Lichman Ram filed a consumer case on 23 May 2014 against Aen JVVNL in the Churu Consumer Court. The case no is 54/2013 and the judgment uploaded on 18 May 2015.
प्रार्थी की ओर से श्री धन्नाराम सैनी अधिवक्ता उपस्थित। अप्रार्थीगण की ओर से श्री सांवरमल स्वामी अधिवक्ता उपस्थित। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों केा दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी अप्रार्थीगण के यहां घरेलू विद्युत सम्बंध प्राप्त करने हेतु दिनांक 13.12.2012 को 200 रूपये की डिमाण्ड राशि व इसके बाद दिनांक 21.12.2012 को 1600 रूपये सिक्योरिटी राशि चूका कर सभी औपचारिकताऐं पूरी कर दी। प्रार्थी द्वारा सभी औपचारिकताऐं विद्युत कनेक्शन हेतु करने के पश्चात भी अप्रार्थीगण के द्वारा पत्र दिनांक 16.01.2013 के माध्यम से प्रार्थी को वन विभाग की भूमि पर अतिक्रमण किये जाने के आधार पर विद्युत सम्बंध देने से इन्कार कर दिया। जबकि प्रार्थी ने कोई अतिक्रमण वन विभाग की भूमि पर नहीं किया हुआ। प्रार्थी का निवास स्थान आबादी भूमि के अन्तर्गत आता है। जिस पर प्रार्थी कई वर्षों से निवास करता आ रहा है। प्रार्थी ने अप्रार्थीगण के यहां समस्त दस्तावेज दिखा कर यह साबित किया कि प्रार्थी जिस स्थान पर विद्युत सम्बंध प्राप्त करना चाहता है वह जगह वन विभाग की नहीं है उसके बावजूद भी अप्रार्थीगण ने प्रार्थी को विद्युत सम्बंध देने से इन्कार कर दिया। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादोष की श्रेणी का है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए मुख्य तर्क यही दिया कि प्रार्थी जिस स्थान पर विद्युत सम्बंध प्राप्त करना चाहता है वह भूमि वन विभाग की है जिस सम्बंध में वन विभाग न्यायालय द्वारा प्रार्थी को अतिक्रमी घोषित किया जा चूका है। वन-विभाग द्वारा प्रार्थी को विद्युत सम्बंध नहीं देने बाबत अप्रार्थीगण के यहां आपत्ति भी प्रस्तुत की गयी है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि वन विभाग वर्तमान प्रकरण में एक आवश्यक पक्षकार है। परन्तु प्रार्थी ने जानबूझकर वन-विभाग को पक्षकार नहीं बनाया। उक्त आधारों पर अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
प्रार्थी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, रसीद दिनांक 13.12.2012, 21.12.2012 पत्र दिनांक 16.01.2013, अनापत्ति प्रमाण-पत्र, डिमाण्ड नोटिस दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थीगण की ओर से नकल एस.सी.ओ., तकमीमा, डिमाण्ड नोटिस, निर्णय प्रति, वन-विभाग, पत्र दिनांक 03.01.2013, 12.01.2013, 16.01.2013 दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये है। पक्षकारान की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया गया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार है।
अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य तर्क यह दिया है कि प्रार्थी जिस भूमि पर विद्युत सम्बंध प्राप्त करना चाहता है। वह भूमि वन विभाग की है जिसके द्वारा अप्रार्थीगण के यहां प्रार्थी को विद्युत सम्बंध न देने के सम्बंध में आपत्ति भी प्रस्तुत की गयी है। प्रार्थी जिस स्थान पर विद्युत कनेक्शन प्राप्त करना चाहता है वह भूमि प्रार्थी की है, तथ्य साबित करने का भार प्रार्थी पर है। परन्तु प्रार्थी ने उक्त तथ्य को साबित करने हेतु पत्रावली पर अनापत्ति प्रमाण-पत्र दिनांक 29.11.2012 के अतिरिक्त कोई अन्य दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया। अनापत्ति प्रमाण-पत्र जो कि ग्राम पंचायत श्योपुरा के सरपंच द्वारा जारी किया गया है जिसमें सरपंच ने यह लिखा है कि प्रार्थी आवासिय भूमि ढ़ाणी डी.एस. पुरा में विद्युत कनेक्शन लेना चाहता है जिससे ग्राम पंचायत श्योपुरा को कोई आपत्ति नहीं है। उक्त अनापत्ति प्रमाण-पत्र से यह साबित नहीं होता कि प्रार्थी जिस जगह पर विद्युत सम्बंध प्राप्त करना चाहता है वह प्रार्थी की है। जबकि इसके विपरित अप्रार्थीगण ने मंच के समक्ष वन-विभाग न्यायालय का निर्णय दिनांक 26.12.2012 मुकदमा नम्बर 22/2012 की प्रति प्रस्तुत की है जिसमें प्रार्थी के विरूद्ध उक्त न्यायालय द्वारा आदेश पारित कर प्रार्थी को वन-विभाग की भूमि पर अतिक्रमी घोषित किया गया है तथा प्रार्थी को आदेश की दिनांक के 3 दिवस में भूमि खाली करने का आदेश जारी किया गया है। उक्त निर्णय के विरूद्ध प्रार्थी के द्वारा अन्य किसी सक्षम न्यायालय में चुनौति नहीं दी गयी। इससे स्पष्ट है कि उक्त निर्णय अन्तिम हो चूका है जिसमें यह स्पष्ट है कि प्रार्थी जिस स्थान पर विद्युत सम्बंध प्राप्त करना चाहता है वह भूमि वन-विभाग की है। जिस पर प्रार्थी को विद्युत सम्बंध नहीं देने के सम्बंध में वन-विभाग ने आपत्ति की हुई है। ऐसी स्थिति में अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी को विद्युत सम्बंध देने से इन्कार कर देना मंच की राय में कोई सेवादोष नहीं है। इसलिए प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्य है।
अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध अस्वीकार कर खारिज किया जाता है। पक्षकारान प्रकरण व्यय स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.