RAJA RAM filed a consumer case on 12 Sep 2014 against Ajanta Color Lab and Other in the Jaisalmer Consumer Court. The case no is 46/14 and the judgment uploaded on 27 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नरावत।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 11.03.2014
मूल परिवाद संख्या:- 18/2014
1. श्री नरेन्द्रसिंह पुत्र श्री भंवरसिंह, जाति- राजपुत,
निवासी- गांव/पोस्ट अमरसागर तह.व जिला
जैसलमेर
2. श्री खेमचंद पुत्र श्री हनुमानाराम, जाति- गर्ग,
निवासी- गांव-छोड़, हाला जैसलमेर
त. फतेहगढ़,जिला जैसलमेर ............परिवादीनी।
बनाम
शाखा प्रबन्धक,
युनाईटेड इण्डिया इंश्योरेस कंपनी लिमिटेड,
सत्य कुंज, षिव रोड, जैसलमेर .............अप्रार्थीगण।
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री टीकूराम गर्ग, अधिवक्ता परिवादीगण की ओर से।
2. श्री उम्मेदसिंह नरावत, अधिवक्ता अप्रार्थी की ओर से ।
ः- निर्णय -ः दिनांक ः 19.03.2015
1. परिवादीगण का सक्षिप्त मे परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी सं. 2 के स्वामित्व का वाहन बोलेरो एसएलएक्स नम्बर आर जे 15 टीए 991 जो उक्त वाहन परिवादी सं. 1 से क्रय की थी क्रय करते समय वाहन की आरसी व इष्योरेन्स अप्रार्थी सं. 1 के नाम था क्रय करते समय प्रार्थी सं. 2 ने स्वामित्व अधिकार के तहत आरसी बदलवाकर अपने नाम करवा ली जो वाहन के पुराने नम्बर आरजे 14 यूए 9236 के स्थान पर नये नम्बर आर जे 15 टीए 991 हो गये। उनका यह भी कथन है कि वाहन क्रय से पहले परिवादी सं. 1 के नाम इष्योरेंस जो दिनांक 15.10.2011 से 14.10.2012 तक अप्रार्थी के यहा बीमित था जिसको कानूनी प्रक्रिया एवं अपरिहार्य कारणों सेे बदलवा नही सके। परिवादीगण का यह भी कथन है कि दिनांक 20.12.2011 की रात को परिवादी सं. 2 जैसलमेर स्थित अपने घर से उक्त वाहन चोरी हो गया जिसकी रिपोर्ट 24.12.2011 को पुलिस थाना जैसलमेर मे दर्ज कराई गई थी लैकिन अनुसंधान मे चोरी गई गाडी का पता नही लगने पर एफआर नम्बर 26 दिनांक 27.03.2012 की गई जो न्यायालय द्वारा स्वीकार कर ली गई साथ ही अप्रार्थी को उक्त वाहन के चोरी होने की लिखित मे सूचना दी गई तथा साथ मे ही थ्प्त् की नकल, इष्योरेंस की भी नकले दी गई, गाडी की मूल त्ब् गाडी के साथ चोरी हो गई। परिवादीगण द्वारा उक्त गाडी चोरी होने के बाद अपनी बीमा क्लैम हेतु अप्रार्थी कार्यालय मे बार-बार चक्कर लगाने के बावजूद भी वाहन की बीमा राषि अदा नही की जिससे प्रार्थीगण को मानसिक शारीरिक व आर्थिक परेषानी हुई अप्रार्थी का यह कृत्य सेवा दोष की श्रेणी मे आता है। अतः वाहन का किया गया बीमा एवम् लिये गये प्रीमियम के तहत परिवादी को हर्जाना दिलाया जावें।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी की तरफ से जवाब पेष कर प्रकट किया कि आर जे 14 9236 का अप्रार्थी बीमा कम्पनी मे दिनांक 15.10.2011 से 14.10.2012 के लिये बीमा होना स्वीकार है जिसका वक्त बीमा स्वामी प्रार्थी सं. 2 खेमचन्द नही था बल्कि प्रार्थी सं. 1 नरेन्द्र सिंह था जिसे प्रार्थी सं. 2 खेमचन्द ने खरीद कर अपने नाम स्वामित्व पंजीबद्व करा लिया था लैकिन अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सूचित नही किया था न ही विधिक प्रकिया से अपने नाम का इन्द्राज बीमा पालिसी मे कराया इनका यह भी कथन है कि परिवादी सं. 2 खेमचन्द अप्रार्थी बीमा कम्पनी से क्लैम प्राप्त करने का विधि अनुसार अधिकारी ही नही था इसलिए इसका बीमा क्लैम कम्पनी ने विधि अनुरूप अस्वीकार किया है।
