Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/2573

ICICI General Insurance - Complainant(s)

Versus

Ajay Nigam - Opp.Party(s)

A N Tripathi

11 Nov 2006

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/2573
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. I C I C I General Insurance
a
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Chandra Bhal Srivastava PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. SYED ALI AZHAR RIZVI MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ

अपील संख्‍या 2573  सन  2006

                                                                                                                                   

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम  प्रथम, आगरा  द्वारा परिवाद संख्‍या 445/05 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 07.08.2006  के विरूद्ध)

 

 

आईसीआईसीआई लोम्‍बार्ड जनरल इंश्‍योरेंस क0लि0 द्वारा प्रबन्‍धक (ला) पॉचवा तल, बिरला टावर, 25, बाराखंभा रोड, कनाट प्‍लेस, नई दिल्‍ली – 01

                                                 .....अपीलार्थी

बनाम

अजय निगम, पुत्र श्री एस0पी0 निगम, निवासी बी-10, ए, न्‍यू आगरा, उ0प्र0                                       ................प्रत्‍यर्थी

 

समक्ष:-

1    मा0   श्री चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव, पीठासीन  सदस्‍य।

2    मा0   श्री एस0ए0ए0 रिजवी, सदस्‍य।

 

विद्वान अधिवक्‍ता  अपीलार्थी :            श्री बृजेन्‍द्र चौधरी ।   

विद्वान अधिवक्‍ता प्रत्‍यर्थी सं0-।    :            श्री अजय निगम स्‍वयं ।

 

दिनांक: 

माननीय श्री चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, सदस्‍य (न्‍यायिक) द्वारा उदघोषित ।

निर्णय

 

            यह अपील, जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम  प्रथम, आगरा  द्वारा परिवाद संख्‍या 445/05 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.08.2006  के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है जिसके द्वारा जिला फोरम ने परिवादी के परिवाद को स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को बीमे दावे की शेष धनराशि 93,745.00 रू0 एवं 1000.00 रू0 क्षतिपूर्ति व 1000.00 रू0 वाद अदा करने का निर्देश दिया है।

      संक्षेप में, प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अपनी कार संख्‍या डीएल 3सीयू 6985 का  बीमा 2,45,245.00 रू0 हेतु विपक्षी आईसीआईसीआई लोम्वार्ड जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी से कराया जिसकी अवधि 26.6.2005 से 25.6.2006 तक थी। दिनांक 05.8.2005 को उक्‍त कार दुर्घटनाग्रस्‍त हो गयी। बीमा कम्‍पनी द्वारा 93,745.00 रू0 काटकर कुल 1,51,500.0 रू0 का भुगतान किया गया । शेष धनराशि हेतु विपक्षी द्वारा दावा प्रस्‍तुत किया गया जिसे जिला फोरम द्वारा स्‍वीकार किया गया ।

      अपीलार्थी द्वारा अपील के आधारों में यह कहा गया कि प्रश्‍नगत आदेश एक पक्षीय है बीमा कम्‍पनी द्वारा क्षतिपूर्ति का   सही आकलन करते हुए भुगतान किया गया है एवं उक्‍त भुगतान पक्षकारों के बीच हुए समझौते के आधार पर किया गया है इस प्रकार परिवादी शेष धनराशि पाने का हकदार नहीं है।

      हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ताओं की बहस सुन ली है एवं अभिलेख का ध्‍यानपूर्ण अनुशीलन कर लिया है।

      प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा हमारे समक्ष यह दलील ली गयी है कि दुर्घटना में परिवादी की कार बुरी तरह क्षतिग्रस्‍त हो गयी थी। बीमा कम्‍पनी द्वारा सर्वेयर की रिपोर्ट के परिप्रेक्ष्‍य में गलत ढंग से 93,745.00 रू0 की कटौती की गयी जबकि दुर्घटना बीमा कराने के मात्र 39 दिन बाद ही घटित हुयी। अभिलेख के अवलोकन से यह भी स्‍पष्‍ट है कि क्षतिग्रस्‍त गाडी का साल्‍वेज भी बीमा कम्‍पनी के पास ही है, इससे स्‍पष्‍ट होता है कि गाड़ी पूर्णत: क्षतिग्रस्‍त हो गयी थी और बीमा कम्‍पनी द्वारा 93,745.00 रू0 काटे जाने का कोई सारयुक्‍त औचित्‍य स्‍थापित नहीं किया गया है। जिला फोरम ने समस्‍त तथ्‍यों को विवेचित करते हुए बीमा दावे की शेष धनराशि 93,745.00 रू0 के भुगतान हेतु आदेश दिया है, जिसमें कोई विधिक त्रुटि नही है। जिला फोरम ने क्षतिपूर्ति के मद में 1000.00 रू0 तथा वाद व्‍यय के रूप में 1000.00 रू0 क्षतिपूर्ति दी है जोकि उचित है। निर्धारित अवधि में धनराशि न देने पर 06 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज का निर्देश दिया गया है, जोकि बीमा कम्‍पनी द्वारा की गयी सेवा में कमी को देखते हुए उपयुक्‍त है।

      प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने यह भी तर्क लिया है कि अपीलार्थी द्वारा इस अपील को विलम्‍ब से दाखिल करने का समुचित स्‍पष्‍टीकरण नहीं दिया गया है। यह उल्‍लेखनीय है कि प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.8.2006 को पारित किया गया है जिसकी प्रमाणित प्रति अपीलार्थी द्वारा 24.8.2006 को प्राप्‍त की गयी है जबकि अपील 10.10.2006 को विलम्‍ब से दाखिल की गयी है। अपीलार्थी द्वारा विलम्‍ब क्षमा आवेदन एवं शपथपत्र में उक्‍त निर्णय की प्राप्ति की कोई तिथि अंकित नहीं की गयी है और यह कहा गया है कि हाल ही में निर्णय की कापी प्राप्‍त हुयी है, इस प्रकार अपीलार्थी द्वारा विलम्‍ब क्षमा का जो आधार लिया गया है वह अत्‍यंत ही शिथिल है।

      अत: हम इस मत के भी हैं कि अपीलार्थी अपील संस्थित करने में हुए विलम्‍ब का भी समुचित एवं संतोषजनक स्‍पष्‍टीकरण देने में असमर्थ रहा है और उसने जानबूझ कर एक पक्षीय निर्णय की प्रति को प्राप्‍त होने की तिथि को छिपाया है, अत: अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत विलम्‍ब क्षमा आवेदन भी स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं है।

      परिणामत:, यह अपील कालबाधित होने के कारण भी निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

      प्रस्‍तुत अपील तदनुसार निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

                                                आदेश

 

            प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त करते हुए जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम  प्रथम, आगरा  द्वारा परिवाद संख्‍या 445/05 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 07.08.2006 सम्‍पुष्‍ट किया जाता है।

अपीलार्थी इस अपील के व्‍यय के रुप में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 5000.00 (पांच हजार) रू0 अलग से अदा करेगा।

इस निर्णय की प्रति उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाय।

 

 

(चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव)                           (एस0ए0ए0 रिजवी)

पीठा0 सदस्‍य (न्‍यायिक)                                                         सदस्‍य

      कोर्ट- 4

(S.K.Srivastav,PA-2)

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. SYED ALI AZHAR RIZVI]
MEMBER

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