Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/1773

Pitambara Commission Agency - Complainant(s)

Versus

Agarwal Book Store - Opp.Party(s)

S K Sharma

08 Oct 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/1773
( Date of Filing : 14 Oct 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Pitambara Commission Agency
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Agarwal Book Store
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 08 Oct 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्या-1773/2010

पीताम्‍बर कमिशन एजेंसी बनाम मैसर्स अग्रवाल बुक स्‍टोर तथा एक अन्‍य

समक्ष:-

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।

दिनांक: 08.10.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.    परिवाद संख्या-6/2009, मै0 अग्रवाल बुक स्‍टोर बनाम प्रबंधक पीताम्‍बर ट्रांसपोर्ट कंपनी में वि‌द्वान जिला आयोग, फिरोजाबाद दवारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20.8.2010 के विरुद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा के सहायक श्री नन्‍द कुमार तथा प्रत्‍यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अशोक शुक्‍ला को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

2.    विद्वान जिला आयोग ने विपक्षी के विरूद्ध परिवादी द्वारा भेजे गए सामान की कीमत अंकन 48,779/-रू0 7 प्रतिशत ब्‍याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है। साथ ही क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 5,000/-रू0 एवं परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 1,000/-रू0 अदा करने के लिए भी आदेशित किया है।

3.    परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने 10 बण्‍डल माल पवन प्रकाशन मेरठ को भेजा था, जिसमें से 5 बण्‍डल स्‍वीकार कर लिए गए और 5 बण्‍डल वापस कर दिए गए, क्‍योंकि ये बण्‍डल खराब हो चुके थे। इस वापस किए गए माल का मूल्‍य अंकन 24,863/-रू0 था। इसी प्रकार 7 बण्‍डल अलग से भेजे गए थे, जिसमें से 4 बण्‍डल खराब निकल गए, जिनका मूल्‍य अंकन 23,916/-रू0 था। इस प्रकार वापस किए गए माल का कुल मूल्‍य अंकन 48,779/-रू0 था, जिसकी अदायगी के लिए विद्वान जिला आयोग ने उपरोक्‍त आदेश पारित किया है।

4.    अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के सहायक अधिवक्‍ता का तर्क है कि केवल उन्‍होंने परिवादी का माल दूसरे ट्रक के माध्‍यम से भेजने की व्‍यवस्‍था की थी, इसलिए ऐसी किसी हानि के लिए वह उत्‍तरदायी नहीं है, जबकि परिवादी का कथन है कि प्रश्‍नगत माल विपक्षी को सुपुर्द किया गया था और विपक्षी ने किस ट्रक के माध्‍यम से माल भेजा, इसका कोई ज्ञान परिवादी को नहीं है, समस्‍त उत्‍तरदायित्‍व विपक्षी का है, जबकि अपीलार्थी

 

-2-

के विद्वान अधिवक्‍ता का पुन: तर्क है कि उनके द्वारा दिनांक 16.9.2008 को अरोरा ट्रांसपोर्ट कंपनी, आगरा को माल भेज दिया गया था, इसलिए उनके स्‍तर से सेवा में कमी नहीं की गई है। चूंकि परिवादी ने संविदा केवल विपक्षी से ही की है, इसलिए अरोरा ट्रांसपोर्ट कंपनी, आगरा परिवादी के लिए एक तृतीय पक्ष है, जिसके बारे में परिवादी को कोई जानकारी नहीं हो सकती। ट्रांसपोर्ट एजेंसी द्वारा विभिन्‍न व्‍यक्तियों से माल बुका किया जाता है, इसलिए सुरक्षित स्‍थान पर पहुँचाने का दायित्‍व विपक्षी ट्रांसपोर्ट कंपनी का है, जिसके द्वारा माल बुक किया जाता है न कि उस ट्रांसपोर्ट कंपनी का जिसे विपक्षी द्वारा माल उपलब्‍ध कराया गया है। यद्यपि विपक्षी ट्रांसपोर्ट कंपनी को यह अधिकार है कि वह संबंधित ट्रांसपोर्ट कंपनी से स्‍वंय को कारित क्षति की पूर्ति के लिए कार्यवाही कर सकती है, परन्‍तु विपक्षी/अपीलार्थी के विरूद्ध विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित किया गया निर्णय/आदेश विधिसम्‍मत है, इसमें कोई हस्‍तक्षेप अपेक्षित नहीं है, सिवाय अंकन 5,000/-रू0 क्षतिपूर्ति अदा करने के, जिसे अंकन 1,000/-रू0 निर्धारित किया जाता है। प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

5.    प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20.08.2010 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 5,000/-रू0 के स्‍थान पर अंकन 1,000/-रू0 की राशि देय होगी। शेष निर्णय/आदेश यथावत् रहेगा।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                        (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                 सदस्‍य

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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