जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम कोरबा (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांकः- CC/14/87
प्रस्तुति दिनांकः-04/12/2014
समक्षः- छबिलाल पटेल, अध्यक्ष
श्रीमती अंजू गबेल, सदस्य
श्री राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय, सदस्य
हिमांशु चतुर्वेदी, उम्र-33 वर्ष,
पिता श्री बृजनाथ चतुर्वेदी,
पता- क्वा0नंबर 132, सेक्टर-2, टाईप-बी,
बालकोनगर, तहसील व जिला-कोरबा (छ0ग0)............................................आवेदक/परिवादी
विरूद्ध
अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स लिमिटेड,
द्वारा- शाखा प्रबंधक,
अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स लिमिटेड,
कार्यालय-अग्रवाल मूवर्स ग्रुप, ट्रांसपोर्ट नगर, कोरबा
तहसील व जिला-कोरबा (छ0ग0).......................................................अनावेदक/विरोधीपक्षकार
आवेदक द्वारा श्री सुरेश सिंह अधिवक्ता।
अनावेदक द्वारा श्री एम.एस. चंदेल अधिवक्ता।
आदेश
(आज दिनांक 04/03/2015 को पारित)
01. परिवादी/आवेेदक हिमांशु चतुर्वेदी ने अनावेदक अग्रवाल पैकर्स एण्ड मूवर्स लिमिटेड के द्वारा सामान का परिवहन हिसार हरियाणा से बालको जिला-कोरबा में करने हेतु बुक किये जाने पर करीब 10,000/-रू0 के सामान को क्षतिग्रस्त हालत में प्रदान किये जाने के कारण उक्त राशि का भुगतान अनावेदक के द्वारा नहीं कर सेवा में कमी किये जाने के आधार पर उक्त राशि तथा शारीरिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति की राशि 50,000/-रू0 तथा वाद व्यय एवं ब्याज सहित दिलाये जाने हेतु, यह परिवाद-पत्र धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत प्रस्तुत किया गया है।
02. यह स्वीकृत तथ्य है कि आवेदक के द्वारा अनावेदक के पास हिसार हरियाणा, नई दिल्ली रोड स्थित कार्यालय से घरेलु सामान को बालको, जिला-कोरबा पहुँचाने के लिए कुल 88,000/-रू0 का भुगतान दिनांक 02/08/2014 को किया गया था। अनावेदक के द्वारा आवेदक को उक्त सामान की डिलीवरी बालको, कोरबा में की गयी थी। शेष सभी बातें विवादित है।
03. परिवादी/आवेदक का परिवाद-पत्र संक्षेप में इस प्रकार है कि बालको प्लांट जिला-कोरबा में कार्यरत है। उसके द्वारा अनावेदक अग्रवाल पैकर्स एण्ड मूवर्स लिमिटेड के स्थानीय शाखा कोरबा ट्रांसपोर्ट नगर कोरबा के माध्यम सड़क परिवहन के द्वारा हिसार हरियाणा से घरेलु सामान कुलर, व्हीटड्रम, क्रॉकरी , मिक्सर, खिलौने, कीचन के सामान आदि को बुक किया गया था। आवेदक ने उसके संबंध में कुल किराया 88,000/-रू0 का भुगतान दिनांक 02/08/2014 को अनावेदक के कार्यालय में किया था। आवेदक के द्वारा बुक किए गए सामानों का आंकलन करते हुए उसके बीमा किये जाने के नाम पर अनावेदक के द्वारा अतिरिक्त राशि ली गयी थी। अनावेदक के द्वारा उपरोक्त सामान की डिलीवरी आवेदक को दिनांक 06/08/2014 को बालको, जिला-कोरबा में की गयी। उस समय सामान को अनलोड करने के दौरान जांच किये जाने पर पता चला कि कई सामान कुलर, व्हीटड्रम, क्रॉकरी , मिक्सर, खिलौने, कीचन के सामान क्षतिग्रस्त हो चुकी है और आवेदक के उपयोग के लायक नहीं रह गयी है। इस प्रकार आवेदक