Uttar Pradesh

StateCommission

A/2002/596

Smt Suman Lata Bhargava - Complainant(s)

Versus

Agra Development Authority - Opp.Party(s)

V P Sharma

31 Aug 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2002/596
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Smt Suman Lata Bhargava
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Agra Development Authority
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 31 Aug 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।                                                          

                                                                       सुरक्षित     

अपील सं0-१५१४/२००१

 

(जिला मंच (द्वितीय), आगरा द्वारा परिवाद सं0-९६३/१९९५ में बहुमत के पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १०-०५-२००१ के विरूद्ध)

आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा सैक्रेटरी, जयपुर हाउस, आगरा।

           .............         अपीलार्थी/विपक्षी।

बनाम

श्रीमती सुमन लता भार्गव पुत्र डॉ0 गोपी चन्‍द्र भार्गव, निवासी एच0आई0जी0-२, इन्दिरापुरम, आगरा।

                                               ............         प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी।

अपील सं0-५९६/२००२

 

(जिला मंच (द्वितीय), आगरा द्वारा परिवाद सं0-९६३/१९९५ में बहुमत के पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १०-०५-२००१ के विरूद्ध)

श्रीमती सुमन लता भार्गव पुत्र डॉ0 गोपी चन्‍द्र भार्गव, निवासी एच0आई0जी0-२, इन्दिरापुरम, आगरा।                                         ............       अपीलार्थी/परिवादिनी।

बनाम

आगरा विकास प्राधिकरण आगरा द्वारा सैक्रेटरी, आगरा विकास प्राधिकरण आगरा।

                                               .............           प्रत्‍यर्थी/विपक्षी।

 

 

समक्ष:-

१-  मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्रीमती बाल कुमारी , सदस्‍य।

 

अपीलार्थी प्राधिकरण की ओर से उपस्थित  : श्री आर0के0 गुप्‍ता विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से उपस्थित    : श्री वी0पी0 शर्मा विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक :- १९-०९-२०१७.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपीलें, जिला मंच (द्वितीय), आगरा द्वारा परिवाद सं0-८५६/१९९५ में पारित बहुमत के निर्णय एवं आदेश दिनांक २१-०६-२००१ के विरूद्ध योजित की गयी हैं। दोनों अपीलें एक ही निर्णय के विरूद्ध योजित की गई हैं, अत: इन अपीलों का निस्‍तारण साथ-साथ किया जा रहा है। अपील सं0-१५१४/२००१ अग्रणी होगी।

-२-

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी श्रीमती सुमन लता भार्गव के कथनानुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने एक एच0आई0जी0 भवन अपीलार्थी की इन्दिरापुरम हाउसिंग स्‍कीम के अन्‍तर्गत आबंटन हेतु पंजीकरण दिनांक ०२-०३-१९९१ को कराया। मं0नं0-२ एच0आई0जी0 परिवादिनी को आबंटित किया गया। परिवादिनी ने इस मकान के सन्‍दर्भ में समस्‍त धनराशि दिनांक ०७-०९-१९९२  एवं ३०-०७-१९९२ को भुगतान कर दी किन्‍तु अपीलार्थी ने उक्‍त मकान का कब्‍जा मकान का निर्माण पूर्णत: न हो पाने के कारण प्राप्‍त नहीं कराया। परिवादिनी के कथनानुसार पूर्णत: न बने हुए मकान का कब्‍जा परिवादिनी को ११-०५-१९९४ को प्राप्‍त कराया गया। अपीलार्थी द्वारा परिवादिनी को आश्‍वस्‍त किया गया कि वह कब्‍जा प्राप्‍त कर ले तथा मकान की कमियों को अपने खर्चे पर दूर कराने के लिए कहा जिसकी छूट प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को करा दी जायेगी किन्‍तु परिवादिनी को यह छूट प्रदान नहीं की गई। मकान की कमियों को दूर करने में परिवादिनी का ५०,०००/- रू० खर्च हुआ तथा मकान का कब्‍जा प्राप्‍त न करने के कारण परिवादिनी को २०,०००/- रू० किराये के रूप में भी देना पड़ा। अत: मकान की कमियों को ठीक करने में परिवादिनी द्वारा कथित रूप से किए गये ५०,०००/- रू० के व्‍यय के भुगतान, २०,०००/- रू० किराये के रूप में अदा कराए जाने तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद जिला मंच में योजित किया गया।

