(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2087/2012
(जिला आयोग, द्वितीय गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या-93/2012 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.6.2012 विरूद्ध)
दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, रिजनल आफिस, जीवन भवन, 43, हजरतगंज, जिला लखनऊ द्वारा मैनेजर।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
अजय कुमार शर्मा पुत्र वेद प्रकाश शर्मा, निवासी हरद्वारी नगर, मोदी नगर रोड, हापुड़, जिला गाजियाबाद (प्रोपराइटर मैसर्स शर्मा जनरल स्टोर, मोदी नगर रोड, हापुड़, जिला गाजियाबाद)।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वासुदेव मिश्रा।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा।
दिनांक: 04.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-93/2012, अजय कुमार शर्मा बनाम ओरियण्टल इंश्योरेंस कंपनी लि0 में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय गाजियाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.6.2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. प्रश्नगत निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद को स्वीकार करते हुए क्षतिपूर्ति की राशि अंकन 5,50,000/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि परिवादी को अंकन 1,19,500/-रू0 का भुगतान अंतिम रूप से स्वेच्छा से किया जा चुका है। परिवादी द्वारा डिसचार्ज बाऊचर पर अपने हस्ताक्षर किए गए हैं और इस राशि को प्राप्त करते समय कोई आपत्ति भी नहीं की गई है, इसलिए उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है। विद्वान जिला आयोग ने अवैधानिक रूप से निर्णय/आदेश पारित किया है, जो अपास्त होने योग्य है।
4. प्रस्तुत अपील के विनिश्चय के लिए एक मात्र विनिश्चाय बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या परिवादी द्वारा अंतिम रूप से स्वेच्छा के साथ बगैर किसी आपत्ति के क्षतिपूर्ति की राशि प्राप्त कर ली गई है और बीमा कंपनी को दायित्व से मुक्त कर दिया गया है ?
5. बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि सर्वेयर द्वारा अंकन 1,19,500/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया था। परिवादी को इस राशि को अदा कर दिया गया गया है, जिसे परिवादी ने स्वेच्छा से अंतिम रूप से स्वीकार कर लिया है। सर्वेयर रिपोर्ट पत्रावली पर मौजूद है, जिसके अवलोकन से इस तथ्य की पुष्टि होती है कि सर्वेयर द्वारा अंकन 1,19,500/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया है। विद्वान जिला आयोग ने फायर बिग्रेड की रिपोर्ट के आधार पर अंकन 5,50,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश दिया है, जो अनुचित है। यह रिपोर्ट इस प्रशासनिक दायित्व की पूर्ति के लिए तैयार की जाती है कि अग्नि शमन द्वारा आग बुझाने के लिए किस सीमा तक कार्यवाही की गई। यह रिपोर्ट कदाचित क्षति के आंकलन का आधार नहीं हो सकती।
6. परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह उल्लेख किया है कि बीमा कंपनी द्वारा परिवादी के खाते में चेक जमा किया था, जिसकी जानकारी होने पर दिनांक 1.5.2009 को नोटिस दिया गया था तथा अवशेष राशि की मांग की गई थी। इस तथ्य की पुष्टि शपथ पत्र द्वारा भी की गई है। परिवाद पत्र में नोटिस प्राप्ति के तथ्य से इंकार नहीं किया गया है। डिसचार्ज बाऊचर की प्रति भी प्रस्तुत नहीं की गई है, जिसके आधार पर यह जानकारी प्राप्त की जा सके कि परिवादी द्वारा स्वेच्छा से डिसचार्ज बाऊचर पर हस्ताक्षर किए गए हैं, इसलिए डिसचार्ज बाऊचर पर हस्ताक्षर स्वेच्छा से सहमति से करने का तथ्य स्थापित नहीं है, परन्तु इसी के साथ अंकन 5,50,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति भी वैधानिक रूप से स्थापित नहीं की गई है, इसलिए सर्वेयर द्वारा क्षति की जिस राशि का आंकलन किया गया है, उस राशि से अधिक क्षतिपूर्ति अदा करने का कोई औचित्य प्रस्तुत केस में प्रतीत नहीं होता। अत: प्रस्तुत अपील इस आधार पर स्वीकार होने योग्य है कि अंकन 1,19,500/-रू0 की क्षति का आंकलन जो सर्वेयर द्वारा किया गया है, उस आंकलन के अनुसार क्षतिपूर्ति की राशि अदा करने का निष्कर्ष विधिसम्मत है। यद्यपि सहमति से स्वेच्छा का तथ्य स्थापित नहीं है, परन्तु इस स्थिति के बावजूद बीमा कंपनी द्वारा जो राशि परिवादी को अदा की गई है, वह पर्याप्त है, इसलिए अतिरिक्त क्षतिपूर्ति का आदेश अनुचित है। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.6.2012 अपास्त किया जाता है। चूंकि परिवादी को सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर क्षति की राशि प्राप्त कराई जा चुकी है, इसलिए परिवादी किसी अन्य राशि को प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है। तदनुसार प्रश्नगत परिवाद खारिज किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2