Rajasthan

Ajmer

CC 467/2013

SMT SEEMA SABHU - Complainant(s)

Versus

AEGON RELIGARE LIFE INS - Opp.Party(s)

ADV S.P GANDHI

15 Sep 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC 467/2013
 
1. SMT SEEMA SABHU
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. AEGON RELIGARE LIFE INS
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 15 Sep 2016
Final Order / Judgement

 


जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्रीमति सीमा साबू  पत्नी स्व. श्री मनोज कुमार साबू, निवासी- 237, दयानन्द काॅलोनी, रामनगर, अजमेर । 
                                                -         प्रार्थिया

                            बनाम

1.  एगोन रेलीगेयर लाईफ इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए षाखा प्रबन्धक,
षाखा कार्यालय विषाल मेगा मार्ट , तृतीय मंजिल, जयपुर रोड़, अजमेर (राजस्थान)305001
2. एगोन रेलीगेयर लाईफ इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, नोमुरा, बी- विंग, प्रथम मंजिल, यूनिट नं. 102, डी-मार्ट के पास, हीरानन्दानी बिजनेस पार्क, हीरानन्दानी गार्डन, पेवई- मुम्बई- 400076
                                                -       अप्रार्थीगण
                 परिवाद संख्या 467/2013 
                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य
                           उपस्थिति
                  1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता, प्रार्थिया
                  2.श्री  बाबूलाल षर्मा,  अधिवक्ता अप्रार्थीगण

