(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या-30/2022
रणजीत सुमन
बनाम
आगरा विकास प्राधिकरण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार वर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री ओम प्रकाश पाण्डेय,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 04.08.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका, परिवाद संख्या-197/2022 में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय आगरा द्वारा पारित आदेश दिनांक 21.05.2022 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है। इस आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने निम्नलिखित निष्कर्ष दिया है :-
'' मामले के समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में मेरे विचार से अस्थायी निषेधाज्ञा के संबंध में आयोग यह आदेश पारित करना उचित समझता है कि परिवादी प्रश्नगत भूखण्ड, जो कि परिवर्तन शुल्क के माध्यम से आंवटित होना है और, जैसा कि सूची डी में भूखण्ड संख्या- 1, 2 व 10 दर्शित किया गया है, उनके संबंध में आगरा विकास प्राधिकरण नियमानुसार परिवर्तन शुल्क एवं अन्य योजित मूल्य जो भी नियमानुसार हों, को लेकर आवंटित करे अथवा उन्हें भी ई-नीलामी प्रक्रिया में शामिल करे और शामिल करके नियमानुसार उचित निर्णय लें। परिवादी को भी
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आदेशित किया जाता है कि वह आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा जो परिवर्तन शुल्क या नियमानुसार योजित मूल्य है, उसे देना सुनिश्चित करें। यह आदेश इस परिवाद के अग्रिम आदेशों के अधीन होगा। यदि किसी प्रकार से उक्त सम्भव न हो तो तीनों परिस्थितियों को फिलहाल ई-नीलामी प्रक्रिया में शामिल न करें। चूंकि इस परिवाद में आज जवाबदावा मय शपथ पत्र प्रस्तुत कर दिया गया है, ऐसी स्थिति में उभय पक्षों को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह बिना विलम्ब के अंतिम निस्तारण कराना सुनिश्चित करें। तदनुसार अस्थायी निषेधाज्ञा प्रार्थना पत्र निस्तारित किया जाता है। अस्थायी निषेधाज्ञा पर पारित उक्त आदेश इस परिवाद के गुणदोष के आधार पर अंतिम रूपेण न्याय निर्णयन के अधीन होगा।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता श्री ओम प्रकाश पाण्डेय उपस्थित हैं।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने एवं प्रश्नगत आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन करने के पश्चात यह पाया गया कि प्रश्नगत प्रकरण में पुनरीक्षणकर्ता द्वारा नीलामी में भाग नहीं लिया गया और अब प्रश्नगत भूखण्ड नीलाम हो चुका है। ऐसी स्थिति में प्रस्तुत पुनरीक्षण निष्प्रभावी हो चुका है। तदनुसार निरस्त होने योग्य है।
प्रस्तुत पुनरीक्षण निरस्त किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
अध्यक्ष सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-1