Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/2681

Krishna Consultant - Complainant(s)

Versus

Ajai Srivastava - Opp.Party(s)

Madhusudan Srivastava

04 Dec 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/2681
( Date of Filing : 29 Nov 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Krishna Consultant
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ajai Srivastava
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 04 Dec 2024
Final Order / Judgement

                                                 (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2681/2013

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-187/2011 में पारित निणय/आदेश दिनांक 18.12.2012 के विरूद्ध)

 

मैसर्स कृष्‍णा कंसलटंट, द्वारा प्रोपराइटर अजय भसीन, रजिस्‍टर्ड आफिस 9041, एटीएस वन हैमलेट, सेक्‍टर 104, नोयडा 201304 (यू.पी.)।

अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2

बनाम

1.    अजय श्रीवास्‍तव पुत्र स्‍व0 श्री के.पी. श्रीवास्‍तव, निवासी ए-25, मनावस्‍थली अपार्टमेंट्स, 6 वसुंधरा इन्‍क्‍लेव, दिल्‍ली 110096 ।

2.    मैसर्स पृथ्‍वी प्रोपमार्ट प्राइवेट लिमिटेड, द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर, कारपोरेट आफिस एस-2, द्वितीय तल, सावित्री मार्केट, सेक्‍टर-18, नोएडा 201301 ।

3.    मैसर्स यूनिटेक लिमिटेड, द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर, रजिस्‍टर्ड आफिस यूनिटेक हाऊस, एल ब्‍लाक, साऊथ सिटी-1, गुड़गांव 122001, हरियाणा।

                                     प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-1 एवं 3

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित        : श्री मधुसूदन श्रीवास्‍तव।

प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित    : श्री सुशील कुमार शर्मा।

प्रत्‍यर्थी सं0-2 व 3 की ओर से उपस्थित     : कोई नहीं।

दिनांक:  04.12.2024  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.    परिवाद संख्‍या-187/2011, अजय श्रीवास्‍तव बनाम दि मैनेजिंग डायरेक्‍टर, मैसर्स पृथ्‍वी प्रोपमार्ट प्रा‍0लि0 तथा दो अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, गौतम बुद्ध नगर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.12.2012 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी तथा प्रत्‍यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी सं0-2 एवं 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

2.    विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी सं0-2 को आदेशित किया है कि वह परिवादी को अंकन 67,397/-रू0 वापस लौटाए तथा मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 10,000/-रू0 एवं परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 2,000/-रू0 भी अदा करे।

3.    परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने विपक्षी सं0-3 की एक आवासीय योजना यूनिहोम फेस-11 सेक्‍टर 117, नोएडा में विपक्षी सं0-1 के माध्‍यम से दिसम्‍बर 2009 में निर्माण लिंक प्‍लान के अंतर्गत एक फ्लैट बुक कराया था। विपक्षी सं0-3 द्वारा 5 प्रतिशत की छूट का वायदा किया गया था और कार पार्किंग फ्रि दिलाने का वायदा किया गया था। दिनांक 20.12.2009 को बुकिंग राशि अंकन 2,90,490/-रू0 अदा की गई। यह राशि 3 प्रतिशत छूट काटकर अदा की गई थी। विपक्षी सं0-1 ने वायदा किया था कि छूट की बकाया राशि 2 प्रतिशत फ्लैट के मूल्‍य में से कार पार्किंग के मूल्‍य में समायोजित की जाएगी। यह रकम कुल 59,895/-रू0 एवं अंकन 3,000/-रू0 बनती थी। फ्लैट आवंटित होने पर परिवादी को ज्ञात हुआ कि विपक्षी सं0-3 ने मात्र 3 प्रतिशत की छूट ही फ्लैट की कीमत में दी है और कार पार्किंग में कोई छूट नहीं दी है, इस तथ्‍य से विपक्षी सं0-3 को अवगत कराया गया, जिनके द्वारा सूचना दी गई कि छूट का सारा लाभ विपक्षी सं0-1 ने प्राप्‍त कर लिया है, इसके बाद विपक्षी सं0-1 से संपर्क किया गया और छूट का क्रेडिट परिवादी को देने के लिए कहा गया। परिवादी को एक माह के पश्‍चात बुलाया गया और यह कहा गया कि अभी कमीशन प्राप्‍त नहीं हुआ है। परिवादी 2010 तक फ्लैट का 60 प्रतिशत मूल्‍य अदा कर चुका है, परन्‍तु 2 प्रतिशत कमीशन देने के लिए विपक्षीगण तैयार नहीं हैं। विपक्षी सं0-3 ने बताया कि उनका एजेंट विपक्षी सं0-2 है और उनके द्वारा ही फ्लैट बुक कराया गया है, इसके बाद परिवादी ने विपक्षी सं0-2 से भी संपर्क किया गया, जिनके द्वारा भुगतान करने का वायदा किया गया, परन्‍तु उनके द्वारा इंडेमिनिटी बॉण्‍ड की मांग की गई। इस प्रकार सेवा में कमी मानते हुए उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

