Uttar Pradesh

StateCommission

A/1007/2016

U.P. Avas Evam Vikas Parishad - Complainant(s)

Versus

Ajay Kumar Bhalla - Opp.Party(s)

N.N. Pandey

13 Feb 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1007/2016
(Arisen out of Order Dated in Case No. C/199 of District Lucknow-I)
 
1. U.P. Avas Evam Vikas Parishad
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Ajay Kumar Bhalla
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 13 Feb 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-1007/2016

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम-प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या 199/2014 में पारित आदेश दिनांक 30.03.2016 के विरूद्ध)

1. U.P. Avas Evam Vikas Parishad

   through Avas Ayukt,

   104, Mahatma Gandhi Marg, Lucknow.

2. Joint Housing Commissioner,

   U.P. Avas Evam Vikas Parishad,

   104, Mahatma Gandhi Marg, Lucknow.

3. Executive Engineer,

   U.P. Avas Evam Vikas Parishad,

   3rd Phase, Neelgiri Complex,

   Indira Nagar, Lucknow.

4. Assistant Housing Commissioner,

   Sampatti Prabandhak Karyalaya,

   U.P. Avas Evam Vikas Parishad,

   2, C/52, 53 and 55, Vrindavan Scheme, Lucknow.                          

                           ....................अपीलार्थी/विपक्षीगण

बनाम

Sri Ajay Kumar Bhalla

Son of Sri Moti Lal Bhalla,

R/o 1/92, Vishwas Khand,

Gomti Nagar,

Lucknow-226010                 ................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित  : श्री एन0एन0 पाण्‍डेय,           

                                विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अशोक कुमार साहू,

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 22-03-2017

 

 

 

-2-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-199/2014 अजय कुमार भल्‍ला बनाम ज्‍वाइंट हा‍उसिंग कमिश्‍नर, (L.Jo.), यू0पी0 आवास एवं विकास परिषद व अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 30.03.2016 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्‍त परिवाद के विपक्षीगण यू0पी0 आवास एवं विकास परिषद एवं अन्‍य की ओर से धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम        ने उपरोक्‍त परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए  अपीलार्थी/विपक्षीगण को संयुक्‍त रूप से और पृथक-पृथक रूप से आदेशित किया है कि वे प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जमा धनराशि 17,50,000/-रू0 पर दिनांक 21.04.2012 से कब्‍जा हस्‍तांतरण की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज अदा करें। जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया है कि वे प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 5000/-रू0 बतौर क्षतिपूर्ति और 3000/-रू0 बतौर वाद व्‍यय अदा करें और आदेश का अनुपालन एक मास के अन्‍दर करें।

अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से  उनके  विद्वान  अधिवक्‍ता  श्री एन0एन0 पाण्‍डेय और प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्‍ता श्री अशोक कुमार साहू उपस्थित आए हैं।

 

 

-3-

हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश त्रुटिपूर्ण है और विधि विरूद्ध है।

अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि यू0पी0 आवास एवं विकास परिषद की रजिस्‍ट्रेशन बुकलेट के    नियम 4.6 में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है कि यदि परिषद अंतिम किश्‍त के भुगतान के 06 महीने के अन्‍दर कब्‍जा देने में असमर्थ रहती है तो ऐसी स्थिति में आवंटी की मांग पर परिषद सम्‍पूर्ण जमा धनराशि राष्‍ट्रीयकृत बैंक द्वारा बचत खाते पर देय ब्‍याज की दर से ब्‍याज सहित वापस करेगी। अत: यह स्‍पष्‍ट है कि उक्‍त नियम के अनुसार ब्‍याज तभी देय होगा जब जमा धनराशि की वापसी की मांग की जाती है।

अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि आवंटन पत्र दिनांक 15.07.2014 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जारी किया गया है, जिसके अनुसार उसने अवशेष धनराशि       दिनांक 30.10.2014 को जमा की है और विक्रय पत्र के पंजीयन की औपचारिकतायें पूरी की है। तदोपरान्‍त दिनांक 26.12.2014  को  बैनामा  निष्‍पादित  करते  हुए  प्रत्‍यर्थी/परिवादी  को  कब्‍जा   दिनांक 14.03.2015 को अंतिम भुगतान के 06 मास के अन्‍दर ही

 

