(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-749/2015
(जिला उपभोक्ता आयोग मुजफ्फरनगर द्वारा परिवाद संख्या 173/2002 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.03.2015 के विरूद्ध)
- अधिशासी अभियन्ता, ईडीडी, मुजफ्फरनगर ।
- एस0डी0ओ0 उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0, मुजफ्फरनगर।
- अधीक्षण अभियन्ता, उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0, शक्ति भवन लखनऊ।
अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
अफजाल खान पुत्र श्री अब्दुल हमीद निवासी मकान नं0-200, रैदासपुरी जिला मुजफ्फरनगर।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री इसार हुसैन के कनिष्ठ सहायक श्री ए0के0 जैदी
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक : 10.08.2023
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी द्वारा यह अपील, अन्तर्गत धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 विद्वान जिला आयोग मुजफ्फरनगर द्वारा परिवाद संख्या 173/2002 अफजाल खान बनाम अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड आदि
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में उदघोषित निर्णय एवं आदेश दिनांक 23.03.2015 के विरूद्ध प्रस्तुत किया गया है।
संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रश्नगत निर्णय व आदेश विधि विरूद्ध, मनमाना और तार्किक है। विद्वान जिला फोरम पत्रावली पर उपलब्ध अभिकथनों एवं अभिलेखों का उचित मूल्यांकन नहीं कर सका। प्रत्यर्थी ने एक परिवाद हर्जाने के लिये विरूद्ध जारी बिल को समाप्त करने के लिए प्रस्तुत किया है। अपीलार्थी विस्तृत उत्त्र प्रस्तुत किया। विद्वान जिला फोरम को अपीलार्थी ने बताया कि प्रत्यर्थी के विरूद्ध रू0-19,027/- का बकाया है, जो विद्युत विच्छेदन के दिनांक तक का है, अस्थायी विच्छेदन दिनांक 02.09.2003 को किया गया गया और स्थायी विच्छेदन दिनांक 03.01.2004 को किया गया तब तक बकाया बिल रू0-19,027/- का था। विद्वान जिला फोरम ने तथ्यों को समझने में भूल की। प्रत्यर्थी ने फरवरी 1999 से कोई भुगतान नहीं किया और 13 साल से भुगतान बाकी था। विद्वान जिला फोरम समस्त बिलों को रद्द कर दिया जो विधि विरूद्ध है। अत: माननीय आयोग से अनुरोध है कि वर्तमान अपील स्वीकार करते हुए प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाये।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवकता श्री इसार हुसैन के कनिष्ठ सहायक श्री ए0के0 जैदी को सुना। प्रत्यर्थी की ओर से एक स्थगन प्रार्थना पत्र दिनांक 28.11.2016 का पत्रावली पर है और इस प्रार्थना पत्र में शिनाख्त करने अधिवक्ता श्री मानवेन्द्र कुमार जैन आये किन्तु आज न तो प्रत्यर्थी उपस्थित है और न ही उनके विद्वान अधिवक्ता ही उपस्थित हुए। हमने पत्रावली का सम्यक रूप से परिशीलन किया।
प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने घरेलू उपयोग के लिये विद्युत कनेक्शन लिया था। दिनांक 18.08.1998 से 18.10.1998 तक 2727 रीडिंग थी, जिसका
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बिल अंकन रू0-2833/- का भेजा गया था, इस बिल में रू0-2396/-पिछले बिल का दिखा गया था। वर्तमान बिल अंकन रू0-380/- का था। जून/1999 तक पिछला रीडिंग 2769 कुल 42 यूनिट का बिल अंकन रू0-224/- का बनाया गया। जिसमें पिछला एरियर भी शामिल किया गया था। प्रत्यर्थी/परिवादी ने 2939 रीडिंग एस0डी0ओ0 को लिख कर दी थी। कनेक्शन काट दिया गया। दिनांक 15.02.2000 के बिल पर आपत्ति करते हुये एस0डी0ओ0 को प्रार्थना पत्र दिया कि प्रत्यर्थी/परिवादी का बिल सही करे। दिनांक 26.02.1999 तक का बिल जमा कर चुका है। सभी बिलों में पिछला एरियर दिखाया गया है। दिनांक 24.10.2000 को एस0डी0ओ0 को कनेक्शन जोड़ने के लिये प्रार्थना पत्र दिया गया था, लेकिन कनेक्शन काटने के बाद भी लगातार बिल जारी किये जा रहे हैं। फरवरी/2002 तक अंकन रू0-11,470/- बकाया दिखाये गये। प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद पत्र के समर्थन में अपना शपथ पत्र भी दाखिल किया है।
