ए.के. श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्डन।
दिनांक: 05.07.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-31/2007, अजीम उद्दीन बनाम श्रीमान शाखा प्रबंधक, सहारा इण्डिया परिवार तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, (द्वितीय) बरेली द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 13.10.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए परिवादी द्वारा जमा राशि अंकन 70,000/-रू0 व ब्याज की राशि अंकन 25,000/-रू0 और परिवाद व्यय के रूप में अंकन 5,000/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यो के अनुसार परिवादी द्वारा विभिन्न तिथियों पर विपक्षीगण द्वारा संचालित योजना के अंतर्गत कुल 70,000/-रू0 जमा किए गए, विपक्षीगण इस जमा राशि के संबंध में किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं, इसलिए इस राशि को ब्याज सहित प्राप्त करने के लिए परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
4. विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी ने कोई रसीद दाखिल नहीं की है। परिवादी तथा विपक्षीगण के मध्य कोई अनुबंध नहीं है। परिवादी ने विपक्षीगण के फील्ड कार्यकर्ता/प्रतिनिधि सगीर अहमद के खिलाफ पास बुक चुराने का मुकदमा दर्ज कराया है, जो अपराध संख्या 732/2006 दिनांक 7.7.2006 दर्ज हुआ है। प्रश्नगत केस कूट रचना एवं धोखा-धड़ी से संबंधित है, इसलिए विद्वान जिला आयोग को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। परिवादी ने कभी भी सहारा बचत योजना का सदस्य बनने के लिए आवेदन नहीं दिया और न ही कोई धनराशि जमा की है। सगीर अहमद द्वारा फर्जी प्रविष्टि की गई है। प्रस्तुत केस में साक्ष्य का जटिल प्रश्न निहित है, इसलिए उपभोक्ता आयोग द्वारा विचारणीय मामला नहीं है।
5. पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी द्वारा पासबुक की छायाप्रति दाखिल की गई है, जिसमें कर्मचारी के हस्ताक्षर कोड सहित मौजूद हैं। अपने कर्मचारी के किसी भी आचरण के लिए विपक्षीगण कंपनी उत्तरदायी है। तदनुसार जमा राशि अंकन 70,000/-रू0 एवं ब्याज राशि अंकन 25,000/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया गया है।
6. इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि परिवादी द्वारा सगीर अहमद नामक व्यक्ति के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया है, उसके द्वारा गबन किया गया है तथा जमा की रसीद परिवादी से प्राप्त नहीं कराई है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश साक्ष्य के विपरीत है।
7. पत्रावली का अवलोकन करने से यह तथ्य स्थापित है कि परिवादी द्वारा विद्वान जिला आयोग के समक्ष एक पासबुक की छायाप्रति प्रस्तुत की गई है, इस पासबुक की छायाप्रति पर अपीलार्थी कंपनी के कर्मचारी के कोड सहित हस्ताक्षर मौजूद हैं। यदि अपीलार्थी कंपनी के कर्मचारी द्वारा कोई गबन किया गया है तब अपने कर्मचारी के दुराचरण के लिए भी कंपनी उत्तरदायी है। परिवादी ने अंकन 70,000/-रू0 की राशि सशपथ जमा करने का कथन विद्वान जिला आयोग के समक्ष किया है तथा पासबुक की छायाप्रति प्रस्तुत की है, इसलिए अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता के इस तर्क में बल नहीं है कि परिवादी ने कोई राशि जमा नहीं की है या यह विवाद उपभोक्ता विवाद नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
दिनांक 05.07.2024
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2