-4-

हस्‍तांतरित कर दिया गया है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी कोई ब्‍याज पाने का अधिकारी नहीं है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण ने डिमाण्‍ड लेटर दिनांक 21.04.2010 के द्वारा आवंटित फ्लैट का कुल मूल्‍य 17,50,000/-रू0 बताया था और प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने सम्‍पूर्ण धनराशि 17,50,000/-रू0     दिनांक 28.12.2011 को जमा कर दिया है, परन्‍तु निर्धारित   समय-सीमा के अन्‍दर अपीलार्थी/विपक्षीगण ने कब्‍जा हस्‍तांतरण नहीं किया है। अत: जिला फोरम ने जो 09 प्रतिशत की दर से जमा धनराशि पर दिनांक 21.04.2012 से कब्‍जा हस्‍तांतरण की तिथि तक जो ब्‍याज दिलाया है, वह उचित है। उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने अपीलार्थी/विपक्षीगण की सेल्‍फ फाइनेंसिंग मल्‍टी–स्‍टोरीड रेजीडेंसियल काम्‍प्‍लेक्‍स/स्‍कीम-2009 में एक फ्लैट के आवंटन हेतु आवेदन किया और आवश्‍यक धनराशि 90,000/-रू0 जमा कर पंजीयन कराया तथा औपचारिकतायें पूरी की। तदोपरान्‍त प्रत्‍यर्थी/परिवादी को फ्लैट नं0 B3-603, 6th Floor, Type-II मल्‍टी-स्‍टोरीड रेजीडेंसियल काम्‍प्‍लेक्‍स आकाश इन्‍क्‍लेव वृन्‍दावन योजना, लखनऊ में आवंटन पत्र दिनांक 31.03.2010 के द्वारा आवंटित किया गया और उक्‍त आवंटन पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी को डिमाण्‍ड लेटर दिनांक 21.04.2010 भेजा  गया,

-5-

जिसमें फ्लैट का कुल मूल्‍य 17,50,000/-रू0 बताया गया और 2,60,000/-रू0 30 दिन के अन्‍दर जमा करने को कहा गया। तदनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उक्‍त धनराशि जमा की। उसके बाद अवशेष धनराशि 2,00,000/-रू0 की त्रैमासिक 07 किश्‍तों में जमा करनी थी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने सम्‍पूर्ण किश्‍त निर्धारित समय-सीमा के अन्‍दर जमा की। इस प्रकार दिनांक 28.12.2011 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कुल 17,50,000/-रू0 जमा किया।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने उपरोक्‍त धनराशि जमा करने हेतु स्‍टेट बैंक आफ इण्डिया से आर्थिक सहायता प्राप्‍त की क्‍योंकि अपीलार्थी/विपक्षीगण के उपरोक्‍त डिमाण्‍ड लेटर दिनांक 21.04.2010 में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख था कि सम्‍पूर्ण धनराशि मांग पत्र के जारी होने की तिथि से 60 दिन के अन्‍दर जमा करने पर आवंटी को 2 प्रतिशत की फ्लैट के मूल्‍य में छूट दी जाएगी।

परिवाद पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कहा है कि उसे आवंटित फ्लैट पर कब्‍जा अप्रैल 2012 तक दिया जाना चाहिए था, जब   02 वर्ष की अवधि मांग पत्र की तिथि से पूरी होती है, परन्‍तु उसे अपीलार्थी/विपक्षीगण ने आवंटित भवन पर निर्धारित अवधि के अन्‍दर कब्‍जा नहीं दिया। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत करते हुए आवंटित भवन पर कब्‍जा दिलाए जाने और विक्रय पत्र निष्‍पादित कराए जाने का निवेदन किया। इसके साथ ही जमा धनराशि पर ब्‍याज एवं मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति तथा वाद व्‍यय की मांग की।

-6-

अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध किया गया और यह कथन किया गया कि पंजीकरण पुस्तिका में स्‍पष्‍ट रूप से    नियम 4.6 है, जिसमें यह प्राविधान है कि फ्लैट निर्माण में विलम्‍ब के कारण आवंटी को अंतिम किश्‍त जमा करने के 06 माह तक फ्लैट आवंटित नहीं करने पर आवंटी की मांग पर जमा धनराशि राष्‍ट्रीयकृत बैंक द्वारा बचत खाते पर देय ब्‍याज की दर से ब्‍याज सहित वापस पाने का अधिकारी होगा।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण ने यह भी कहा है कि भारतीय किसान यूनियन के आन्‍दोलन के कारण योजना के निर्माण में विलम्‍ब हुआ है, जानबू्झकर विलम्‍ब नहीं किया गया है। निर्माण कार्य अब पूरा हो चुका है। जुलाई 2014 से कब्‍जा हस्‍तांतरण सम्‍भव हो सकेगा। पंजीकरण पुस्तिका के क्रमांक 11.8 में घोषित अनुमानित मूल्‍य में फ्लैट के अन्तिम मूल्‍यांकन वृद्धि सूचित सीमा के अन्‍दर ही बनायी रखी गयी है।