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 19.09.2016
 
1.       प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसके पति ने अपने जीवनकाल में अप्रार्थी बीमा कम्पनी से दिनंाक 24.4.2012 को  एगोन रेलीगेयर लेवल टर्म प्लान पालिसी संख्या 120313497389 रू. 10,00,000/- की प्राप्त की । उसके पति का दिनांक 11.09.2012 को अचानक हार्ट अटैक होने से देहान्त हो गया ।  अप्रार्थी  बीमा कम्पनी को बीमाधारक की मृत्यु होने की सूचना देते हुए समस्त औपचारिकताएं पूर्ण कर बीमा क्लेम पेष किया ।  जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनंाक 20.12.2012 के  इस आधार पर खारिज कर दिया कि बीमाधारक को बीमा कराने से पूर्व डायबिटिज मेलीट्स बीमारी थी जिसे बीमाधारक ने जानबूझकर छिपाया । इसके अलावा  बीमाधारक धूम्रपान का आदी था  और बीमाधारक के पास प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी के अलावा अन्य बीमा कम्पनियों की बीमा पाॅलिसी थी तथा बीमा कराते समय इस तथ्य के अलावा अपने व्यवसाय व आय के संबंध में गलत जानकारी  दी थी ।  प्रार्थिया ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा  क्लेम  खारिज करने के  कृत्य को  सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    परिवाद के प्रतिउत्तर में प्रारम्भिक आपत्ति के तहत परिवाद को मेटिरियल फैक्ट के छिपाएं जाने के आधार पर खारिज होने योग्य बताया । अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सेवा प्रदाता बताते हुए क्लेम को पूर्ण रूप से मस्तिक का प्रयोग करते हुए खारिज किए जाने योग्य बताया व तदनुसार प्रकरण को मंच के श्रवणाधिकार क्षेत्र का नहीं होना बताया । प्रपोजल फार्म में मेटिरियल फैक्ट को छिपाना बताया । इस आधार पर दोनों  पक्षकार के मध्य हुई संविदा को षून्य बताया ।  बीमित मृतक को पाॅलिसी लिए जाने से पूर्व में 4-5 वर्ष डायबिटिज की बीमारी होना, प्रपोजल फार्म भरते समय  बीमा इतिहास में महत्वपूर्ण तथ्यों का उत्तर नहीं दिया जाकर छिपाना बताया । हृद्यघात  से मृत्यु का कारण डायबिटिज होना बताया। मृत्यु क्लेम प्रस्तुत किए जाने पर अप्रार्थीगण द्वारा  एनएनबी इन्वेस्टीगेषन  प्राईवेट लिमिटेड  को मामले में क्लेम के संदर्भ में अनुसंधान हेतु नियुक्त करना बताया। उक्त जांचकर्ता द्वारा सुसंगत दस्तावेजात को एकत्रित कर यह पाया जाना बताया गया कि बीमित मृतक मृत्यु के समय  डायबिटिज नामक  बीमारी से ग्रसित था । उसके द्वारा पूर्व में ली गई पाॅलिसियों को भी प्रपोजल फार्म में नहीं दर्षाया गया है । कुल मिलाकर  अपने पैरावाईज उत्तर में बीमित मृतक द्वारा  पाॅलिसी का लिया जाना स्वीकार किया गया । किन्तु मेटिरियल फैक्ट को छिपाते हुए  उक्त पाॅलिसी लेने व उक्त पाॅलिसी लिए जाने के बाद तुरन्त अल्पावधि में हुई मृत्यु को संन्देहजनक मानते हुए मृत्यु के कारणों की जांचकर्ता के माध्यम से अनुसंधान व जांच कराया जाना और  जांच के बाद बीमित मृतक का क्लेम सहीं रूप से निरस्त किए जाना बताया । परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की है । 
3.    प्रार्थिया की ओर से प्रमुख रूप से तर्क प्रस्तुत किया गया है कि उसके  पति ने अपने जीवनकाल में अप्रार्थी बीमा कम्पनी से टर्म प्लान पालिसी 25 वर्ष के लिए वार्षिक प्रीमियम रू. 7794/- में ली थी । उसके पति का दिनांक 11.09.2012 को अचानक हार्ट अटैक होने के कारण देहावासन  हो गया । उक्त आकस्मिक  मृत्यु की सूचना  अप्रार्थी बीमा कम्पनी को देखते हुए बीमा पाॅलिसी के तहत मृत्यु क्लेम दावा प्रस्तुत करते हुए समस्त औपचारिकताएं पूर्ण की गई थी ।  प्रस्तुत मृत्यु क्लेम जो दिनांक 20.12.2012 के प़त्र के जरिए खारिज किया गया है वह अवैध व निराधार रूप से खारिज किया गया है । बीमित का निधन अचानक हार्ट  अटैक  से हुआ है । बीमा कराने से पूर्व  मृतक बीमित को न तो डायबिटिज थी और ना ही  इससे पूर्व इस बीमारी का कोई इलाज करवाया गया  ।  प्रपोजल फार्म भरते समय मृतक बीमाधारक पूर्णतया स्वस्थ था । बीमा कम्पनी ने प्रार्थिया के पति का स्वास्थ्य परीक्षण करवा कर  स्वास्थ्य सहीं पाए जाने पर उसका बीमा किया गया था । तत्समय मृतक द्वारा धूम्रपान   करने व अन्य बीमा कम्पनी से बीमा पाॅलिसियां लेने  व  प्रपोजल फार्म में कोई  गलत जानकारियों  नहीं दी गई थी ।  बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय  प्रपोजल फार्म   पर प्रार्थिया के पति ने मात्र  हस्ताक्षर किए थे ।  प्रस्तुत मृत्यु क्लेम निराधार रूप से खारिज कर सेवा में कमी की  गई है । क्लेम स्वीकार किया जाना चाहिए ।  अपने तर्को के  समर्थन में  निम्नलिखित  विनिष्चयों  पर अवलम्ब लिया है:-
 
1ण्    प्प् ;2005द्धब्च्श्रण्32 ;छब्द्ध ैनतमदकमत ज्ञंनत ।दत टे स्प्ब्      द्व क्लेम खारिज किए जाने 2ण्    प्प्;2005द्धब्च्श्र 78 ;छब्द्ध स्प्ब् टे श्रवहपदकमत ज्ञंनत ंदक व्तेए द्व  का आधार साक्ष्य के 
3ण्    प्;2014द्धब्च्श्रण्222ण्;छब्द्ध टण् च्मतनउंसेंउल टे स्प्ब्           द्व अभाव में स्वीकार किए
                                                     द्व जाने योग्य नहीं है । 

4ण्   प्प्प्;2012द्धब्च्श्र 463;छब्द्ध   ैठप् स्पमि प्देनतंदबम ब्व स्जक   द्वप्रपोजल फार्म में च्तम 
        टे ज्ञंउइंसं ैंदकीलंए                                                  द्व मगपेजपदह कपेमंेम 
5.     प्प्प्;2014द्धब्च्श्र 552;छब्द्ध ैठप् स्पमि प्देनतंदबम ब्व स्जक टे द्वको छिपाने के संबंध में 
        भ्ंतअपदकमत ज्ञंनत ंदक ।दत 