के द्वारा क्षतिग्रस्त सामानों की सूची तैयार कर आवेदक के द्वारा पावती दिया गया। आवेदक के सामान के बाक्सों में से 05 बाक्स खुले अवस्था में थे, जिसे परिवहन के दौरान अनावेदक के द्वारा अवैधरूप से खोला गया था, और उनका परिवहन लापरवाहीपूर्वक किया गया था। आवेदक ने उक्त क्षतिग्रस्त सामानों की क्षतिपूर्ति की राशि प्रदान करने के लिए अनावेदक से निवेदन किया और दिनांक 22/08/2014 को ई-मेल के मार्फत पत्र भी भेजा दिनांक 17/08/2014 को पत्र लिखकर क्षतिग्रस्त सामानों की नुकसानी की मांग किया, लेकिन अनावेदक के द्वारा नुकसानी की भरपाई नहीं किया गया और आवेदक को अपमानित करते हुए धमकाकर अपने कार्यालय से बाहर निकाल दिया गया। इस प्रकार अनावेदक के द्वारा सेवा में कमी की गयी है। जिससे आवेदक को आर्थिक, शारीरिक एवं मानसिक क्षति पहुंची जिसके लिए 10,000/-रू0 सामानों की नुकसानी के लिए तथा 50,000/-रू0 मानसिक क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय एवं ब्याज की राशि अनावेदक से दिलायी जावे।
04. अनावेदक के द्वारा प्रस्तुत जवाबदावा स्वीकृत तथ्य के अलावा संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक के द्वारा परिवहन हेतु बुक कराये गये घरेलु सामानों को सही हालत में आवेदक को डिलीवर किया गया था। आवेदक के घरेलु सामान के टूटने की शिकायत किये जाने पर अनावेदक के अधिकृत कर्मचारी के द्वारा परीक्षण किये जाने पर सभी सामान सही स्थिति में पाये गये थे। आवेदक के द्वारा परिवाद-पत्र में दर्षित क्षतिग्रस्त सामानों को अवलोकन हेतु नहीं दिखाया गया था। आवेदक तथा अनावेदक के द्वारा घरेलु सामान के परिवहन हेतु विशेष अनुबंध निष्पादित किया गया था। आवेदक के द्वारा अग्रवाल पैकर्स एण्ड मूवर्स लिमिटेट, भानू चैक बाईपास हिसार नई दिल्ली, हरियाणा के द्वारा सेवा प्रदान की गयी है। उक्त अनुबंध की शर्तो के अनुसार अनावेदक किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति की राशि प्रदान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है। आवेदक के सामान के परिवहन के लिए अनुबंध का निष्पादन हिसार नई दिल्ली हरियाणा में हुआ। इस प्रकार हरियाणा की उपभोक्ता फोरम की आर्थिक क्षेत्राधिकार के अंतर्गत वाद कारण उत्पन्न हुआ है। इसलिए इस जिला उपभोक्ता को परिवाद-पत्र का सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। इस परिवाद-पत्र को सव्यय निरस्त किया जाये और आवेदक से 10,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति अनावेदक को दिलायी जाये।
05. परिवादी/आवेदक की ओर से अपने परिवाद-पत्र के समर्थन में सूची अनुसार दस्तोवज तथा स्वयं का शपथ-पत्र दिनांक 04/12/2014 का पेश किया गया है। अनावेदक के द्वारा जवाबदावा के समर्थन में सूची अनुसार दस्तावेजो के साथ संजय यादव, प्रबंधक अग्रवाल पैकर्स एण्ड मूवर्स लिमिटेड, शाखा टी.पी.नगर कोरबा का शपथ-पत्र दिनांक 30/01/2015 का पेश किया गया है। उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का अवलोकन किया गया।
06. मुख्य विचारणीय प्रश्न है कि:-
क्या परिवादी/आवेदक द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद-पत्र स्वीकार किये जाने योग्य है ?
