राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
पुनरीक्षण सं0-१३६/२०१७
(जिला उपभोक्ता मंच/आयोग(द्वितीय), आगरा द्वारा इजराय सं0-५०/२०१५ में पारित आदेश दिनांक १३-१०-२०१७ के विरूद्ध)
सरदार भगत सिंह (मृतक) पुत्र श्री खजान सिंह, निवासी ३३, नार्थ ईदगाह कालोनी, आगरा।
१/१- श्री गुरूमीत सिंह पुत्र स्व0 सरदार भगत सिंह।
१/२- श्रीमती बलजीत कौर पुत्री स्व0 सरदार भगत सिंह पत्नी श्री गुरमीत सिंह उप्पल।
१/३- श्री बलविन्दर कौर पुत्री स्व0 सरदार भगत सिंह पत्नी श्री रवीन्द्रपाल सिंह उर्फ टिम्मा।
१/४- श्रीमती गुरविन्दर कौर पुत्री स्व0 सरदार भगत सिंह पत्नी श्री अमरजीत सिंह,
समस्त निवासीगण – ४, गुरू तेगबहादुर कालोनी, बाई पास रोड, आगरा।
................. पुनरीक्षणकर्तागण/परिवादीगण।
बनाम्
१. सचिव, आगरा विकास प्राधिकरण, जयपुर हाउस, आगरा।
२. सम्पत्ति अधिकारी, आगरा विकास प्राधिकरण, आगरा।
............... प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण।
समक्ष:-
१. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
२- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से उपस्थित :- श्री नवीन कुमार तिवारी विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित :- श्री आर0के0 गुप्ता विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : ०६-१२-२०२१.
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह पुनरीक्षण आवेदन जिला उपभोक्ता मंच/आयोग(द्वितीय), आगरा द्वारा इजराय सं0-५०/२०१५ में पारित आदेश दिनांक १३-१०-२०१७ के विरूद्ध प्रस्तुत किया गया है।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
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पत्रावली के अवलोकन के पश्चात् जाहिर होता है कि मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने परिवादी को यह आदेश दिया था कि वह निर्णय पारित होने के ०६ माह के अन्दर २६ प्रतिशत ब्याज के साथ बकाया प्रतिफल राशि जमा करा दे। तत्पश्चात् प्राधिकरण परिवादी के पक्ष में विक्रय पत्र निषपादित कर दे।
परिवादी द्वारा मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के समक्ष पुनर्विलोकन आवेदन सं0-२२५/२०१५ प्रस्तुत किया गया। यह पुनर्विलोकन आवेदन दिनांक २१-०९-२०१५ को निरस्त कर दिया गया। परिवादी द्वारा दिनांक १६-११-२०१५ को बकाया की गणना करते हुए अंकन ४५,६७५/- रू० जमा कर दिए गए। तत्पश्चात् जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष निष्पादन आवेदन प्रस्तुत किया गया और विक्रय पत्र निष्पादित कराने का अनुरोध किया गया परन्तु जिला उपभोक्ता मंच ने यह निष्कर्ष दिया ‘’ परिवादी ने उक्त पूर्ण धनराशि अदा न करके आंशिक धनराशि मु0 ४५,६७५/- रू० दिनांक १६-११-२०१५ को अदा की है, वह भी प्रश्नगत आदेश पारित होने ०६ माह के उपरान्त ‘’। इसलिए मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश का अनुपालन मानते हुए निष्पादन वाद खारिज कर दिया गया।
पुनरीक्षणकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग द्वारा साधारण ब्याज अदा करने का आदेश दिया गया न कि चक्रवृद्धि ब्याज, इसलिए चक्रवृद्धि ब्याज के साथ ब्याज की गणना नहीं की जानी थी। मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश के अवलोकन से ज्ञात होता है कि केवल २६ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज की गणना का उल्लेख किया गया है। इस आदेश में चक्रवृद्धि ब्याज का कोई उल्लेख नहीं है, अत: चक्रवृद्धि ब्याज के अनुसार जमा की जाने वाली धनराशि की गणना नहीं की जानी थी। जिला उपभोक्ता मंच के निर्णय में यह भी लिखा है कि बकाया धनराशि ४३,५००/- रू० जिला उपभोक्ता मंच द्वारा जमा करने का आदेश दिया गया है, इस धनराशि में किसी भी प्रकार का परिवर्तन मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने आदेश में नहीं किया गया। अत: यह माना जाएगा कि परिवादी पर अंकन ४३,५००/- रू० बकाया था और इस राशि पर २६ प्रतिशत ब्याज जमा करने की तिथि तक
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देय है। उपरोक्त दो संख्यांक यानी ४३,५००/- रू० बकाया तथा इस राशि पर २६ प्रतिशत साधारण ब्याज के अलावा अन्य किसी राशि की गणना नहीं की जानी है। परन्तु चूँकि परिवादी द्वारा जो राशि जमा की गई है उसे अब अधिक समय हो व्यतीत हो गया है इसलिए देय राशि पर ब्याज की राशि देय हो चुकी है। अत: परिवादी द्वारा तद्नुसार शेष ब्याज राशि अदा करने के पश्चात् निष्पादन आवेदन का पुन: निस्तारण किया जाना आवश्यक है।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि जिला उपभोक्ता मंच ने मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित आदेश के ०६ माह के अन्दर अवशेष राशि ब्याज सहित जमा करनी थी परन्तु यह राशि १६-११-२०१५ को जमा की गई। परन्तु चूँकि पुनरीक्षण आवेदन में पारित आदेश के विरूद्ध पुनर्विलोकन आवेदन प्रस्तुत किया गया। पुनर्विलोकन आवेदन दिनांक २१-०९-२०१५ को खारिज किया गया है। इसलिए पुनर्विलोकन आवेदन खारिज करने के पश्चात से ही ०६ माह की अवधि की गणना की जाएगी न कि मूल आदेश पारित होने की तिथि से, क्योंकि पुनर्विलोकन आवेदन मूल प्रक्रिया का अग्रेतर संचालन है। इस तथ्य का कोई प्रभाव नहीं है कि पुनर्विलोकन आवेदन अस्वीकार किया गया है। पुनर्विलोकन आवेदन स्वीकार किया जाता है या अस्वीकार किया जाता है परन्तु यह आवेदन मूल निर्णय की निरन्तरता में ही समयावधि के उद्देश्य से गिना जाएगा। अत: पुनर्विलोकन आवेदन खारिज होने के पश्चात् पूर्व में वर्णित ०६ माह की अवधि के अन्तर्गत ही धनराशि जमा कर दी गई है, अत: जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश विधि विरूद्ध है, जो अपास्त होने योग्य है। तद्नुसार यह पुनरीक्षण आवेदन स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
यह पुनरीक्षण आवेदन स्वीकार किया जाता है। जिला उपभोक्ता मंच/आयोग (द्वितीय), आगरा द्वारा इजराय सं0-५०/२०१५ में पारित आदेश दिनांक १३-१०-२०१७ इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी पर जो राशि बकाया है जिसका उल्लेख मा0 राष्ट्रीय आयोग के निर्णय में ४३,५००/- रू० के रूप में आया है, इस राशि पर २६ प्रतिशत
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प्रति वर्ष साधारण ब्याज अदा करने के सबूत के पश्चात् जिला उपभोक्ता मंच निष्पादन आवेदन का पुन: निस्तारण करे। इस राशि पर चक्रवृद्धि ब्याज की गणना नहीं की जाएगी।
पुनरीक्षण व्यय उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.