परिवाद पत्र के चरण-5 में प्रत्यर्थी/परिवादी ने कनेक्शन काटने की तिथि अग्रस्त/2000 बतायी है, उसके उपरान्त दिनांक 11.03.2002 को जो प्रार्थना पत्र एस0डी0ओ0 विद्युत विभाग को प्रेषित किया गया है, उसमें कनेक्शन काटने की तिथि 25.08.2002 लिखी है। मीटर रीडिंग 3338 बतायी है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के समर्थन में बिल अदायगी की जो साक्ष्य प्रस्तुत की है, दिनांक 26.02.1999 की रसीद है, जिसके द्वारा रू0-2256/- अदा किये गये हैं। इस रसीद से यह स्पष्ट नहीं होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी 3338 यूनिट का भुगतान कर चुका है। जब प्रत्यर्थी/परिवादी दिनांक 11.03.2002 को मीटर की रीडिंग 3338 मान चुका है तब ऐसी स्थिति में कनेक्शन काटने की तिथि दिनांक 25.08.2002 ही मानी जायेगी। प्रत्यर्थी/परिवादी 3338 यूनिट का भुगतान करने के लिये बाध्य है। अंकन रू0-2256/- की जो धनराशि प्रत्यर्थी
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/परिवादी दिनांक 26.02.1999 में जमा करा चुका है, यह धनराशि समस्त बिलों में समायोजित किये जाने योग्य है।
अपीलार्थी/विपक्षीगण अंकन रू0-2256/- की धनराशि को 3338 की मीटर रीडिंग में समायोजित करते हुये बिल तैयार कर प्रत्यर्थी/परिवादी को उपलब्ध कराने के लिये बाध्य है।
तत्पश्चात प्रत्यर्थी/परिवादी का कनेक्शन पुन: जोड़े जाने योग्य है। 3338 की रीडिंग के बाद सभी बिल निरस्त किये जाने योग्य है। विद्वान जिला फोरम ने अपने निर्णय में लिखा है-
‘’परिवाद संख्या 173/2002 अफलाज खान बनाम अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खंड इस निर्देश के साथ अंतिम रूप से निरस्त किया जाता है कि परिवादी 3338 मीटर रीडिंग का भुगतान विपक्षीगण को अन्दर एक माह में करे। विपक्षीगण पूर्व में अदा की गयी धनराशि अंकन 2256/-रू0 का समायोजन करते हुये परिवादी को बिल अन्दर दस दिन में उपलब्ध कराये। भुगतान प्राप्ति के एक माह के अन्दर परिवादी का कनेक्शन पुन: जोड़ दिया जाये।
दिनांक 25.08.2002 के बाद के सभी बिल निरस्त माने जायेंगे। वाद व्यय उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।‘’
पी0डी0 फाइनल बिल कापी जो पत्रावली में संलग्न है, बिल लेजर के अनुसार अंतिम रीडिंग अंकित नहीं है। पी0डी0 स्केलिंग के अन्तर्गत मीटर संख्या अंकित नहीं है। आखिरी मीटर रीडिंग 3822 अंकित है। जिला विद्वान फोरम ने भी अपने निर्णय में लिखा कि प्रत्यर्थी/ परिवादी 3338 यूनिट का भुगतान कर चुका है और जब परिवादी दिनांक 11.03.2002 को मीटर रीडिंग 3336 मान चुका है तब कनेक्शन काटने की तिथि 25.08.2002 ही मानी जायेगी। विद्वान जिला फोरम इस रीडिंग को मानते हुए आदेश पारित किया है और अपीलर्थी/विपक्षी द्वारा
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पूर्व में जमा धनराशि रू0-2256/- को समायोजित करने का आदेश दिया है। यह निर्णय उचित है और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है। तद्नुसार वर्तमान अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उदघोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
दिनांक-10.08.2023
नवी हुसैन आशु0 कोट नं0-2