राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
पुनरीक्षण संख्या:-123/2023
छोटे लाल शर्मा (लाल कंस्ट्रक्शन) लाल प्रापर्टीज एण्ड कंस्ट्रक्शन कम्पनी प्रा0लि0 मोनिका फर्नीचर हाउस, बी0के0 कान्वेन्ट स्कूल, तकरोही इन्दिरानगर, लखनऊ-16
........... पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी
बनाम
अजय कुमार जायसवाल म0नं0-49, संस्कृत इन्क्लेव, इन्दिरानगर, लखनऊ-16
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
पुनरीक्षणकर्ता के अधिवक्ता : सुश्री सुशीला पाण्डेय
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 21.12.2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका इस आयोग के सम्मुख धारा-47 (1) (बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता आयोग, दि्वतीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-474/2021 में पारित निम्न आदेश दिनांक 23.9.2023 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है:-
''पुकार करायी गयी।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित हैं। पत्रावली पर विपक्षी पक्ष की तरफ से दिनांकित आदेश 06-02-2023 को अपास्त करने हेतु एक प्रार्थना पत्र दिनांकित 23-09-2023 दिया गया है। परिवादी पक्ष द्वारा मौखिक रूप से आपत्ति की गयी।
सुना गया तथा पत्रावली का सम्यक् परिशीलन किया गया।
पत्रावली के परिशीलन से यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रस्तुत परिवाद, दिनांक 11-10-2021 को इस आयोग के समक्ष संस्थित हुआ। परिवादी द्वारा विपक्षी को सूचनार्थ रजिस्टर्ड पैरवी की गयी। पत्रावली के परिशीलन से यह भी स्पष्ट हो रहा है कि परिवादी ने जो नोटिस की प्रति मय रजिस्ट्री रसीद के दाखिल की है, उससे स्पष्ट
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हो रहा है कि परिवादी ने विपक्षी को सूचनार्य पैरवी दिनांक 26-10-2021 को की। चूंकि पैरवी रजिस्टर्ड की गयी थी, इस कारण एक माह का समय विपक्षी पक्ष पर तामीला हेतु न्यायोचित है। इस प्रकार विपक्षी पर तामीला दिनांक 26-11-2021 को हो गया, क्योंकि रजिस्टर्ड पैरवी वापस लौटकर नहीं आयी थी। पत्रावली के परिशीलन से यह भी स्पष्ट हो रहा है कि विपक्षी पक्ष दिनांक 21-06-2022 एवं 05-07-2022 को समक्ष आयोग उपस्थित भी हुआ, परन्तु उसके द्वारा कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। तत्पश्चात् पत्रावली में नियत तिथियों पर विपक्षी पक्ष उपस्थित नहीं हुआ। अन्ततः दिनांक 06-02-2023 को विपक्षी पक्ष के प्रतिवाद पत्र का अवसर समाप्त करते हुए उसके विरुद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किये जाने का आदेश पारित किया गया। उक्त दिनांकित आदेश को निरस्त करने हेतु आज दिनांक 23-09-2023 को उपरोक्त आशय का प्रार्थना पत्र विपक्षी द्वारा दिया गया है और साथ ही प्रतिवाद पत्र की प्रति भी दी गयी है। विपक्षी ने अत्यन्त ही विलम्ब से उक्त प्रार्थना पत्र के साथ अपना प्रतिवाद पत्र दिया है।
उक्त सन्दर्भ में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अवधारित एक प्रासंगिक एवं सामयिक विधि व्यवस्था का उल्लेख करना समीचीन है :-
माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा न्यू इण्डिया ऐश्योरेंस कं0 लि0 बनाम हिल्ली मल्टीपरपज कोल्ड स्टोरेज (प्रा.) लि0, (2020) 5 एस0सी0सी0 757, के प्रकरण में यह विधि व्यवस्था अवचारित की गयी है कि विपक्षी पक्ष, उस पर तामीला होने के उपरान्त 45 दिन की अवधि में ही प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर सकेगा। उक्त अवधि बीत जाने के उपरान्त किसी भी दशा में विपक्षी पक्ष को प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त नहीं होगा।
उपरोक्त विधि व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत प्रकरण की पत्रावली के परिशीलन से यह स्पष्ट हो रहा है कि विपक्षी पक्ष ने उस पर तामीला के उपरान्त, 45 दिन की अवधि के अन्दर अपना प्रतिवाद पत्र नहीं दिया। अत्यन्त ही विलम्ब से रिकाल प्रार्थना पत्र के साथ प्रतिवाद पत्र दिया है, जो कि विलम्बित होने के कारण उपरोक्त विधि व्यवस्था के प्रकाश में पत्रावली पर ग्रहण किये जाने योग्य नहीं है। इस प्रकार विपक्षी का उपरोक्त प्रार्थना पत्र एवं प्रतिवाद पत्र बलहीन है।
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उपरोक्त विवेचनानुसार विपक्षी पक्ष के उपरोक्त प्रार्थना पत्र को निरस्त करते हुए प्रतिवाद पत्र को पत्रावली पर ग्रहण नहीं किया जाता है। परिवादी अपना एकपक्षीय साक्ष्य नियत तिथि को प्रस्तुत करे।
पत्रावली दिनांक 04-12-2023 को वास्ते एकपक्षीय साक्ष्य परिवादी प्रस्तुत हो।''
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा आदेश दिनांक 23.9.2023 में यह तथ्य स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया गया कि परिवादी द्वारा विपक्षी को सूचनार्य पैरवी दिनांक 26-10-2021 को की गई। चूंकि पैरवी रजिस्टर्ड की गयी थी, इसलिए एक माह का समय विपक्षी पर नोटिस तामीला हेतु न्यायोचित है। इस प्रकार विपक्षी पर नोटिस का तामीला दिनांक 26-11-2021 को हो गया, क्योंकि रजिस्टर्ड पैरवी वापस लौटकर नहीं आयी थी। यह तथ्य भी स्पष्ट है कि विपक्षी दिनांक 21-06-2022 एवं दिनांक 05-07-2022 को आयोग के समक्ष उपस्थित भी हुआ है, परन्तु उसके द्वारा कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। तदोपरांत पत्रावली में नियत तिथियों पर विपक्षी उपस्थित नहीं हुआ। अन्ततः दिनांक 06-02-2023 को विपक्षी के प्रतिवाद पत्र का अवसर समाप्त करते हुए उसके विरुद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किये जाने का आदेश पारित किया गया।
साथ ही विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह तथ्य भी उल्लिखित किया कि जवाब दावा प्रस्तुत करने की अधिकतम समय सीमा 45 अर्थात 30+15 दिन की विधि व्यवस्था मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा अनेकों वादों में, जिनका उल्लेख विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया गया है। चूंकि लिखित कथन प्रस्तुत किये जाने की सीमा 30 दिन अतिरिक्त 15 दिन अवधि पूर्ण होने के पश्चात निर्विवादित रूप से पुनरीक्षणकर्ता द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख जवाब दावा
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प्रस्तुत किये जाने की प्रक्रिया सुनिश्चित की गई जिसे विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा विधि अनुसार समस्त तथ्यों को उल्लिखित करते हुए अस्वीकार किया गया। प्रार्थना वास्ते जवाब दावा समयावधि बढाये जाने को अस्वीकार किये जाने के आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका मेरे विचार से पोषणीय नहीं है। तद्नुसार अंगीकरण के बिन्दु पर ही प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका अंतिम रूप से निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1