अपीलार्थी के कथनानुसार गलत तथ्‍यों के आधार पर परिवाद योजित किया गया। अपीलार्थी के कथनानुसार प्रश्‍नगत मकान का कब्‍जा परिवादिनी को दिनांक १९-०३-१९९३ को प्राप्‍त हुआ। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि अपीलार्थी की ओर से परिवादिनी को कोई ऐसा आश्‍वासन कभी नहीं दिया गया कि मकान की कथित कमियों को दूर कराने में परिवादिनी द्वारा व्‍यय की गई धनराशि का भुगतान अपीलार्थी द्वारा किया जायेगा।

प्रश्‍नगत मामले में जिला मंच के अध्‍यक्ष एवं एक सदस्‍य द्वारा परिवादिनी का परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी को निर्देशित किया गया कि परिवादिनी को २०,०००/- रू० क्षतिपूर्ति हेतु निर्णय की तिथि से ४५ दिन के अन्‍दर अदा की जाय। निर्धारित अवधि में भुगतान न किए जाने की स्‍िथति में परिवादिनी इस धनराशि पर १५ प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज पाने     की अधिकारिणी होगी। जिला मंच की महिला सदस्‍य द्वारा परिवाद को कालबाधित मानते हुए

 

-३-

 

निरस्‍त किया गया।

बहुमत के निर्णय के विरूद्ध अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा अपील सं0-१५१४/२००१ एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने जिला मंच द्वारा क्षतिपूर्ति की अदायगी के सन्‍दर्भ में पारित आदेश को अपर्याप्‍त बताते हुए निर्णय के विरूद्ध अपील सं0-५९६/२००२ योजित की।    

हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी0पी0 शर्मा तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अरूण टण्‍डन के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

जिला मंच द्वारा पारित प्रश्‍नगत आदेश दिनांकित १०-०५-२००१ के विरूद्ध यह अपील दिनांक २३-०७-२००१ को योजित की गयी है। इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि अपीलार्थी को दिनांक १७-०५-२००१ को प्राप्‍त हुई है। अपील के प्रस्‍तुतीकरण में हुए विलम्‍ब को क्षमा करने हेतु अपीलार्थी की ओर से प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया गया है तथा इस प्रार्थना में किए गये अभिकथनों के समर्थन में श्री बनवारी लाल स्‍कीम क्‍लर्क का शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है। इस शपथ पत्र में अपील के प्रस्‍तुततीकरण में हुए विलम्‍ब के सन्‍दर्भ में अपीलार्थी की ओर से विभागीय प्रक्रिया में समय लगने का कारण अभिकथित किया गया है। अपील के प्रस्‍तुतीकरण में हुए विलम्‍ब के सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी की ओर से दिया गया स्‍पष्‍टीकरण सन्‍तोषजनक पाते हुए अपील के प्रस्‍तुतीकरण में हुआ विलम्‍ब क्षमा किया जाता है।

प्रश्‍नगत प्रकरण के सन्‍दर्भ में यह महत्‍वपूर्ण है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को प्रश्‍नगत मकान का कब्‍जा किसी तिथि को प्राप्‍त हुआ ?

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के कथनानुसार उसे प्रश्‍नगत मकान का कब्‍जा दिनांक ११-०५-१९९४ को प्राप्‍त हुआ जबकि अपीलार्थी विकास प्राधिकरण के कथनानुसार परिवादिनी को कब्‍जा दिनांक १९-०३-१९९३ को प्राप्‍त हुआ। बहुमत के निर्णय में परिवादिनी को कब्‍जा ११-०५-१९९४ को दिया जाना माना गया है तथा यह तथ्‍य उल्लिखित है कि प्राधिकरण द्वारा कब्‍जा दिए जाने से सम्‍बन्धित पत्र दिनांक ११-०५-१९९४ का है किन्‍तु निर्णय में यह तथ्‍य उल्लिखित नहीं है कि ऐसा कोई अभिलेख प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा दाखिल किया गया। यदि ऐसा कोई अभिलेख प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा दाखिल किया गया होता तो उस अभिलेख का विवरण प्रश्‍नगत निर्णय

 