4.    विपक्षी सं0-3 ने लिखित कथन प्रस्‍तुत करते हुए कथन किया कि विपक्षी सं0-2 के माध्‍यम से परिवादी का आवेदन प्राप्‍त हुआ था। शेष कथन जानकारी के अभाव में इंकार किया गया।

5.      विपक्षी सं0-1 एवं 2 नोटिस की तामीला के बावजूद कोई उपस्थित नहीं हुए, इसलिए उनके विरूद्ध एकतरफा सुनवाई की गई और तदनुसार उपरोक्‍त वर्णिय निर्णय/आदेश पारित किया गया।

6.    इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील के ज्ञापन में वर्णित तथ्‍यों तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि अपीलार्थी से कोई फ्लैट क्रय नहीं किया गया न ही अपीलार्थीं के खाते में कोई धनराशि जमा की गई। अपीलार्थी केवल एक एजेंट है। अपीलार्थी द्वारा केवल फ्लैट क्रय कराने में मदद की गई है। अपीलार्थी को अपना पक्ष रखने का कोई अवसर प्राप्‍त नहीं हुआ, क्‍योंकि उसे कोई नोटिस प्राप्‍त नहीं हुआ। परिवाद दाखिल करने से पूर्व ही वह अपना पता बदल चुका था। चूंकि अपीलार्थी द्वारा कोई धनराशि प्राप्‍त नहीं की गई है, इसलिए किसी प्रकार की कोई छूट देने का कोई अवसर नहीं है। अपीलार्थी द्वारा अपने तर्क के समर्थन में स्‍वंय इस पीठ द्वारा अपील सं0-1480/2010 में पारित निर्णय/आदेश की प्रतिलिपि प्रस्‍तुत की गई है, जिसमें यह माना गया कि अग्रिम राशि अंकन 20,000/-रू0 की वापसी का आदेश डीलर के विरूद्ध पारित नहीं किया जा सकता, क्‍योंकि यह राशि डीलर को प्राप्‍त नहीं हुई है, परन्‍तु प्रस्‍तुत केस की स्थिति इस पीठ द्वारा पारित निर्णय/आदेश के तथ्‍यों से बिल्‍कुल भिन्‍न है। प्रस्‍तुत केस में चूंकि अपीलार्थी को भवन निर्माता कंपनी से भारी कमीशन प्राप्‍त होता है। इस पीठ द्वारा इस तथ्‍य का न्‍यायिक संज्ञान लिया जा सकता है कि भवन निर्माता कंपनी से फ्लैट बुक कराने वाली कोई भी संस्‍था उपभोक्‍ता को अपने कमीशन में से एक निश्चित सीमा तक छूट प्रदान करने का वायदा करती है और उसके पश्‍चात कोई उपभोक्‍ता भवन निर्माता कंपनी के एजेंट के माध्‍यम से अपना भवन बुक करता है, इसके लिए अपीलार्थी के खाते में पैसा जमा करने की आवश्‍यकता नहीं है। इस तथ्‍य को अपीलार्थी द्वारा स्‍वीकार किया गया है कि उनके माध्‍यम से केवल फ्लैट बुक कराया गया है। फ्लैट बुक कराने मात्र से अपीलार्थी द्वारा उपभोक्‍ता को सेवाएं प्रदान की गई हैं, इसलिए इन सेवाओं के अनुरूप उपभोक्‍ता के प्रति अपने कर्तव्‍यों की पूर्ति करना बाध्‍यकारी है। परिवादी ने सशपथ साबित किया है कि अपीलार्थी द्वारा एक निश्चित मात्रा में अपने कमीशन में से एक धनराशि की छूट (5 प्रतिशत) दिलाने के लिए कहा गया था। अत: इस संबंध में विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधिसम्‍मत है।

7.    अब इस बिन्‍दु पर विचार किया जाता है कि क्‍या अपीलार्थी पर यथार्थ में नोटिस की तामीला नहीं हुई ?

8.    अपीलार्थी का कथन है कि उसका पता पूर्व से ही बदल चुका था, परन्‍तु पता परिवर्तन की कोई सूचना अपीलार्थी द्वारा अपने उपभोक्‍ता को नहीं दी गई, इसलिए यह तर्क ग्राह्य नहीं माना जा सकता कि पता परिवर्तित होने के कारण समन की सूचना प्राप्‍त नहीं हुई। यदि उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत करने से पूर्व अपीलार्थी द्वारा अपने पते में परिवर्तन किया गया था तब अपने सभी संव्‍यवहारियों को पता परिवर्तन की सूचना दी जानी आवश्‍यक थी। अत: इस आधार पर भी विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पुष्‍ट होने योग्‍य है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

9.   प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

     प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

  लक्ष्‍मन, आशु0,

      कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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