3. अप्रार्थी सं. 1 नरेन्द्र सिंह ने तो अप्रार्थी बीमा कम्पनी से इस बाबत् कोई सम्पर्क नही किया, न ही वह क्लैम प्राप्त करने का पक्षकार था तथा न ही बीमा कम्पनी को कोई क्लैम पेष किया है उसके द्वारा जो परेषान करने का कथन किया गया है वह अस्वीकार है तथा अपने विषेष कथन मे यह प्रकट किया है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी सं0 1 नरेन्द्रसिंह का वाहन आर जे 14 यूए 9236 का बीमा दिनांक 15.10.2011 से 14.10.2012 तक की अवधि के लिये प्राईवेट कार पाॅलिसी पैकेज मे बीमित था जिसे परिवादीगण के कथन अनुसार दिनांक 07.12.2011 को परिवादी सं. 1 नरेन्द्र सिंह ने परिवादी सं0 2 खेमचन्द को बैचान कर जिला परिवहन कार्यालय जैसलमेर से स्वामित्व हस्तान्तरण खेमचन्द के नाम करा दिया था व उक्त वाहन खेमचन्द के स्वामित्व मे रहते हुए दिनांक 20.12.2011 को उसके घर से चोरी हो गया इस प्रकार वक्त चोरी उक्त वाहन का प्रार्थी नरेन्द्र सिंह स्वामी नही था विधि अनुसार केवल स्वामी यदि उसका वाहन बीमा कम्पनी से बीमित है तो वह क्लैम प्राप्त करने का अधिकारी होता है। जबकि इस प्रकरण मे परिवादी नरेन्दसिंह के स्वामित्व का कोई वाहन चोरी नही हुआ हे ओर न ही कोई क्षति हुई है ओर इस प्रकार परिवादी नरेन्द्रसिंह का परिवाद सारहीन होने के कारण निरस्त योग्य हैै।
4. उनका यह भी कथन है कि उक्त वाहन परिवादी सं. 1 नरेन्दसिंह से परिवादी सं. 2 खेमचन्द ने खरीद लिया था व उसके नम्बर भी बदलकर टेक्सी वाहन मे परिवर्तित करा लिये थे जब कि परिवादीगण ने इसकी कोई सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को नही दी जबकि आॅल इण्डिया मोटर टेरिफ जनरल रैगुलेषन के नियम 17 मे प्रावधान है कि वाहन के स्वामित्व अन्तरण पर तत्काल वाछित दस्तावेज सहित बीमा कम्पनी को सूचना दी जानी होगी व बीमा कम्पनी बीमा पाॅलिसी मे भी नियम अनुसार प्रकिया अपनाकर स्वामित्व के अन्तरण का अंकन पाॅलिसी मे करना होगा ऐसी न करने पर बीमा कम्पनी को कोई जाखिम उत्तरदायित्व नही होगा जबकि इस प्रकरण मे न तो सूचना दी गई न तो पाॅलिसी परिवादी सं. 2 खेमचन्द के नाम परिवर्तित की गई अतः परिवादीगण द्वारा आॅल इण्डिया मोटर टेरिफ जनरल रैगुलेषन के प्रावधानों की पालना न करने के कारण अप्रार्थी बीमा कम्पनी परिवादी सं. 2 को यह क्लैम देने की उत्तरदायी नही है अंत मे उनका यह भी कथन है कि परिवादी सं. 1 नरेन्द्रसिंह के नाम स्वामित्व न होने एवं परिवादी सं. 2 खेमचन्द के नाम बीमा पाॅलिसी न होने के कारण दोनो परिवादीगण अप्रार्थी बीमा कम्पनी से कोई क्लैम प्राप्त करने के अधिकारी नही है। परिवाद सव्यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
5. हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
6. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादीगण एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
7. बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादीगण पर है जिसके तहत कि क्या परिवादीगण उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादीगण एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादीगण ने बाकायदा विहित प्रक्रिया अपना कर अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा वाहन का बीमा करवाया जिसे अप्रार्थी द्वारा भी माना गया है इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादीगण उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादीगण के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
8. बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादीगण पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? विद्वान परिवादीगण अभिभाषक की मुख्य रूप दलील है कि प्रार्थीगण का विवादग्रस्त वाहन जो चोरी हो गया उसका बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा से करवाया गया था जो दिनांक 15.10.2011 से 14.10.2011 तक था विवादग्रस्त वाहन दिनांक 20.12.2011 को चोरी हो गया जो बीमित अवधि के दौरान ही था लैकिन अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने बीना किसी आधार के प्रार्थीगण को उक्त वाहन का क्लैम नही दिया गया जो उनकी सेवा दौष की श्रेणी मे आता है तथा प्रार्थीगण विद्वान अभिभाषक की दलील है कि कानूनी प्रावधानों के अनुसार परिवादीगण बीमा क्लैम प्राप्त करने के अधिकारी है अपने दलीलों के सम्बंध मे विद्वान अभिभाषक परिवादीगण ने 2011 एसीजे 1190, 2007 एसीजे 2339, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग दिल्ली के निर्णय दिनांक 11.12.2006 नेषनल इंष्योरेंस कम्पनी लि. बनाम कुलदीप कपुर अपील सं. 1000/2006 का विनिष्चय पेष किया।
9. जिसके विरोध मे अप्रार्थी बीमा कम्पनी के अधिवक्ता की दलील है कि उक्त वाहन परिवादी सं. 1 नरेन्दसिंह से परिवादी सं. 2 खेमचन्द ने खरीद लिया था व उसके नम्बर भी बदलकर टेक्सी वाहन मे परिवर्तित करा लिये थे जब कि परिवादीगण ने इसकी कोई सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को नही दी जबकि आॅल इण्डिया मोटर टेरिफ जनरल रैगुलेषन के नियम 17 मे प्रावधान है कि वाहन के स्वामित्व अन्तरण पर तत्काल वाछित दस्तावेज सहित बीमा कम्पनी को सूचना दी जानी होगी व बीमा कम्पनी बीमा पाॅलिसी मे भी नियम अनुसार प्रकिया अपनाकर स्वामित्व के अन्तरण का अंकन पाॅलिसी मे करना होगा ऐसी न करने पर बीमा कम्पनी को कोई जाखिम उत्तरदायित्व नही होगा जबकि इस प्रकरण मे न तो सूचना दी गई न तो पाॅलिसी परिवादी सं. 2 खेमचन्द के नाम परिवर्तित की गई अतः परिवादीगण द्वारा आॅल इण्डिया मोटर टेरिफ जनरल रैगुलेषन के प्रावधानों की पालना न करने के कारण अप्रार्थी बीमा कम्पनी परिवादी सं. 2 को यह क्लैम देने की उत्तरदायी नही है अंत मे उनकी यह भी दलील है कि परिवादी सं. 1 नरेन्द्रसिंह के नाम स्वामित्व न होने एवं परिवादी सं. 2 खेमचन्द के नाम बीमा पाॅलिसी न होने के कारण दोनो परिवादीगण अप्रार्थी बीमा कम्पनी से कोई क्लैम प्राप्त करने के अधिकारी नही है। अपने तर्को के समर्थन मे अप्रार्थी बीमा कम्पनी के अधिवक्ता ने 2012 डीएनजे सीसी 31 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोंग नई दिल्ली यूनाईटेड इण्डिया क.लि. बनाम गोली श्रीधर व अन्य का विनिष्चय पेष किया।