6ण्    प्प्प्;2014द्धब्च्श्र 582;छब्द्ध ैंींतं प्दकपं स्पमि प्देनतंदबम ब्व द्व प्रपोजल फार्म में
       स्जक ंदक ।दत टे त्ंनंदप त्ंउंदरंदमलनसन                         द्व पूर्व पाॅलिसी  
7.  प्प्प्;2011द्धब्च्श्र 373;छब्द्ध स्प्ब् टे ैींीपकं ठमहनउ        द्व का उल्लेंख नहीं 
                                                      द्व करने बाबत

8.  2013;4द्धब्च्त् 135;छब्द्ध स्प्ब् टे  ळलंदपदकमत                       द्व प्रपोजल फार्म में
9ण्   प्प्प् ;2014द्धब्च्श्र 10 । ;ब्छद्ध डंींतंेीजतं ैक्त्ब्                  द्व आय संबंधी घोषणा 
                                                       द्व करने बाबत् 

10ण् 2007;3द्धब्च्त्322;छब्द्ध ।अपअं स्पमि प्देनतंदबम ब्व               द्व मेटिरियल फैक्ट  
      प्दकपं च्अजण्स्जकण् टे ज्ण् न्दंअंजीपए                                          द्व को छिपाने बाबत्
11ण्  प्प्प्;2006द्धब्च्श्र 304;छब्द्ध ळनततंउ टंतंसंोीउप टे स्प्ब्     द्व
12ण्   प्ट;2012द्धब्च्श्र 549;छब्द्ध स्प्ब् टे ैींानदजंसं                    द्व

