Rajasthan

Ajmer

CC/437/2013

MADANLAL - Complainant(s)

Versus

AEGON RELIGARE LIFE INS - Opp.Party(s)

ADV SANJAY MANTRI

29 Sep 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/437/2013
 
1. MADANLAL
KISHANGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. AEGON RELIGARE LIFE INS
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 29 Sep 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

मदन लाल पुत्र श्री पूसाराम, जाति- माली, निवासी-  मालियों की बाड़ी, किषनढ़, जिला- जमेर -305601
                                                -         प्रार्थी


                            बनाम

1. एगान रेलीेयर लाइफ इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए प्रबन्धक, टी.टी. काॅलेज के सामने, जयपुर रोड, अजमेर । 
2. एगान रेलीेयर लाइफ इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता, नोमुरा, बी-विंग,फस्र्ट फलोर, यूनिट नं.102,डी-मार्ट के पास, हीरानन्दानी बिजनेस पार्क, हीरानन्दानी गार्डन, पवई, मुम्बई-400076
3. पेरामाउण्ट हैल्थ सर्विसेज प्रा.लि. जरिए अधिकृत प्राधिकारी, ईलाईट आॅटो हाउस, 54-ए, चकला, एम-वासंजी रोड़, अंधेरी कुर्ला रोड, अंधेरी (ईस्ट) मुम्बई- 400093

                                          -      अप्रार्थीगण 
                 परिवाद संख्या 437/2013  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री संजय मंत्री, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री विवेक सक्सेना, अधिवक्ता अप्रार्थी  बीमा कम्पनी  