07. आवेदक के द्वारा दस्तावेज क्रमांक ए-1 अनावेदक को भुगतान किये गये 88,000/-रू0 के संबंध में पेड बिल/इन्वाईस कॉपी दिनांक 02/08/2014 का प्रस्तुत किया गया है। उपरोक्त राशि सामानों के परिवहन के किराये के रूप में प्राप्त करने के तथ्य को अनावेदक के द्वारा स्वीकार किया गया है। इसी प्रकार आवेदक की ओर से दस्तावेज क्रमांक ए-1अ, ए-1ब डेमरेज चार्जेस की शेड्यूल तथा दस्तावेज क्रमांक ए-1स कार इनवंटेरी , दस्तावेज क्रमांक ए-2, ए-2अ एवं ए-2ब पेकिंग लिस्ट, दस्तावेज क्रमांक ए-3 परिवहन किये जाने वाले सामानों की सूची तथा दस्तावेज क्रमांक ए-4 एवं ए-4अ घोश णा प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया गया है। आवेदक ने दस्तावेज क्रमांक ए-5 परिवहन किये जाने वाले सामानों की सूची के अलावा दस्तावेज क्रमांक ए-6 आईडीबीआई बैंक की आवेदक के द्वारा दी गयी दिनांक 02/08/2014 की चेक 50,000/-रू0 के संबंध में फोटोप्रति भी प्रस्तुत किया है।
08. अनावेदक की ओर से दस्तावेज क्रमांक डी-1 उभय पक्ष के बीच निष्पादित अनुबंध एवं गुड्स फारवर्डिंग नोट की फोटोप्रति तथा दस्तावेज क्रमांक डी-2 अनुबंध की शर्तो से संबंधित डेमरेज चार्जेस की विवरणी की कार्बन प्रति जिसमें आवेदक से पावती ली गयी है, उसे प्रस्तुत किया गया है। इसी दस्तावेज क्रमांक डी-2 के पृष्ठ भाग की फोटोप्रति आवेदक ने भी दस्तावेज क्रमांक ए-8 के रूप में प्रस्तुत किया है। जिसमें आवेदक ने उसे डिलीवर किये गये क्षतिग्रस्त सामानों के संबंध में टीप लिखकर दिनांक 15/08/2014 को अनावेदक को पावती दिया था, ऐसा बताया गया है। इस प्रकार आवेदक को जब अनावेदक के द्वारा घरेलू सामानों की डिलीवरी दी गयी, तब दिनांक 15/08/2014 को उसने अपनी ओर से पावती में जो कि दस्तावेज क्रमांक डी-2 के पृष्ठ भाग में है उसमें टीप लिखकर यह दर्शाया है कि कुलर, व्हींट टैंक तथा अन्य बाक्स में रखे सामान क्षतिग्रस्त हुए है जिनकी अनुमानित नुकसानी 5,600/-रू0 है। यद्यपि इसी दस्तावेज में यह भी लिखा गया है कि आवेदन-पत्र में अनुमानित नुकसानी 10,000/-रू0 भी लिखा हुआ है।
09. आवेदक ने दस्तावेज क्रमांक ए-9 का ई-मेल दिनांक 24/08/2014 का अनावेदक के पास प्रेषित कर क्षतिग्रस्त सामानों के संबंध में नुकसानी की अदायगी हेतु सूचित किया था। आवेदक ने दिनांक 28/08/2014 को भी ई-मेल प्रेषित किया था जो दस्तावेज क्रमांक ए-9अ एवं ए-9ब है। आवेदक ने अनावेदक को दस्तावेज क्रमांक ए-10 एवं 10अ का ई-मेल स्मरण पत्र/विधिक सूचना के रूप में दिनांक 17/09/2014 को प्रेषित किया और 10,000/-रू0 नुकसानी की राशि 15 दिनों के अंदर भुगतान करने के लिए कहा था। आवेदक के नोटिस के संबंध में दिनांक 23/09/2014 को अनावेदक की ओर से जवाब आवेदक के पास दस्तावेज क्रमांक ए-11 का पे्रषित किया गया है, जिसमें 10,000/-रू0 की नुकसानी आवेदक को भुगतान किये जाने से इंकार कर दिया गया है।