4.     अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने खण्डन में प्रमुख रूप से सर्वप्रथम क्लेम को मैटिरियल फैक्ट  के छिपाने के आधार पर खारिज होने योग्य बताया है । मृतक बीमित द्वारा  प्रपोजल फार्म में मेटिरयिल फैक्ट  को जानकारी  होने के बावजूद छिपाना बताया ।  यह भी तर्क प्रस्तुत  किया गया  कि क्लेम प्रस्तुत किए जाने के बाद उनकी ओर से  मृत्यु  के कारणों की जांच हेतु जाचकर्ता की रिपोर्ट में बीमित मृतक की आय रू. 15,000 से 20,000 मासिक पाई गई है जबकि   मृत्यु का कारण पूर्व में डायग्नोस होना व इस आषय की चिकित्सालय की पर्चिया व रिपोर्ट बताई है । ं बीमित मृतक को पूर्व में धूम्रपान का आदि होना बताया । 
5.     हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चयों में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्तों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
6.    यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थिया के पति मृतक बीमित  ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से दिनंाक 24.4.2012 को रू. 10 लाख की टर्म प्लान पाॅलिसी 25 वर्ष  की प्राप्त की। बीमाधारक  की मृत्यु दिनंाक 11.09.2012 को हुई  है । 
7.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से परिवाद के प्रति उत्तर में यह स्वीकार किया गया है कि वे सेवा प्रदाता रहे है ं व प्रस्तुत किया गया क्लेम समस्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मस्तिष्क का प्रयोग करते हुए खारिज किया गया है । अतः आदेष उपभोक्ता संरक्षण अधिािनयम के अन्तर्गत चुनौती योग्य नहीं है ।  सिविल न्यायालय द्वारा ही हस्तगत परिवाद में अनुतोष दिलाया जा सकता है । मंच की राय में ं  इस संबंध में इतना लिखना ही पर्याप्त होगा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम  में  वर्ष 2002 से पूर्व अनुचित व्यापार अभ्यास के विरूद्व  ही षिकायत की जा सकती थी किन्तु वर्ष 2002 के संषोधन के बाद षिकायत को सेवा प्रदाता  के विरूद्व भी प्रस्तुत किया जा सकता है, ऐसा प्रावधान किया गया है । अतः इस बाबत् जो आपत्ति अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से प्रस्तुत की गई है, वह सारहीन होने के कारण खारिज की जाती है । 
8.    अब हम प्रस्तुत क्लेम को जिन आधारों को ध्यान में रखते हुए खारिज किया गया है, को बिन्दुवार निम्नप्रकार  विवेचित करेगें:-
9.    क्लेम खारिज किए जाने  का  प्रथम आधार  छवद.क्पेबसवेनतम  व ि च्ंेज डमकपबंस  भ्पेजवतल व िक्पंइमजमे बताया गया है ।  इस संबंध में अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से  बीमित व्यक्ति की मृत्यु च्ॅडप्;च्वेजमतपवत ूंसस डलवबंतकपंस प्दंितबजपवदद्ध ूपजी ।ब्प्टथ् ; ।बनजम स्मजि टमदजतपबनसंत थ्ंपसनतमद्धध्ब्ण् ैीवबा;ब्ंतकपवहमदपब ेीवबाद्ध होना दर्षाया है । 
10.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने डायबिटीज का प्रमुख  आधार बीमित मृतक की मृत्यु  हृद्यघात  से होना बताया है व इस संबंध में हृद्य की विभिन्न अवस्थाओं में  ब्लड सरक्यूलेषन व हृद्य में खून का  पूर्णरूपेण पम्प नहीं होने के कारण हार्ट फेलियर होना बताया । यहां उल्लेखनीय है कि डायबटीज बीमारी  व हार्ट अटैक से मृत्यु होना दो अलग अलग  अवस्थाएं है ।  हालांकि स्वीकृत रूप से डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति की मृत्यु हार्ट अटैक से अधिक सम्भाव्य है । किन्तु हस्तगत प्रकरण में बीमित पूर्व से डायबिटिज नामक  बीमारी से ग्रसित था और उसकी मृत्यु हार्ट अटैक से हुई, यह उसका सीधा परिणाम रहा है, यह स्पष्ट नहीं है । उपलब्ध अभिलेख में  चिकित्सक द्वारा जो मृतक बीमित की च्ंेज डमकपबंस  भ्पेजवतल बताई गई है, में भी उसका डायबिटिज से ग्रसित होना जाहिर नहीं होता है । बायोकेमेस्ट्री के अनुसार मृतक बीमित की जो  जांचे हुई है, में षुगर रेण्डम टेस्ट किया जाकर परिणाम 203 वेल्यूु का दर्षाया गया है । यह रेण्डम वेल्यू भी षुगर की सही लेवल की जांच नहीं मानी जा सकती ।  यदि षुगर की जांच यांत्रिक तरीके से फास्टिंग व पी.पी.  जांचों के रूप में की गई होती तथा इस आषय की कोई जांच परिणाम के साथ  रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत की गई हेाती तो  इस संबंध में कोई  निष्चियात्मक अनुमान निकालना सम्भव था । चूंकि ऐसा कोई प्रलेख पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं हुआ है , अतः बीमित मृतक की मृत्यु   जो  हार्ट अटेक के कारण हुई, डायबटीज का सम्मिलित परिणाम था, यह नही ंमाना जा सकता । यहां तक  कि  जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय, अजमेर  के कार्डियोलोजी विभाग के चिकित्सक द्वारा  जो क्लेम प्रमाण पत्र प्रस्तुत हुआ है, में भी डायबिटीज को फे्रषली डायग्नोज  बाताया गया हेै। अतः इस आधार पर भी यह माना जा सकता है कि तत्समय बीमित मृतक को डायबिटीज नहीं थी ।  