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः-21.10.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से एक हैल्थ प्लान(प्लेटिनम) बीमा पाॅलिसी संख्या 611070054731  दिनंाक 21.7.2011 को 15 वर्षो के लिए प्राप्त की। दिनांक 
3.2.2013 को उसके पेट में दर्द होने व सांस लेने में तकलीफ होने पर वह श्री बालाजी हाॅस्पिटल, किषनगढ में भर्ती हुआ और जांच के बाद उसने च्न्व़्न्त्ज्प़्त्म्ै व्त्म्ज्च्त्ल् क्प्ैज्त्म्ैै़ठत्व्छब्भ्व्ैच्।ैड बीमारी का दिनांक  4.2.2013 से  16.2.2013  तक भर्ती रह कर इलाज करवाया और इलाज में खर्च हुई राषि का क्लेम अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए पेष किया  । जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने पत्र दिनांक 9.4.2013 के बिना किसी युक्तियुक्त कारण के खारिज कर सेवा दोष किया है । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।  परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है । 
2.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत कर  प्रार्थी के पक्ष में प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी जारी किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि  उत्तरदाता को प्रार्थी के  हस्तगत क्लेम से पूर्व भी  दो क्लेम  प्राप्त हुए थे।  जिसमें से प्रार्थी को तादादी राषि रू. 60,000/- (पदमिबजपअम भ्मचंजपजपे) एवं रू. 40,000/- (म्दजमतपब थ्मअमत)   का भुगतान भी कर दिया गया । वर्तमान क्लेम प्राप्त होने पर यह पाया गया कि  प्रार्थी ने जो लेब रिपोर्ट भेजी वह हस्तलिखित थी तथा  अस्पताल का कोई लैब पैथालाजिस्ट साथ लगा हुआ नही ंहै । प्रार्थी से इस संबंध में मांगी गई  जानकारी उपलब्ध नही ंकरवाई गई । पेथोलोजिस्ट के स्टेटमेंट भी उपलब्ध नहीं करवाए गए । क्लेम दस्तावेजात के साथ जो तापमान चार्ट प्राप्त हुआ उसके अनुसार दिनांक 9.2.2013 के बाद प्रार्थी का सामान्य तापमान रहा  और इस आधार पर 13 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहने का  कोई सारगर्भित कारण  उपलब्ध कराए गए दस्तावेजात से प्रकट नहीं होता है । इन सभी तथ्यों को मद्देनजर रखते हुए प्रार्थी का क्लेम  खारिज कर  जरिए पत्र दिनांक 23.3.2013 व 9.4.2013 के सूचित कर दिया गया । उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री  जतिन पारीख का षपथपत्र पेष हुआ है । 
3.    प्रार्थी का तर्क है कि उसके स्वयं द्वारा ली गई हैल्थ पाॅलिसी के प्रभाव में रहते हुए दिनंाक 3.2.2013 को उसके पेट में दर्द होने व सांस में तकलीफ होने के कारण अगले दिन दिनांक 4.2.2013 को बालाजी अस्पताल में जांच करवाने गया था तथा उसे गहन चिकित्सा ईकाई  आईसीयू में भर्ती किया गया तथा जांचं करने पर उसे बीमारी च्न्व़्न्त्ज्प़्त्म्ै व्त्म्ज्च्त्ल् क्प्ैज्त्म्ैै़ठत्व्छब्भ्व्ैच्।ैड होना बताया गया , तथा वह आईसीयू में 
4 दिन तक अस्पताल में रहा ।  उसने दिनांक 4.2.2013 से 16.2.2013 तक  भर्ती रह कर स्वास्थ्य लाभ लिया तथा कुल 12 दिन अस्पताल में रह कर  जो खर्चा हुआ उसका क्लेम प्राप्त करने हेतु वांछित प्रलेखों सहित अप्रार्थीगण के समक्ष आवेदन किया । अप्रार्थीगण द्वारा अपने  पत्र दिनांक 9.4.2013 के द्वारा बिना किसी युक्तियुक्त कारण के प्रार्थी द्वारा गलत जानकारी देने एवं फर्जी क्लेम होने के मिथ्या व कपोल कल्पिक आधार पर  खारिज किया गया क्लेम  उनकी सेवा में कमी का परिचायक है । जिसके लिए वे पूर्णरूपेण जिम्मेदार हंै । उसे वांछित अनुतोष दिलाया जाना चाहिए । 
4.    अप्रार्थीगण की ओर से खण्डन में हालांकि बीमा पाॅलिसी का लिया जाना स्वीकार किया गया किन्तु तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रार्थी द्वारा बीमा करार की षर्तो का उल्लंघन किया गया है । इस बाबत् बीमा पाॅलिसी की षर्त संख्या 2.2 की ओर मंच का ध्यान आकर्षित करते हुए पुरजोर दलीले दी गई कि प्रार्थी द्वारा झूठे व मनगढन्त आधारों पर क्लेम प्रस्तुत किया गया है । क्लेम पेपर प्राप्त होने पर पाया गया था कि भर्ती रहने  के दौरान अस्पताल की पर्चियों में समस्त उल्लेख एक बार ही कर दिया गया है । लैब  रिपोर्ट भी हस्तलिखित थी तथा अस्पताल में कोई पेथोलोजिस्ट लगा  हुआ नहीं था ।  इस बाबत् जानकारी   भी मांगी गई जो उपलब्ध नहीं करवाई गई । पैथेलोजिस्ट के स्टेटमेंट भी उपलब्ध नहीं करवाए गए । प्रार्थी के 13 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के संबंध में क्या सुधार हुआ ? इसका कोई रिकार्ड उपलब्ध  नहीं करवाया गया । उसका तापमान का चार्ट जो संलग्न किया गया, के अनुसार दिनांक 9.2.2013 के बाद प्रार्थी का तापमान सामान्य रहा है । इस आधार पर उसके 13 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहने का कोई औचित्य  नहीं था । इन सभी कारणों से अप्रार्थीगण द्वारा दिनांक 23.3.2012 व 9.4.2013  के पत्रों द्वारा प्रार्थी का क्लेम रेपुडिएट कर उसे सूचित कर दिया गया था । यहां तक  कि प्रार्थी पूर्व में भी 2 बार पहले क्लेम प्राप्त कर चुका है । कुल मिलाकर उनका तर्क था  कि पाॅलिसी की उक्त ष्षर्तो के उल्लंघन में प्रस्तुत किया गया क्लेम जांच व अनुसंधान के बाद देय नहीं पाया गया था । अतः क्लेम सहीं रूप से खारिज किया गया है ।