10. आवेदक की ओर से दस्तावेज क्रमंाक ए-12 की विधिक सूचना अनावेदक के पास दिनांक 13/10/2014 को अधिवक्ता के माध्यम से प्रेषित किया गया उसके संबंध में डाक रसीद दस्तावेज क्रमाक ए-13 और प्राप्ति अभिस्वीकृति दस्तावेज क्रमांक ए-14 है। आवेदक के द्वारा अपने क्षतिग्रस्त सामानों के संबंध में फोटोग्राफ्स दस्तावेज क्रमांक ए-15 तथा ए-15ए से लेकर ए-15आई तक भी पेश किये गये हैं। आवेदक के उपरोक्त विधिक सूचना प्राप्ति के बाद भी अनावेदक के द्वारा आवेदक को हुई 10,000/-नुकसानी की भरपाई नहीं किये जाने के कारण परिवाद-पत्र प्रस्तुत किया गया है।
11. आवेदक की ओर से तर्क किया गयाहै कि उसने अनावेदक के माध्यम से अपने घरेलु सामान हिसार हरियाणा से बालको जिला-कोरबा के लिए सुरक्षित परिवहन किये जाने हेतु बुक किया था। अनावेदक के अनुसार बताए गए किराये की सभी राशि का भुगतान किया था, उसके बाद भी उसके सामानों को सुरक्षित नहीं पहुंचाया गया और उसे करीब 10,000/-रू0 की नुकसानी हुई, इसलिए परिवाद-पत्र को स्वीकार कर क्षतिपूर्ति की राशि दिलायी जावे।
12. अनावेदक की ओर से तर्क किया गया है कि जो दस्तावेज क्रमांक डी-2 के पृष्ठ भाग में करीब 5,600/-रू0 के सामान क्षतिग्रस्त होना लिखा गया है। उससे अधिक की राशि की मांग आवेदक की ओर से की जा रही है। तर्क के दौरान यह भी बताया गया है कि उपरोक्त आवेदक के सामान क्षतिग्रस्त होने पर 5,600/-रू0 से अधिक की नुकसानी नहीं हुई है। आवेदक उपरोक्त नुकसानी के तथ्य को प्रमाणित नहीं कर सका है, इसलिए परिवाद-पत्र को निरस्त किया जावे।
13. यह उल्लेखनीय है कि अनावेदक की ओर से प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक डी-2 से स्पष्ट है कि आवेदक को उसके सामानों की डिलीवरी के समय क्षतिग्रस्त हालात में कुछ सामानों को प्रदान किया गया था, जिसमें कुलर, व्हींट टैंक तथा कुछ बाक्स को क्षतिग्रस्त हालात में होना दर्शाया गया है। आवेदक ने उक्त सामानों को करीब 10,000/-रू0 कीमती होना बताते हुए उसकी नुकसानी की राशि अनावेदक से मांग की है। अनावेदक की ओर से उपरोक्त क्षतिग्रस्त सामानों को किसी सर्वेयर से अनवेशण कराकर उसका कोई रिपोर्ट, इस जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया है, ऐसी स्थिति में अनावेदक की ओर से किया गया तर्क मान्य नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार आवेदक अपने क्षतिग्रस्त सामानों के संबंध में 10,000/-रू0 की नुकसानी प्राप्त करने का अधिकारी होना पाया जाता है।
14. अनावेदक की ओर से तर्क किया गया है कि दस्तावेज क्रमांक डी-2 अनुबंध की शर्तो की कंडिका-7 के अनुसार उभय पक्ष के विवाद के उत्पन्न होने पर उसे पंच निर्णय हेतु रिफर किये जाने का प्रावधान रखा गया है, ऐसी स्थिति में एक मात्र मुंबई स्थित फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। इसलिए इस परिवाद-पत्र को निरस्त किया जाये। उपरोक्त तर्क का खंडन करते हुए आवेदक की ओर से निवेदन किया गया है कि इस मामले के संबंध में वादकारण जिला कोरबा में उत्पन्न होने के कारण एवं अनावेदक की शाखा भी इस जिला उपभोक्ता फोरम के अधिकार क्षेत्र में स्थित होने से इस मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस जिला फोरम को प्राप्त है।