इसके साथ साथ जो इस बिन्दु के संबंध में अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने थ्पदंस  प्दअमेजपहंजपवद त्मचवतज में मृतक बीमित को ’’ज्ीम स्। ूंे ेनििमतपदह तिवउ कपंइमजमे ेपदबम 4.5 लमंते ’’ संलग्न डोक्यूमेंट्स के आधार पर बताया है  तथा इस संलग्न मेडिकल डोक्यूमेंटस में जो मित्तल अस्पताल, अजमेर की ओपीडी पेपर की प्रति प्रस्तुत हुई है, में बीमित मृतक को ज्ञदवू ब्ंेम व ि;ज्ञध्ब्ध्व्द्ध क्ण्डण् ज्लचम.2 का उल्लेख अवष्य किया है किन्तु ऐसा विगत 4-5 वर्षो से रहा हो, ऐसा कोई उल्लेख नहीं है ।  यहां तक की इसका कोई आधार भी न तो संलग्न किया गया है और ना ही बताया गया है । अतः  मात्र लिख देने से यह नहीं माना जा सकता कि बीमित मृतक विगत  4-5 वर्षो सेे डायबटीज टाईप-2 से पीड़ित था ।  इस संबंध में जो विनिष्चय प्रस्तुत हुए है में भी यहीं अभिनिर्धारित किया गया है कि  बिना किसी सम्पुष्टकारी साक्ष्य के ऐसा प्रतिवाद सिद्व नहीं माना जा सकता ।    
11.    क्लेम खारिज किए जाने का दूसरा आधार  व्यक्तिगत आदतों में धूम्रपान की आदत होना व इस तथ्य को छिपाना बताया है । इस प्रतिवाद का आधार अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपनी अनुसंधान एजेन्सी की थ्पदंस  प्दअमेजपहंजपवद त्मचवतज को बताया है । यह आष्चर्यजनक है कि इस सम्पूर्ण रिपोर्ट में  धूम्रपान  के संबंध में कोई उल्लेख नहीं है । ऐसी अव्सथा में बिना किसी आधार के बीमित मृतक का धूम्रपान की आदत से  आदी  होना नहीं माना जा सकता । 
12.    क्लेम खारिज  किए जाने का तीसरा  ाआधार  अन्य बीमा पाॅलिसियों का छवद.क्पेबसवेनतम बताया गया है ।  अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से  इस प्रतिवाद का आधार उनके द्वारा नियुक्त अनुसंधानकर्ता की रिपोर्ट को बताया गया है जिसमें मृतक बीमित के वारिसान द्वारा अन्य पाॅलिसियों के भुगतान को प्राप्त करना  दर्षित है । यहां यह उल्लेखनीय है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा इस संबंध में मात्र  उल्लेख किया गया है  किन्तु साक्ष्य के रूप में वो पाॅलिसियां प्रस्तुत नहीं हुई है जिनके बारे में अभिकथित है । इस संबंध में जो उपरोक्त विनिष्चय प्रस्तुत हुए हैं, में  मोटे तौर पर यह अभिनिर्धारित किया गया है कि मात्र ऐसी पालिसी के उल्लेख किए जाने अथवा प्रपोजल फार्म  भरते समय इनके एजेण्ट के द्वारा उल्लेख नहीं किए जाने के फलस्वरूप मृतक के वारिसान को  इसके लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता । इस प्रकार इन हालात में  यदि बीमित मृतक द्वारा प्रपोजल फार्म भरते समय अन्य पाॅलिसियों का विवरण  अंकित नहीं किया गया है तो इससे कोई  विषेष फर्क नहीं पड़ता है । फलतः  इस बाबत् उठाई गई अप्रार्थी बीमा कम्पनी की आपत्ति सारहीन होने के कारण  खारिज होने योग्य हे । 
13.    चैथा व अंतिम  आधार बीमित मृतक की आयु व उसके रोजगार से संबंधित तथ्यों का डपेतमचतमेमदजंजपवद  करना रहा है ।  मृतक बीमित ने प्रपोजल फार्म भरते समय अपनी आय रू. 2,50,000/- वार्षिक बताई है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अनुसंधान के दौरान मृतक बीमित की मासिक आय रू. 15,000 से 20,000 होना पाया है । इस हिसाब से उसकी वार्षिक आय लगभग रू. 2,40,000 बनती है जो रू. 2,50,000/- की सीमा के आसपास होती है। इस बाबत् आपत्ति मात्र इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए  स्वीकार किए जाने येाग्य नहीं है । 
14.     इस प्रकार उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा बीमित मृतक का क्लेम खारिज किया गया है, वह बिना किसी  युक्तियुक्त आधार के खारिज किया गया है । उनका यह कृत्य सेवा में कमी का  पर्याय माना जा सकता है ।  परिवाद इन्हीं तथ्यों  एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए स्वीकार किए जाने योग्य है ।  एवं आदेष है कि 
                       :ः- आदेष:ः-
15.      (1)    प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  बीमा पाॅलिसी एगोन रेलीगेयर लेवल टर्म प्लान संख्या 120313497389  पेटे बीमा क्लेम राषि रू.  10,00,000/- क्लेम खारिज करने की दिनांक से तदायगी मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित  प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।  
            (2)   प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ं परिवाद व्यय के पेटे रू. 10,000/-  भी  प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।               
            (3)    क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी  बीमा कम्पनी प्रार्थिया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थिया के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 19.09.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

                       

     

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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