-४-

में उल्लिखित होता जबकि बहुमत के निर्णय से भिन्‍न महिला सदस्‍य द्वारा दिए गये निर्णय में यह तथ्‍य उल्लिखित है कि स्‍वयं परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत कब्‍जा पत्र (पत्रावली में प्रपत्र सं0-५/७) के अनुसार उसे भवन का कब्‍जा दिनांक १९-०३-१९९३ को मिला। इस प्रकार महिला सदस्‍य द्वारा दिए गये निर्णय में स्‍वयं परिवादी द्वारा दाखिल किए गये कब्‍जा पत्र पत्रावली मं दाखिल प्रपत्र सं0-५/७ का उल्‍लेख किया गया है तथा यह तथ्‍य उल्लिखित किया गया है, ‘’ कब्‍जा पत्र पर कब्‍जा लेने के वक्‍त परिवादिनी द्वारा किसी प्रकार की कोई आपत्ति उस पर दर्ज नहीं है जबकि परिवादिनी के हस्‍ताक्षर उस पर हैं। ‘’ परिवादिनी के अभिकथनों के अनुसार स्‍वयं परिवादिनी का यह कथन है कि दिनांक १९-०३-१९९३ को अपीलार्थी प्राधिकरण के सम्‍पत्ति अधिकारी द्वारा एक पत्र परिवादिनी को कब्‍जा प्राप्‍त करने हेतु प्रेषित किया गया था किन्‍तु परिवादिनी ने मकान में कमियॉं बताते हुए आवश्‍यक निर्माण पूरा कराने का अनुरोध किया था। स्‍वयं परिवादिनी का यह कथन है कि तदोपरान्‍त परिवादिनी ने ११-०६-१९९३ एवं २१-१०-१९९३ को कमियों के निराकरण हेतु पत्र प्रेषित किया था किन्‍तु कोई कार्यवाही अपीलार्थी द्वारा नहीं की गई। इस प्रकार परिवाद के अभिकथनों में भी परिवादिनी द्वारा यह अभिकथित नहीं किया गया है कि दिनांक ११-०५-१९९४ को कब्‍जा दिए जाने के सन्‍दर्भ में कोई कब्‍जा पत्र अपीलार्थी द्वारा जारी किया गया। परिवाद के अभिकथनों में परिवादिनी द्वारा यह भी अभिकथित किया गया है कि अपीलार्थी द्वारा उसे आश्‍वस्‍त किया गया कि कब्‍जा प्राप्‍त करने के उपरान्‍त परिवादिनी अपने खर्चे पर कमियों को ठीक करा ले। खर्चे की अदायगी अपीलार्थी द्वारा कर दी जायेगी। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि ऐसा कोई आश्‍वासन अपीलार्थी की ओर से प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को नहीं दिया गया। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि अपीलार्थी एक विधिक संस्‍था है, अत: अपलार्थी के किसी अधिकारी द्वारा दिया गया कथित आश्‍वासन महत्‍वहीन  होगा। यह भी उल्‍लेखनीय है कि परिवाद के अभिकथनों में परिवादिनी ने यह भी स्‍पष्‍ट नहीं किया है कि अपीलार्थी की ओर से किस अधिकारी द्वारा कथित आश्‍वासन दिया गया। प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि इस सन्‍दर्भ में कोई साक्ष्‍य प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की गई।

उपरोक्‍त तथ्‍यों के आलोक में हमारे विचार से दिनांक ११-०५-१९९४ को प्रश्‍नगत भवन का

 

-५-

कब्‍जा दिया जाना प्रमाणित नहीं है, बल्कि विद्वान महिला सदस्‍य का यह निष्‍कर्ष त्रुटिपूर्ण नहीं है कि भवन का कब्‍जा दिनांक १९-०३-१९९३ को प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को प्राप्‍त कराया गया। प्रश्‍नगत भवन में कथित कमियों के सन्‍दर्भ में परिवादिनी द्वारा किए गये कथित खर्चा की अदायगी का अपीलार्थी द्वारा कथित आश्‍वासन दिया जाना भी प्रमाणित नहीं है। ऐसी परिस्‍िथति में हमारे विचार से जिला मंच के बहुमत द्वारा पारित निर्णय पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन न करते हुए पारित किया गया है। तद्नुसार अपील सं0-१५१४/२००१ स्‍वीकार किए जाने तथा अपील सं0-५९६/२००२ निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।    

आदेश

अपील सं0-१५१४/२००१ स्‍वीकार की जाती है तथा अपील सं0-५९६/२००२ निरस्‍त की जाती है। जिला मंच (द्वितीय), आगरा द्वारा परिवाद सं0-९६३/१९९५ में बहुमत का पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १०-०५-२००१ अपास्‍त करते हुए परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

इस निर्णय की मूल प्रति अपील सं0-१५१४/२००१ में रखी जाय तथा एक प्रमाणित प्रतिलिपि अपील सं0-५९६/२००२ में रखी जाय।   

      इन अपीलों का व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

                                    

                                                (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                  पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                   (बाल कुमारी)

                                                      सदस्‍य

 

 

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-२.  

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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