15. यह उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता के द्वारा परिवाद-पत्र धारा 11(2) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधान के अनुसार जहॉं पर अनावेदक अपना व्यवसाय करता है, उस शाखा कार्यालय के क्षेत्र में एवं जहॉं वाद कारण उत्पन्न हुआ है उस स्थान पर क्षेत्राधिकार रखने वाली जिला उपभोक्ता फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार होना बताया गया है। ऐसी स्थिति में अनावेदक की शाखा कार्यालय कोरबा में स्थित होने एवं बालको, जिला कोरबा में सामानों का परिदान किये जाने के कारण इस जिला उपभोक्ता फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार होना पाया जाता है। इस प्रकार अनावेदक का तर्क क्षेत्राधिकार नहीं होने के संबंध में मान्य नहीं किया जा सकता है।
16. इस मामले में यह उल्लेख करना उचित होगा कि धारा 3 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधान के अनुसार उपभोक्ता को अन्य अधिनियम में प्राप्त उपचार के अतिरिक्त अनुतोष हेतु सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार इस जिला उपभोक्ता फोरम को प्राप्त है, उसे आर्बिट्रेश न के संबंध में अनुबंध के आधार पर समाप्त नहीं किया जा सकता है। इसलिए अनावेदक के दस्तावेज क्रमांक डी-2 में विवाद के निराकरण हेतु क्षेत्राधिकार के संबंध में प्रावधान किये जाने पर भी इस जिला उपभोक्ता फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त होना पाया जाता है।
17. इस प्रकार उभय पक्ष के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के अधार पर इस परिवाद-पत्र को स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है। आवेदक को मानसिक क्षतिपूर्ति की राशि भी प्राप्त करने का अधिकारी होना पाया जाता है।
18. अतः मुख्य विचारणीय प्रश्न का निष्कर्ष ’’हॉं ’’ में दिया जाता है।
19. तद्नुसार परिवादी/ आवेदक की ओर से प्रस्तुत इस परिवाद-पत्र को धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत स्वीकार करते हुए उनके पक्ष में एवं अनावेदक के विरूद्ध निम्नानुसार अनुतोष प्रदान किया जाता है और आदेश दिया जाता है किः-
अ. आवेदक हिमांशु चतुर्वेदी को उसके सामानों के परिवहन के दौरान क्षतिग्रस्त होने के कारण अनावेदक 10,000/-रू0 नुकसानी की राशि आज से 02 माह के अंदर प्रदान करें। उक्त राशि के संबंध में परिवाद प्रस्तुति दिनांक 04/12/2014 से 09 प्रतिश त् की दर से वार्षिक ब्याज भी प्रदान करें।
ब. उपरोक्त आदेश के पालन में त्रुटी किये जाने पर उपरोक्त नुकसानी की राशि पर दिनांक 04/12/2014 से 12 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज का भुगतान अनावेदक के द्वारा किया जाना होगा।
स. आवेदक को मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/-रू0(पांच हजार रूपये) अनावेदक प्रदान करें।
द. आवेदक को वाद व्यय के रूप में 2000/-रू0(दो हजार रूपये) अनावेदक प्रदान करें।
(छबिलाल पटेल) (श्रीमती अंजू गबेल) (राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य