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त यह माना है कि दिनांक 28.12.2011 तक प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने सम्‍पूर्ण धनराशि 17,50,000/-रू0 जमा कर दिया है, फिर भी अपीलार्थी/विपक्षीगण ने निर्धारित अवधि में उसे कब्‍जा नहीं दिया। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हए अपीलार्थी/विपक्षीगण को आदेशित किया है कि वह जमा धनराशि 17,50,000/-रू0 पर दिनांक 21.04.2012 से कब्‍जा प्राप्‍त करने की

 

-7-

तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करें।

हमने जिला फोरम के निर्णय पर विचार किया है।

अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा बैंगलौर डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम सिण्डिकेट बैंक II (2007) CPJ 17 (SC) के वाद में दिए गए निर्णय को सन्‍दर्भित किया गया है।

हमने माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के उपरोक्‍त निर्णय का अवलोकन आदरपूर्वक किया है।

परियोजना की विवरण पुस्तिका का प्रस्‍तर-9 फ्लैट के कब्‍जे के सम्‍बन्‍ध में है, जिसमें यह उल्‍लेख है कि फ्लैट का निर्माण मांग पत्र निर्गमन की तिथि से 24 माह की अवधि में पूर्ण किया जाना प्रस्‍तावित है और मांग पत्र दिनांक 21.04.2010 को जारी किया गया है। अत: फ्लैट का निर्माण दिनांक 21.04.2010 से दो साल के अन्‍दर अर्थात् दिनांक 21.04.2012 तक पूरा होना चाहिए था।

परियोजना विवरण पुस्तिका के प्रस्‍तर-4.6 में उल्‍लेख है कि फ्लैट निर्माण में विलम्‍ब के कारण किसी आवं‍टी को अन्तिम किश्‍त जमा करने के 06 माह बाद तक भी परिषद फ्लैट आवंटित नहीं करा पाता है तो आवंटी की जमा धनराशि अन्तिम किश्‍त जमा करने के आगामी माह से धनराशि वापसी की मांग के पूर्व माह तक परिषद के नियमानुसार तत्‍समय राष्‍ट्रीयकृत बैंक द्वारा बचत खाते पर देय ब्‍याज सहित वापस कर दी जायेगी।

 

-8-

उपरोक्‍त विवरण से यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने 17,50,000/-रू0 का भुगतान दिनांक 28.12.2011 को किया है। अत: परियोजना के विवरण पुस्तिका के प्रस्‍तर-4.6 के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपनी जमा धनराशि की वापसी की मांग कर सकता था, परन्‍तु उसने जमा धनराशि की वापसी की मांग नहीं की है और‍ परियोजना के विवरण पुस्तिका के प्रस्‍तर-9.1 के अनुसार फ्लैट का निर्माण मांग पत्र की ति‍थि से 24 माह की अवधि में पूर्ण किया जाना प्रस्तावित रहा है, परन्‍तु आवंटन पत्र अथवा मांग पत्र में कब्‍जा 24 महीने के अन्‍दर हस्‍तांतरित किए जाने का स्‍पष्‍ट उल्‍लेख नहीं है।

माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने बैंगलौर डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम सिण्डिकेट बैंक के उपरोक्‍त निर्णय में कहा है कि निर्माण कार्य की संविदा में समय तब तक सार नहीं होता है जब तक समय का स्‍पष्‍ट उल्‍लेख न हो, परन्‍तु आवंटन पत्र अथवा मांग पत्र दिनांक 21.04.2010 में आवंटित भवन पर कब्‍जा हस्‍तांतरण की कोई समय-सीमा स्‍पष्‍ट रूप से उल्लिखित नहीं है। परियोजना की विवरण पुस्तिका के प्रस्‍तर 9.1 में अंकित है कि मांग पत्र निर्गमन की तिथि से 24 माह की अवधि में निर्माण पूरा किया जाना प्रस्‍तावित है।

मेमो अपील की धारा-21 में अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से यह स्‍पष्‍ट रूप से कहा गया है कि प्रश्‍नगत फ्लैट की अंतिम कास्टिंग के बाद एलाटमेंट लेटर दिनांक 15.07.2014 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जारी किया गया है और उसने अवशेष धनराशि