5.    हमने परस्पर तर्क  सुन लिए हैं  व पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का  ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.    हम यहां पर अप्रार्थीगण के  एक अन्य तर्क पर भी विचार करेगें। जिसके तहत उन्होने प्रार्थी का इलाज उक्त बालाजी अस्पताल के षिषु रोग चिकित्सक डा. बनवारी लाल ष्षर्मा द्वारा किया जाना बताया है जबकि प्रार्थी षिषु की श्रेणी में नहीं आता है तथा उसके इलाज हेतु उक्त षिषु रोग विषेषज्ञ  सक्षम नहीं था ।  प्रार्थी की ओर से इसका खण्डन हुआ है । यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि उपलब्ध अभिलेख में प्रार्थी का इलाज  उक्त डा. बनवारी लाल ष्षर्मा द्वारा किया जाना सामने आया है  जैसा कि भर्ती टिकिट में लिखी गई दवाईओं  के नीचे  चिकित्सक के हस्ताक्षरों  पर अंकित मोहर से स्पष्ट है । किन्तु मात्र उसके षिषु रोग विषेषज्ञ  होने के आधार पर वह किसी अन्य रोग का इलाज नहीं कर सकता हों,  ऐसा नहीं माना जा सकता । इस संबंध में एम.सी.आई समक्ष  अधिकारिता रखता है तथा मेडिकल एथिक्स के मूलभूत सिद्वान्तों को ध्यान में रखते हुए ऐसे चिकित्सक के विरूद्व कार्यवाही  करने का  क्षेत्राधिकार  उक्त एम.सी.आई  पर ही रहता है ।  हस्तगत मामले में बीमित ने  पेट के दर्द व सांस लेने में तकलीफ की वजह से उक्त  चिकित्सालय में दिखाया है । चिकित्सालय की भर्ती पर्ची में प्रार्थी को भर्ती के  प्रारम्भ से  ही कफ की षिकायत होने, बुखार होने, सीने में जकड़न , पांचन क्रिया में गड़बड़ व सन्धि में दर्द की षिकायत के कारण उक्त अस्पताल में भर्ती किया गया  है। 
7.    यह भी स्वीकृत तथ्य सामने आया है कि  प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी ली गई थी तथा अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि में वह उक्त बीमा पाॅलिसी से बीमित था ।  प्रार्थी को जों  बीमारी प्रारम्भ से ही थी,  एंव जैसा कि उपलब्ध रिकार्ड से सामने आया  है, को देखते हुए यह बीमारी  कोई ऐसी गम्भीर या घातक बीमारी हो, ऐसा प्रकट नहीं होता है ।  अतः यदि इस प्रकार की बीमारी से ग्रसित कोई व्यक्ति किसी अस्पताल में इलाज हेतु चिकित्सक से परामर्ष करता है अथवा  चिकित्सक की सलाह से कुछ दिनेां के लिए अस्पताल में भर्ती रहता है तो इसमें ऐसी कोई असामान्य बात नहीं मानी जा सकती । जो भर्ती टिकिट पत्रावली में प्रस्तुत हुआ है, में किन्हीं डा. षैलेन्द्र भारद्वाज, एम.डी.  फिजिषियन आॅल काल का भी उल्लेख है । बीमा कम्पनी का यह प्रतिवाद कहीं पर भी नहीं है कि बीमित के  उक्त अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान आॅन काॅल उक्त चिकित्सक फिजिषियन  को बुलाया  ही नहीं गया अथवा परामर्ष  तक नहीं किया गया । जो मुख्य प्रतिवाद लिए गए हंै,  जैसा कि चिकित्सालय में भर्ती रहने के दौरान समस्त पर्चियों का एक ही बार में लिखा जाना अथवा अस्पताल में कोई लेब पैथेलोजिस्ट  का लगा नहीं होना व उसके स्टेटमेंट उपलब्ध नहीं करवाए जाने ,तापमान चार्ट में दिनंाक 9.2.2013 के बाद प्रार्थी के ष्षरीर का तापमान सामान्य रहना, के इन आधारों के संदर्भ में अप्रार्थी बीमा कम्पनी का ऐसा कोई सबूत भी सामने नहीं आया है जो यह दर्षित करता हो कि किस व्यक्ति द्वारा  यह सूचनाएं किन से मांगी गई।क्या ये सूचनाएं उपलब्ध नहीं होने की दिषा में प्रार्थी से इस बाबत् कोई स्पष्टीकरण मांगा गया ?  इसका भी कोई उल्लेख नहीं है । जैसा  कि  बीमा पाॅलिसी की षर्त संख्या 2.2 में उल्लेख होना बताया गया है, के अनुसार बीमित द्वारा गलत सूचना दिए जाने अथवा नाॅन डिस्क्लोजर या धोखाधड़ी किए जाने की स्थिति में क्लेम खारिज किया जा सकना बताया गया है,  के संबंध में प्रार्थी ने कौन सी सूचनाएं गलत दी अथवा इसका डिस्लोजर  नहीं किया अथवा धोखाधड़ी की , इस बाबत् भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी का कोई स्पष्टीकरण नहीं है । अतः मात्र इन आधारों पर खारिज किया गया क्लेम उचित  नहीं माना जा सकता । प्रार्थी के बीमित रहते हुए बीमा अवधि के दौरान अस्पताल में भर्ती रहने पर जो क्लेम किया गया है, उसे जिन आधारों पर निरस्त किया गया है, वे सिद्व नहीं किए जाने की दिषा में  उचित नहीं माने जा सकते । अप्रार्थी का उक्त क्लेम खारिज करते हुए प्रार्थी के प्रति किया गया सव्ंयवहार  उनकी दोषपूर्ण सेवा में कमी का परिचायक है । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि 
                       :ः- आदेष:ः-
8.    (1)    प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  बीमा क्लेम राषि रू. 60,000/-  क्लेम खारिज करने की दिनंाक 9.4.2013 से तदायगी 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
             (2)       प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/-भी  प्राप्त करने के  अधिकारी होगा ।               
              (3)        क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 21.10.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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