10. उभय पक्षों के तर्को पर मनन किया गया परिवादीगण ने अपने परिवाद व साक्ष्य मे यह प्रकट किया है कि परिवादी सं. 1 नरेन्द्र सिंह मूलतः ग्राम अमरसागर परिवादी सं. 2 खेमचन्द्र छोड़ का निवासी है अप्रार्थी इष्योरेन्स कम्पनी है परिवादी सं. 2 खेमचन्द का वाहन बोलेरों एसएलएक्स आर जे 15 टीए 991 जो उक्त वाहन परिवादी सं. 1 नरेन्द्रसिंह से खरीदा था खरीदने के समय उक्त वाहन की आरसी व इष्योरेंस नरेन्द्र सिंह के नाम ही था तत्पष्चात् परिवादी सं. 2 खेमचन्द ने उक्त वाहन का स्वामित्व अपने नाम करा लिया। जो पुराने नम्बर आर जे 14 यूए 9236 के स्थान पर नये नम्बर आर जे 15 टीए 991 हो गये उनकी यह भी साक्ष्य है कि वाहन खरीदने से पहले परिवादी सं. 1 नरेन्द्रसिंह के नाम इंष्योरेंस जो दिनांक 15.10.2011 से 14.10.2012 तक अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा बीमित था जिसको कानूनी प्रकिया अपरिहार्य कारणों से बदलवा नही सकें। दिनांक 20.12.2011 की रात को उक्त वाहन जैसलमेर स्थित परिवादी सं. 2 खेमचन्द के घर से चोरी हो गया जिसकी प्रथम सूचना रिपार्ट दर्ज करवाई गई और अप्रार्थी बीमा कम्पनीको उक्त वाहन की चोरी बाबत् लिखित सूचना दी गई व वाहन अभी तक नही मिला है पुलिस ने अदमपता माल मूलजिम मे एफआर दे दी है।
11. परिवादीगण द्वारा उक्त वाहन की चोरी होने के पश्चात् अपने वाहन का बीमा क्लैम अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मागा गया तो बार बार चक्कर लगाने के बाद भी अदा नही किया जो अप्रार्थी की सेवा मे त्रृटि है अतः परिवादीगण को अप्रार्थी से राषि मय ब्याज दिलायी जावें उक्त साक्ष्य से यह तो स्पष्ठ है कि वाहन सं. आरजे 14 यूए 9236 जो अप्रार्थी सं. 2 खेमचन्द्र ने खरीदा उसके नये नम्बर आर जे 15 टीए 991 हो गये वाहन खरीदने से पहले परिवादी सं. 1 नरेन्द्रसिंह के नाम जो इंष्योरेस दिनांक 15.10.2011 से 14.10.2012 तक अप्रार्थी के यहा बीमित था जिसकों प्रार्थी सं. 2 ने बीमा कम्पनी को सूचित कर अपने नाम नही करवाया अतः उक्त वाहन का इष्योरेंस पूर्व मालिक नरेन्द्र सिंह के नाम ही रहा केवल रजिस्टेªषन ही परिवादी सं. 2 खेमचन्द ने अपने नाम करवाया।
12. अब हमारे समक्ष इस स्थिति मे परिवाद मे मुख्य विचारणीय बिन्दू यह है कि क्या परिवादी सं. 2 खेमचन्द जिसने वाहन खरीदा क्या बीमा पाॅलिसी मे अपना नाम अन्तरण कराये बिना ही व्ॅछ क्।ड।ळम् वाहन का अप्रार्थी बीमा कम्पनी से प्राप्त कर सकता है ?तथा परिवादी सं. 1 नरेन्द्र सिंह जो वाहन का पूर्व मालिक था जिसने वाहन को बैच कर रजिस्ट्रेषन परिवादी सं. 2 खेमचन्द के नाम करवा दिया वह उक्त वाहन का क्लैम अप्रार्थी बीमा कम्पनी से प्राप्त कर सकता है या नही ?
13. अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विद्वान अभिभाषक की तरफ से पेष विनिष्चय 2012 डीएनजे सीसी 31 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोंग नई दिल्ली यूनाईटेड इण्डिया क.लि. बनाम गोली श्रीधर व अन्य के मामले मे माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि प्द अपमू व िजीम चतवअपेपवद व िजीम उवजवत अमीपबसमे ।बज ंदक जीम ज्ंतपिि त्महनसंजपवदे ंदक जीम कमबपेपवदे व िजीम ैनचतमउम ब्वनतजए प िजीम जतंदेमितमम ंिपसे जव पदवितउ जीम प्देनतंदबम ब्वउचंदल ंइवनज जतंदेमित व िजीम त्महपेजतंजपवद ब्मतजपपिबंजम पद ीपे दंउम ंदक जीम चवसपबल पे दवज जतंदेमिततमक पद जीम दंउम व िजीम जतंदेमितममए जीमद जीम प्देनतंदबम ब्वउचंदल बंददवज इम ीमसक सपंइसम जव चंल बसंपउ पद जीम बंेम व िवूद कंउंहम व िअमीपबसमण् च्मजपजपवदमत प्देनतमंदबम ब्वउचंदल ूंे रनेजपपिमक पद दवज ेमजजसपदह जीम बसंपउण् उक्त प्रष्नगत परिवाद भी विनिष्चय मे उल्लेखित मामले से भिन्न नही है क्योंकि परिवादी सं. 1 नरेन्द्रसिंह परिवादी सं. 2 खेमचन्द को उक्त वाहन बेच चूका था खरीददार खेमचन्द ने वाहन के बीमे का अन्तरण अपने नाम से नही कराया है जैसा कि परिवाद व साक्ष्य मे उसने स्वीकार किया है हमारे मत मे भी आॅल इण्डिया मोटर टेरिफ जनरल रैगुलेषन के नियम 17 के अन्र्तगत व्ॅछ क्।ड।ळम् क्लैम के लिये वाहन के क्रैता को 15 दिन के अन्दर बीमा पाॅलिसी को अपने नाम से अन्तरित कराना होता है बीमा कम्पनी द्वारा नया प्रस्ताव भरवाकर बीमे को अन्तरित करने का प्रावधान है चूकि परिवादी सं. 1 नरेन्द्रसिंह वाहन परिवादी सं. 2 खेमचन्द को बेच चूका था उसी दिन से उसका बीमा हित उस वाहन से समाप्त हो गया ओर खरीददार खेमचन्द ने चूकि वाहन का बीमा का अन्तरण अपने नाम से नही कराया था स्वाभाविक रूप से वह भी बीमा क्लैम व्ॅछ क्।ड।ळम् प्राप्त नही कर सकता हमारे इस मत को माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के उक्त विनिष्चय से भी बल मिलता है अतः अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादीगण का उक्त वाहन जो चोरी हो गया था उसका व्ॅछ क्।ड।ळम् क्लैम पारित नही कर कोई सेवा दोष कारित नही किया है।
फलतः बिन्दु संख्या 2 परिवादीगण के विरूद्व निस्तारित किया जाता है ।
14. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 परिवादीगण के विरूद्व निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादीगण का परिवाद अस्वीकार किया जाकर खारिज होने योग्य है।
:-ः आदेश:-ः
परिणामतः परिवादीगण का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व खारिज होने योग्य होने के कारण खारिज किया जाता है।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 19.03.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
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