-9-

तदनुसार दिनांक 30.10.2014 को जमा करते हुए बैनामा रजिस्‍ट्री कराने हेतु औपचारिकतायें पूरी की है। तब दिनांक 26.12.2014 को उसके पक्ष में प्रश्‍नगत फ्लैट का बैनामा निष्‍पादित कर दिया गया है और उसे दिनांक 14.03.2015 को अंतिम भुगतान के 6 महीने के अन्‍दर ही कब्‍जा हस्‍तांतरण कर दिया गया है। मेमो अपील के साथ अपीलार्थी/विपक्षीगण आवास विकास परिषद ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के हक में निष्‍पादित पंजीकृत विक्रय विलेख दिनांक 26.12.2014 की प्रति प्रस्‍तुत की है। अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से मेमो अपील के साथ फिजिकल पजेशन सर्टिफिकेट की फोटोप्रति भी प्रस्‍तुत की गयी है, जिसके अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने      दिनांक 14.03.2015 को प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा प्राप्‍त कर लिया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से प्रश्‍नगत फ्लैट का पंजीकृत बैनामा अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा दिनांक 26.12.2014 को निष्‍पादित किए जाने और प्रश्‍नगत फ्लैट पर कब्‍जा प्राप्‍त करने से इंकार नहीं किया गया है। अत: यह स्‍पष्‍ट है कि परिवाद के लम्‍बन अवधि में ही अपीलार्थी/विपक्षीगण आवास विकास परिषद ने अंतिम कास्टिंग के आधार पर एलाटमेंट लेटर दिनांक 15.07.2014 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जारी किया है और उसके अनुसार अवशेष धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जमा कर बैनामा अपने हक में निष्‍पादित कराया है और कब्‍जा प्राप्‍त कर लिया है।

माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने बैंगलौर डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम सिण्डिकेट बैंक के उपरोक्‍त वाद में स्‍पष्‍ट रूप से निम्‍न मत व्‍यक्‍त किया है:-

-10-

“As already noticed, where the grievance is one of delay in delivery of possession, and the Development Authority delivers the house during the pendency of the complaint at the agreed price, and such delivery is accepted by the allottee-complainant, the question of awarding any interest on the price paid by him from the date of deposit to date of delivery of possession, does not arise. The allottee who had the benefit of appreciation of price of the house, is not entitiled to interest on the price paid. In this case, the 11 houses were delivered in 1997 at the agreed prices (Rs. 5.5 lacs per corner HIG house and Rs. 4.75 lacs per other HIG houses). In view of it, the order of the Commission awarding interest at 18% per annum on the price of the houses is unsustainable and liable to be set aside.

उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर वर्तमान वाद के तथ्‍यों पर  माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा बैंगलौर डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम सिण्डिकेट बैंक के उपरोक्‍त वाद में प्रतिपादित सिद्धान्‍त पूर्णतया लागू होता है। अत: माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्‍त और वाद के तथ्‍यों एवं परिस्‍थ‍ितियों के   आधार पर हम इस मत के हैं कि वाद के  लम्‍बन  अवधि  में  

 

-11-

अन्तिम कास्टिंग के आधार पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा सम्‍पूर्ण भुगतान किए जाने पर अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा उसके पक्ष में बैनामा निष्‍पादित करने व प्रश्‍नगत फ्लैट पर उसे कब्‍जा दिए जाने के बाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उसके द्वारा जमा धनराशि पर ब्‍याज दिया जाना विधिसम्‍मत नहीं है। जिला फोरम ने इस बिन्‍दु      पर विचार किए बिना प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जमा धनराशि    17,50,000/-रू0 पर जो दिनांक 21.04.2012 से कब्‍जा हस्‍तांतरण की तिथि तक 09 प्रतिशत की दर से ब्‍याज दिलाया है, वह उपरोक्‍त विवेचना एवं माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के उपरोक्‍त निर्णय के अनुसार विधिसम्‍मत नहीं है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्षों के आधार पर हमारी राय में जिला फोरम ने जो 5000/-रू0 क्षतिपूर्ति और 3000/-रू0 वाद व्‍यय अपीलार्थी/विपक्षीगण से प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिलाया है, वह भी उचित नहीं है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा कन्‍ज्‍यूमर केस नं0 427/2014 सतीश कुमार पाण्‍डेय व एक अन्‍य बनाम मै0 यूनीटेक लि0 व अन्‍य सम्‍बन्धित वादों में पारित निर्णय दिनांक 08.06.2015 की प्रति प्रस्‍तुत की गयी है। हमने माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पारित इस निर्णय को सावधानीपूर्वक पढ़ा है। उपरोक्‍त विवेचना एवं माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा बैंगलौर डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम सिण्डिकेट बैंक के उपरोक्‍त वाद में प्रतिपादित सिद्धान्‍त  के  आधार  पर  वर्तमान  निर्णय  का  लाभ

 

-12-

प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वर्तमान वाद के तथ्‍यों के परिप्रेक्ष्‍य में नहीं मिल सकता है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्षों के आधार पर हम इस मत के हैं कि अपील स्‍वीकार करते हुए जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त कर परिवाद निरस्‍त किया जाना उचित है।

आदेश

     अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 30.03.2016 अपास्‍त करते हुए परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

     उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत इस अपील में जमा की गयी धनराशि ब्‍याज सहित अपीलार्थी/विपक्षीगण को नियमानुसार वापस कर दी जाएगी।

 

     (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)          (बाल कुमारी)       

           अध्‍यक्ष                   सदस्‍य           

 

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1     

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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